Apradh hi Apradh - 53 in Hindi Crime Stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | अपराध ही अपराध - भाग 53

Featured Books
Categories
Share

अपराध ही अपराध - भाग 53

अध्याय 53

 

पिछला सारांश: 

दामोदर के लड़के विवेक ने कार्तिका इंडस्ट्रीज के संस्थापक कृष्णा राज के लड़के जैसे नाटक करने को संतोष को कहा। वह नाटक कर संतोष बंगले में परिवार सहित आ गया। इस समय आई.पी.एस चंद्रमोहन दो पुलिस अधिकारियों के साथ आकर कृष्णा राज को कैद कर लेते हैं। 

विवेक को भी कैद करेंगे बोलते ही, विवेक का पता आपको मैं बता दूं तो आप मुझे छोड़ दोगे ऐसा संतोष ने पूछा। 

‘विवेक को तुम कैसे जानते हो?’ऐसा चंद्र मोहन के पूछते ही संतोष की पत्नी सुमति बीच में आकर, संतोष उनका लड़का नहीं है इस बात का भंडाफोड़ कर दिया।

इसे सुनकर धना, कुमार और कार्तिका तीनों जबरदस्त सदमे में आ गए।

 सदमे में ही धनंजयन को कार्तिका ने देखा। वह एकदम स्तंभित था। कुमार भी स्तंभित था।

“यह क्या है धना…कहां आप धोखा खा गए?” सदमे से थोड़ा बाहर निकल कर कार्तिका ने पूछा।

“नहीं, मैं ही उनका लड़का हूं। वे कैद कर लेंगे बोलते ही, मेरी पत्नी डर गई। वह जो बोल रही है उस पर विश्वास मत कीजिए…” ऐसा कहकर संतोष संभालना चाहा। परंतु सुमति के अंदर वह डर और गुस्सा को ही उत्पन्न किया। 

“बस कीजिए। आप सही तरह से एक मां-बाप के पैदा हुए हो। उन्होंने ही आपको पाल-पोस कर बड़ा किया है ।अब रूपयों के लिए आप ऐसे बदलोगे?”

“इन अमीरों के सारे पैसे पाप की कमाई है। इस पाप के रूपयों के लिए आप अपने पिताजी को ही बदल लोगे? आपके मरे हुए सचमुच के अप्पा की आत्मा क्या आपको माफ करेगी?” ऐसा एक बड़े पत्थर को उठाकर फोड़ा बीच में घुसकर सुमति ने बोल दिया। इसके बाद संतोष कुछ भी बोल ना सका। 

कृष्णराज को कैद करने आए चंद्र मोहन, संतोष के नाटक को उसी क्षण समझ गए। “मिस्टर संतोष…आप उस कृष्णराज से ज्यादा बड़े क्रिमिनल हो ऐसा लगता है? 

“आपको ऐसे नाटक करने के लिए विवेक ने कहा हमें अच्छी तरह से समझ में आ गया। आपको और विवेक का आपस में संबंध है यह पक्का हो गया। वह अभी कहां छुपा हुआ है? 

“अब तो सच बोलो। नहीं तो आपको भी हमें कैद करना पड़ेगा” चंद्र मोहन के आदेश का स्वर सुनकर संतोष घबरा गया; अपने बारे में सच्चाई का भंडाफोड़ करने वाली सुमति को घूरकर उसने देखा।

“उन्हें क्यों घूर रहे हो। मेरे प्रश्न का जवाब दीजिए” उसे अपनी तरफ चंद्र मोहन ने घुमाया। 

“विवेक ने मुझे आकर बोले बस उन्होंने जैसा करने को कहा वैसा ही मैंने किया और कुछ नहीं बस …”

“फिर उसका फोन नंबर आपके पास होगा?”

“वे ही मुझे बुलाते हैं। हर बार अलग-अलग नंबरों से बात करते हैं।”

“आखिर में बात किया वह नंबर तो है ना?”

“है सर।”

“उस नंबर से उसे बुलाए। फोन को ‘स्पीकर’ पर डालकर हम जैसे बोले वैसे ही बोलो। बात बदलकर बोलें तो उसको चेतावनी देने की कोशिश की तो मैं तुझे खत्म कर दूंगा” चंद्र मोहन ने उसे धमकाया पर उसमें उन्हें एक खुशी दिखाई दे रही थी; उसको पाबंद भी दिया। 

“बुलाइए, अब आप क्या सोच रहे हो? अब तो सीधे चल कर इस चौखट से बाहर आ जाइए” सुमति ने उसे उकसाया। 

सब कुछ देख कर धनंजयन, कुमार और कार्तिका तीनों आंखें फाड़ के देख रहे थे…कृष्णराज के आंखों में आंसू थे। 

“क्यों संतोष, उस बंगले में जाकर कृष्णराज को देख लिया?” स्पीकर फोन के उसकी आवाज सबको सुनाई दे रहा था। 

जहां जो बोलना था जल्दी-जल्दी से लिखकर चंद्र मोहन दे रहे थे। उसी को वह बोल रहा था। 

बड़े सॉफ्ट आवाज में “देख लिया सर…” संतोष बोला।

“वेरी गुड, किसी को संदेह तो नहीं हुआ?”

प्रश्न उत्तर साथ शुरू हो गए। 

“ना…नहीं सर!”

“क्यों हिचकिचा रहे हो! हिचकिचाते हुए तुम बोल रहे हो…तुम्हारे लिए एक खुशी का समाचार है। और थोड़ी देर में पुलिस आकर कृष्णाराज को अरेस्ट कर लेगी। तुम्हारे द्वारा फिर मेरा राज्य है।”

“अभी आप कहां हैं सर?”

“ तुमको अभी क्यों जानना है? मुझे भी पुलिस ने ढूंढना शुरू कर दिया। उस मलेशिया के रामकृष्णन ने सभी के बारे में जानकारी दे दिया है। उसने हमें धोखा दे दिया । उसकी वजह से मुझे भी अज्ञातवास में चले जाना पड़ा” 

“इसका मतलब आप अब अज्ञातवास में ही रहोगे?”

“दूसरा रास्ता…अंडरग्राउंड के दादाओ का जीवन ही हमेशा ऐसा है। तुम फिकर मत करो। मैं वेश बदलकर किसी तरह विदेश में बचकर चला जाऊंगा। जाने के पहले कृष्णराज के सभी संपत्ति को अपने वश में करके उसे बेचकर हवाला के द्वारा डॉलर मिल जाएगा। 

“तुम चाहो तो, तुम्हारी पत्नी और बच्चों को मेरे साथ विदेश में आ सकते हो। उस कृष्णराज के संपत्ति का एक हिस्सा मैं तुम्हें दे दूंगा। उसको रखकर तुम खुशी से जिंदगी जी सकते हो…क्या बोलते हो?”

“आपकी इच्छा। अभी मैं आपको प्रत्यक्ष में देखकर आपका आशीर्वाद लेना चाहता हूं।”

“आशिर्वादम…यह क्या पागलपना है?”

“मेरे लिए तो आप ही मेरे भगवान हो!”

आगे अगले अध्याय में पढ़े....