Film Review Shrikant in Hindi Film Reviews by S Sinha books and stories PDF | फिल्म रिव्यु - श्रीकांत

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फिल्म रिव्यु - श्रीकांत


                                     फिल्म रिव्यु  श्रीकांत 


बॉलीवुड में दिव्यांगों , जिनमें दृष्टिहीन भी हैं , पर पहले भी कुछ फ़िल्में बनीं हैं  . 2002 के बाद से  नेत्रहीन  पर  ‘ फ़ना ‘ , ‘आँखें ‘ , ‘ ब्लैक ‘ ब्लाइंड ‘ , अंधाधुन आदि  फ़िल्में  बन चुकी हैं  .  ये सभी रंगीन फ़िल्में तब बनीं जब फिल्म मेकिंग तकनीक बहुत उन्नत हो चुका था  और इनमें उस समय के सुपर स्टार ने काम किया था  . पर इस विषय पर सबसे पहली  फिल्म बनाने का साहस राजश्री प्रोडक्शन ने 1964 में ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म ‘ दोस्ती ‘  बना कर किया था  . बिना किसी स्टार वाले इस फिल्म और इसके गानों को  अपार सफलता और लोकप्रियता मिली थी  . और अब 2024  में बनी  ‘  श्रीकांत ‘ भी नेत्रहीन  पर बनी एक फिल्म  है  . 


श्रीकांत में कोई सुपर स्टार तो नहीं है पर बहुत अच्छे अभिनेता अवश्य हैं  . सबसे बड़ी बात यह है कि यह फिल्म एक व्यक्ति की सच्ची कहानी है  . यह तत्कालीन आंध्र प्रदेश के मच्छलीपट्टनम वासी श्रीकांत बोला के जीवन पर आधारित है  . श्रीकांत ने अपने अंधेपन को कमजोरी नहीं समझा और अपनी निष्ठा , साहस , आत्मविश्वास  और परिश्रम के बल पर वह कर दिखाया जो अभी तक एक मिसाल और माइलस्टोन है  . उन्होंने बोलैंट इंडस्ट्रीज की स्थापना की जिसमें लगभग आधे कर्मचारी भी दिव्यांग हैं और अभी भी यह कंपनी निरंतर उन्नति कर  रही है  . 


 कहानी - ‘ श्रीकांत ‘ फिल्म की कहानी भी बिलकुल वैसी ही है  . श्रीकांत एक अत्यंत गरीब परिवार की पहली संतान है  .   जन्म के समय ही श्रीकांत को परिवार लगभग सदा के लिए त्यागने ही वाला था पर दया वश ऐसा नहीं हुआ  . वह बचपन से ही पढ़ने लिखने में बहुत तेज है   . श्रीकांत ( राजकुमार राव ) क्लास में टॉप करता है  और साइंस पढ़ना चाहता है  .  बहुत  संघर्ष और कानूनी लड़ाई के बाद उसे साइंस मिली  . 12 वीं में टॉप करने के बावजूद नेत्रहीन होने के कारण उसे IIT में दाखिला नहीं मिल सका  .  विडंबना देखिये जहाँ एक तरफ देश की  उच्च प्रौद्योगिकी संस्थान ने उसे नकार दिया था वहीँ दूसरी ओर उसके रिकॉर्ड को देखते हुए विश्व के श्रेष्ठतम तकनीकी विश्वविद्यालयों में एक  अमेरिका के बोस्टन स्थित  MIT (Massachusetts Institute of Technology ) ने खुले दिल से उसका स्वागत किया और उसे निःशुल्क दाखिला मिला  .  MIT में श्रीकांत पहले प्रवासी नेत्रहीन विद्यार्थी रहे हैं   .  श्रीकांत के इस सफर में शुरू से ही उसकी टीचर देविका ( साउथ की उभरती अभिनेत्री ज्योतिका ) ने हर कदम पर न सिर्फ उसका साथ दिया है वरन उसे सही दिशा दिखाया और प्रोत्साहित किया है  . इसलिए श्रीकांत अपनी टीचर को यशोदा माँ भी कहता है   . उसकी पढ़ाई के दौरान एक लड़की वीरा स्वाति ( अलाया एफ ) मिलती है जो उसकी तरफ आकर्षित भी होती है . स्वाति  ने श्रीकांत को न सिर्फ प्यार दिया बल्कि भरपूर मोरल सपोर्ट दिया है , प्रोत्साहित किया है  और राह भटकने पर नैतिकता भी सिखाई है . 


एक बार भूतपूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम ने जब श्रीकांत  से पूछा ‘ तुम क्या बनना चाहोगे ? “ 


“ मैं भारत का प्रथम नेत्रहीन राष्ट्रपति बनना चाहता हूँ  . “  श्रीकांत ने कहा जिसे सुनकर कलाम साहब ने उसकी काफी प्रशंसा की 


MIT में  पढ़ाई पूरी कर वह भारत आता है और अपना उद्योग स्थापित करना चाहता है  . इसके लिए सबसे पहले पूँजी लगाने वाला व्यक्ति एक उद्योगपति रवि मंथा ( शरद केलकर ) मिलता है   .  पूँजी निवेश के अतिरिक्त रवि उसे बिजनेस में गाइड भी करता है   .  उन्होंने मिलकर  बोलैंट इंडस्ट्रीज की स्थापना की  . आगे चलकर रतन  टाटा ने भी उसके बिजनेस में इन्वेस्ट किया . बोलैंट इंडस्ट्रीज उन्नति करता रहा .  


श्रीकांत एक नेक दिल सच्चा , दृढ निश्चय वाला इंसान है  पर  साथ में जिद्दी भी  है . उसकी जिद के चलते ही कुछ समय के लिए उसकी टीचर  और उसके  बिजनेस पार्टनर रवि भी उस से नाराज हो जाते हैं  . 


श्रीकांत अपेक्षाकृत लो बजट मूवी है . सम्भवतः बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा  सफलता उसे नहीं मिली हो . वैसे भी यह फिल्म सिर्फ  मनोरंजन की दृष्टि से फिल्म देखने वालों को निराश करेगी . पर एक दिव्यांग नेत्रहीन व्यक्ति के जीवन का संघर्ष , उसके सपने , उसका साहस , उसकी भावना और कामयाबी तक का सफर देखने योग्य है . 


अभिनय की दृष्टि से राजकुमार राव खरे उतरे हैं पर ज्यादातर उनके चेहरे पर एक ही तरह का  भाव दिखता  है . टीचर की भूमिका में ज्योतिका का सशक्त अभिनय सराहनीय रहा है . उसने साबित किया है कि एक अच्छा टीचर अपने स्टूडेंट के टैलेंट को पहचान कर उसे निखार सकता है . ज्योतिका मूलतः दक्षिण की तमिल , तेलगु और  मलयालम में काम करती हैं और अब बॉलीवुड में भी उनका प्रदर्शन प्रशंसनीय रहा है . 

भूषण कुमार और कृष्ण कुमार मुख्य निर्माता हैं  जिन्होंने एक अच्छा विषय चुना है ,  जगदीप सिद्धू और सुमित पुरोहित का पटकथा लेखन अच्छा है .  तुषार हीरानंदानी ने बड़ी खूबी से इस विषय की  फिल्म का निर्देशन किया है . इसके एक दो गाने भी अच्छे हैं  . 


कुल मिलाकर श्रीकांत एक साफ सुथरी  और  प्रेरणादायक फिल्म है जिसे परिवार के साथ देखना चाहिए या  इसे  एक मस्ट वाच फिल्म कहना भी गलत नहीं होगा . यह फिल्म अभी Netflix  पर उपलब्ध है  . 


मूल्यांकन - निजी तौर पर मूल्यांकन की दृष्टि से यह फिल्म 10 में 7 अंक की हक़दार है  . 

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