Nadan Ishq - 1 in Hindi Love Stories by rk bajpai books and stories PDF | नादान इश्क़ - 1

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नादान इश्क़ - 1

शादी का मंडप सजा हुआ है, और हॉल फूलों की खुशबू से महक रहा है। चारों ओर रिश्तेदारों का जमावड़ा है, हर कोई इस खुशी के मौके का आनंद ले रहा है। लोग हंस रहे हैं, बातचीत कर रहे हैं, और हर चेहरा खुशियों से भरा हुआ है।

वहीं, एक लड़का फोन से शादी का वीडियो रिकॉर्ड कर रहा है। उसका नाम वीर खुराना है—25 साल का, आकर्षक और हमेशा खुश रहने वाला। उसकी आंखों में एक चमक है, जैसे वह हर पल को अपने दिल में बसा लेना चाहता हो। वह हर हंसी, हर भाव, हर लम्हे को कैमरे में कैद कर रहा है, जैसे ये पल उसके लिए बेहद खास हो।
 
 
लेकिन इस हंसी और खुशी के माहौल से परे, ऊपर एक कमरे में, 26 साल का ईशान मल्होत्रा, जो इस उम्र में शहर का एक जाने-माने वकील बन चुका है, अपने कमरे में शादी के लिए तैयार हो रहा है। उसकी आंखों में एक अजीब सा तनाव और चेहरे पर भारीपन है। यह वही ईशान है, जो आज का दूल्हा और इस कहानी का हीरो है, लेकिन उसकी आंखों में खुशी की जगह एक गहरी बेचैनी बसी हुई है। उसकी उंगलियां बार-बार अपनी घड़ी को ठीक कर रही हैं, जैसे वह अपने अंदर के तूफान को छिपाने की कोशिश कर रहा हो।
 
दरवाजे पर दस्तक होती है, और ईशान एक पल के लिए ठिठक जाता है। उसे लगता है जैसे हर दस्तक उसके दिल की धड़कनों को और तेज़ कर रही हो। वह दरवाजे की तरफ बढ़ता है और दरवाजा खोलता है। सामने उसका जिगरी दोस्त वीर खड़ा है। दोनों बचपन से ही एक-दूसरे के बेहद करीब हैं, 
 
 
ईशान ने जब वीर को देखा, तो उसके होंठों पर एक कमजोर सी मुस्कान आई। “अरे वीर, तुम यहां?”
 
 
वीर अंदर आता है और हल्के मजाक के अंदाज में कहता है, “अरे यार, तू अब तक तैयार नहीं हुआ? शादी के दिन भी लेट हो रहा है, जैसे हर बार!”
 
 
ईशान हंसते हुए, लेकिन हल्की उदासी छुपाते हुए कहता है, “अरे मैं लेट हो जाऊं तो क्या, शादी मेरे बिना थोड़ी हो जाएगी?”
 
 
वीर उसकी आंखों में देखता है, उसकी हंसी में छुपी उदासी को भांपने की कोशिश करता है। फिर हंसते हुए कहता है, “अरे वकील साहब, आज तो भाभी जी इंतजार कर लेंगी, लेकिन कल नहीं करेंगे!” वीर की बात पर ईशान जोर से हंसता है, लेकिन उस हंसी में भी एक छिपा हुआ दर्द था, जिसे सिर्फ वीर समझ सकता था।
 
 
 
ईशान ने पास पड़ी कंघी उठाकर वीर की ओर मारने के लिए बढ़ाया। वीर ने हंसते हुए पीछे हटते हुए कहा, “अरे-अरे, मैं तो मजाक कर रहा था!”
 
 
 
ईशान ने गहरी सांस ली और बोला, “चल अब, जा यहां से और मुझे तैयार होने दे।”
 
 
वीर जाते हुए पीछे मुड़कर एक नजर ईशान की ओर डालता है, जैसे कुछ कहने की कोशिश कर रहा हो। लेकिन फिर बिना कुछ और सोचे वीर बोलता है
 
“ठीक है-ठीक है, जा रहा हूं। लेकिन जब जरूरत हो, तो याद रखना।” वीर के जाते ही, ईशान का चेहरा फिर गंभीर हो जाता है। उसकी मुस्कान एकाएक गायब हो जाती है, और वह गहरे सोच में डूब जाता है। उसकी आंखें कहीं खो जाती हैं, जैसे वह किसी अतीत के हिस्से में जाकर खुद से लड़ रहा हो।
 
 
तैयार होकर ईशान धीरे-धीरे सीढ़ियों से नीचे आता है। उसे हर कदम पर जैसे एक अजीब सी बेचैनी महसूस हो रही है। नीचे पहुंचते ही सबकी नजरें उस पर टिक जाती हैं। एक पल के लिए, वह हॉल में मौजूद हर चेहरे को देखता है, लेकिन उसकी निगाहें उस भीड़ में किसी और को ढूंढ रही हैं। उसकी आंखों में एक दर्द छिपा है, जिसे वह किसी के सामने जाहिर नहीं करना चाहता। तभी उसकी मां, कामिनी मल्होत्रा, उसके पास आती हैं और प्यार से उसके माथे पर हाथ फेरती हैं। “कितना प्यारा लग रहा है मेरा बेटा आज। किसी की नजर न लगे,” कहते हुए उन्होंने अपनी आंखों का काजल उसके कान के पीछे लगा दिया। 
 
 
ईशान अपनी मां की बात सुनकर अंदर ही अंदर सोचता है, *‘मां, नजर तो दुनिया की बहुत पहले ही लग चुकी है, आपने बहुत देर कर दी।’* वह मुस्कुराता है, लेकिन उसकी आंखों में छिपा हुआ दुख किसी को नजर नहीं आता। वह बारात के लिए कार में बैठ जाता है।
 
बारात खुशी-खुशी डांस कर रही है, लेकिन ईशान के चेहरे पर अभी भी कुछ झलक रहा है, जैसे उसके दिल में कुछ भारी हो। बारात मंडप तक पहुंच जाती है और सारी रस्में निभाई जाती हैं। ईशान स्टेज पर बैठा है, और दुल्हन पायल, जो आज बेहद खूबसूरत लग रही है, धीरे-धीरे कदम बढ़ाती हुई स्टेज पर आती है। उसकी हर चाल धीमी और संजीदा है, जैसे उसकी नजरें बार-बार झुक रही हों, लेकिन जब उसकी निगाहें ईशान से मिलती हैं, तो एक पल के लिए जैसे समय थम जाता है। दोनों की आंखें एक पल के लिए ठहर जाती हैं। उस एक पल में उनके बीच हज़ारों सवाल और जवाब गुजर जाते हैं।
 
ईशान पायल की ओर देखकर मुस्कुराता है, और पायल उसके पास बैठते ही हल्के से उसके हाथ को थाम लेती है। उसकी आंखों में एक विश्वास झलकता है, मानो वह कहना चाहता हो कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। तभी वीर पीछे से मजाक करते हुए कहता है, “बस कर भाई, कितना देखेगा? अब तो सारी जिंदगी तेरी ही होने वाली है।”
 
ईशान मुस्कुराते हुए वीर को कोनी मारता है और कहता है, “चुप हो जा, नहीं तो अभी यहां से नीचे फेंक दूंगा।”
 
अब वरमाला की रस्म शुरू होती है। ईशान ने पायल को वरमाला पहनाई, और पायल भी उसे पहनाने ही वाली होती है कि तभी पुलिस की गाड़ी का सायरन बजता है। अचानक हॉल में सन्नाटा छा जाता है। लोगों की हंसी ठहर जाती है, और उनकी आंखों में सवाल उभरने लगते हैं। लोग एक-दूसरे की ओर सवालिया निगाहों से देख रहे हैं। तभी तीन-चार पुलिसकर्मी और एक इंस्पेक्टर, एक औरत और उसके साथ एक साल का बच्चा लेकर अंदर आते हैं। शादी का माहौल एक झटके में बदल जाता है। 
 
 
ईशान के पिता विक्रम मल्होत्रा, तुरंत इंस्पेक्टर के पास जाकर पूछते हैं, “इंस्पेक्टर साहब, इस वक्त यहां क्यों?”
 
 
इंस्पेक्टर गंभीरता से कहता है, “ये सवाल अपने बेटे से पूछिए, वकील साहब ने क्या किया है।”
 
 
इसके पहले कि कोई कुछ और पूछता, वह औरत चिल्लाती है, “बच्चा पैदा कर लिया और अब किसी और से शादी कर रहा है!”
 
 
यह सुनते ही हॉल में मौजूद हर व्यक्ति चौंक जाता है। वीर एक पल को स्तब्ध रह जाता है, फिर तेजी से उस औरत के पास पहुंचता है। उसकी आंखों में गुस्सा है, और वह चिल्लाकर कहता है, “ये क्या बकवास कर रही है? होश में है तू? जो खुद दूसरों की खुशी के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगाता है, वह ऐसा करेगा? मुझे यकीन नहीं।”
 
 
इंस्पेक्टर ने वीर की ओर देखा और ठंडे स्वर में कहा, “आपके यकीन से क्या होता है? यह बच्चा उसी का है।”
 
 
वीर फिर से गरजता है, “क्या सबूत है तुम्हारे पास?”
 
 
तभी ईशान शांत स्वर में कहता है, “रुक जा वीर।” वीर उसकी ओर देखता है, और ईशान धीरे-धीरे स्टेज से नीचे उतरता है। उसके चेहरे पर दर्द और गुस्से का मिला-जुला भाव है। वह उस औरत की आंखों में देखते हुए गुस्से से भरकर पूछता है, “तू क्या चाहती है? क्यों यह सब कर रही है?”
 
 
पायल, जो अब तक चुप थी, पीछे मुड़ते हुए और गहरी सांस लेते हुए धीरे-से कहती है, “हो सकता है कि वह सच बोल रही हो, ईशान। तुम गलत हो सकते हो।”
 
 
ईशान गुस्से से चिल्लाता है, “पायल, तुम जानती भी हो कि तुम क्या कह रही हो? ये सब झूठ है!”
 
 
पायल आंसुओं से भरी आंखों के साथ चिल्लाते हुए कहती है, “पहले भी मैंने तुम पर यकीन किया, लेकिन शायद वही गलती थी।”
 
 
ईशान निराश और टूटे हुए स्वर में कहता है, “पायल, मेरी मजबूरी को मेरे इंतकाम में मत बदलो।”
 
 
तभी वह औरत डीएनए रिपोर्ट निकालकर दिखाती है।  
 
 
ईशान के पास कोई जवाब नहीं बचता। वह जैसे खामोश हो गया हो, उसकी आंखों में दर्द का सागर उभर आता है। पायल की आंखों से आंसू बहने लगते हैं। वह गुस्से से भरकर, कांपते हुए, ईशान का कॉलर पकड़ लेती है और रोते हुए चिल्लाती है, 
 
 
"अब क्या ईशान? अब क्या बोलोगे? और कितनी झूठी तसल्ली दोगे मुझे? तुम्हारे पास दोबारा आना ही नहीं चाहिए था! तुमने एक मौका मांगा, मैंने दिया। और तुमने मुझे आज ये दिन दिखाया! मेरे घरवालों की बेइज्जती तो मत करते, एक बार कहते कि तुम खुश नहीं हो, मैं चली जाती। लेकिन क्यों किया यार? क्यों? क्या बिगाड़ा था मैंने तुम्हारा?"
 
 
ईशान का गला सूख गया था। वह कांपते हुए पायल का हाथ पकड़कर रोते हुए कहता है, "पायल, मेरी बात समझो। मुझे कुछ नहीं पता, यह सब क्या हो रहा है! मैं सच बोल रहा हूं, मुझ पर यकीन करो, पायल।"
 
 
पायल अपनी आंखों में बेइंतिहा दर्द लिए कहती है, "यकीन? मुझे तो उस दिन ही चले जाना चाहिए था जब तुमने अपनी बात बताई थी। पता नहीं क्या सोचकर रुकी थी मैं... उस दिन इतना दर्द नहीं हुआ था जितना आज हो रहा है।"
 
 
तभी पीछे खड़ा वीर, जिसने अब तक अपने आंसुओं को थाम रखा था, तेज़ी से बोलता है, "बस भाभी, अब एक शब्द और नहीं!" वीर की आवाज़ में उफान था। 
 
 
वीर: "क्या जानती हो आप? जो आपको और इस समाज को दिखा, वही सच है? लेकिन कभी इससे पूछा कि इसे क्या चाहिए? भला कोई क्यों पूछे? क्योंकि यह एक बड़ा लॉयर है, लोगों की नजर में हीरो है, तो क्या इसका दर्द कोई देख नहीं सकता? अरे, इसने आपका पास्ट एक्सेप्ट किया और आपको अपनाया, और आप इसे ये सब बोल रही हैं?"
 
 
तभी ईशान गुस्से से चिल्लाकर कहता है, "चुप हो जाओ वीर!"
 
 
वीर उसकी ओर देखता है, पर रुके बिना जवाब देता है, "नहीं ईशान, मैं अब और नहीं सुन सकता। मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकता।"
 
 
ईशान तेजी से वीर की ओर बढ़ता है, और उसके गाल पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ देता है। वीर एक पल के लिए स्तब्ध रह जाता है। पूरा हॉल सन्न रह जाता है। ईशान के गुस्से में उसकी आवाज़ भी कांपने लगती है, "बस! एक लफ्ज़ और नहीं। मैं गलत हूं... और ये सही।"
 
 
वीर, जो अब तक अपने आंसुओं को दबाए हुए था, आंखों में दर्द लिए चुप खड़ा हो गया। 
 
 
ईशान फिर इंस्पेक्टर की ओर देखता है, "सर, आप जाइए। मैं यहां सब संभाल लूंगा।"
 
 
इंस्पेक्टर सिर हिलाता है और अपनी टीम के साथ हॉल से बाहर निकल जाता है। बाकी लोग भी धीरे-धीरे वहां से जाने लगते हैं। ईशान अब भी वही खड़ा है, जैसे उसकी सारी ताकत उसी पल में खत्म हो गई हो। 
 
 
ईशान पायल के माता-पिता के सामने हाथ जोड़कर कहता है, "मुझे माफ कर दीजिए। मुझे सच का पता लगाना होगा। इस बार मैं आपको सही साबित करके दिखाऊंगा।"
 
 
इसके बाद, वह पायल की ओर देखता है, उसकी आंखों में दर्द और माफी का मिला-जुला भाव है। "माफ करना, पायल। मैं खुद को सही साबित करके तुम्हारे पास लौटूंगा। फिर बताना कौन सही है और कौन गलत।"
 
 
पायल उसकी बात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देती। वह आंसुओं से भरी आंखों से उसे देखती है, लेकिन फिर उसकी ओर पीठ फेरकर अपने माता-पिता के साथ वहां से चली जाती है। 
 
 
ईशान की मां, कामिनी मल्होत्रा, जो अब तक ये सब चुपचाप देख रही थीं, पास आती हैं और धीरे से कहती हैं, "बेटा, मेरी बात सुनो।"
 
 
ईशान, जो अब अपनी ही दुनिया में खोया हुआ था, अपनी मां की ओर देखता है और कमजोर स्वर में कहता है, "नहीं मां, मैं अपने कमरे में जा रहा हूं। मुझे कुछ वक्त अकेले रहना है।" उसकी आवाज़ में एक अजीब सा खालीपन था, मानो वह अपने अंदर की सारी भावनाओं को खत्म कर चुका हो। 
 
 
वह रुककर एक पल के लिए अपने आस-पास देखता है और कहता है, "इस औरत और बच्चे को गेस्ट रूम में रोक लो... और मेरी नजरों से दूर रखो।"
 
 
यह कहकर, ईशान वहां से तेजी से अपने कमरे की ओर चला जाता है। कमरे में पहुंचते ही वह अंदर से दरवाजा बंद कर देता है। उसकी सांसें तेज हो रही हैं। वह कमरे के हर कोने को देखता है, फिर अचानक से बेकाबू होकर सारे सामान को इधर-उधर फेंकने लगता है। उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं। वह शीशे के सामने खड़ा होकर खुद से सवाल करता है, "क्यों? क्यों हर बार मेरे साथ ही ऐसा होता है? क्या फायदा ऐसी जिंदगी का, जिसमें हंसते हुए भी मैं खुश नहीं हूं? दो पल खुशी के मिलते हैं, फिर ये सब... क्या यही मेरी किस्मत है?"
 
 
उसी वक्त, दरवाजे के पास खड़ा वीर सब सुन रहा होता है। उसकी आंखों में आंसू हैं। वीर कमरे के अंदर आता है और धीमी आवाज़ में कहता है, "नहीं ईशान, तुम हिम्मत नहीं हार सकते।"
 
 
ईशान वीर को देखता है, जो अब तक उसकी हर लड़ाई में उसके साथ खड़ा रहा है। वीर के पास जाते ही, जो ईशान सबके लिए हमेशा एक मजबूत दीवार बनकर खड़ा रहता था, वह टूट जाता है। वह वीर के गले लगकर फूट-फूटकर रोने लगता है। 
 
 
वीर भी उसकी पीठ थपथपाते हुए रो पड़ता है, "मैं जानता हूं, ईशान... मैं जानता हूं कि तुम सही हो। बस हमें सच का सामना करना है। हम ये लड़ाई जीतेंगे, भाई।"
 
 
ईशान टूटे हुए स्वर में कहता है, "कभी-कभी लगता है, वीर... कि सब खत्म हो गया है। मैं थक चुका हूं।"
 
 
वीर उसे और मजबूती से गले लगाते हुए कहता है, "नहीं ईशान, तुम कभी हार नहीं मान सकते। मैं तुम्हारे साथ हूं, हमेशा। हम ये जंग जीतेंगे, चाहे कुछ भी हो जाए।"
 
 
ईशान वीर के कंधे पर सिर रखकर रोता रहता है।
 
 
कौन थी वो औरत ? और क्यों ईशान इतना बिखर गया? आखिर क्या जनता था वीर जो किसी को नही पता था?
 
क्या होगी ये शादी? और क्या ईशान और वीर पता लगा पाएंगे सच्चाई का? जानने के लिए पढ़ते रहे नादान इश्क़