karva chouth ka vrat in Hindi Women Focused by Dr Mukesh Aseemit books and stories PDF | करवा चौथ का व्रत

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करवा चौथ का व्रत

**करवा चौथ का व्रत**

 

लो जी, पतियों के 'पतिपन' की खटारा गाड़ी की ओवरहॉलिंग का त्यौहार आ गया है... यानी कि करवा चौथ आ गया है। पति-पत्नी के लाइफ टाइम वैलिडिटी के बंधन के रिन्यूअल का समय। यानी पत्नियों के अपने पति-प्रेम के फुल टॉक टाइम का सालभर का रिचार्ज। यूं तो पत्नी को चौदहवीं का चाँद कहा गया है। चाहे ऊपर आकाश का चाँद अपनी कलाओं को घटाता-बढ़ाता रहे, लेकिन आपके घर का चाँद तो हमेशा ही चौदहवीं का चाँद रहेगा... सोलह कलाओं से युक्त। अगर भूल से भी उसे कोई अमावस का चाँद कह देगा, तो फिर आपकी 'चंद्रमुखी' कब फट कर ज्वालामुखी बन जाएगी, पता नहीं चलेगा।

 

लेकिन पतियों, खुश होने की बात ये है कि एक चाँद तुम्हारे हिस्से का भी है... वो है चौथ का चाँद... बिल्कुल मुक्तिबोध की 'चाँद का मुँह टेढ़ा' कविता की तरह। ध्यान से देखा तुमने? चौथ का चंद्रमा... तुम्हारी शक्ल देखकर ही बनाया गया है शायद। टेढ़े मुँह का। अब चाँद पर भी कोई जेंडर डिस्क्रिमिनेशन का आरोप नहीं लगा सकता। एक बार मैंने गलती से उसकी तुलना मेरी श्रीमती जी के सेल्फी लेते वक्त बनाए गए मुँह से कर दी थी... श्रीमती जी ने करवा चौथ का व्रत नहीं रखने की ऐसी धमकी दी, कि लगा हमारी वैलिडिटी खत्म हो गई। इसके बाद से हाय तौबा कर ली है। अब तो हम ही एडवांस में श्रीमती जी को अपनी वैलिडिटी एक्सपायर होने की सूचना दे देते हैं। हर बार श्रीमती जी करवा चौथ के रिचार्ज पैक की कीमत बढ़ा देती हैं। इस बार सोने का कोई आइटम गिफ्ट में देने की पेशकश की है, वरना वही पुरानी धमकी... व्रत तोड़ने की। लगता है जियो वालों से हमारी श्रीमती जी प्रेरणा ले रही हैं... हर साल रिचार्ज पैक की कीमत बढ़ाने लगी हैं।

 

वैसे तो पुरानों में हर चौथ का महत्व समान रूप से प्रभावशाली, पति की आयु में वृद्धि करने वाला बताया गया है, लेकिन बाजार, टीवी सीरियल ने दिवाली के आसपास पड़ने वाले इस करवा चौथ को ही पकड़ा... ताकि बाजार को अलग से मेहनत न करनी पड़े। दिवाली की सेल, डिस्काउंट ऑफर की खिचड़ी पर करवा चौथ का छौंक लगी ऐसी खिचड़ी परोसी जाती है कि ग्राहक को पेट भले पहले से ही भरा हुआ हो , खाना पड़ेगा ही। बाजार की रौनक देखो! करवा चौथ का चाँद तो बाजार के लिए चाँदी काट रहा है।

 

खैर, कुल मिलाकर खुशखबरी ये है कि हे सालभर अपनी चाँद छुपाए घूम रहे पतियों, करवा चौथ आ चुका है। पत्नियाँ भी अपने-अपने पतियों को हिदायत दे रही हैं... "आज शाम को जल्दी आ जाना, बाजार से सरगी, मेवे, मिठाई, ज्वेलरी, साड़ी, सुहाग का सामान खरीदना है। मिट्टी का करवा, गेहूं, चीनी, गंगाजल या दूध, छलनी भी लेनी है और हाँ, वो मेरा गिफ्ट।"

 

पत्नी की आज के दिन सख्त हिदायत है, "शाम को व्रत खोलना है, तो कम से कम आज के दिन ईद का चाँद हो जाना।" और हम शांत होकर देखते हैं कि सारी चकोरनियाँ छतों पर चाँद को निहारने के लिए उमड़ रही हैं। चाँद का ये 'जेंडर एक्सचेंज' तो समझ में नहीं आता। खुद चाँद भी आज दूर के चाँद को नजर भर देखने को बेताब है। पति भी अपने गिफ्ट के साथ मकान की ऊँची अट्टालिकाओं में खड़े होकर चाँद जैसे मुखड़ों का दीदार कर रहे हैं।

 

आज के दिन पंगा लेना मतलब गया सालभर का चैन। पत्नियाँ तो वैसे भी करवा चौथ के दिन 'नारायणी वाहिनी सिंघणी' का रूप धारण कर लेंगी। अब भूखी शेरनी से कौन पंगा लेगा? वैसे भी दिवाली की सफाई में व्यस्त पत्नियाँ, और ऊपर से करवा चौथ का व्रत। पड़ोस के शर्मा जी अपने खिलते चाँद को तेल मालिश कराकर संभाल कर रखे हुए हैं, पता नहीं कितनी निगाहें उनके चाँद पर टिकी रहती हैं। शर्माइन ने साफ-साफ हिदायत दे दी है, "आज गली में मत निकलना, कहीं सुहागिनें तुम्हें चाँद समझकर व्रत न खोल दें।"

 

इतने में मेरे चाँद का टुकड़ा... मतलब मेरा बेटा आ गया, "पापा, आज बाहर चलेंगे, करवा चौथ है ना!" मैंने कहा, "बेटा, करवा चौथ में मैं चाँद और तुम्हारी मम्मी चाँदनी हैं का मसला है... तुम चाँद के टुकड़े का क्या काम?"

 

बोला, "पापा, ये मॉडर्न करवा चौथ अच्छा है। इस बार रेस्टोरेंट में स्पेशल साज-सज्जा है, करवा चौथ स्पेशल थीम पर!" मैंने कहा, "अरे! क्या इस बार कृत्रिम चाँद का इंतजाम भी किया है क्या? क्योंकि असली चाँद का तो भरोसा नहीं, दिखे तो दिखे, नहीं तो नहीं दिखे।"

 

बेटा कह रहा है, "पापा, चाँद उगे या न उगे, चाँद की थीम पर म्यूजिक है, मस्ती है, डांस है। हाँ, इस बार कृत्रिम चाँद भी ऑप्शनल रखा है।"

 

मैं आकाश की तरफ देख रहा हूँ... बादलों की ओट में चाँद जैसे अपने आपको छुपा रहा हो। शायद उसका आज बाहर निकलने का मूड नहीं है। कोई तो नहीं है, अब चंदा मामा की कहानियाँ सुनने वाला... ।
रचनाकार –डॉ मुकेश असीमित
Mail ID drmukeshaseemit@gmail.com