अब तक :
आयुष ने सुना तो उसका दिमाग घूम गया । उसने अपनी जेब से सिरिंज निकाली और शिविका के पीछे चल दिया ।
शिविका हॉस्पिटल से बाहर निकली तो आयुष भी उसके पीछे ही बाहर आ गया । शिविका सड़क क्रॉस करने लगी तो आयुष ने सीरिंज को कसकर हाथ में पकड़ा और उसके पेट में घोंपने के लिए पीछे की ओर ले गया । ।
अब आगे :
जैसे ही आयुष ने आगे की ओर हाथ बढ़ाया तो सिरिंज शिविका की कमर में चुभी ही थी कि इतने में एक गाड़ी ने आकर जोरों से उसे टक्कर मार दी ।
शिविका पलटी और देखा तो आयुष ऊंचा उपर की ओर आसमान में उछला और धड़ाम से नीचे सड़क पर पटक गया । शिविका की आंखें खुली की खुली रह गई ।
उसने अपनी कमर पर हाथ रखा तो उसकी कमर से खून निकलने लगा था लेकिन वो ज्यादा नही था । बस शिविका की ड्रेस थोड़ी सी फटी थी और एक छोटा सा कट उसकी कमर पर लगा था ।
शिविका ने आयुष को देखा तो उसके सिर से खून निकल रहा था । ।
गाड़ी का दरवाजा खुला तो उसमें से संयम बाहर निकला । शिविका पूरे 1 महीने बाद वापिस आया था ।
संयम ने आयुष को देखा और बोला " how dare you... । सोच भी कैसे लिया कि मेरे होते तुम इसे हाथ भी लगा लोगे... " । बोलते हुए संयम ने शिविका की ओर देखा । संयम ने आंखों पर चश्मा चढ़ा रखा था तो शिविका को उसकी आंखें नहीं दिखाई दी ।
शिविका ने आयुष को देखा और भागकर संयम के गले से लग गई । संयम ने उसकी पीठ पर हाथ रख दिया ।
शिविका ने आयुष को तिरछी नजर से देखा तो उसकी आंखों से आंसू बह निकले । उसने संयम के सीने में सिर छुपा लिया ।
संयम ने गाड़ी का दरवाजा खोला और शिविका को अंदर बैठा दिया । गाड़ी बंगले की ओर चल दी ।
बंगले के बाहर गाड़ी रुकी तो संयम शिविका को गोद में उठाए अपने कमरे की ओर बढ़ गया ।
हॉल में मनीष मिली तो पूछा " अरे क्या हुआ शिविका को गोद में क्यों लाए हो संयम.. ?? " ।
संयम ने उनकी बात का कोई जवाब नही दिया और कमरे की ओर बढ़ता रहा ।
मनीषा जानती थी कि संयम जवाब नही देगा । उसने मुंह बनाया और अपने कमरे में चली गई ।
कमरे में आकर प्रशांत से बोली " इस संयम को हम लोगों से कोई मतलब नहीं है.. । किसी बात का जवाब तक नही देता है । मुंह के पास से ऐसे निकलता है जैसे हम तो रास्ते में पड़े कीड़े मकोड़े हों जिनकी कोई वैल्यू नही है... " ।
प्रशांत " अरे भड़क क्यों रही हो मनीषा.. शांत हो जाओ.. । तुम तो ऐसे कह रही हो जैसे उसे जानती ही नही. हो.. । उसने तुम्हारी बात का कब जवाब दिया है जो अब देगा... । "
मनीषा " पहले की बात अलग थी प्रशांत... । और अब की बात अलग है.. । पहले वो मोनिका संयम के हमारी तरफ बिहेवियर की वजह से हम पर चढ़ी रहती थी.. और अब अगर शिविका के सामने भी वो ऐसा ही रहेगा तो हो सकता है कि कल को वो भी ऐसा ही करे... । अरे क्या ही इज्जत रह जायेगी... । " ।
प्रशांत " तुम्हे किससे इज्जत चाहिए... ?? इन लोगों से या बाकी दुनिया से... " ।
मनीषा " मुझे सिर्फ प्रोपेटी में हिस्सा चाहिए.... । ये संयम तो बात करने से रहा । सब कुछ इसी के नाम पर है.... । पता नही आपके पापा को क्या दिखा जो इसे ही सब देकर चले गए । अरे हम क्या क्रिकेट देखने बैठी हुई ऑडियंस है जिन्हें पानी तक नहीं पूछा जाता ।
उस मोनिका के रहते कुछ नही मिलता इसलिए तो उसके साथ बनती नही थी । फिर जब ये लड़की आई तो उम्मीद दिखाई दी कि अब शायद ये हमारी मदद कर सकती है.. लेकिन ऐसा ही चलता रहा तो क्या हांसिल होगा.. । बस हवा में उड़ते मच्छर पकड़ते रहेंगे अगर जल्दी कुछ नही किया तो । " ।
प्रशांत " इतना कुछ तो कर के देख लिया । अब और क्या करें.. । कितनी बार पकड़ में आने से बचे हैं... । अरे वो तो संयम का गुस्सा है जो अपने आप पर हमला करने वाले को एकदम से मौत के घाट उतार देता है वर्ना अगर उनसे कुछ उगलवाने लगता तो आज तक इस घर में हम लोग सांसें नही ले रहे होते.... "। ।
मनीषा " मुझे नही पता आगे क्या करना है और क्या नही.... । एक तो आपकी मम्मी भी उस संयम से इस बारे में कोई बात नहीं करती है । अरे अगर हम लोगो को भी थोड़ा हिस्सा डी दें तो क्या होगा... ?? । अगर विक्रम के नाम ये सब होता तो उससे तो हम किसी भी तरह ले लेते.. लेकिन उसके नाम भी कुछ नही कराया.. ।
बस एक ही इंसान इनके सामने आया वसीयत लिखते हुए और वो था संयम.... । अरे अगर सड़क पर खड़े होकर भीख नही मांगनी है तो कुछ सोचो और करो... । वर्ना वो दिन दूर नही होगा जब हमारा बोरिया बिस्तर ये यहां से बाहर फिंकवा देगा.... " ।
प्रशांत मनीषा की बात सुनकर सोच में पड़ गए ।
प्रशांत " मैने एक गैंगस्टर के बारे में सुना है.... । SK... हो सकता है कि वो हमारा काम कर दे.. । संयम को कुछ भी करना हमारे बस में नहीं है लेकिन हम किसी और से मदद ले सकते हैं । अगर कोई और उसे मरवा दे तो हमारा काम आसान हो जायेगा... । " ।
मनीषा " hmm सही कह रहे हो.. । तो ये SK जो भी है जल्दी इससे बात करो.. । कहां मिलेगा ये.. ?? " ।
प्रशांत " कोई राह चलता मवाली नही है । जाना माना माफिया है... । लोग कांप जाते हैं उसके नाम से.... । कहीं भी ढूंढने से नही मिलेगा लेकिन किसी गैंगस्टर से मदद लेकर उस तक पहुंचा जा सकता है । छोटे मोटे गुंडे लगाकर तो देख लिया.. कुछ नही कर पाए... । उल्टा पहली बारी में ही मारे गए... । अब इस SK की मदद लेकर देख लेते हैं... " ।
मनीषा " क्या वो मदद करेगा... ?? " ।
प्रशांत " बात करने में क्या जाता है । तुम ही तो कह रही हो कोशिश करो.. तो ये भी कोशिश करते देखते हैं... "। ।
मनीषा " सुनो... लगे हाथों इस विक्रम को भी टपका देते हैं.. फिर जो होगा हमारा होगा... " ।
प्रशांत " लेकिन विक्रम ने तो सब अपना कमा लिया है.... उसका इससे क्या लेना देना... वो तो कभी यहां अपने हिस्से की बात नही करता... " ।
मनीषा " अरे नहीं करता तो क्या हुआ... । कभी भी कर सकता है... आखिर है तो संयम का ही भाई.. उसी की तरह लालची होगा ना.. अभी ना सही लेकिन बाद में अगर बोला तो.. । और वैसे भी जमीन जायदाद के मामलों में अच्छे अच्छों की नियत बिगड़ जाती है.. कौन कब हिस्सा मांगे... कुछ नही कहा जा सकता....
" ।
प्रशांत ने सिर हिला दिया ।
वहीं संयम शिविका को गोद में लिए रूम पहुंचा तो उसने शिविका को बेड पर लेटा दिया । और फर्स्ट एड बॉक्स निकाल कर शिविका की कमर पर लगे कट पर पट्टी करने लगा ।
शिविका उसके चेहरे को निहारे जा रही थी ।
संयम " ठीक हो.... ?? " ।
" Hmm.. " कहकर शिविका ने संयम के हाथ पर अपना हाथ रख दिया ।
शिविका ने संयम की आंखों से चश्मा हटाया और उसकी आंखों में देखने लगी ।
संयम " बाहर अकेली क्यों गई थी.. ?? " ।
शिविका " कुछ काम था । आप बताइए कि आप इतने वक्त तक कहां थे... ?? " ।
संयम " मुझे भी काम था... । " ।
शिविका " इतना जरूरी काम था जो एक महीना लग गया वापिस आने में.. !! " ।
संयम " जरूरी तो बोहोत था... । पर फिर भी एक ही महीने में वापिस आ गया । वर्ना काम तो अभी शुरू हुआ है.. लंबा चलेगा... " ।
शिविका ने सिर हिलाया और बोली " चाची ने आपसे कुछ पूछा था.. । आपने उन्हें जवाब क्यों नही दिया ।
यहां तक कि उनकी ओर देखा तक नहीं.. । " ।
संयम ने गहरी सांस ली और बोला " यहां हर किसी से बात करना और उन्हें जवाब देना जरूरी नही है.. । यहां कोई अपना नहीं है.. । हर कोई फरेब से भरा पड़ा है... " ।
शिविका " लेकिन उन्हें आपका बोहोत खयाल होता है संयम... । अक्सर आपके बारे में पूछती रहती हैं.. । आपके साथ कुछ गलत ना हो इसका खयाल उन्हें हमेशा रहता है.. " ।।
संयम " जो जैसा दिखता है वैसा होता नही है.. । कौन अपना है और कौन बेगाना.. ये मैं अच्छे से जानता हूं.. । " ।
शिविका " आपका अपना सगा भाई भी आपका अपना नही है क्या.... ?? " ।
संयम " huh.. वो तो खुद ही मुझे अपना नहीं मानता... । वो अपना क्या होगा... । अभी कुछ वक्त पहले ही तो विदेश से आया है.. । क्या ही जानता है वो.. " ।
शिविका " क्या जानते हैं और क्या नही मुझे नही पता लेकिन मैं इतना जरूर जानती हूं कि वो आपसे बोहोत प्यार करते हैं.. और आपकी परवाह भी करते हैं... " ।
संयम " huh.... । दादी के सिवाय शायद कोई नही है जो मेरी परवाह करे.. " ।
शिविका " तो फिर आप मोनिका के साथ इतना अच्छे से क्यों रहते हैं... " ।
संयम " जानना चाहती हो.. ?? " ।
शिविका ने हां में सिर हिला दिया ।
संयम " तो सुनो... । मोनिका ने मेरी जान बचाई थी । उसके परिवार को भी मेरे ही परिवार के साथ मार दिया गया था । उस वक्त हम दोनो वहां से साथ में भागे थे । मुझे अपने आप को बचाने के लिए बंदूक उसी ने पकड़ाई थी । खुद को बचाकर भाग पाया तो वो उसकी वजह से... ।
तब से उससे वादा किया था कि उसका साथ हमेशा दूंगा.... और संयम सानियाल खुराना अपने वादे से नही मुकरता.... । बोहोत से wade हैं जो मैने किए हैं लेकिन अभी निभाने बाकी हैं.. । "
शिविका " और इसीलिए आप उनकी बदतमीजियों को भी नजरंदाज कर देते हैं और उनका साथ फिर भी देते हैं । भले ही वो दादी की बात को भी ना माने.... "।
संयम " दादी से जरूरी मेरे लिए कुछ नही है.... । दादी की बातें उसे भी माननी होती हैं और मैं भी अपने तरीके से मानता हूं... । दादी से किसी की बदतमीजी मैने कभी बर्दाश्त नहीं की और न ही करूंगा... " ।
शिविका संयम की बातों में एक खालीपन महसूस कर पा रही थी जो संयम के दिल में था। अपनों को को देने का दुख क्या होता है ये शिविका भी बोहोत अच्छे से जानती थी ।।
शिविका " आपकी जिंदगी में मेरी क्या जगह है... ?? " ।
शिविका ने अचानक अपने बारे में पूछा तो संयम ने कुछ पल उसके चेहरे को देखा और फिर उसे अपने करीब खींचते हुए बोला " फिक्र मत करो.. तुम्हारी जगह बोहोत खास है.. । मेरी जिंदगी का वो हिस्सा हो जिसका मुझे बोहोत बेसब्री से इंतजार रहा है... । और आज मैं अपनी मजिल के बिलकुल सही रास्ते पर चल रहा हूं.. । You are very special दिलजानी... " बोलकर संयम ने शिविका के कान कर kiss कर दिया ।
शिविका की आंखें बड़ी बड़ी हो गई और उनमें आंसुओं की बूंदें भर आई । वो संयम के चेहरे को देखने लगी । संयम ने उसे दिलजानी कहा था । शिविका के दिल में मानो एक गहरी चोट हो गई । उसका दिल घबराने सा लगा । उसने अपने सीने पर हाथ रख दिया ।
संयम ने उसे अपने सीने से लगाया और बोला " चलो चेंज करो.. । Lets go out.... " । बोलकर संयम ने उसे गोद में उठाया और चेंजिंग रूम की ओर चल दिया ।
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