Bairy Priya - 50 in Hindi Love Stories by Wishing books and stories PDF | बैरी पिया.... - 50

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बैरी पिया.... - 50


मुंबई शहर :


संयम का प्राइवेट जेट लैंड हुआ तो संयम और शिविका नीचे उतर गए । शिविका ने देखा सामने एक बड़ा सा शहर था जिसमे बड़ी बड़ी मंजिलें थी ।


रात का वक्त था तो पूरा शहर जगमगा रहा था । हेली पैड से नीचे उतर कर दोनो एक गाड़ी में बैठे और गाड़ी वहां से संयम के घर की ओर चल दी ।


कुछ ही देर बाद गाड़ी एक बड़े से बंगले के आगे आकर रूकी ।


शिविका और संयम उतरे । गाड़ी से उतरते हुए शिविका का पैर मुड़ा तो संयम ने उसका हाथ थाम लिया । शिविका संयम को देखने लगी । संयम की एक्सप्रेशन लेस आंखें शिविका को ही देखे जा रही थी । शिविका लंगड़ाकर चलने लगी तो संयम ने उसे गोद में उठा लिया और आगे बढ़ गया । शिविका ने संयम के गले में बाहें लपेट ली और उसके सीने से सिर लगा लिया । एक बेहद अपना सा एहसास संयम उसे देने लगा था ।


ड्राइवर ने गाड़ी में रखा सामान सर्वेंट के हाथों अंदर भिजवा दिया ।


संयम ने शिविका को गोद में उठाए घर के अंदर कदम रखा तो हॉल की लाइट्स जल उठी । अचानक से लाइट्स के जलने से शिविका ने आंखें बंद कर ली क्योंकि रोशनी उसकी आंखों में अचानक से चुभ गई थी ।


शिविका ने धीरे-धीरे आंखें खोली तो सामने का नजारा देख उसकी आंखें चमक उठी । सामने जो हॉल था वह बहुत बड़ा था और हर तरफ बहुत सुंदर लाइटनिंग की गई थी मानो किसी फंक्शन के लिए सजाया गया हो । हाल के साथ ही कई सारे दरवाजे attached थे । वही हॉल के खत्म होने पर सामने से दो तरफ से सीढ़ियां ऊपर की ओर उपर वाली मंजिल को चढ़ रही थी ।


जहां एक तरफ नॉर्मल सीढ़ियां थी वहीं दूसरी तरफ एस्केलेटर था । संयम एस्केलेटर की ओर बढ़ गया ।


हॉल के एक कमरे में एक बड़ा सा मंदिर था जिसमें सुंदर फूलों के कॉन्बिनेशन से सजावट की गई थी और राधा कृष्ण की बड़ी सी मूर्ति उस में स्थापित की गई थी जिसके इर्द गिर्द led bulb रंग बदलते हुए जल रहे थे । मूर्ति के आगे बड़ी सी ज्योत जलाई गई थी । शिविका की नजर मूर्ति पर पड़ी तो उसने आंखें बंद करके राधा कृष्ण को याद कर उनका आशीर्वाद ले लिया ।



फिर संयम के चेहरे की ओर देखा जो बिल्कुल शांत था और उसे लिए आगे की ओर बढ़ रहा था । जब शिविका बंगले के बाहर गाड़ी से उतरी थी तो उसे लगा था कि यह बंगला भी संयम के विला की तरह अंधेरी नगरी ही होगा लेकिन अंदर आने पर इतनी सारी लाइटनिंग देखकर वह हैरान सी रह गई थी ।


संयम आकर एस्केलेटर पर खड़ा हो गया और एस्केलेटर ऊपर की ओर चढ़ने लगी । शिविका अभी भी संयम के गले में हाथ डाले बंगले को देखने में लगी हुई थी ।


एस्केलेटर से उतरकर संयम अपनी मंजिल पर आ गया शिविका ने देखा बहुत सारे कमरे के लिए दरवाजे थे ।


शिविका ने नजरे आसपास दौड़ाई और पूछा " क्या इस बंगले में भी आप अकेले ही रहते हैं.... ?? " ।


संयम ने शिविका के सवाल पर एक नजर उसे देखा और फिर आगे वाले एस्केलेटर पर चढ़ते हुए बोला " नहीं यहां बहुत लोग रहते हैं... " ।


दूसरे एस्केलेटर पर चढ़ने के बाद संयम को लेकर तीसरी मंजिल पर आ गया था शिविका ने देखा तो उसे मंजिल पर सिर्फ एक ही कमरा था । संयम उस कमरे की ओर बढ़ गया ।


संयम ने कमरे का दरवाजा खोला और अंदर कदम रख दिए । संयम ने शिविका को उतारा और लाइट साउंड करने लगा । नीचे हॉल की तरह शिविका को लगा था कि कमरा में जगमग होगा लेकिन जब संयम ने लाइट्स ऑन की तो कमरे में सिर्फ लाल रंग की लाइट जली । शिविका का अनुमान धरा का धरा रह गया ।


शिविका ने लाल रंग की रोशनी में संयम को देखा । संयम ने अपना कोट उतारकर सोफे पर रख दिया । वो लाल रोशनी में एक डेविल की तरह नजर आ रहा था । संयम चेंजिंग रूम की ओर चल दिया ।


शिविका ने कमरे को देखा तो वो कमरा बोहोत बड़ा था । थर्ड फ्लोर पर वो कमरा अकेला ही बनाया हुआ था । शायद उस कमरे से बड़ा कमरा उस बंगले में और कोई नही था ।


शिविका मन में बोली " कमरा है या मैरिज हॉल... । यहां तो भागवत की कथा बिठाई जा सकती है... " ।


तभी शिविका को किसी के खांसने की आवाज आई । शिविका ने दरवाजे की ओर देखा तो आवाज बाहर से ही आ रही थी । शिविका वापिस से बाहर चली गई । आवाज निचले फ्लोर से आ रही थी । शिविका नीचे उतरते एस्केलेटर पर चढ़ गई ।



नीचे आकर उसने देखा कि एक कमरे का दरवाजा खुला हुआ था और कमरे के अंदर एक औरत बेड पर बैठे हुए खांसे जा रही थी । यूं तो वो बोहोत बूढ़ी थी लेकिन चेहरे से बुढ़ापा नही दिखाई देता था । उनके चेहरे पर रिंकल्स नही थे । उन्होंने सिल्क की बनारसी साड़ी पहनी हुई थी और बालों को चोटी ने बांधा हुआ था । उनका निखरा हुआ रंग और चेहरे की रंगत उन्हें काफी खूबसूरत दिखा रही थी ।


उनकी खांसी बढ़ रही थी तो शिविका जल्दी से उनकी ओर चली गई ।


शिविका ने जल्दी से नाइट स्टैंड पर रखे ग्लास को सीधा किया और jug से उसमे पानी निकालकर उनकी ओर बढ़ा दिया ।


एक अंजान लड़की को अपने सामने देखकर वो महिला हैरान सी रह गई । फिर शिविका को घूरने लगी । ऐसी ही कोई उनके बंगले में नहीं आ सकता था तो फिर ये लड़की कौन थी जो इतनी रात गए उनके कमरे तक आ गई थी ।



वहीं शिविका उन्हें ध्यान से देख रही थी । उसे संयम की झलक उनमें दिखाई दे रही थी ।


वो औरत शिविका को घूर ही रही थी कि इतने में बाहर से दो सर्वेंट अंदर आई और एक ने syrup उस औरत की ओर बढ़ाते हुए कहा " ये लिजिए मैम... " ।
बोलकर सर्वेंट भी शिविका को देखने लगी । उन्होंने भी आज से पहले शिविका को यहां नही देखा था । लेकिन वो कुछ नही बोली ।


औरत ने सिरप पिया और फिर नाइट स्टैंड पर रखी अपनी ऐनक पहनते हुए शिविका को वापिस से घूरने लगी । अभी तक उन्हें शिविका धुंधली धुंधली दिखाई दे रही थी लेकिन अब वो साफ साफ उसे देख पा रही थी ।


उन्होंने बेरुखी से पूछा " कौन हो तुम... ??? और यहां क्या कर रही हो... ?? "।


शिविका ने उनकी रफ ऐंड टफ आवाज सुनी तो सहजता के साथ बोली " जी मैं... वो... संयम.... " ।


शिविका ने इतना कहा ही था कि तभी पीछे से आवाज आई " ये मेरे साथ है दादी... इसे मैं लाया हूं.... " ।


शिविका ने संयम की आवाज सुनी तो पलटकर देखा । वो औरत भी दरवाजे की ओर देखने लगी जहां से संयम अंदर आ रहा था । संयम को देखकर उनके चेहरे पर स्माइल सी आ गई ।


ये थीं संयम की दादी.. वाणी सानियाल खुराना... ।
संयम ने आकर उनके पैर छू लिए तो वाणी जी ने दोनो हाथ संयम के सिर पर रखकर उसे आशीर्वाद दे दिया ।


फिर शिविका की ओर देखने लगी । आज से पहले संयम किसी को साथ नही लाया था । शिविका पहली लड़की थी जो इतनी रात गए उनके बंगले के अंदर थी ।


दादी ने पूछा " और ये यहां पर क्यों है... ?? तुम इसे यहां क्यों लाए हो सानू... " ।


संयम ने शिविका को देखा और बोला " she is my wife dadi... । i married her... " ।


वाणी जी ने सुना तो कुछ पल को स्तबद सी रह गई फिर शिविका की ओर देखने लगी । शिविका हाथ बांधे खड़ी थी । वाणी की का स्वभाव उसे बोहोत खडूस वाला लग रहा था । तो वो चुप चाप खड़ी थी ।


वाणी जी ने उसे देखा तो शिविका के पास शादी शुदा होने की कोई भी निशानी नही थी... । उसे देखकर नही लग रहा था कि उसकी शादी हुई भी हो... ।


दादी ने उसे कुछ पल देखा और फिर संयम से बोली " तुमने बताया क्यों नही... ?? " ।


संयम " दादी.... आप मुझे जानती हैं.. मुझे जब जो करना होता है मैं तभी करता हूं.. । "


वाणी जी संयम के स्वभाव को जानती थी इसलिए उन्होंने आगे कुछ नही कहा ।


फिर शिविका की ओर देखा और बोली " शादी हुई है तो दिखना भी तो चाहिए कि शादी हुई है... । कुछ पहनाओ इसको मंगल सूत्र और सिंदूर वगैरा... । ऐसी कैसी सुहागन है ये.. जो कुछ भी नहीं लगाया है... " ।


शिविका ने संयम को देखा तो संयम शांत खड़ा था । दादी ने संयम को देखते हुए आगे कहा " और ये क्या बात हुई भला.. । अगर शादी की है तो यही बता देते कि बहु को घर लेकर आ रहे हो... ऐसे रात में कौन आता है सानू.... " ।


संयम ने दादी को hug किया और बोला " रात हो गई थी दादी तो आपको नही उठाना चाहता था... बाकी सुबह आपको पता चल ही जाता... " ।


वाणी जी ने सुना तो मुंह बना लिया पर फिर सिर हिला दिया ।


शिविका बोहोत गौर से उन दोनो को देखे जा रही थी । वाणी जी ने शिविका को देखा और बोली " अच्छा जो अभी है वो है... कल सुबह हम सामान भिजवा देंगे.. उन सब को पहन कर तैयार होना है.. ऐसे नही कि कुंवारी कली की तरह मटकती फिरो... । शादी हुई है तो संस्कार संभालो... । क्या समझी.... ?? " ।


शिविका खोई हुई सी उनकी बातें सुन रही थी । वाणी जी को उससे कोई जवाब नही मिला तो थोड़ी तेज आवाज में उन्होंने फिर से पूछा " अरे सुनाई नही देता क्या... ?? क्या समझी... ?? " ।


उनके तेज़ आवाज़ में बोलने से शिविका होश में सी आई और फिर जल्दी से सिर हिलाते हुए बोली " समझ गई दादी.. " ।


वाणी जी ने दादी सुना तो कुछ पल को उसे ध्यान से देखने लगी । शिविका को ऐसे घूरा जाना असहज सा कर रहा था । शिविका ने सोचा कि उसका दादी कहना उन्हें अच्छा न लगा हो ।


" जाओ सो जाओ.. और सोने दो... " बोलते हुए दादी ने शिविका को बाहर जाने का इशारा कर दिया । शिविका ने इशारा समझा और बाहर की ओर चल दी ।


वाणी जी ने संयम को देखा और बोली " इससे काहे शादी की तुमने.... ?? " ।


संयम " वो जरूरी नहीं है दादी.. " ।


वाणी जी " क्या जरूरी है और क्या नही... ये हम तुमसे अच्छे से समझते है सानू.. । " ।


" You better know dadi... Good night... " बोलकर संयम भी बाहर निकल गया ।


वाणी जी के चेहरे पर फिक्र के भाव आ गए ।


" अगर इस लड़की से शादी की है तो मोनिका का क्या.. ?? अगर किसी और से ही शादी करनी थी तो वो क्यों जिंदगी में शामिल है... ?? " । सोचते हुए वाणी जी ने ऐनक उतार कर नाइट स्टैंड पर रखी और बेड पर लेट कर ceiling की ओर देखने लगी ।

संयम का यूं अचानक शादी करना उन्हें बोहोत अजीब और बुरा लगा था... लेकिन संयम चाहे जो करना चाहे... उसे कोई रोक नहीं सकता था ।


शिविका कमरे में गई तो वाणी जी के उखड़े बिहेवियर से उसे बुरा लग रहा था ।


संयम कमरे में आया तो शिविका को बाजू से पकड़कर अपनी तरफ खींचा और उसकी पीठ को दीवार से लगा दिया । शिविका ऐसे अचानक खींचे जाने से घबरा गई और घबराई नजरो से संयम को देखने लगी ।


संयम ने उसे बेहद करीब सटा लिया और उसके चेहरे पर आए बालों को उसके कान के पीछे करने लगा ।
शिविका " क्या वो आपकी दादी हैं.... " ।


संयम " hmm..... " ।


शिविका " oh... उनको देखकर मुझे लगा आपकी मां हैं... "।


मां शब्द सुनते ही शिविका के बालों को पीछे करते हुए संयम के हाथ रुक गए ।


शिविका " वो... मुझसे इस तरह से क्यों बात कर रही थी.. । i mean.... i know हमारी अचानक शादी से उनको बुरा लगा होगा... लेकिन..... मैने अभी कुछ गलत न कहा और न ही किया.. । फिर आपके साथ वो अच्छी थी.. और मेरे साथ इतनी बुरी ऐसा क्यों... " ।


संयम " वो सबसे जल्दी बातें नही करती... और न ही किसी को इतनी जल्दी accept करती हैं.. । और रही बात मेरी तो... मुझसे वो बोहोत प्यार करती हैं... "।

बोलते हुए संयम ने शिविका के गाल पर हाथ रख दिया । शिविका कुछ पूछने लगी तो संयम ने उसके होंठों पर उंगली रखी और बोला " shhh... Now just concentrate on me.... " बोलकर उसने कमर से पकड़कर शिविका को खींचा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए ।


शिविका की आंखें बंद हो गई । संयम का किस इतना पैशनेट होता था कि शिविका रेसिस्ट नही कर पाती थी.. । तो वो भी उसे रिस्पॉन्स करने लगी ।


संयम ने उसे लिफ्ट अप किया और बेड पर जाकर लेटा दिया ।


फिर उसके उपर आ गया । शिविका ने कसकर आंखें मींच ली.. । संयम शिविका के उपर झुक गया और उसकी गर्दन पर किस करने लगा । शिविका ने चेहरा दूसरी ओर घुमा लिया ।


शिविका " आपके घर में और कौन कौन रहता है... " ।
संयम उसकी गर्दन से कंधे पर चूमे जा रहा था ।

शिविका के सवाल पर उसने अपने होंठ एक जगह पर टिका दिए और बोला " इस घर में काफी लोग हैं... पर मेरी जिंदगी में सिर्फ दादी हैं.... उनके अलावा और कोई नहीं है... । और उनसे जरूरी भी मेरे लिए कोई नहीं है... " बोलकर संयम फिर से उसे चूमने लगा ।


शिविका " और आपके मम्मी पापा... ?? " शिविका ने इतना कहा ही था कि संयम ने उसके होंठों पर हाथ रख दिया और फिर बोला " enough for today.. no more questions Butterfly... " । बोलकर संयम उसके होंठों को फिर से चूमने लगा ।


शिविका ने उसके बालों में हाथ डाला तो संयम ने उसके हाथों को अपने हाथों में जकड़कर सिर के उपर रख दिया । शिविका ने छूटने की कोशिश भी नही की... । संयम अपनी मनमर्जी करता रहा । जब उसका मन भर गया तो वो अलग होकर सो गया ।
शिविका को भी कुछ देर बाद नींद आ गई ।