Bairy Priya - 37 in Hindi Love Stories by Wishing books and stories PDF | बैरी पिया.... - 37

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बैरी पिया.... - 37


अब तक:

शिविका काफी देर तक संयम से लिपटी सिसकती रही । संयम ने उसे खाना खिलाया और पानी पिलाकर उसका चेहरा साफ किया फिर दवाई का बॉक्स निकाला और शिविका के ज़ख्मों पर मरहम लगा दिया ।


मरहम लगाते हुए संयम देख सकता था कि उसके दिए जख्म शिविका के लिए कितना दर्द देने वाले निशान बन चुके थे । संयम ने उसे दवाई दी और बेड पर लेटाकर.... खुद वहां से बाहर निकल गया ।
दवाई के असर से शिविका को लेटते ही नींद आ गई ।



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अब आगे :


रात के वक्त संयम रूम में खाना लेकर आया तो शिविका बेड पर headrest से सिर टिकाकर बैठी हुई थी । संयम ने छोटा सा फोल्डिंग टेबल शिविका के सामने रखा और उपर प्लेट में खाना निकालकर रख दिया ।


फिर शिविका खाना खाने लगी । संयम उसे देखने लगा । पहला निवाला लेते वक्त उसने संयम को देखा तो संयम उसे ही देखे जा रहा था । शिविका ने सोचाा कि शायद संयम ने भी खानाा नहीं खाया है तो उसने पहला निवाला उसकी ओर बढ़ा दिया । संयम ने कुछ पल शिविका के हाथ को देखा और फिर उसके चेहरे को देखते हुए मुंह खोलकर निवाला खा लिया ।



शिविका ने दूसरा निवाला लिया और खुद खा लिया ।
अकेले खाना खाते हुए उसे अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए उसने संयम कोो भी खिलाया । और संयम ने भी खाना नही खाया था तो इसलिए वो भी उसके खिलाने पर खा रहा था ।



शिविका के प्यार से खिलाने पर इस वक्त खाने का स्वाद ही अलग आ रहा था । जिसमे शिविका का स्नेह मिला हुआ था ।


शिविका का स्वभाव संयम को एक अलग एहसास देने लगा था । संयम ने उसे इतना टॉर्चर किया था पर फिर भी वो उसे अपने हाथों से निवाला खिला रही थी ।


क्या संयम उसके लिए इतनी मायने रखने लगा था कि उसका टॉर्चर सहने के बाद भी शिविका अब उससे कोई शिकायत नही कर रही थी ।



हालांकि संयम शिविका के साथ पहले भी फिजिकल हो चुका था लेकिन पिछली बारों में ऐसा दर्द शिविका को नही मिला था ।



संयम कोो शिविका की आंखों में अपनेेे लिए एक लगाव नज़र आ रहा था ।


शिविका एक निवाला खुद खाती और एक संयम को खिलाती । इसी तरह दोनो ने खाना खाया और फिर रोबोट ट्रॉली बाहर ले गया ।


संयम ने शिविका को लेटाया और उसके बगल में लेटकर उसे अपनी बाहों में भर लिया । शिविका ने अपना हाथ संयम की पीठ पर रखा और उसके चेहरे को देखने लगी ।


संयम ने महसूस किया कि शिविका उसके थोड़े से प्यार से भी पिघल जाती है । अभी तक उनके बीच में प्यार जैसा कुछ नहीं हुआ... । जो भी हुआ वो सिर्फ एक physical satisfaction था... लेकिन उसमे भी शिविका का रिएक्शन संयम को उसके अगेंस्ट नही लगा । संयम ने जब जो करना चाहा शिविका ने उसे करने दिया था । संयम को उसकी आंखों में हमेशा से एक खालीपन नज़र आया था । शिविका किसी से प्यार और अपनापन चाहती थी ये बात अब संयम अच्छे से समझ चुका था ।



और शायद यही वजह थी कि शिविका अपने साथ किए गए सुलूक को संयम के एक बार सॉरी कहने के बाद भूल सी चुकी थी या यह कहो कि उसने संयम को माफ कर दिया था और इसीलिए अब उसने संयम को अपने हाथों से खाना भी खिलाया था ।


संयम ने उसके बालों पर प्यार से हाथ फेरा तो शिविका की आंखें नम हो आई । शिविका ने उसकी गर्दन पर हाथ रखा और संयम के होंठों पर अपने होंठ रख दिए फिर किस करने लगी । संयम उसे होल्ड किए हुए रहा उसनेे भी अपनीी आंखें बंद कर ली ।


करीब 15 मिनट तक शिविका संयम को डीपली kiss करती रही । वहीं संयम ने भी उसे रिस्पॉन्स किया लेकिन उसने ज्यादा एफर्ट नही किए क्योंकि शिविका को लगी चोटों का अंदाजा उसे था और अब वो शिविकाा को और कोई दर्द नहीं देना चाह रहा था ।


शिविका के kiss में एक गहरा अफेक्शन था जो संयम को बोहोत अलग एहसास दे रहा था ।


शिविका उससे अलग हुई तो संयम ने उसके माथे पर किस कर दी और शिविका के सिर को अपने सीने पर रख दिया । शिविका ने आंखें बंद कर ली और कुछ ही वक्त में उसे नींद आ गई ।


संयम अभी तक जागा हुआ था । उसने उठकर जाने की कोशिश की पर शिविका ने उसे बहुत कस कर पकड़ा हुआ था ।


संयम चाहते हुए भी जा नहीं पाया और उसे बाहों में भर कर सो गया ।



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अगली सुबह :


संयम उठा तो शिविका अभी भी उसे कसकर पकड़े सो रही थी । उसका एक हाथ संयम के गले पर था और एक टांग संयम के पेट पर । वो पूरी तरह से उसके ऊपर लीन होकर सोई हुई थी ।


संयम ने धीरे से उसे अपने ऊपर से हटाकर बेड पर सुलाया और उसे कंबल से कवर करके वॉशरूम की ओर चला गया ।



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संयम के विला में :


ग्राउंड फ्लोर पर बने प्राइवेट रूम में :


संयम आंखें बंद किए सोफे पर पीछे की ओर सिर टिकाए बैठा हुआ था । उसनेेे पैर सामनेेेे टेबल पर क्रॉस करके रखेेेे हुए थे । हमेशा की तरह कमरे में अंधेरा था सिर्फ एक लाल बल्ब जल रहा था । वहां करीब 10 से 20 बॉडीगार्ड्स खड़े थे लेकिन फिर भी गहरा सन्नाटा था इतना की 1 pin के गिरने की आवाज़ भी गूंज उठे ।


दक्ष संयम के बगल वाली कुर्सी पर बैठा हुआ था । एक बॉडीगार्ड को देखते हुए दक्ष बोला " मैंने आपकी पत्नी की इन्वेस्टिगेशन करने का आर्डर दिया था SK... । क्योंकि मुझे लगा था कि वह एक खतरा हो सकती है । राठी जैसे लोग हमारे बीच में रहकर हमसे दगा करने की कोशिश कर सकते हैं तो फिर कोई बाहर से आकर हमें अपने जाल में फंसा कर हमसे दगा करने की कोशिश क्यों नहीं कर सकता ।



आपने उससे शादी कर ली यूं अचानक... । और उस लड़की को आप यहां तक भी ले आए । मुझे नही लगता कि ये कोई इत्तफाक है... । ये एक सोची समझी चाल है... ।


मैं अपनी तरफ से इन्वेस्टिगेट कर रहा था और रिजल्ट्स का इंतजार भी कर रहा था और अभी मुझे पता चला है कि आपने वो इन्वेस्टिगेशन रुकवा दी थी । आप किसी पर ऐसे कैसे यकीन कर सकते हैं SK.... ?? " दक्ष ने बेहद नर्म लहजे में ये बातें कही थी ।


संयम ने गहरी सांस ली और फिर उंगली ले इशारे से सबको बाहर जाने का कह दिया । सारे bodyguards बाहर चले गए अब कमरे में सिर्फ संयम और दक्ष ही बचे थे ।


संयम ने उंगली से इशारा किया तो दक्ष ने जेब से सिगरेट निकाली और संयम के मुंह में पकड़ा दी । संयम ने दांतों के बीच सिगरेट पकड़ी तो दक्ष ने लाइटर से सिगरेट जला दी ।


संयम सिगरेट के कश लगाते हुए उसनेेे टेबल से पांव घुमाकर नीचे किए और अपने सोफे से उठ गया ।


दक्ष भी खड़ा हो गया । संयम टेबल पर tap करते हुए बोला " बादशाह का हुकुम का इक्का पावरफुल होता है किसी को भी मात दे सकता है लेकिन वह बादशाह से सादा इंपॉर्टेंट नहीं होता दक्ष और ना ही बादशाह से ज्यादा तेज और समझदार होता है । वो बस बादशाह के आदेशों का पालन करता है.... ।


तुम मेरे हुकुम का इक्का हो और ये बात तुम अच्छे से जानते हो । और तुम क्यों है इसकी वजह भी तुम्हारे पास है... । लेकिन एक इक्का बादशाह से उसके किए कामों के बारे में सवाल जवाब नहीं करता... । " ।


दक्ष " माफ कीजिए SK... । आपसे सवाल करने का मेरा कोई इरादा नहीं था.... । मैं क्या हूं और क्यों हूं... ये मैं अच्छे से जानता हूं.... । आपके लिए फैसलों पर मुझे पूरा भरोसा है.. । लेकिन आपकी पत्नी जो है उनको देखकर मुझे लगा कि वो आपको मोहित करने लगी है... और कहीं ये कोई खतरा न बन जाए... इस डर से मैने ये सब किया.... " ।


संयम " तुम्हे किससे डर है दक्ष रावल.... ??? " ।


दक्ष ने सिर झुकाया और बोला " डर तो किसी का भी नही है SK... लेकिन कोई आपको तकलीफ पहुंचाने के लिए जरा सी भी हरकत करें तो मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता.... " ।


संयम की सिगरेट खतम हो चुकी थी तो दक्षिणी उसके बोलने से पहले ही दूसरी सिगरेट सुलगाकर उसके हाथ में पकड़ा दी ।


संयम बिना किसी भाव से दक्ष को देखते हुए बोला " संयम जो भी करता है उसके पीछे वजह होती है दक्ष । मेरी मर्जी के बिना ना तो कोई मेरी जिंदगी में आ सकता है और ना ही मेरी नजर में । और अगर कोई आया है तो उसके पीछे कोई ना कोई वजह जरूर होगी..... " ।


दक्ष ने सिर हिला दिया ।


संयम " डील का क्या हुआ.. ??? " ।


दक्ष " almost हो चुकी है SK.. । बस कुछ ही दिनों में पूरी खतम हो जायेगी.... " ।


संयम " हम्मम...... निकलने की तैयारी करो तक दक्ष कुछ ही दिनों में हम भी यहां से वापस मुंबई चलेंगे.... " ।


" Ohk SK..... " बोलकर दक्ष वहां से बाहर निकल गया ।


संयम वापिस से सोफे पर बैठा और पैर सामने टेबल पर चढ़ा लिए । फिर आंखें बंद करके सीटी बजाने लगा । उसका टोन बोहोत अजीब सा था । मानो कोई डेविल के लिए वो सीटी का टोन डिजाइन हो... । उसी सीटी की धुन के साथ संयम की उंगलियां टेबल पर बजने लगी जो माहोल को और भी एविल बना रही थी ।



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