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मार्टिन एक फ्रेंच कैथोलिक था| अँग्रेज़ी के साथ हिन्दी और अन्य कई भाषाओं में उसकी रुचि थी| पहले एक फ्रेंच लड़की से उसके संबंध रहे फिर न जाने किसी बात में दोनों में अनबन होने से विचार भेद के चलते दोनों में मनमुटाव हो गया और बाद में संबंध टूट गए| मार्टिन ने आशी को अपने बारे में सब कुछ खुलकर बता दिया था और आशी ने एक मित्र की भाँति उसकी सब बातें चुपचाप सुन ली थीं लेकिन अपना कोई मन्तव्य वह कभी भी नहीं देती थी| हाँ, मार्टिन का इकलौता साथ उसे बुरा नहीं लगता था| वह एक समझदार, तहज़ीबदार और शानदार स्वभाव का इंसान था|
समय मिलने पर मार्टिन आशी से किसी खूबसूरत स्थान पर चलने का आग्रह करता| वैसे तो आशी किसी से भी इतनी अधिक मित्रता नहीं रखती थी।उसके स्वभाव में ही नहीं था लेकिन वह भारत में तो थी नहीं कि अपना मूड बदलने के लिए गाड़ी उठाकर कहीं भी निकल जाती इसीलिए उसे मार्टिन से मित्रता रखनी पड़ी| वैसे भी काम साथ में था और वहाँ भी उसने मार्टिन के अलावा किसी से अधिक मित्रता नहीं की थी| अपने स्वभाव के अनुसार भारत में भी शिद्दत से काम और घर में न रहकर अपने मूड को बदलने के लिए गाड़ी उठाकर बाहर निकल जाना ही तो उसका शगल रहा था|
मार्टिन आशी को कहीं न कहीं घूमने के लिए ले जाता| बात तो यह महत्वपूर्ण थी कि आशी मार्टिन के व्यवहार से प्रभावित हुई थी| फ्रांस स्मारकों और वास्तुकला के साथ ही इतनी सारी ऐतिहासिक इमारतों और अनेक खूबसूरत स्थल होने के कारण फ्रांस में बहुत लोग घूमने जाना पसंद करते हैं| यह एक बहुत खूबसूरत पर्यटक-स्थल है| मार्टिन ने आशी को कई स्थान घुमा दिए थे|
पेरिस ले जाकर एफिल टॉवर तो वह आशी को दो बार घुमा लाया था| वह आशी के बारे में बहुत कुछ जानना चाहता था लेकिन वह इतनी पक्की थी कि उसने अपने जीवन की कोई महत्वपूर्ण बात मार्टिन के साथ साझा नहीं की थी| हाँ, मार्टिन के साथ उसका व्यवहार रूखा नहीं था| कई बार वह सोचती कि अपने जीवन के बारे में मार्टिन के साथ साझा कर दे लेकिन अपने स्वभावानुसार वह चुप ही बनी रही| कभी और न भी जाना होता तो वे दोनों थोड़ी दूर पर स्थित एक छोटे से बीच पर जा बैठते|
अन्य सब फ़्रांसीसियों की भाँति मार्टिन भी शाम के समय दो पैग ले लेता था लेकिन वह बहुत डीसेंट किस्म का इंसान था इसलिए आशी को कभी उसके साथ कोई दिक्कत नहीं हुई| उसने आशी से भी कई बार अल्कोहल लेने का इसरार किया था लेकिन आशी ने बड़ी विनम्रता से उसे मना कर दिया था| मार्टिन ने उसको अधिक बाध्य नहीं किया और एक दूरी बीच में रखकर दोनों की दोस्ती बनी रही|
मार्टिन को आशी के परिवार , उसके समृद्ध पिता, उनके लंबे-चौड़े व्यवसाय के बारे में मालूम था लेकिन आशी की शादी के बारे में वह पूरी तरह से अनभिज्ञ था| एक दिन दोनों एक खूबसूरत रेस्त्रां में डिनर करने के बाद पास के बीच पर टहल रहे थे| जैसे-जैसे मार्टिन आशी के साथ अधिक समय गुजारता जा रहा था, उसे आशी के जाने के दिनों के पास आने से घबराहट होने लगी थी| प्रॉजेक्ट लगभग अपनी समाप्ति की ओर था| शायद दो/एक माह में ही यह सब्मिट होने वाला था| यह एक ऐसा स्वप्न था जिसके लिए आशी अपना घर, अपनी नई शादी, बेशक उसने उस शादी को स्वीकार नहीं किया था, पिता की कोई बात नहीं मानी थी, अपनी अकड़ और अहं में प्रॉजेक्ट के पर्दे में छिपकर अपनी ज़िद पूरी करने भाग आई थी लेकिन न जाने अब क्या हो रहा था उसे, अचानक ही !
“आशी! क्या तुम मुझे पसंद करती हो? ”एक दिन बीच पर टहलते हुए मार्टिन मे आशी से पूछा था|
“हम दोनों के विचार एक-दूसरे से मिलते हैं तभी तो काम अच्छा हो सका और हम दोस्त भी बन सके| ”आशी ने इस बात को बड़े हल्के से लिया|
उसको स्वप्न में भी ख्याल नहीं था कि मार्टिन उससे आगे बड़ी उम्मीद रख रहा था| उसका इन दिनों आशी के प्रति कुछ अलग ही रवैया होता जा रहा था| वह शाम को अपनी आदत के अनुसार दो पैग लेता और आशी के पास आ जाता| वह उससे बाहर चलने के लिए कहता और आशी बिना किसी ना-नुकर के उसके साथ घूमने चली जाती|
“क्या एक साथ ज़िंदगी नहीं बिता सकते हम दोनों? ”एक दिन फिर से बीच पर घूमते हुए मार्टिन ने आशी से कह दिया| आज वह पूरी तरह से हिन्दी में बात कर रहा था| वह बहुत अच्छी हिन्दी और अँग्रेज़ी बोलता था और आज वह जैसे पूरा प्यार जताने के मूड में था|
“नहीं मार्टिन, यह नहीं हो सकता---”
“बट व्हाई, डोंट यू लाइक मी ? ”मार्टिन ने थोड़ा परेशान होकर पूछा|
आज वह सोचकर ही आया था कि आशी को मनाकर ही रहेगा| उसने आशी का हाथ पकड़ लिया और उसके करीब आने की कोशिश की|
आशी के लिए यह अप्रत्याशित था, वह बौखला गई|
“नो—दिस इज़ नॉट पॉसिबल फ़ॉर मी---”आशी उससे दूर हो गई|
“डोंट यू लाइक मी? ”ऐसा लग रहा था मानो उसका दिल चकनाचूर हो रहा हो|
“मार्टिन ! देयर इज़ ए वास्ट डिफरेंस बिटवीन लाइक एंड लव---यस, यू आर ए नाइस परसन, आई हैव रिगार्ड्स फ़ॉर यू बट आई कांट टेक दिस डिसीज़न----”
न जाने क्या हो गया था मार्टिन को, वह उसके करीब जाने की कोशिश में लगा रहा---उस दिन के बाद वह जब भी आशी के सामने होता, एक अजीब सा व्यवहार करता| जैसे काम में कम मन लगना शुरु हो गया था उसका और आशी की ओर अधिक झुकाव होता जा रहा था|
प्रॉजेक्ट अपनी अंतिम रूपरेखा पर पहुँच गया था लेकिन आशी इतनी परेशान हो गई थी कि उसने अपना काम बीच में ही छोड़ने का फ़ैसला कर लिया| इतने दिनों के अपने श्रम और समय को अनदेखा करके वह अपना प्रॉजेक्ट बीच में ही छोड़कर अचानक भारत चली आई|