nakl ya akl-74 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 74

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नक़ल या अक्ल - 74

74

पेपर चोरी

 

डॉक्टर अभी उन्हें कुछ कहना ही चाहता है कि तभी किशोर बोल  पड़ा, “हम अपनी माँ को शहर के अस्तपताल  लेकर जा रहें I”

 

उसकी ज़रूरत  नहीं पड़ेगी I

 

“क्यों सरला ठीक है?”  लक्ष्मण प्रसाद ने उत्साहित होकर कहा I

 

डॉक्टर की नज़रें नीची  हो गई I “आपकी पत्नी अब इस दुनिया में नहीं रही I” यह कहकर डॉक्टर तो चला गया पर वे दोनों जड़ बने वहीँ खड़े रहें, फिर किशोर भागता हुआ अंदर गया और अपनी मुर्दा माँ के सीने से लगकर  ज़ोर-ज़ोर से रोने लग गया I लक्ष्मण प्रसाद खुद को संभालता  हुआ कमरे में  आया और मरी  हुई  सरला को देखकर  उसकी  भी रुलाई फूट  पड़ी I

 

निहाल भी सड़क के कोने में लगा खम्भा पकड़कर खड़ा है I  नंदन की कहीं बात उसके कानों में गूंज रही हैI “पेपर लीक हो गया, सभी स्टूडेंट्स शिक्षा मंत्री के ऑफिस के बाहर धरना देकर बैठे हैं I” उसे अब किशोर का फ़ोन आया तो उसे होश आया, उसने उसका फ़ोन काटा और हॉस्पिटल के अंदर घुस गया I कमरे के अंदर अपनी मरी माँ और रोते बाप भाई को देखकर उसके हाथों से दवाई छूट गई, वह भी रोते  हुए अपनी माँ के गले लग गया I कुछदेर तक ऐसे ही संताप करने के बाद, निहाल ने खुद को संभालते  हुए कहा, “बापू आप सभी रिश्तेदारों  को सूचना दे दें I हमें  माँ को अत्येष्टि  के लिए घर जाना होगा I उसके बापू  ने भी भीगी आँखों  से कहा, “बेटा फ़ोन मैंने तो कर दिया है, मगर हम अभी तुम्हारी माँ को घर नहीं ले जा सकते I” दोनों भाई लक्ष्मण  प्रसाद का मुँह  देखन लगे I

 

अब  वे तीनों  राधा के माँ-बापू के साथ शांतनु अस्तपताल के ऑपरेशन वार्ड के बाहर खड़े हैं I उन तीनों  को सरला पर गर्व महसूस हो रहा है कि उसने अपनी दोनों किडनी राधा को देने की अंतिम इच्छा  जाहिर की  I कुछ  देर और इंतज़ार करने के बाद, डॉक्टर ने ऑपरेशन थिएटर से निकलकर बताया कि  “सरला की दोनों किडनी हमने उनके शरीर से निकल ली है I कुछ देर बाद, राधा का ऑपरेशन भी शुरू  हो जायेगा I आप शव ले जा सकते हैं I”  राधा के माँ बापू ने लक्ष्मण प्रसाद के आगे नम आँखों से हाथ जोड़े तो उन्होंने उनके हाथ पकड़ते हुए कहा, “नहीं समधी जी, भगवान को यही मंजूर था, वरना जो सरला अपनी किडनी की जाँच कराने तक के लिए नहीं आई, वह आज अपनी दोनों किडनी राधा को दे गई I”

 

 

करीब पांच घंटे बाद सभी रीति रिवाज  को संपन्न करते हुए सरला की अन्तयेष्टि  कर दी गई I रिश्तेदार तो रुक गए, मगर गॉंववाले एक-एक करके लक्ष्मण प्रसाद से मिलकर जाने लगे I काजल  अपनी बुआ की गोद में सिर रखे, अब भी सिसक रही है I पंडित जी किशोर और घर के बड़े बूढ़ों को  आने वाले दिनों में  करने वाले रीति रिवाज समझा रहें हैं I

 

शाम को नन्हें उदास मन से नदी के किनारे  बैठा है I नंदन और रिमझिम उसके पास आ गये I आना तो सोना भी चाहती थी, मगर उसकी आने की हिम्मत नहीं हुई I नंदन ने उसके कंधें पर हाथ रखते हुए कहा,

 

भाई सब खत्म हो गया I

 

तू सही कह रहा है I ज़मीन भी गई, पुलिस में जाने का सपना भी गया और तो और अब माँ  भी चली गई, निहाल  की आँख भर आई I

 

नन्हें!! तुम ऐसे कैसे  अपने सपने को जाने दे सकते  हो I

 

हम और क्या करे रिमझिम I यह पेपर लीक का खेल पता नहीं कब तक चलता रहेगा I हम अपने घरवालों  की सारी पूंजी लगा चुके है, “अब किस मुँह से उन्हें कहो कि फिर से पेपर लीक हो गया I बापू  तो पहले ही सदमे में है और अब ज़मीन खोने का दर्द वो नहीं सहन कर सकेंगे I “

 

निहाल ठीक रहा है, मेरी बहन की शादी तो मेरी वजह से नहीं हो पाएगी I नंदन  ने भी बुझे मन से कहा I

 

देखो !! निहाल तुम हार नहीं मान सकते I वो स्टूडेंट्स वहाँ  भूखे प्यासे धरना  दे रहें हैं, तुम्हें उनकी हिम्मत  बनना  है, अपने लिए और सभी स्टूडेंट्स के लिए इंसाफ माँगना  होगा,  अगर सरकार बहरी  तो इसके कान खड़े करने होंगे I यह पेपर लीक क्यों हो रहा है, इस कांड में इसी देश के लोग शामिल होंगे I

 

रिमझिम यह  इतना आसान नहीं है I नंदन ने ज़मीन पर बैठते हुए कहा I 

 

ज़िन्दगी कब किसके लिए आसान  होने लगी I  मैं भी तो बैंक की नौकरी  कर सकती थी, मगर नहीं, मुझे इंसाफ  चाहिए और वो मैं लेकर रहूँगी I रिमझिम की बात सुनकर निहाल के चेहरे के हाव भाव ऐसे बदले जैसे उसके भटके हुए मन को कोई मंजिल मिल गई हो I

 

मगर हम सिस्टम से नहीं लड़ सकते I हम उनके आगे चींटी है I नंदन ने उदास स्वर में कहा I

 

नंदन !! यह मत भूलो, एक चींटी  ही हाथी की मौत का कारण बन सकती है और निहाल सोचो, सरला चाची की आत्मा तुम्हें  पुलिस की वर्दी में  देखकर कितनी ख़ुश  होगी I

 

पर रिमझिम .......  अब नंदन अपनी बात पूरी करता, निहाल बोल पड़ाm “रिमझिम सही कह रही है I हम हार नहीं मान सकते और तू भी कहता है कि मेरा दिमाग लोमड़ी  से तेज़ दौड़ता  है I” नंदन और रिमझिम के चेहरे पर मुस्कान  आ गई I

 

जमींदार ने राजवीर को फटकारते हुए कहा, “तुमने कोचिंग के नाम पर  अपने ही बाप  से इतना पैसा ठग  लिया  I”

 

“बापू, मैंने कोचिंग के लिए ही पैसा लिया था I अब पेपर लीक  हो गया तो मैं क्या करो I अब मुंशी  रामलाल ने कहा कि “उसे कोई ज़रूरी  बात  करनी है” तो राजवीर वहाँ से खिसक गया I घर के बाहर निकलते ही रघु ने पूछा, “तेरे बापू को पता चला कि  तने उनके पैसे का क्या किया है तो तू तो गया I” “चुप कर!! बापू को इसकी भनक  भी नहीं लगनी चाहिए कि मैंने पांच लाख पेपर खरीदने के लिए दिनेश को दिए थें I” दोनों आपस में बात करते हुए जा रहे हैं, इस बात से अनजान की उनके पीछे आता सोमेश सबकुछ सुन चुका है I