nakl ya akl-72 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 72

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नक़ल या अक्ल - 72

72

आत्महत्या

 

किशोर की आँख से अब भी आँसू टपक रहें हैं। निहाल ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, “भाई आप इस तरह करोगे तो फिर राधा भाभी को कौन संभालेगा। “निहाल इतने पैसे कहा है, किसके पास।“ राधा के बापू के पास होते तो वह दहेज़  नहीं दे देते और हमारी हालत भी कौन सा अच्छी है, भगवान,  हम गरीबों  की परीक्षा क्यों ले रहा हैं!!” “भगवान  भी उनकी परीक्षा लेता है, जिन्हें वो अपने  काबिल समझता है। परेशान  मत हो, सब ठीक हो जायेगा।“ कुछ देर किशोर के साथ बिताकर वह अस्तपताल  से बाहर निकला और फिर किसी कैफ़े में बैठकर, उसने सोशल मीडिया पर किडनी डोनर के लिए एड डालना शुरू कर दिया। 

 

 

निर्मला और बिरजू ने शहर मेंअपना घर जमाना शुरू कर दिया है, अपने दोस्त की मदद से उसे एक स्कूल में कंप्यूटर टीचर की नौकरी मिल गई है। साथ ही उसने अपने बापू से पैसे मँगवाकर कंप्यूटर में  एडवांस डिप्लोमा करना भी शुरू कर दिया है। वह सारा दिन घर से बाहर रहता और जब रात को थकाहारा घर आता तो दोनों  साथ में  खाना खाते फिर दोनों पति पत्नी की तरह आपस में संबंध  बनाकर एक दूसरे के तनमन की प्यास शांत  करते।

 

एक दिन बिरजू ने निर्मला को कहा कि “उसकी वकील से बात हो गई  है, उसने उसके तलाक के कागज़ भी बनवा दिए है। अब किसी तरह सुनील इन पेपर पर हस्ताक्षर कर दें तो उसे उससे हमेशा के लिए छुटकारा  मिल सकता है ।“ 

 

“पर यह तलाक  के कागज़ दिल्ली से गए तो उसे पता चल जायेगा कि  मैं तुम्हारे  साथ हूँ।“  तभी  एकदम से एक ख़्याल उसके मन में आया और वह बोल पड़ी,  “मैं करती  हूँ कुछ ।“

 

सोनाली अपने घर पहुँची  तो उसके बापू और भाई ने उससे भी निर्मला के बारे में पूछा तो उसने मना कर दिया।  गिरधर  गुस्से में बोले, “इस लड़की ने तो मुझे कहीं का नहीं छोड़ा, पता नहीं इनकी माँ  इन्हें क्या सिखाकर गयी है।“  अब सोनाली की भी त्योरियाँ  चढ़ गई। “बापू आपको दीदी की फ़िक्र नहीं है, कही उन्हें कुछ हो न गया हो। वह  एक बार पहले भी आत्महत्या की कोशिश कर चुकी  है।“  गिरधर ने उसे घूरा।  “क्या कह रही  हो?” “बिल्कुल  सही कह रही  हूँ।“ तभी गिरधर का फ़ोन बजा तो उसने देखा कि  सुनील का नंबर है, उन्होंने फ़ोन सोना को पकड़ा दिया तो सोना ने फ़ोन स्पीकर पर डाल  दिया।

 

बापू जी प्रणाम !!

 

जीते रहो बेटा!!

 

बापू जी मुझे चल चुका है कि  निर्मला दिल्ली में है।  वे सभी उसकी बातें सुनकर हैरान हो गए।

 

पर वहाँ क्या कर रही है?

 

यह आप  पता लगाए, जाहिर सी बात है, अकेली तो नहीं होगी।  मुझे पता चल गया तो मैं  तो सीधे उसे घिसटते  हुए आपके पास ले आऊँगा। अब सोना से रहा न गया, उसने गुस्से में  कहा,

 

“ओह जीजें !! दीदी को हाथ भी लगा दिया न, फिर देख लियो और एक बात कान खुलकर सुन ले, वो तेरे साथ नहीं रहना चाहती तो नहीं रहना चाहती।  उनकी जान छोड़, तुझे बहुत  जल्द  इस रिश्ते से आज़ादी  मिल जाएगी।“

 

“वह  ज़ोर से हँसा!! मेरी प्यारी  साली सोना !! मैं तेरे दीदी को आसानी से नहीं छोड़ने वाला अपनी बेज़्ज़ती  का बदला लेकर रहूँगा। समझी ।“  कहकर  उसने फ़ोन रख  दिया।

 

“देख लिए बापू इसके तेवर,  दीदी  गलत नहीं है, यह  आदमी गलत है।“ अब गिरधर सोच  में  पड़  गया।

 

दोपहर  का समय  है,  सोनाली  कूलर के आगे लेटी  हुई  है। तभी उसका फ़ोन बजता है।  वह फ़ोन उठाकर देखती  है तो उसे जानी पहचानी आवाज़  आती है।

 

सोना !!!

 

दीदी  कहा है, आप?

 

मैं बिरजू  के साथ हूँ, हम दोनों एक दूसरे  से बहुत प्यार  करते है।  वह एक ही सांस में  बोल गई।  सोना के चेहरे पर मुस्कान  आ गई। 

 

पर दीदी इस तरह भागने से क्या होगा??

 

सोना मेरी बात ध्यान से सुन !! हमने तलाक  के पेपर बनवा  लिए हैं, मैं तुझे भिजवा देती हूँ, तू किसी तरह उस सुनील  के पास भिजवा दें। 

 

दीदी उस सुनील को आपके बारे में पता चल गया है, अब उसने सुनील से फ़ोन पर हुई सारी  बात बताई उसे बताई तो वह डर गई।

 

आप वापिस आ जाओ। मैं आ गई हूँ मैं आपको कहीं नहीं जाने दूँगी। शायद बापू को भी समझ आ गया है कि सुनील कैसा है।

 

ठीक है, मैं बिरजू  से बात करती  हूँ। 

 

रिमझिम ने निहाल को निर्मला के बारे में बताया तो वह समझ गया कि निर्मला दीदी बिरजू भैया के साथ ही है। उसने बिरजू से मिलने का मन बना लिया।

 

 

नीमवती और उसके पति सोहम, गिरधारी चौधरी से अपनी बेटी शीतल और बिरजू की शादी की बात करने के लिए मिले तो नीमवती ने कहा कि “अभी सगाई तो की जा सकती है,” इस बात के लिए गिरधारी  चौधरी राजी हो गए, उन्होंने बिरजू को फ़ोन करकर कहा कि घर वापिस आ जाये। बिरजू ने यह बात निर्मला को बताई  तो उसने भी सोना से हुई बात के बारे में बताया। उसने सोचते हुए कहा,

 

अगर मैं वापिस गया तो मेरी सगाई हो ही जाएगी।  मैं क्यों किसी मासूम लड़की और उसके परिवार  के ज़ज़्बातो के साथ खिलवाड़ करो। 

 

तुम सही कहते हो तो फिर मैं वापिस चली जाती हूँ।  सोना ने  बताया कि गॉंववालों को यही पता है कि  मैं मौसी के गयी हूँ। 

 

उसने  निर्मला का हाथ  पकड़ते  हुए कहा, “मैं तुझे खो नहीं सकता।  तू गॉंव में और मैं शहर में, वो सुनील खतरनाक  लगा रहा है।

 

“फिर क्या करें ? तलाक लेने के लिए उसके सामने तो जाना  ही पड़ेगा।“  निर्मला ने उसे गले लगा लिया।  बिरजू भी उसे कसकर गले लगाए रहा।

 

लक्ष्मण प्रसाद ने सरला को बताया कि “किशोर की हालत भी कुछ ठीक नहीं है, किडनी मिल तो रही है, मगर उसके लिए भी बहुत पैसा चाहिए। तो हम क्या करें? नन्हें की माँ, अपने बेटे के लिए अस्पताल  चली जा, एक बार अपनी किडनी की जाँच करवाने में क्या बुराई  है। कम से कम उसको तस्सली तो होगी कि उसकी माँ आई  थीं।  “वहाँ जाये मेरी जूती।“ उसने चारपाई पर लेटते हुए जवाब दिया। 

 

रात का समय है, किशोर की आँख खुल गई। उसने इधर उधर देखा तो सभी मरीजों के साथ आये परिजन वेटिंग रूम में सो रहे हैं ।  वह भी पंद्रह दिन से यही सो रहा है ।  तभी उसे नर्स की आवाज़  सुनाई  दी, “डॉक्टर जल्दी आये, मरीज  राधा सांस  नहीं ले रही।“  राधा का नाम सुनकर, वह वार्ड की तरफ़  भागा।  डॉक्टर राधा को चेक कर रहें हैं।  तभी वह किशोर को देखकर बोले, “सॉरी मिस्टर किशोर आपकी बीवी अब इस दुनिया में  नहीं रही।  यह सुनकर उसका सिर  घूमने लगा, वह राधा! राधा! कहता हुआ राधा से लिपट गया और ज़ोर-जोर से रोने लगा । नर्स ने उसे संभालने की कोशिश की, मगर वह अपने आपे में  नहीं है। “मैं भी तेरे पास आ रहा हूँ, राधे !!” यह कहकर उसने अस्पताल की खिड़की से छलाँग लगा दी। सबने नीचे  झाँका तो वह लहूलुहान  ज़मीन पर गिरा पड़ा है ।