nkl ya akl-61 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 61

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नक़ल या अक्ल - 61

61

आशिक

 

करीब तीन-चार घण्टे के सफर के बाद, नन्हें और नंदन उस कमरे में पहुँचे, जहाँ उन्होंने कमरा किराए  पर लिया हुआ था, उनकी कोचिंग ग़ाज़ियाबाद के साहिबाबाद इलाक के पास थी, इसलिए उन्होंने वही रहना उचित समझा एक बड़े से कमरे में एक तरफ रसोई और बाथरूम बने हुए हैं। दोनों ने अपने कपडे और किताबें अपने सूटकेस से निकाली और उसे कमरे में लगी लकड़ीकी अलमारी में रखने लगें। दोनों ने अपने  घर पर फ़ोन करकर  बता दिया कि  वे लोग ठीक से पहुँच गए हैं। उनके माता पिता को भी यह सुनकर तस्सली हुई।

 

मधु से सुबह उठा नहीं गया, उसने कहा कि उसके सिर और पैर में बहुत दर्द है। सुधीर सुबह से उसके  पैर और सिर दबाने में लगा है। घर के नौकर चाकर उसे खाने पीने  का सामान लाकर दे रहें हैं। अब उसने सुधीर का हाथ अपने पैरों पर रोकते हुए कहा,

 

मैं ठीक हूँ, आप खेतों  में  जाए।

 

नहीं, मैं कुछ देर और बैठता हूँ।

 

“मैं अब सोना चाहती हूँ, इसलिए आप जाए।“ उसने करवट  बदलकर  ज़वाब  दिया। उसने प्यार से उसके गाल पर हाथ  फेरा और फिर नौकरो को उसका ध्यान रखने की हिदायत देकर वहाँ से चला गया। उसके जाते ही मधु की आँखों में आंसू आ गए। क्या सोचा था, क्या हो गया। तभी उससे मिलने उषा आ  गई।

 

“उसने मधु  के माथे पर हाथ  रखते हुए कहा, तुझे बुखार है, क्या??

 

नहीं! बस सिर में  दर्द है।

 

ऐसी हालत में इतना सोचने करने की ज़रूरत  नहीं है। मैंने पहले ही तुझे इस अंजाम के बारे में  बता दिया था।“ उसने कुछ ज़वाब  नहीं दिया। मगर उसका बोलना अब भी ज़ारी है,

 

“मैं तुझे फिर कह रही हूँ  कि  उस हरीश को दफा कर ।

 

उषा तू  अभी जा। मुझे अकेला छोड़ दें।

 

अच्छी  बात है,” उसके जाते ही हरिश का फ़ोन आया तो उसने तबीयत ख़राब का कहकर उसे मिलने से मना  कर दिया।

 

शाम को नन्हें की कोचिंग शुरू हो गई  करीब चा घंटे की क्लास लेकर जब वो रात दस बजे घर पहुँचे  तो उन्होंने देखा कि शहर में अब भी रौनक है। नंदन ने जगमगाती लाइट देखकर कहा,

 

गॉंव में तो इस समय सन्नाटा छा जाता था ।

 

हाँ, तू सही  कह रहा है। अब दोनों खाना खाने के लिए एक ठेले के पास रुक गए।

 

यार नंदन !! रोज रोज़ बाहर का खाना, खाना सही नहीं होगा। इसलिए कल से खुद बनाते हैं।

 

हाँ अब तू सही कह रहा है। खाना खाकर  बाज़ार  से रसोई  का सामान  ले आते हैं।

 

 

सोनाली छत पर बिछी चारपाई पर उदास  लेटी  हुई  है, उसे ऐसे देखकर उसकी बहन  निर्मला बोली, “क्या हुआ सोना? सब ठीक है?”

 

कुछ  नहीं दीदी, अपने दोस्तों  की याद आ रही है।

 

ओह !!! अब तू भी अपना ध्यान पढ़ाई  में  लगा लें। निर्मला ने बिस्तर पर लेटते  हुए कहा।

 

 

‘हाँ, वही कर रही हूँ, पता  नहीं इस समय नन्हें क्या कर रहा होगा।‘  उसने मन ही मन कहा ।

 

नयी  जगह होने के कारण रिमझिम को भी नींद नहीं आ रही है । कल से उसका कॉलेज भी शुरू हो जायेगा। यानी उसके सपने साकार होने का पहला कदम। वह कल के दिन के लिए उत्साहित है और यही सोचकर उसने आँखे  बंद कर ली। उसके और नन्हें के किराए  के कमरे दरमियाँ करीब एक घंटे का रास्ता है। उसका दाख़िला कविनगर  के लॉ कॉलेज सोहनलाल द्विवेदी में  हो गया है। निहाल ने  रिमझिम को कहा है कि  कभी कोई ज़रूरत हो तो वो उसे बुला सकती है। यह सुनकर उसे भी होंसला  हो गया कि इस अजनबी शहर में वो अकेली  नहीं है।

 

अगले दिन सुबह  निहाल ने जल्दी से उठकर अपना और नंदन का नाश्ता  तैयार  किया और  फिर दोनों कोचिंग के लिए निकल गए। वहाँ के स्टूडेंट्स  को भो पता चल गया कि  निहाल पढ़ाई  में  तेज़ है।  अब यहाँ भी उसके दोस्त बनने शुरू  हो गए, मगर कुछ  उसकी बुद्धिमत्ता  से जलभुन भी गए। उसी  में  एक है समीर और उसके दो दोस्त, अजय  और विजय। इनकी तिकड़ी पूरे कोचिंग में  मशहूर है। यह  रामपुरा  गॉंव के निवासी  है। इसके बाप दादा भी करोड़ों की ज़मीन लेकर मज़े से ज़मींदारी  कर रहें  हैं। इनके लिए पैसा पानी की तरह बहाना कोई बड़ी बात नहीं है। कोचिंग के बाहर खड़े निहाल को उसने दूसरे लड़कों से करते देखा तो वह अपने दोस्तों को बोला, “ज़रा पता तो लगाओ, यह चिड़िया  किस खेत से आई  है ।“  “भाई करते हैं, पता !!” अब सोनिया निहाल के पास आई  और उससे एक सवाल का जवाब पूछने लगी। उसने वही कोचिंग में  बैठकर  उसे समझाना शुरू कर दिया। उसकी होशियारी से प्रभावित होकर, उसने उसकी तारीफ करते हुए कहा, “मुझे लगता है कि तुम इस साल के पेपर के टॉपर रहोंगे।“ उसने हँसते हुए कहा, “मैं सिर्फ यह पैर क्लियर करना चाह रहा हूँ।“

 

रिमझिम का पहला दिन भी अच्छा रहा, उसने वकालत  के लिए अपराध के विषय को चुना । इस बैच  में  कम  ही छात्र  है और उनमे भी लड़कियाँ कम है और लड़के ज़्यादा है। वह बड़े  ध्यान से क्लॉस  में  सुनती और फिर लाइब्रेरी में बैठकर उसका नोट्स बनाती।

 

दिन बीतते जा रहें हैं, सभी पूरी लगन से अपने सपने की तरफ बड़ी मेहनत से बढ़ रहें हैं।  रिमझिम के कॉलेज प्रोफेसर को भी पता चल गया है कि  वह एक होशियार  लड़की है और उसके अंदर कुछ कर दिखाने  का  जूनून  है।  उसके भी नए दोस्त बनते जा रहे हैं, शिल्पा और गौरी  के अलावा, अमन और विशाल  भी है। वह पढ़ाई  में सबकी मदद करने से कभी मना  नहीं करती, इसकी वजह से भी उसे क्लॉस  में  सब पसंद करते हैं।

 

मधु घर में  अकेली अपने कमरे में  बैठकर  रेडियो  सुन रही है।  घर में  सिर्फ नौकर  चाकर  है जो अपने  काम में  व्यस्त है।  तभी आवाजे पर  दस्तक होती है और घर की कामवाली  बाई दरवाजा  खोलती  है,

 

जी किससे  मिलना है?

 

मैं खेतों  से आया हूँ  बड़े साहब ने बीज मंगवाए  है। 

 

मुझे नहीं पता, मैं मधु  भाभी से पूछती  हूँ। 

 

वह उससे जाकर बीज के बारे में पूछती है तो मधु दूसरे कमरे से बीज लेकर जाने के लिए कहती है और फिर कामवाली बीज की थैली उसे  लाकर  पकड़ा देती है और अपना काम करने के लिए दूसरे कमरे में चली जाती है । रास्ता साफ़ देखकर वह उसके कमरे में घुसा चला आता है और बीज एक तरफ फेंकते हुए  दरवाजा बंद कर लेता है, अलमारी में कपड़े रखती मधु के उस जाने पहचाने चेहरे को देखकर होश उड़ जाते हैं तभी वह उसे  गर्दन से पकड़कर दीवार पर लगा देता है, जिससे मधु की सांस उखड़ने लगती है।