No More Abhi Nahi in Hindi Short Stories by S Sinha books and stories PDF | नो मोर अभी नहीं

The Author
Featured Books
  • શ્રાપિત પ્રેમ - 18

    વિભા એ એક બાળકને જન્મ આપ્યો છે અને તેનો જન્મ ઓપરેશનથી થયો છે...

  • ખજાનો - 84

    જોનીની હિંમત અને બહાદુરીની દાદ આપતા સૌ કોઈ તેને થંબ બતાવી વે...

  • લવ યુ યાર - ભાગ 69

    સાંવરીએ મનોમન નક્કી કરી લીધું કે, હું મારા મીતને એકલો નહીં પ...

  • નિતુ - પ્રકરણ 51

    નિતુ : ૫૧ (ધ ગેમ ઇજ ઓન) નિતુ અને કરુણા બીજા દિવસથી જાણે કશું...

  • હું અને મારા અહસાસ - 108

    બ્રહ્માંડના હૃદયમાંથી નફરતને નાબૂદ કરતા રહો. ચાલો પ્રેમની જ્...

Categories
Share

नो मोर अभी नहीं

 

                                                                             नो मोर अभी नहीं  

 डिनर के बाद , चौका बर्तन सब समेट लेने के बाद सरला बेडरूम में गयी  . उसके  पति  शर्माजी बेड पर  आँखें मूंदे लेटे थे और सीने पर कोई किताब अधखुली  पड़ी थी  .   बड़ी बेटी स्तुति का कल लास्ट प्रैक्टिकल एग्जाम था  . वह अपने रूम में तैयारी को लास्ट टच दे रही थी  , छोटी बहन  रिया  और सबसे छोटा भाई अंशु बगल के कमरे में सो रहे थे  . अंशु अभी आठवीं  कक्षा में था और रिया ग्यारहवीं में  . 


सरला पानी का ग्लास साइड टेबल पर रख कर पति से बोली “ सो गए क्या ? “


“ ऊँहुँ , कहो क्या बात है ? “


“ कल ऑफिस से छुट्टी ले लें तो बेहतर होगा  . “


“ क्यों , कल क्या है  ? “


“ आप भी न हद कर देते हैं  . हर साल की तरह इस साल भी भूल गए न  . “


तब तक रात के बारह बज चुके थे  .  बगल के कमरे से स्तुति ने दरवाजे पर नॉक कर कहा “ पापा और मम्मी , हैप्पी सिल्वर जुबली   . “


सरला ने कहा दरवाजा खुला है , अंदर आ जाओ  . “


स्तुति पापा , मम्मी दोनों को  शादी की सिल्वर जुबली की मुबारकबाद दे कर उनके सीने से लिपट गयी  . तब सरला ने कहा “ अब बता अपने पापा को कल क्या है , मैं कल छुट्टी लेने को बोल रही थी तो इन्होंने पूछा कल क्या है  . “


“ पापा , आप भी न  . “


 

शर्माजी ने बहाना बनाते हुए कहा “ नहीं बेटा , भूला नहीं हूँ  . मैं तो आँखें बंद कर कल की प्लानिंग कर रहा था  . “

“ तो पापा कल छुट्टी ले रहे हैं ? “


“ नहीं , ऑफिस में बहुत काम पेंडिंग है  . पर कल हाफ डे की छुट्टी लेने की कोशिश करूँगा  . “


“ ये हुई न  अच्छी बात , मेरे बेस्ट पापा  . “


“ कल शाम हमलोग किसी अच्छे होटल में डिनर लेंगे फिर नाईट शो मूवी देखेंगे  . “


शर्माजी ने ऑफिस में मैनेजर के पास हाफ डे  कैजुअल लीव की अर्जी भेज दी  . मैनेजर उस समय ऑफिस में नहीं था , वह वर्कशॉप में था  . 12 बजे जब वह अपने चैम्बर में आया तो शर्माजी ने उसे अपनी छुट्टी की याद दिलायी  . 


वह बोला “ सॉरी , शर्माजी आज तो मैं छुट्टी नहीं दे सकता हूँ  . आप चाहें तो आज के बदले कल फुल डे छुट्टी ले लें  . अभी एक माल फिनिशिंग लाइन से निकलने वाला है  .  हो सकता है आपको शाम को एक दो घंटे ज्यादा रुकना पड़े   . आप उसकी डिस्पैच आर्डर , इनवॉइस और गेटपास आदि सब रेडी कर ट्रांसपोर्ट को भिजवा दें  . आज  की डेडलाइन है वरना क्लाइंट पेनाल्टी लगा सकता है और अपने रेप्युटेशन का भी सवाल है  . आप समझ गए होंगे  . “


“ यस सर  . “  बोल कर शर्माजी चुपचाप चले गये  . उन्होंने घर पर फोन कर कहा “ छुट्टी तो नहीं मिली ,जल्द तो नहीं आ सकेंगे  . पर तुमलोग शाम को बिलकुल तैयार रहना , हमारे प्रोग्राम में कोई चेंज नहीं होगा  . “


शाम को 6 बजे शर्माजी को ऑफिस से छुट्टी मिली  . उन्होंने मोटरसाइकिल स्टार्ट किया तो ख्याल आया कि हेलमेट तो ऑफिस में रह गया था  . पर तब तक ऑफिस  बंद हो गया  था  . वे बिना हेलमेट लगाए ही मोटरसाइकिल पर निकल पड़े  . रास्ते में एक जगह रुक कर  उन्होंने कुछ स्नैक्स और मिठाईयां खरीदीं और ख़ुशी ख़ुशी घर की ओर चल पड़े  . अभी थोड़ी ही दूर गए थे कि अचानक एक बच्चा दौड़ कर रोड क्रॉस कर रहा था  . उसे बचाने के लिए उन्होंने जल्दीबाजी में दोनों ब्रेक कस कर लिया और एक झटके में उनका सर  रोड पर लगे फायर हाईड्रेंट की पाइप से जा टकराया  . शर्माजी की खोपड़ी खुल गयी थी और घटनास्थल पर ही उन्होंने दम तोड़ दिया  . 


पुलिस शर्माजी की बॉडी को अस्पताल ले गयी  . उनकी जेब से उनका आई डी कार्ड मिला था , उनके घर पर  पुलिस ने फोन कर उनकी पत्नी  सरला को जल्द ही अस्पताल बुलाया  . अभी शर्माजी की मौत की खबर नहीं दी गयी थी , पुलिस ने सिर्फ सीरियस एक्सीडेंट कहा था  . 


इधर स्तुति अपना प्रैक्टिकल एग्जाम देने के बाद घर पर ही थी  . वह माँ को ले कर अस्पताल पहुंची  . उसने  छोटी बहन रिया और भाई अंशु को घर पर ही रहने को कहा और पड़ोस में अपनी सहेली को उन्हें देखने के लिए कहा  . स्तुति ने अपने बॉयफ्रेंड  नवीन को भी दुर्घटना की सूचना दी  . अस्पताल पहुँचने पर माँ बेटी दोनों का हक़ीक़त से रूबरू हुआ  . थोड़ी देर बाद  स्तुति की सहेली  भी नवीन ,  रिया और अंशु के साथ अस्पताल आयी    

 

. सरला  रह रह कर बेहोश हो रही थी  , उन्हें डॉक्टर ने नींद की सूई लगा दी थी   .  . स्तुति ने अपने दिल पर पत्थर रख कर स्थिति का सामना करना ही बेहतर समझा  .   अंशु ने पिता को मुखग्नि दी   . 


शर्माजी ने सरला से अपने माता पिता की इच्छा के विरुद्ध विजातीय विवाह किया था जिसके चलते उनका अपने मातापिता और बड़े भाई से संबंध पूरी तरह से टूट गया था  . यहाँ तक की उनके अंतिम संस्कार में सिर्फ उनका एक भतीजा आया था  . नवीन और स्तुति एक दूसरे से प्यार करते थे और उन्होंने शादी करने  का फैसला  लिया था  . नवीन एक इंजीनियर था और अभी हाल में उसे जॉब भी मिला था  .नवीन ने अपने माता पिता को बहुत मुश्किल से इस शादी के लिए  तैयार किया था  . वे लोग सोच रहे  थे नवीन की शादी में तिलक में मोटी रकम मिलेगी और इस रकम से अपनी बेटी की शादी करेंगे  . 


पर शर्माजी की अचानक मौत से स्तुति के लिए परिस्थिति अब शादी के अनुकूल नहीं थी  . नवीन ने कहा भी था वह कुछ दिन इंतजार कर लेगा  . मगर स्तुति के कंधों पर माँ और भाई बहन का बोझ आ गया था  . शर्माजी के दफ्तर से पी एफ और ग्रेचुएटी के पैसे मिले थे  . वे अंशु को डॉक्टर  बनाना चाहते थे  और दोनों बेटियों को भी अच्छी शिक्षा देना चाहते थे  . सिर्फ दफ्तर से मिले पैसों से ऐसा संभव नहीं था  . भाग्यवश स्तुति को अपने ही कॉलेज की लैब में डिमोंस्ट्रेटर की नौकरी मिल गयी  .


 नवीन जब भी शादी की बात करता स्तुति बोलती अभी नहीं  . उसका कहना था अंशु को डॉक्टर बना कर पापा का सपना पूरा करना है और रिया का  भी ग्रेजुएशन कराना है , इसके बाद ही वह  अपने लिए कुछ सोच सकती है  . इसी तरह दो साल बीत गए  . तब नवीन के पिता ने उसे कहा “ तुम्हारे कहने से हमने स्तुति का दो साल तक इंतजार किया और हर बार उसका जबाब अभी नहीं होता है  . आखिर मेरी भी तो अपने परिवार के प्रति जिम्मेवारी बनती है  . तुम्हारी छोटी बहन की शादी तुम्हारे चलते रुकी हुई है  . पर अब मैं तुम्हारी एक नहीं सुनने वाला हूँ  . “


नवीन की शादी हो गयी  . उसने  स्तुति से वादा किया कि दोनों आजीवन अच्छे दोस्त रहेंगे   . नवीन ने कहा  कि जब कभी भी स्तुति  जरूरत समझे निःसंकोच उसे आवाज दे और  वह  हर संभव सहायता करेगा  . 


दो वर्ष और बीत गए , अंशु का सिलेक्शन मेडिकल कॉलेज के लिए हो गया  . नवीन ने फोन कर स्तुति से कहा “ मुबारक हो , तुम्हारी तपस्या का फल मिल गया . अंशु का एडमिशन मेडिकल में तय है . “


“ थैंक्स  नवीन . तुमने भी हर कदम पर मुझे और अंशु को गाइड किया है . कहाँ कोचिंग लेना है और कौन सा कॉलेज चुनना है इन सब के लिए तुम्हारी सलाह बहुत काम आयी .   “


“ अच्छा अब गौर से सुनो , हमारे यहाँ एक अनमैरेड  इंजीनियर ज्वाइन किया है . तुम्हारी उम्र का ही होगा . मैंने उससे तुम्हारे बारे में विस्तार से बात किया है . वह तुमसे शादी करने के लिए तैयार है . बस तुम्हें हाँ कहनी है . “

 

“ नो नवीन , अभी नहीं . अभी तो अंशु की पूरी पढ़ाई बाकी है . रिया भी एम ए करेगी . मैं जानती हूँ तुम मेरे भले के लिए बोल रहे हो पर अभी नहीं , प्लीज डोंट माइंड . “


इसी बीच रिया को अपने से सीनियर लड़के  से प्यार हो गया था . लड़के को नौकरी भी मिल चुकी थी . रिया ने जब स्तुति से यह बात बतायी तो वह बोली “ तुम दोनों जल्द ही शादी कर लो . “


“ पर दीदी यह अच्छा नहीं लग रहा है . तुम भी नवीन के बताये लड़के से शादी क्यों नहीं कर लेती हो ? फिर मैं भी कर लूंगी . “


“ फिर तो पांच  छः साल हम दोनों बैठे रहेंगे . मैं अंशु के सैटल करने के बाद ही अपने बारे में सोचूंगी . मेरी बात मान ले तू शादी कर ले , इससे मुझे ख़ुशी होगी . “


रिया की शादी हो गयी . अंशु भी मेडिकल फाइनल ईयर में था . स्तुति के कॉलेज का एक सीनियर प्रोफेसर उसकी तरफ आकर्षित हुआ . स्तुति भी जल्द ही अपनी जिम्मेवारी से मुक्त  होने वाली  थी . यही सोच कर वह भी प्रोफ़ेसर की तरफ आकर्षित हुई . साथ घूमना फिरना , होटल में खाना , मूवी देखना और देर तक पार्क में साथ बैठना - यह सब उसे मंजूर था . एक दिन प्रोफ़ेसर ने उसे आलिंगन में ले कर चूमना चाहा तो वह अलग हो कर बोली “ अभी नहीं , कुछ दिनों बाद हम शादी कर लेते हैं , फिर मेरा तन मन धन सब तुम्हें समर्पित है . “


प्रोफ़ेसर बोला “ शादी ? यह तुमने कैसे सोच लिया . मैं शादीशुदा , बालबच्चेदार आदमी हूँ . “


“ तो मेरे साथ क्या तुम शगल कर रहे थे या टाइम पास का जरिया समझ लिया था मुझे . “


“ मैं तो दोनों का मनोरंजन कर रहा था , तुम्हारा भी मन बहला देता था . “


“ जस्ट  शट अप , इट्स एनफ . अपनी शक्ल अब दुबारा नहीं दिखाना . “


इस घटना से स्तुति अंदर से टूट चली थी . अंशु ने एम बी बी एस कर लिया था और पी जी के लिए भी  कंपीट कर चुका था . वह भी अपनी दीदी को ले कर चिंतित रहता था . माँ और अंशु दोनों ही उसे अब अपना घर बसाने के लिए कहते . स्तुति भी तो यही चाहती थी , पर वह  उम्र के इस पड़ाव पर थी जहाँ उसके लिए  हमउम्र जीवनसाथी मिलना आसान नहीं था . 


इसी बीच नवीन ने स्तुति को फोन कर कहा “ मैं  तुमसे मिलना चाहता हूँ , तुमसे कुछ जरूरी  बात  करनी है  . “


“  अंशु आज  पी जी करने जा रहा है ,  कॉलेज के बाद उसे छोड़ने जा रही हूँ  . “


अगले दिन नवीन  घर आया . वह बोला “  तुम्हारे लिए एक मैच  है . “


“ अंशु  को सैटल करने दो “ 

 

 “ अंशु अब बच्चा नहीं है . पागल मत बनो , अंशु को पी जी में इतना स्टाइपेंड मिलेगा कि उसे तुम्हारे सपोर्ट की जरूरत नहीं है . और सबसे बड़ी बात जो  है वह यह  है कि अंशु खुद अपने साथ पढ़ने वाली लड़की  से प्यार करता है और दोनों शादी करना चाहते हैं . “


“ तो , कर ले शादी  . “


“ वह ऐसा नहीं करेगा जब तक कि तुम खुद अपना घर नहीं बसा लेती हो  .  उसने ऐसा प्रण कर रखा है पर  तुम्हें बताने  का साहस न कर सका है  . “


“ देखो अब तुम भी फुल्ली मैच्योर्ड हो  . तुम्हारी शादी करने से अंशु को कोई नुक्सान नहीं है , उसका भला ही है  . “

स्तुति की माँ  भी सब सुन रही थी , वह बोली “ बेटी , तुमने मेरे और अपने भाई बहन के लिए बहुत त्याग किया है  . मेरे मरने के पहले मैं भी तेरे हाथ पीले  करना चाहती हूँ  . “


नवीन ने कहा “ मैं जिस आदमी  के बारे में बात कर रहा हूँ , उसने  भी तुम्हारी तरह अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए अभी तक शादी नहीं  की है  . उसके माँ बाप नहीं हैं और अब वह अपने भाई और बहनों को सैटल करा कर अब निश्चिन्त है  . इस बार प्लीज न कहना - अभी नहीं  .  नो मोर अभी नहीं  . “


माँ और नवीन दोनों उसका उत्तर सुनाने  के लिए स्तुति की तरफ देख रहे थे  . उसने अपनी   सलज्ज नम आँखें नीचे कर स्वीकार में सर हिलाया  . 


समाप्त 


नोट - यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है  .