सभी गुनहगार अपने गुनाहों की सजा पा चुके थे तो वही सांझ भी धीरे-धीरे करके नॉर्मल हो रही थी। अक्षत का प्यार और उसके परिवार के साथ-साथ ही अबीर मालिनी शालू ईशान और बाकी सब लोग मिलकर सांझ को नार्मल करने की कोशिश कर रहे थे और धीरे-धीरे सांझ उस हदसे और उस दर्द से उबरकर सब कुछ भूलने लगी।
एक महीने का समय बीत चुका था और फाइनली आज दोनों कपल अपने हनीमून के लिए जा रहे थे।
ईशान और शालू ने फॉरन ट्रिप बनाया था तो वही अक्षत सांझ को लेकर इंडिया में ही दार्जिलिंग जा रहा था, क्योंकि सांझ का मन इंडिया में ही जाने का था।
शालू और ईशान अपनी मैरिड लाइफ शुरू कर चुके थे पर फिर भी जिंदगी नॉर्मल नहीं हो पाई थी, क्योंकि इस बीच केस तनाव और अच्छा खासा टेंशन का माहौल घर में था। तो उन्हें भी एक फ्रेश शुरुआत और एक खूबसूरत ट्रिप की जरूरत थी तो वही अक्षत और सांझ की मैरिड लाइफ तो अभी तक शुरू ही नहीं हुई थी। क्योंकि अक्षत चाहता था कि पहले सांझ पूरी तरीके से कॉमफाटेबल हो जाए। उसके साथ नॉर्मल रहने लगे और पुरानी बातों को भूल जाए जो कि आज हो गया था।
सांझ पुरानी बातों को भूलाकर आगे बढ़ चुकी थी।।
हालांकि इतना आसान नहीं होता है पुरानी बातों को भूलना पर जब अक्षत जैसा जीवन साथी साथ हो तो हर कुछ संभव हो जाता है।
वही सांझ के साथ हुआ था।
मनु और नील की जिंदगी भी नॉर्मल चल रही थी दोनों लड़के झगड़ते प्यार और तकरार के साथ एक दूसरे के साथ जिंदगी को खूबसूरत तरीके से जी रहे थे, और साथ ही साथ अंको दोनों परिवारों से पूरा प्यार और आशीर्वाद मिल रहा था।
इस एक महीने के दौरान सौरभ और निशि की शादी भी हो गई थी और नेहा और आनंद पर लगे चार्ज भी हट गए और उन दोनो ना दिल्ली छोड़ दिया और वापस विदेश चले गये क्योंकि यहाँ कोई उनका अपना नही था और जो एक अपनी यानी सांझ थी अक्षत नही चाहता था कि सांझ नेहा से कोई मतलब रखे और फिर पुरानी बातें हो और वो हर्ट हो।
आव्या अपनी मेडिकल की पढ़ाई में की जान से लगी हुई थी जहां पर उसकी भी एक खास इंसान से दोस्ती हो गई थी। जी हां उसके साथ पढ़ने वाला डॉक्टर अरुण और उसने बिना डर बिना घबराहट के सुरेंद्र और सौरभ को उसके बारे में बताया था और उन लोगों ने भी अरुण से मिलकर अपनी तसल्ली कर ली थी कर ली थी कि वह कि वह आव्या के योग्य है।
अक्षत साँझ को लेकर दार्जिलिंग पहुंचा और दोनों वहां पर पहले से ही बुक होटल के रूम में आ गए।
फ्रेश हुए और फिर रूम में आकर बैठे। साँझ के चेहरे पर खूबसूरत मुस्कुराहट खिली हुई थी। एक तो अक्षत का साथ, एकांत और उस पर दार्जिलिंग की खूबसूरत वादियां। सांझ के चेहरे की मुस्कुराहट जा ही नहीं रही थी।
वह बालकनी में आकर खड़ी हो गई और बाहर का नजारा देखने लगी कि तभी अक्षत ने पीछे से आकर उसे होल्ड किया और उसके कंधे पर अपना चेहरा टिका दिया।
"तो मिसेज चतुर्वेदी खुश तो है ना आप?" अक्षत ने धीमे से उसके कान में पूछा
" जी जज साहब बहुत खुश हूं। आखिर हम लोगों का सपना पूरा हो गया। हमेशा से एक ही सपना देखा था। एक अच्छा प्यार करने वाला पति और एक समझने वाला परिवार।"
"तो क्या मिला और क्या नहीं?" अक्षत ने कहा
" सब कुछ मिल गया। अबीर और मालिनी के रूप में मम्मी पापा मिल गए और जिन्होंने बचपन से लेकर अब तक की कमी पूरी कर दी तो वही आपके घर आई तो मम्मी और पापा ने फिर से बेटी मानकर दिल से लगाया। और आप तो हमेशा साथ हो ही। शालू दी जैसी बहन मिली और ईशान जैसा देवर। और इंसान को क्या चाहिए । मैं बहुत-बहुत खुश हूं। मेरे सारे सपने पूरे हो गए और जिंदगी से हर तरीके की नेगेटिविटी खत्म हो गई। बस आप हमेशा यूं ही मेरे साथ रहना।" सांझ ने उसके हाथों के ऊपर अपने हाथ रखे।
"आपको तो सब मिल गया मिसेज चतुर्वेदी अब इस गरीब के बारे में भी कुछ सोच लो।" अक्षत ने उसकी गर्दन पर होठो से हरकत करते हुए कहा तो सांझ ने गर्दन घुमाकर उसकी तरफ देखा।
अक्षत की आंखों में तैरती शरारत देख उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई और उसने पलट कर अक्षत की गर्दन में अपनी बाहों को लपेट लिया।
"आज इस गरीब का भी भला कर देती हूँ। इस को अपने प्यार की दौलत से अमीर करने का इरादा है मेरा आज।" सांझ ने नशीली आवाज में कहा तो अक्षत की आंखें बड़ी हो गई।
" बदमाशी कर रही हो मेरे साथ??" अक्षत बोला।
"तो आप नहीं कर रहे हो क्या?? मैंने कब कहा है आपको कि आप रुको। किसी चीज के लिए मना किया है मैने जो आप इस तरीके से कह रहे हो। आपकी हूं मैं जज साहब सिर्फ आपकी और आपको पूरा हक है मुझे प्यार करने का मुझे अपना बनाने का पूरी तरीके से।" सांझ ने उसके और करीब आते हुए कहा तो अक्षत ने उसके गाल पर हाथ फिराकर उसकी आँखों में देखा।
" तुम पूरी तरह से ठीक हो सांझ..!! आई मीन आज तुम्हे थोड़ा हर्ट हो सकता है।" अक्षत अब भी सांझ के लिए परेशान था।
" मैं ठीक हूँ। डोन्ट वारि।" सांझ बोली तो अक्षत उसके चेहरे पर झुका और फिर उसके होठो पर अपने होंठ रख दिए।
सांझ ने उसकी पीठ पर हथेलियां कस दी और अगले ही पल अक्षत ने उसे बाहों में उठाया और रूम के अंदर चला गया।
सांझ को बेड पर लेटाया और सभी करटेंस बन्द कर उसके करीब आ गया
साँझ ने अधखुली आँखों से उसे देखा और फिर बाहें फैला दी।
अक्षत ने अपनी टीशर्ट जिस्म से अलग की तो सांझ की पलकें झुक गई।
अक्षत ने शरारत से उसे देखा और फिर उसके पास आ सिद्दत से अपना प्यार बरसाने लगा।
सांझ ने भी अक्षत के प्यार पर पूर्ण समर्पण कर दिया।
एक लंबे इंतजार और कठिन समय के बाद दोनों को उनका प्यार मिल गया था। दूरी तकलीफ और हर दर्द को भुला आज दोनों पूरी तरीके से एक दूसरे के हो गए।
जिंदगी है तो तकलीफें आती है। उतार-चढ़ाव आते हैं पर अगर आपका साथी अच्छा हो तो हर राह आसान हो जाती है। और यहां अक्षत के रूप में सांझ को वही साथी मिला था। जिसने हर पल हर हर परिस्थिति में उसका साथ निभाया और उसे हर तकलीफ से बचाकर और हर तकलीफ से दूर लेकर आज एक खुशहाल जिंदगी में ले कर आ गया था।
अक्षत कि भावनाओं का वेग थमा और सांझ को पूरी तरह अपना बना अक्षत ने अपने सीने से लगाकर आंखें बंद कर ली।
सांझ भी उसके खुले सीने पर सर रखकर आंखें बंद कर उसकी नजदीकी को महसूस करने लगी
कुछ पलो बाद अक्षत ने उसके बालों में हाथ फिराया।
"थैंक यू सांझ..!!" अक्षत धीमे से बोला तो सांझ ने गर्दन उठाकर उसकी तरफ देखा।
फिर मुस्कुरा कर वापस से उसके सीने पर सिर टीका लिया।
"आप बड़े अजीब हो जज साहब। इस बात के लिए अपनी वाइफ को थैंक यू कौन बोलता है? यह तो हक होता है हर पति का।" सांझ मासूमियत से बोली।
"हक होता है पर जबरदस्ती करने का हक तो पति को भी नहीं होता है..!! तुमने इजाजत दी मुझे अपने करीब आने की तुम्हें अपना बनाने की तो इसके लिए एक थैंक यू तो बनता है ना??" अक्षत ने उसके माथे पर अपने होंठ रखते हुए कहा तो सांझ उसके थोड़ा और करीब सिमट गई।
अक्षत ने उसे ब्लैंकेट से कवर किया और यूं ही बाहों में समेट कर आंखें बंद कर ली।
" तकलीफ तो नही हुई ज्यादा..??" अक्षत धीमे से बोला।
" थोड़ी बहुत। बाकी आपका प्यार हर दर्द की दवा है और वो लम्हे ही कुछ ऐसे होते है जब इंसान को प्यार के अलावा कुछ महसूस नही होता।" साँझ बोली।
अक्षत मुस्कराया और एक सुकून दोनों के चेहरे पर आ गया और दोनों ही गहरी नींद में चले गए।
क्रमश:
डॉ. शैलजा श्रीवास्तव