Nakl ya akl-48 in Hindi Fiction Stories by Swati Grover books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 48

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नक़ल या अक्ल - 48

48

बारिश

 

इससे पहले  निर्मला अपने बापू  की बात का ज़वाब  देती,  उससे पहले ही उसका भाई  गोपाल बोल पड़ा,

 

“अरे!!! बापू  बारिश  की वजह से सारे रास्ते बंद है, स्टेशन भी बंद कर दिया गया है।  अभी  रहने दें, कोई फायदा नहीं है ।“  निर्मला के चेहरे पर  ख़ुशी  झलकने लगी। उसने जल्दी से झाड़ू  लगाया और फिर नाश्ता  बनाने रसोई में  चली गई।  उसके बापू ने गोपाल को कहा कि “ सुनील को भी यह बात बता दें।“  वह भी अपने जीजा को फ़ोन करने लग गया। 

 

राधा भी काजल के साथ आंगन में जमा पानी को निकालने लगी, उनका आंगन ऊँचा है, इसलिए पानी ज्यादा नहीं है।  किशोर उनके पास आया  और  अपनी बहन  से बोला, “तू  जा काजल मैं  पानी निकाल लेता  हूँ।  काजल भी हँसती  हुई  अंदर चली गई, तभी वह राधा के पास आकर, उसके चूड़ी वाले हाथ पकड़ता  हुआ बोला, “अगली बारिश  में  दोनों साथ में  भीगेंगे।“  “धत्त !!! कुछ  तो शर्म करो,” “शर्म कैसी, अपनी बीवी के साथ ही नहाऊंगा,”  उसने उसके हाथ चूम लिए तो राधा भी शरमा गई।

 

 

बिरजू  को निर्मला की कहीं बातें याद आ रही है। वह बिस्तर पर लेटा, उसकी कही बात के बारे  में  सोच  रहा है, ‘निर्मला  ठीक  कहती है, मुझे जमुना की अच्छी  यादों  के साथ जीना सीखना होगा।  हमारा प्यार इतना कमज़ोर नहीं है। पता नहीं, उसके घर में  क्या चला रहा होगा।‘  अब उसे अपने खोए  हुए फ़ोन का ध्यान आया ।  वह अपने कमरे से निकला तो देखा की बापू मुंशी से कुछ ज़रूरी बात कर रहें । उसे देखकर ही वह उस पर चिल्लाने लगे,

 

क्यों बिरजू!! रात को कहाँ गायब हो गया था, मैं तुझे अभी  भी बता रहा हूँ कि  तू अगर नहीं सुधरा तो फिर मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।

 

बापू !! मुझे नया फ़ोन चाहिए।

 

बिल्कुल  नहीं मिलेगा, इस फ़ोन ने ही तेरा कबाड़ा किया है।

 

लेकिन बापू,,,,,

 

भैया आपके फ़ोन को क्या हुआ? यह राजवीर की आवाज़  है।

 

खराब  हो गया। बापू  पैसे दे रहो हो?

 

नहीं!! कभी  कमायें  हो तो पैसे की कीमत का पता चले। अगर  फ़ोन चाहिए तो मजदूरों की तरह  खेतो में  काम कर और ले ले फ़ोन।

 

राजवीर और बिरजू ने हैरानी से बापू को देखा तो वह  ज़वाब  में  दोनों  को घूरने लगा।

 

बिरजू ने कुछ सोचकर कहा, “ठीक है, बापू मुझे मंजूर है।“

 

तो फिर नाश्ता करकर मुंशी के साथ चला जा। मुंशी  खड़ा मुस्कुरा रहा है।

 

दोपहर का समय है, आसमान में  अब भी  बादल छाए  हुए हैं, बिरजू खेतो में बाकी मजदूरों क साथ  मिलकर कीचड़ साफ़ कर रहा है। राजवीर उसके आया और बोला, “भैया!! आपसे यह काम नहीं होगा।“

 

तू एक काम कर, मेरे लिए सेकंड हैंड फ़ोन का इंतज़ाम कर दें और हाँ नंबर पहला वाला ही ले लियो। उसने जेब से दो हज़ार रुपए निकालकर दे दिए।

 

आपके पास पैसे थें तो काम करने के लिए राजी क्यों हुए?

 

दो हज़ार में नया फ़ोन नहीं आएगा और जो आएगा, वो चलेगा नहीं। वो तो अच्छा है, मैंने घर में रखे कंप्यूटर पर ही अपने फ़ोन का सब डाटा सुरक्षित कर दिया है।

 

भाई !!! आप वही  काम करो, जिसके लिए आपने बापू से पहले बात की थीं।

 

फ़िलहाल तो मैं यह कर रहा हूँ। अब जा। वह चला गया और बिरजू फिर खेतों में  काम करने लग गया।

 

नन्हें नदी के किनारे अपनी वहीं मनपसंद जगह पर नंदन के साथ बैठा हुआ है, उसे सोना का ख्याल आ रहा है। उसके हाथ में किताबे तो है, मगर वह उन्हें पढ़ नहीं रहा। तभी नंदन ने उसे टोकते  हुए कहा, क्या सोच रहा है?

 

कुछ नहीं!! अब वह फिर से किताबों में देखने लगा।

 

तुझे पता है कि रिजल्ट आने वाला है। नंदन ने पूछा?

 

हम्म!!! मुझे भी आजकल इस वजह से नींद नहीं आती है। तभी सोनाली रिमझिम के साथ वही आ गई।

 

कितना प्यारा मौसम है और नन्हें तुम किताबें लेकर बैठे हो।

 

हाँ  सोना !! मौसम तो बहुत प्यारा हो रहा है। अब उसने किताबें बंद कर दी।

 

चलो! इस नदी में  नौका  विहार करते हैं। सोना खुश होते हुए बोली।

 

तुम्हारा दिमाग खराब है, नदी का पानी उफान पर है। खतरे के निशार से ऊपर। नंदन ने उसे चेतावनी दी।

 

ठीक है, फिर झूला डालते है।

 

रस्सी साथ लानी थी न!!!

 

ओह!! नंदु सुबह सुबह किसका मुँह देखा था, जो हर काम में टांग अड़ा रहें हो सोना ने चिढ़कर कहा तो रिमझिम हँसने लगी।

 

वैसे तुमने बताया नहीं कि तुम राजवीर के साथ फिल्म देखने को क्यों तैयार हो गई थी।

 

“मेरा मन कर रहा था, और कुछ!!! वैसे भी यह मेरी ज़िन्दगी है, जो चाहे वो करो!!!” उसके इस ज़वाब से निहाल की त्योरियाँ चढ़ गई पर उसने कहा कुछ नहीं।“ तभी राजवीर हाथ में रस्सी लेकर आ गया और सोना को कहने लगा, “चलो झूला डालते हैं।“ सोनाली ख़ुश हो गई। रिमझिम और नंदन नन्हें के चेहरे के हावभाव देखकर समझ गए कि उसे बुरा लगा गया है।

 

“दूसरों का ख़्याल करने की बजाय अपने भाई के बारे में  भी सोच लिया कर।“ राजवीर ने उसे घूरते हुए  कहा, “अपने काम से काम रख। वरना!!! अच्छा नहीं होगा।“

 

“वरना! क्या कर लेगा।“ निहाल ने ताव में आकर कहा। “अगर तुम लोगों ने लड़ाई करनी है तो हम यहाँ से जा रहें हैं, चल सोना !!” रिमझिम ने कहा तो वे दोनों पीछे हट गए। अब पेड़ पर झूला डाला गया। सोनाली झूला झूल रही है और राजवीर उसके झूले को धक्का दे रहा है। अब वह उतरी तो रिमझिम बैठ गई। मुझे कौन धक्का देगा। “नंदन दे देगा, क्योंकि मैं तो तुम्हारे साथ बैठकर झूला झूलूँगा।“ निहाल के मुँह से यह सुनकर रिमझिम सोना और नंदन हैरान होने लगे और राजवीर रघु के साथ वही पेड़ के पास आराम से बैठ गया, “चलो! ताश खेलते हैं।“

 

नंदन झूले को धक्का दे रहा है और नन्हें और रिमझिम दोनों आराम से झुला झूल रहें हैं। सोनाली  राजवीर के साथ ताश खेल रही है, मगर उसका ध्यान उन दोनों पर ही है। रिमझिम को समझते देर नहीं लगी कि नन्हें ने सोनाली को जलन महसूस करवाने के लिए यह किया है।  उसे इस बात का बुरा तो लगा, मगर वह नन्हें के साथ बैठकर खुश है। 

 

रात को जमींदार गिरधारी चौधरी पूरे परिवार के साथ खाना खा रहें हैं।  उनकी बहू मधु सबको खाना परोस  रही है। “सुना है,  तुमने फ़ोन ले लिया?” “बहुत पुराना फ़ोन है, बापू, कभी भी साथ छोड़ सकता है।“  बिरजू ने मुँह बनाकर कहा। फिर तभी उसके फ़ोन की घंटी बजी तो बिरजू जाने के लिए हुआ, मगर जमींदार ने उसे रोकते हुए कहा, “तुम खाना खाओ, राजवीर तू  उठ।“ “कहीं यह निर्मला का फ़ोन हुआ तो!!!??” बिरजू के गले में  रोटी अटक  गई।