Dagdu Seth Ganesh Temple in Hindi Travel stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | दगड़ू सेठ गणेश मंदिर

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दगड़ू सेठ गणेश मंदिर

जून में अचानक पुणे जाना पड़ा।वहाँ पर अपने साले के घर पर रुका था।उसका फ्लेट लोहे गांव में है।एक दिन वह बोला गणेश मंदिर चलते हैं।
कौनसे
दगड़ू सेठ
औऱ टेक्सी बुक कर ली थी।वहां से करीब एक घण्टे का रास्ता था।हम सात लोग गए थे।
महाराष्ट्र में गणेशजी की विनायक नाम से पूजा होती है।यहां पर गणेश के बहुत प्राची न मन्दिर है।पूरे महाराष्ट्र में गणेशोत्सव बहुत ही धूमधाम से औऱ भव्य रुप मे मनाया जाता है।
पुणे बहुत ही प्रशिद्ध और प्राचीन शहर है।यह महाराज शिवाजी की राजधानी भी रहा है।पुणे में गणेशजी के आठ मन्दिर सौ किलोमीटर के दायरे में है।जिन्हें अष्टविनायक के नाम से जाना जाता है।यह मंदिर स्वयंभू भी है।
स्वयंभू का मतलब है इनकी मूर्ति को किसी के द्वारा बनाया नही गया है।यह स्वयं प्रकट हुए हैं।इनका उल्लेख पुराणों में भी मिलता है।इनके नाम निम्न
मोरेश्वर
सिद्धि विनायक
बल्लालेश्वर
वरदविनायक
चिंतामणी
गिरिजात्मज
विघ्नेश्वर
महागणपति
दगड़ू सेठ हलवाई का काम करते थे।वह कलकत्ता मे रहते थे।उनके एक पुत्र था उस समय हमारे देश पर अंग्रेजो का शासन था।दगड़ू सेठ कलकत्ता छोड़कर अपनी पत्नी और बेटे के साथ पूना चले आये।वह यहाँ पर हलवाई का काम करने के लिए आये थे।उन दिनों प्लेग महामारी फैली हुई थी।उनका बेटा इस बीमारी कि चपेट में आ गया।इलाज के बावजूद उनके बेटे कि मृत्यु हो गयी
बेटे की अकाल मृत्यु ने दगड़ू सेठ हलवाई को विचलित कर दिया।वह मानने लगा कि उसके बेटे की आत्मा को मुक्ति नहीं मिली है।बेटे की आत्मा भटक रही है।उसकी आत्मा को मुक्ति दिलाना जरूरी है।इसके लिय क्या करे?उन्होंने अपनी पीड़ा कई लोगो को बताई तब किसी ने उन्हें पंडित से मिलने की सलाह दी।
दगड़ू हलवाई पुणे के एक पंडित से मिले औऱ उनसे अपने मृत बेटे की आत्मा की शांति का उपाय पूछा।पंडित ने कहा"अगर बेटे की आत्मा की शांति चाहते हो तो भगवान गणेश का मंदिर बनवा दो
दगड़ू सेठ हलवाई को पंडित की सलाह पसन्द आयी।उसने भगवान गणेश का मंदिर बनवाने का कार्य शुरू कर दिया।और पुणे में सन 1893 में गणेश का विशाल मंदिर बनवाया।इस मंदिर में स्थापित भगवान गणेश कि मूर्ति में 8 किलो सोने का प्रयोग किया गया है।यह प्रतिमा साढ़े सात फ़ीट ऊंची और 4 फ़ीट चौड़ी है।इस प्रतिमा के दोनों कान सोने के है।इसका मुकुट 9 किलो वजन का है।प्रतिमा को पहनाई जाने वाली जेवेलरी सोने की है इस मंदिर को दगड़ू सेठ हलवाई मन्दिर या दगड़ू सेट मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है।
यह मंदिर महाराष्ट्र का दूसरा सबसे बड़ा मन्दिर है।सिद्धि विनायक के बाद।यह मंदिर जब चर्चा में आया जब लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इस मंदिर से गणेश उत्सव की शुरुआत की।हर साल गणेश उत्सव यहा पर बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।इसकीगिनती विश्व के मंदिरों में होती है।
और हम मन्दिर पहुंच गए थे।पूजन सामग्री की अनेक दुकाने है।मन्दिर बाहर से देखने मे ही भव्य लगता है।अंदर प्रवेश के लिए लाइन में लगना पड़ता है।वरिष्ट नागरिकों का ध्यान रखा जाता है।हम गए उस समय ज्यादा भीड़ नही थी।जल्दी ही दर्शन हो गए थे।मन्दिर द्वारा सामाजिक कार्य भी किये जाते हैं।दर्शन करके मन को शांति मिली थी।
अगर आप कभी पुणे जाए तो समय निकाल कर दगड़ू सेठ हलवाई के गणेश मंदिर के दर्शन करने के लिए जरूर जाए