Bairy Priya - 17 in Hindi Love Stories by Wishing books and stories PDF | बैरी पिया.... - 17

The Author
Featured Books
  • શ્રાપિત પ્રેમ - 18

    વિભા એ એક બાળકને જન્મ આપ્યો છે અને તેનો જન્મ ઓપરેશનથી થયો છે...

  • ખજાનો - 84

    જોનીની હિંમત અને બહાદુરીની દાદ આપતા સૌ કોઈ તેને થંબ બતાવી વે...

  • લવ યુ યાર - ભાગ 69

    સાંવરીએ મનોમન નક્કી કરી લીધું કે, હું મારા મીતને એકલો નહીં પ...

  • નિતુ - પ્રકરણ 51

    નિતુ : ૫૧ (ધ ગેમ ઇજ ઓન) નિતુ અને કરુણા બીજા દિવસથી જાણે કશું...

  • હું અને મારા અહસાસ - 108

    બ્રહ્માંડના હૃદયમાંથી નફરતને નાબૂદ કરતા રહો. ચાલો પ્રેમની જ્...

Categories
Share

बैरी पिया.... - 17

संयम ग्लास विंडो से बाहर झांक रहा था । उसे वो दिन याद आया जब उसने पहली बार शिविका को देखा था । संयम याद करते हुए यादों में खो गया ।


फ्लैश बैक... :

शाम का वक्त :


शाम का वक्त था और हल्का अंधेरा होने लगा था
। संयम अपनी गाड़ी में बैठा दक्ष के वहां आने का इंतजार कर रहा था । घायल होने के बावजूद दक्ष एक डील करने गया हुआ था जो उनके illegal कामों से जुड़ी थी ।




अक्सर इन डील्स में सामने रहने वाला चेहरा दक्ष का ही होता था । SK के नाम पर डील्स होती थी लेकिन उन्हें अंजाम दक्ष देता था अपनी प्रेजेंस की मोहर लगाकर ।


दुल्हन के जोड़े में शिविका बोहोत तेज़ी से सड़क पर भागे जा रही थी । सड़क पर कुछ आगे खड़ी गाड़ी में लगे बैक मिरर से अंदर बैठे संयम ने उसे देखा ।




संयम की नज़र उसपर ठहर गई । चेहरे पर घबराहट और डर से लकीरें बनी हुई थी और नंगे पांव वो भागी जा रही थी । कुछ आगे आकर वो लहंगे में फंस कर गिर पड़ी पर फिर वापिस से खड़ी होकर भागने लगी । उसके पीछे कुछ लोग भी भाग रहे थे । संयम ने अपना फोन देखा और गाड़ी से नीचे उतर गया ।




उसी वक्त शिविका भी उसकी गाड़ी के पास पहुंची और जैसे ही संयम गाड़ी से बाहर निकला तो शिविका जाकर उससे टकरा गई । शिविका पलटकर गिरने लगी तो संयम ने उसे कमर से पकड़कर संभाल लिया । शिविका तिरछी उसकी बाहों में गिर गई ।




संयम शिविका की आंखों में देखने लगा.... । संयम ने फेस मास्क लगाया हुआ था तो शिविका उसका चेहरा नहीं देख पा रही थी और आंखों पर उसने गॉगल्स चढ़ाए हुए थे तो उसकी आंखें भी शिविका को नहीं दिखाई दी । और उपर से अंधेरा सा होने लगा था तो शिविका को कुछ ठीक से नजर भी नही आ रहा था ।


संयम उसे पकड़े खड़ा रहा । कुछ आवाजें आने पर शिविका ने जल्दी से उसे कंधे से पकड़ा और आगे भागने के लिए सीधी खड़ी होने की कोशिश करने लगी । पर संयम ने उसे नही छोड़ा । उसकी पकड़ बोहोत मजबूत थी । शिविका ने उसकी चेस्ट पर हाथ रखकर उसे दूर धकेलना चाहा पर संयम पर कोई असर नहीं हुआ । उसने कोई रिएक्शन नहीं दिया बस एक टक शिविका को देखता रहा ।


लड़के आकर उनके पास खड़े हो गए ।


एक लड़का बोला " उसको हमारे हवाले कर दो... । पहले हमारी नज़र पड़ी थी इसपे..... तुम बाद में ले जाना..... " । आवाज आने पर संयम ने पीछे देखा तो 5 से 6 लड़के खड़े थे ।


संयम शांत खड़ा रहा फिर शिविका को देखने लगा । शिविका घबराई हुई नजरों से उन लड़कों को देखने लगी । उसने संयम के कोट को कसकर पकड़ लिया । संयम ने अपने कोट पर कसे शिविका के गोरे हाथों को देखा ।


तभी दूसरा लड़का बोला " oye सुनाई नहीं दिया क्या... ?? लड़की इधर भेज... । अगर हमे गुस्सा आया ना तो बोहोत बुरा होगा... । ये सूट बूट किसी काम नहीं आएगा.... जब हम धुलाई करेंगे.. । लड़की को इधर दो और निकलो..... " । संयम ने गर्दन टेढ़ी की और एक गहरी सांस ली । संयम ने मुट्ठी कस ली... और तिरछी नजरों से लड़कों को देखने लगा ।


ड्राइवर गाड़ी से बाहर निकला और बोला " तुम्हे पता भी है किससे बात कर रहे हो... ?? इज्जत से बात करो..... " ।


लड़के हंसने लग गए ।


" अरे कौन सा सुपर हीरो है.. और काहे की इज्जत... । सारी अकड़ यहीं निकाल देंगे.... । चल अब लड़की को छोड़ और जा यहां से.... वर्ना.... " बोलते हुए लड़के से अपनी जेब से चाकू निकालकर हाथ में ले लिया ।


शिविका ने देखा तो उसकी जान हलक में आ गई । वो भागना चाहती थी लेकिन ये कौन इंसान था जो उसे पकड़े हुए खड़ा था । संयम की आंखें लाल पड़ चुकी थी । पर वो खामोश खड़ा रहा ।


संयम ने शिविका को खुद से दूर किया और खुद उन लड़कों की ओर घूम गया । शिविका उसके पीछे खड़ी हो गई । उसने संयम का चेहरा बिल्कुल नहीं देखा था ।

" क्या मतलब तुम बाद में ले जाना..... " पूछते हुए संयम ने होंठों को रोल किया ।




" मतलब पहले ये हमारे पास आयेगी... । फिर चाहिए तो ले जाइयो.... " लड़के ने बेशर्मी से शिविका को देखते हुए कहा ।




संयम ने एक गहरी सांस ली और माथे पर आईब्रो को सिकोड़ कर लकीरें बना ली... ।


" Why do you need her.... ??? " बोलते हुए संयम जेब में हाथ डाले खड़ा हो गया ।


" Huh.... Ha ha ha.... " लड़के हंसने लग गए ।


" अबे.... Oye... तुझे क्यों बताए भई... । तू अपना काम कर हमें अपना करने दे... " ।


" मैने पूछा लड़की क्यों चाहिए...... ?? " संयम ने एक बार फिर दोहराया ।


" बहन बनाना है मिल गया जवाब । अब जा चल... " बोलते हुए एक लड़का आगे आया ।


" अच्छा... तो ले जाओ... । यहीं खड़ी है.... " संयम ने कहा तो शिविका अपने पांव पीछे की ओर लेने लगी । उसके पांव में बंधी पायल से छन छन की आवाज आ रही थी ।


लड़के ने शिविका को देखा और शिविका की ओर बढ़ने लगा । संयम ने कोट का mid बटन खोला और जोरों से एक किक उस लड़के के पेट पर मारी ।
किक बोहोत जोरों की थी जिस वजह से लड़का काफी पीछे जाकर गिरा और जमीन पर अपना पेट पकड़े लोटने और कराहने लगा । ।


संयम ने अपने होठों के किनारे पर अंगूठा फेरा फिर आंखों से गॉगल्स उतारकर गाड़ी पर रखते हुए बोला " और किसी को भी ले जाना है क्या... ??? तो आओ आगे... "।


शिविका अब अपनी जगह पर ही खड़ी हो गई और संयम को देखने लगी । उसे वो ठीक से दिखाई नही दे रहा था । बस उसकी बैक से एक रिफ्लेक्शन ही वो देख पा रही थी । शिविका अब समझ चुकी थी कि संयम उसकी ही तरफ है ।


संयम ने स्लीव्स फोल्ड कर उन लड़कों की ओर कदम बढ़ा दिए....। लड़के भी उससे लड़ाई करने को बिल्कुल तैयार खड़े थे ।


लड़का चाकू लेकर आगे आया तो संयम ने झटके से उसका हाथ घुमाकर उसके पेट में वो चाकू उसी के हाथों से घोंप दिया । लड़का जोरों से चिल्लाया ।
संयम की आंखों कोई भाव नहीं आया । उसकी आंखें बिल्कुल सर्द थी । उसका औरा भी बोहोत डरावना सा था ।


शिविका ने आंखों पर हाथ रख दिए । और फिर उंगलियों के बीच में से झांककर देखने लगी ।


एक के बाद एक को संयम ने एक ही मिनट में बोहोत बुरी तरह से घायल कर दिया । लड़के जमीन पर पड़े कराहने लगे । शिविका ने संयम को उन लोगों को मारते देखा तो कुछ पल को वो भी डर गई थी ।




संयम का हर बार बोहोत सटीक था सामने वाला उसके बाद उठने के लायक नहीं बचता था । और वो शिविका अभी देख भी सकती थी ।


शिविका ने पीछे से आती कुछ जानी पहचानी गाड़ियों को देखा तो उसकी आंखें दर से बड़ी हो गई वो जल्दी से वहां से भाग गई । उसके भागने से आ रही पायलों की छन छन की आवाज संयम के कानों में पड़ रही थी । संयम को पता था कि लड़की भाग रही है लेकिन उसने मुड़कर नहीं देखा ।


गाड़ियां संयम के पास आकर रूकी तो उसमे से दक्ष और बॉडीगार्ड्स थे । उन्हीं को देखकर शिविका वहां से भाग गई थी ।


" अनिरुद्ध पाठक... सजी हुई गाड़ी लिए.. यहीं घूम रहा है SK.... " बोलते हुए दक्ष संयम के सामने आकर खड़ा हो गया । उसके हाथ पर पट्टी बंधी हुई थी । वो नीचे पड़े कराहते हुए लड़कों को देखने लगा ।


" आज उसका आखिरी दिन है... " बोलकर संयम गाड़ी में वापिस से जाकर बैठ गया ।


फ्लैश बैक एण्ड....... ।


संयम ने ड्रिंक पी ली थी और अब वो सिगरेट सुलगा रहा था । पहले दिन की मुलाकात में ही संयम शिविका की आखों में खो गया था ।


अब तक शिविका से बेरुखी दिखाने का कारण सिर्फ उसका राठी के साथ मिला होना था लेकिन जब संयम ने find out किया कि शिविका उससे नही मिली तो अब उसको टॉर्चर करने की वजह नही बची थी ।


" मैने किसी को टॉलरेट नहीं किया है शिविका चौधरी.... । आखिर कौन हो तुम... ??? कोई अंजान हो या कोई नाता है हमारा... ?? सिर्फ इत्तेफाक है या ये मकसद है तुम्हारा... ??? आंखें सच बताती है या चेहरे पे चेहरा है तुम्हारा... ?? । मुझसे टकराना फिर भाग जाना.... और फिर अचानक से शादी का पूछना... । सब यूं ही तो नहीं हो सकता ना.. । " बोलते हुए संयम के भाव गहरे थे और आंखें छोटी थी ।


वहीं शिविका को सोफे पर बैठे बैठे ही नींद आ गई थी । वो आड़ी तिरछी होकर सोफे पर नींद के आगोश में चली गई ।