Devil Ceo's Sweetheart - 37 in Hindi Love Stories by Saloni Agarwal books and stories PDF | डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 37

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डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 37

अब आगे,

 

रूही ने अब तक अपना सारा काम निपटा लिया था और वो जैसे ही अपने हाथ धोकर रसोई घर से निकल ही रही थी तभी उस की सौतेली मां कुसुम वहा पहुंच गई..!

 

और अब वहा पहुंच कर सारे बर्तनों में अभी अभी बना हुआ खाना देखने लगी और जैसे ही रूही की सौतेली मां कुसुम को लग गया कि सब तैयार हो चुका था तो अब रूही की सौतेली मां कुसुम ने अपनी सौतेली बेटी रूही से कहा, "जा कर अपने कपड़े बदल ले और हां तेरे पास जो कपड़े है वो नही पहने है जब तक तेरा बाप वापस नही चला जाता है तो जो कपड़े मैने रखे हैं तेरे लिए तेरे कमरे में जाकर वो पहन कर जल्दी से बाहर आ जा...!"

 

अपनी सौतेली मां कुसुम की बात सुन कर अब रूही रसोई घर से निकल कर अपने कमरे की तरफ बढ़ गई और वहा रखे कपड़ो को लेकर अपने कमरे के बाथरूम में जाकर बदलने लगी..!

 

रूही अपने कमरे में गई ही थी कि तभी उस के घर की घंटी बजने लगी जिस पर पहले तो रूही की सौतेली मां कुसुम ने अपने आप में ही बड़बड़ाते हुए कहा, "अब इतनी रात गए कौन आया होगा वो ऐसा इसलिए भी कह रही थी क्योंकि रूही के पिता अमर ने तो अपने आने का समय 11 बजे बताया था और अभी तो 9 ही बज रहे थे...!"

 

रूही के घर की घंटी बार बार बजने लगी जिस से रूही की सौतेली मां कुसुम अपने घर की दहलीज तक आते ही चिल्लाते हुए बोली,  "अरे आ रहे हैं बाबा, वही दरवाजा खोलने वाला चल कर ही तो आयेगा, उड़ कर थोड़ी ना आ जायेगा...!"

 

रूही की सौतेली मां कुसुम ने अपनी बात बोली ही थी कि वही जब उस ने दरवाजे पर रूही के सगे पिता अमर को खड़ा देखा तो भाग कर दरवाजा खोलने के लिए पहुंच गई और दरवाजा खोलते हुए रूही के सगे पिता अमर से पूछने लगी, "अरे आप आज इतनी केसे जल्दी आ गए...?"

 

रूही की सौतेली मां कुसुम की बात सुन कर, अब रूही के सगे पिता अमर ने अपनी दूसरी पत्नी कुसुम पर थोड़ा गुस्सा करते हुए उस से कहा, "क्यू अब मैं अपने ही घर में भी नही आ सकता हु क्या..!"

 

रूही के सगे पिता अमर की बात सुन कर और उन का गुस्सा देख कर अब रूही की सौतेली मां कुसुम ने अपनी सफाई देते हुए अपने दूसरे पति अमर से कहा, "अरे आप ने ही तो कहा था ना..!"

 

रूही की सौतेली मां कुसुम अपनी बात पूरी कर पाती उस से पहले ही रूही के सगे पिता अमर ने अपनी दूसरी पत्नी कुसुम से कहा, "बस बहुत हुआ, मुझे और कुछ भी नही सुनना है...!"

 

रूही के सगे पिता अमर की बात सुन कर अब रूही की सौतेली मां कुसुम चुप हो गई पर मगर अपने ही मन में अपने दूसरे पति अमर को कोसते हुए कहने लगी, "अब इनके मालिक ने इन से क्या कह दिया, जो उस बात का गुस्सा मुझ पर निकल रहे हैं पर एक बात की खुशी भी है कि घर का दरवाजा बंद था, नही तो अगर ये रूही को सारा काम करते देख लेते ना तो पक्का आज मेरी तो शामत ही आ जाती...!"

 

अब रूही के पिता अमर अपने घर की दहलीज को पार कर के अंदर जाकर बरामदे के ठीक सामने वाले अपने कमरे की ओर बढ़ गए और साथ में अपनी दूसरी पत्नी कुसुम से कहा, "तुम खाना लगाना शुरू करो मै मुंह हाथ धोकर और अपने कपड़े बदल कर आता हूं...!"

 

अपनी बात कह कर अब रूही के सगे पिता अमर अपने कमरे की तरफ जाने लगे..!

 

वही अपने दूसरे पति अमर की बात सुन कर अब रूही की सौतेली मां कुसुम अपनी सगी बेटी रीना को उठाने के लिए उस के कमरे में चली गई और उस के कमरे में पहुंच कर अपनी सगी बेटी रीना को उठाते हुए उस से कहने लगी, " उठ जा, रूही का बाप आ गया है और हां तैयार होकर बाहर आ जा जिस ने उस करमजली के बाप को कुछ भी पता ना चले...!"

 

अपनी सगी मां कुसुम की बात सुन कर अब उस की सगी बेटी रीना अपने बेड पर से अंगराई लेते हुए उठ कर बैठ गई और रूही की सौतेली मां कुसुम अपनी सगी बेटी रीना के कमरे से निकल कर अब अपनी सौतेली बेटी रूही के कमरे में पहुंच गई..!

 

और अपनी सौतेली बेटी रूही के कमरे में पहुंच कर उस से लगी जो अभी कुछ देर पहले ही अपने कपड़े बदल कर बेड पर आकर बैठी ही थी, "चल जल्दी से बाहर आ जा और तेरा बाप (अमर) घर आ गया है और उस को खाना लगाने में मेरी मदद करवा...!"

 

अपनी सौतेली मां कुसुम की बात सुन कर रूही जिसे इतना सारा काम कर के थकान हो रही थी वो अब बिना अपनी सौतेली मां कुसुम को कुछ कहे ही धीरे धीरे चल कर रसोई घर में पहुंच गई, क्योंकि उस को पता है कि अगर उसने कुछ कहा तो अभी न सही पर उस के पिता अमर के जाने के बाद उस के साथ क्या होगा..!

 

जहा रूही की सौतेली मां कुसुम अपने दूसरे पति अमर के लिए चाय बना रही थी क्योंकि रूही के सगे पिता अमर को रात के खाने के साथ चाय पीना पसंद था..!

 

और वही रूही खाना परोसने लगी तभी रूही को किसी की आवाज सुनाई दी जो कि उस की सौतेली बहन रीना की ही थी जो उस से बड़े ही प्यार से कह रही थी, "मेरी गुड़िया रानी, जरा मुझे एक गिलास ठंडा पानी तो पीला दे बहन...!"

 

To be Continued......

 

हेलो रीडर्स, यह मेरी पहली नोवेल है। कृपया इसे अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें, मेरी प्रोफाइल को फॉलो करे और कमेंट्स, रिव्यू और रेटिंग के साथ मुझे अपना सपोर्ट दे। अधिक जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी पहली नोवेल "डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट" और अगला भाग केवल "मातृभारती" पर।