nakl ya akl - 28 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 28

The Author
Featured Books
  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

  • All We Imagine As Light - Film Review

                           फिल्म रिव्यु  All We Imagine As Light...

  • दर्द दिलों के - 12

    तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के...

Categories
Share

नक़ल या अक्ल - 28

28

वजह

 

तभी उन्होंने किशोर को आवाज़ लगाई, किशोर!! वह भागता हुआ गया और बुआजी के पैर छूता हुआ बोला, “राम! राम! बुआ जी।“ “राम! राम! मेरे बच्चे।“ उसने उनको गले लगा लिया और इतनी ज़ोर से गले लगा लिया कि बुआ जी का बैलेंस खराब हुआ और वह नीचे गिरने को हुई, यह देखकर लक्ष्मण प्रसाद  उनकी और लपके तो वहीं किशोर भी उन्हें पकड़ने के लिए दौड़ा और तभी उसका बापू वहाँ पहुँच गया  और उनको संभाल लिया। “बहनजी ध्यान से।“ “अरे! लक्ष्मण तुमने बचा लिया, वरना मैं भी नन्हें की तरह पट्टी बाँधकर पड़ जाती। अब वह संभलकर बैठते हुए वहीं चारपाई पर बैठ गई। सरला ने उनको पानी लाकर दिया। ‘काश! यह गिर ही जाती तो मेरा काम कितना आसान हो जाता। हाय !! कितना मतलबी हो गया हूँ मैं।“  उसे अपनी  सोच  पर ग्लानि होने लगी। “मगर में भी क्या करूँ? अगर यह जमाना इतना ज़ालिम न होता तो मैं भी इतनी चालाकियाँ नहीं करता।“ 

 

 

रिमझिम को अपने घर में आया देखकर सोनाली चहकते हुए उसे अपने कमरे में  ले जाती है।  उसकी बहन  निर्मला उन दोनों के लिए लस्सी रखकर चली जाती है।  रिमझिम उससे पूछती है,

 

 

तूने किशोर की शादी में पहनने के लिए कपड़े खरीद लिए?

 

मेरे पास पहले से है, सोना। 

 

मैं तो पहले सब  पहन चुकी थीं  इसलिए नए खरीदे। यह कहकर वह मुस्कुरा  दी। 

 

तू तो कह रही  थीं कि तेरे जीजाजी  नीरू दीदी को लेने आने वाले हैं।  अब उसने ट्रैन वाली सारी  बात उसे बता दीं।  यार! मुझे लगता है कि दीदी हमसे कुछ छुपा रही है। 

 

अच्छा !! तू उन्हें कुछ समय दे वह ख़ुद ही बता देगी। उसने भी हाँ में सिर  हिला दिया।

 

सोना!  मुझे तुझसे कुछ काम था। 

 

हाँ बोल !! अब उसने नीमवती की बेटी के रिश्ते वाली उसे बता दीं। 

 

तू मुझसे क्या चाहती है ?

 

तू राजवीर से उनका पता पूछ दें।

 

इसमें कौन सा बड़ी बात है। कल मिलेगा तो ज़रूर पूछ दूँगी। 

 

 

रात का समय है, पूरे गॉंव में सन्नाटा  है।  आज निहाल का घर बिजली के छोटे छोटे बल्बों  से जगमग  है, जिसके कारण  आसपास भी काफ़ी  रोशनी  हो रही है। निर्मला अपनी छत पर खड़ी उस जगमगाते घर को  देख रही है।  हालाँकि  निहाल का घर दूर  है।  मगर उनकी छत से उसे टिमटिमाती  रोशनी नज़र  आ रही हैं। तभी उसका फ़ोन बजता है।  उसके बापू ने उसके जन्मदिन पर उसे मोबाइल लेकर दिया दिया था।  उसे एक स्मार्ट  फ़ोन तो नहीं कह सकते, मगर वह एक ठीक ठाक मोबाइल है।  उसने सुनील का नंबर देखा  तोपहले सोचा  कि  फ़ोन काट  दूँ मगर फिर उसने फ़ोन उठा ही लिया,

 

हेल्लो !!

 

मैंने सुना है, तेरी  तबीयत  ख़राब  है। 

 

हाँ, पेट सही नहीं चल  रहा ।  उसने मुँह  बनाते हुए  ज़वाब  दिया। 

 

उस दिन तुझे पता था न कि ट्रैन चलने वाली है, मगर फिर भी तूने ड्रामा किया।

 

मुझे सच में  उल्टियाँ  आ रही थी।  उसने उसे सफाई दी।

 

“मैं तेरी हड्डी  तोड़ दूँगा, बदजात औरत। चुपचाप दो चार दिन रहकर वापिस आजा समझी।  वरना   मैं तेरा  वो हश्र करूँगा कि तो सोच भी नहीं सकती। अब उसने फ़ोन रख  दिया और  निर्मला  उसकी धमकी सुनकर काँप  गई। अबकि बार मैं  गई तो यह पता नहीं मेरे साथ क्या करेंगा। पिछली बार तो...... अब उसके सामने गुज़रे हुए कल का एक पल आ गया।

 

“सुनील निर्मला  को जूतों  से मार  रहा है और वह चीखते हुए “बचाओ ! बचाओ!”  कह रही हैं ।  अब उसकी ऑंख  में  आँसू  आ गए और वह उन्हें  पोंछती  हुई चारपाई पर  आकर लेट  गई। 

 

 किशोर और राधा की शादी में  सिर्फ दो दिन बचे हैं। जहाँ राधा ख़ुशी से सो नहीं पा  रही, वही किशोर  को चिंता के कारण  नींद  नहीं आ रही है। उसने देखा उसकी बुआ जी उसके बापू  को लेनदेन के बारे  में  बता रही है और उसके माँ  बाप बड़े  ध्यान से उन्हें सुन  रहें हैं। “बस इनकी कमी  थीं, यह भी इनके कान भरने आ गई।“ वह बुदबुदाते हुए अपने खेतों की ओर निकल गया।

 

सोनाली  और रिमझिम भी राजवीर के खेतों  की तरफ जा रही है।  वह अक्सर  अपने दोस्तों के साथ या फिर कभी  अकेले  वहीं  एक छप्पर के नीचे  बैठा हुआ अपने मोबाइल में लगा रहता है।  आज भी वह वहीं  कर रहा  है।  उसने सोना और रिमझिम को अपने पास खड़ा देखा  तो हैरान  होते  हुए बोला,  “धूप में निकला न करो रूप  की रानी, कहीं गोरा  रंग काला  न पड़  जाए।" यह मसखरी  कहीं  और किया करो।  सोना ने ज़वाब  दिया। 

 

आज तुम्हें मेरी याद कैसे  आ गई?

 

क्या  करें, कभी कभी गधे  को भी बाप बनाना पड़ता है।  राजवीर ज़ोर से  हँसा। 

 

चलो !! मैं बाप बनने लयक तो हूँ। उसके चेहरे पर एक शरारती  मुस्कान  है। रिमझिम  ने उसे  घूरते  हुए, सोना  को कहा, “चल सोना, हम कहीं और से पता कर  लेंगे ।

 

अरे ! रुको !! मैं तो मज़ाक  कर रहा था। बताओ क्या बात है?

 

हमें  नीमवती जी के घर  का पता चाहिए।

 

कौन  नीमवती जी ?

 

वही जिनकी बेटी से तुम्हारे भाई बिरजू का रिश्ता हो रहा है।

 

अच्छा!! वो, पर तुम क्या करूंगी।

 

मुझे नहीं रिमझिम  को उनसे बात करनी  थीं। राजवीर ने फिर से  सवालियाँ नज़रों से दोनों को देखा तो रिमझिम बोल पड़ी,  “वो हम तुम्हें  नहीं बता सकते, बस तुम हमें उनके घर का पता दे दो।

 

अब राजवीर  छप्पर के नीचे उगी घास पर पसरकर लेट गया और कुछ सोचता  हुआ बोला, “पर  एक शर्त  पर यह का करूँगा।“  “रहने दे सोना, हम कुछ और देख  लेंगें।  उसने सोना का जाने के लिए हाथ  पकड़ा, मगर सोना ने उसे रोकते  हुए कहा, “पहले  इसकी शर्त तो सुन लेते  हैं।“  “तुम्हें  मेरे साथ शहर  के एक हॉल  में  फिल्म देखनी   होगी।“  सोनाली  को उससे  कुछ  ऐसी  ही उम्मीद थीं, अब रिमझिम  चिढ़कर  बोली, “चल सोना चले।“ 

 

सोच  लो, मेरे लिए यह काम करना आसान  है और तुम मेरे घर में  किसी और से पूछ  भी नहीं सकती।  उसने इतराते हुए कहा।

 

क्यों  नहीं पूछ सकते,  हम मधु  भाभी  से पूछ  लेंगे। 

 

भाभी, तुम्हें इसकी  वजह जाने बिना छोड़ देगी। अब सोनाली और रिमझिम दोनों उसकी बात सुनकर  सोच में  पड़  गए।