Bairy Priya - 4 in Hindi Love Stories by Wishing books and stories PDF | बैरी पिया.... - 4

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बैरी पिया.... - 4

शिविका ने पंडित जी को प्रणाम किया और गठबंधन का कपड़ा और अपना लहंगा उठाए लंगड़ाते हुए मंदिर से नीचे उतर गई ।

शिविका गाड़ी में आकर बैठ गई जिसमे संयम पहले से ही बैठा हुआ था । उसके चेहरे पर अब फिर से कोई भाव नहीं थे ।

शिविका का लहंगा बोहोत भारी और फैलाओ वाला था जिस वजह से वो गाड़ी में बोहोत जगह घेर रहा था । हालांकि गाड़ी काफी बड़ी थी लेकिन फिर भी शिविका उस लहंगे के साथ ढंग से नहीं बैठी थी । ड्राइवर ने गाड़ी को चला दिया ।

संयम के चेहरे के भाव गहरे थे ।

" Take it off....... " संयम गुस्से से चिल्लाया.. ।

शिविका ने घबराते हुए झटके से उसकी ओर देखा । शिविका समझ गई थी कि संयम लहंगे के लिए बोल रहा था ।

" मेरे पास कपड़े नही है पहनने को... " । शिविका ने शांति से जवाब दिया ।

" हमारी शादी हो चुकी है राइट..... " बोलते हुए संयम ने शिविका को देखा तो शिविका हैरान निगाहों से उसे देखने लगी । आखिर संयम कहना क्या चाहता था । शादी हो चुकी है से उसका क्या मतलब था ।

संयम ने शिविका का हाथ पकड़कर उसे अपनी ओर खींच लियाााा । शिविका संयम के उपर आ गई और उसके सीने पर शिविका के हाथ चले गए ।

संयम ने उसके दुप्पटे को उसके सिर से हटाकर पीछे डिक्की में फेंक दिया । दुपट्टे में लगी pins को नही निकाला गया था जिस वजह से शिविका के बाल बोहोत बुरी तरह से खिंच गए और उसकी आह निकल गई ।

संयम के चेहरे पर कोई भाव नहीं आए । संयम उसके लहंगे की डोर खोलने लगा तो शिविका ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखकर उसे रोकते हुए कहा " नहीं.... मैं ऐसा नही कर सकती.... " ।

शिविका सहम गई थी । उसने आगे बैठे ड्राइवर को देखा जिसके चेहरे के भाव बिल्कुल शांत थे । उसका ध्यान सिर्फ गाड़ी चलाने पर था उसके अलावा उसकी आंखें कहीं move नहीं कर रही थी ।

लेकिन फिर भी शिविका को बोहोत अजीब लग रहा था ।

" Stop the car... " संयम ने तेज आवाज में कहा तो ड्राइवर ने एकदम से गाड़ी रोक दी । संयम ने शिविका को खुद से दूर धक्का दे दिया । और गाड़ी से बाहर निकल गया । फिर उसने शिविका को बाजू से पकड़कर घसीटते हुए गाड़ी से बाहर निकाल दिया ।

संयम का इशारा समझ कर ड्राइवर ने जल्दी से डिक्की खोल दी । संयम ने शिविका को डिक्की में धक्का देते हुए कहा " so here is your place.... " बोलकर उसने डिक्की झटके से बंद कर दी ।

शिविका का पैर डिक्की के दरवाजे में आते आते बचा । कुछ सेकेंड्स पहले ही उसने पांव अंदर खींच लिया था । वो सहमी हुई सी सांसें लेने लगी ।

संयम गाड़ी में बैठा और ड्राइवर ने गाड़ी चला दी ।
शिविका ने सिसकते हुए अपने बालों से फंसी pins को निकाला और अपने बालों को खोल दिया । उसके बाल उसके उपर बिखर गए । और उसकी कमर से नीचे तक किसी सांप की तरह फिसलते हुए लटक गए ।

डिक्की में शिविका आड़ी तिरछी बैठी हुई थी । लेकिन संयम की बात मानने से अच्छा उसे यही लग रहा था । अपने घुटनों को समेट कर वो आगे की सीट से टेक लगाकर बैठ गई । और उसने आंखें बंद कर ली.... ।

संयम ने आगे के शीशे में उसे देखा और फिर सीट से सिर टिका लिया और आंखें बंद कर ली... ।

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कुछ देर बाद एक बड़े से विला के बाहर संयम की गाड़ी आकर रूकी ।

संयम गाड़ी से उतरा और अंदर चला गया ।

ड्राइवर ने डिक्की खोली तो शिविका भी बाहर निकल आई । ड्राइवर गाड़ी लेकर चला गया । शिविका खामोश आंखों से किसी लॉस्ट चाइल्ड की तरह villa को देखने लगी । जहां तक शिविका की नजर जा सकती थी वहां तक ये villa फैला हुआ था । हर तरफ लाल रंग की रोशनी थी जो बोहोत फीकी थी ।

शिविका को समझ नहीं आया कि उसे जाना कहां है । जिस दरवाजे के बाहर गाड़ी रुकी थी शिविका उसी दरवाजे की ओर चल पड़ी ।

दरवाजा खुला हुआ था । शिविका अंदर गई तो हल्की पीली और लाल रोशनी हर तरफ फैली हुई थी । माहौल बोहोत डरावना लग रहा था ।

सामने एक बड़ा सा हॉल था जिसके दोनो तरफ कई सारे कमरों के लिए दरवाजे थे । उपर जाने के लिए दो तरफ से चौड़ी चौड़ी सीढियां बनी थी ।

शिविका ने उपर कि और देखा तो ऊंचाई देखकर उसका सिर चकराने लगा ।

Ceiling बोहोत ऊंची थी और इस वक्त अंधेरे में तो शिविका को ये भी नहीं दिखाई दे रहा था कि सीलिंग होगी भी या नहीं ।

जहां तक देखो वहां तक गोल गोल घूमकर उपर की ओर जाती हुई सीढियां थी । और उन गोल घूमती सीढ़ियों के नीचे खड़ी शिविका उनको देखे जा रही थी ।

बोहोत नेगेटिव vibe शिविका को वहां पर आ रही थी । शिविका के चलने की भी आवाज गूंजते हुए वापिस उसके कानो मे सुनाई पड़ रही थी ।

शिविका को समझ नही आया कि अभी वो किस ओर जाए । हवेली किसी भूल भुलैया से कम नहीं थी ।

पास के दरवाजे के पास जाकर शिविका ने खोलना चाहा तो दरवाजा नहीं खुला । शिविका ने दरवाजे को देखा तो उसपर कोई ताला नहीं लगा था । लेकिन एक फिंगर सेंसर जरूर लगा हुआ था । शिविका समझ गई कि दरवाजा डिजिटली locked है.. ।

तभी एक आवाज को सुनकर शिविका ने पलटकर देखा तो ऊपर से एक लिफ्ट आकर ग्राउंड फ्लोर पर रुकी । लिफ्ट इकलौती ऐसी जगह थी जहां से शिविका को पूरी हवेली के मुकाबले थोड़ी ज्यादा रोशनी आती दिख रही थी ।

शिविका ने कुछ सोचा और फिर धीमे कदमों से लिफ्ट की ओर बढ़ गई । लिफ्ट में देखा तो सिर्फ एक ही बटन था जो टॉप फ्लोर पर जाने के लिए था । उसके अलावा ये लिफ्ट बीच में कहीं नहीं रुकती थी ।

लिफ्ट अभी नीचे आई थी मतलब अभी कोई इस लिफ्ट से उपर गया था । शिविका के अंदाजे से वो इंसान संयम ही होगा । शिविका ने button दबा दिया तो लिफ्ट उपर की ओर चल दी ।

उसे डर सा लग रहा था । लेकिन ये रास्ता उसने खुद चुना था तो अब उसे इस रास्ते पर चलना ही था । जैसे जैसे लिफ्ट उपर जा रही थी । शिविका का दिल घबरा रहा था । जब तक लिफ्ट को बटन दबाकर नीचे ना भेजा या बुलाया ना जाए वो नीचे नहीं आती और अगर लिफ्ट शिविका के बिना बटन दबाए ही नीचे आ गई थी तो मतलब उसे नीचे जान कर भेजा गया था । ताकि शिविका उसमे उपर आए... ।

लिफ्ट का दरवाजा खुला तो शिविका बाहर निकल आई । उसकेेेे दिल की धड़कन तेज थी और उसे goosebumps भी आ रहे थे ।

शिविका के सामने एक गैलरी थी जिसमे कई सारे डायरेक्शंस थे । शिविका ने नजरें दौड़ाई तो सारे दरवाजे लॉक्ड थे बस उसके सामने वाला दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था ।

शिविका धीमे कदमों से उस ओर बढ़ गई । दरवाजे को हल्का सा अंदर की ओर धकेल कर उसने अंदर झांका ।

कमरा पूरा खाली था शिविका दरवाजे से अंदर आ गई । और कमरे को देखने लगे तो कमरा बहुत बड़ा था । हल्की पीली रोशनी कमरे में फैली हुई थी लेकिन फिर भी कमरा अंधेरे भरा ही लग रहा था ‌।

शिविका को यह हवेली किसी भूतिया हवेली से कम नहीं लग रही थी । यहां हर कोने में या तो अंधेरा पसरा था या फिर पीली और लाल रंग की बत्तियां जल रही थी । इसके अलावा यहां कोई रोशनी नहीं थी ‌।

कमरे का इंटीरियर पूरा काले रंग का था । फिर चाहे तो पदों का रंग हो , दीवारों का रंग हो या फिर वहां पर रखे सामान का ‌।

शिविका के पेट से गुड़ गुड़ की आवाज आने लगी तो उसने अपने पेट पर हाथ रख लियाााा । उसे बहुत जोरों से भूख लगी थी । लेकिन यहां पर कहां जाकर वो क्या खाए उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था ।

शिविका बहुत थक भी चुकी थी उसने इधर-उधर देखा फिर जाकर बेड पर बैठ गई । और वहां बैठे-बैठे ही उससे नींद आ गई ।

उसका चेहरा एक तरफ को ढल गया । और उसकी स्ट्रैच्ड neck के साथ-साथ उसकी कॉलर बोन भी दिखाई देने लगी ।

कुछ देर बाद टावर लपेटे हुए संयम बाथरूम से बाहर निकला । उसके बाल गीले थे और उन में से पानी की बूंदें टपक रहे थे । उसकी वेल shaped chest पर से भी पानी की बूंदे फिसल रही थी ।

उसने सिवाय towel के और कुछ नहीं पहना था ।
संयम जैसे ही बाहर आया तो उसकी नजर बेड पर सो रही शिविका पर गई । हल्की पीली रोशनी में भी शिविका का चेहरा चांद की तरह चमक रहा था ।
नींद में भी उसके चेहरे पर परेशानी की लकीरें नजर आ रही थी ।

संयम ने उसका चेहरा देखा तो देखता ही रह गया । शिविका के लंबे लंबे बाल उसके उपर बिखरे हुए थे । शादी के लाल जोड़े में वो बला की खूबसूरत लग रही थी ।

शिविका ने दुपट्टा साइड रख दिया था । चोली शिविका को perfectly fit थी जिसमे उसके परफेक्ट फिगर का पता चल रहा था । चोली बैकलेस थी जिसमें शिविका की पीठ भी एक तरफ से दिखाई दे रही थी और उसकी कमर और नाभि भी संयम देख सकता था ।

संयम के कदम शिविका की ओर बढ़ चले । शिविका के पास पहुंचकर... संयम bed पर बैठ कर उसके चेहरे पर अपनी उंगली चलाने लगा । किसी का स्पर्श अपने चेहरे पर पाकर शिविका ने झट से आंखें खोल ली ।

सामने संयम को देखकर शिविका झट से सीधी होकर बैठ गई । और घबराई नजरों से संयम को देखने लगी । उसकाा दिल जोरों से धड़कने लगा ।

संयम को बिना शर्ट के देखकर शिविका ने अपना चेहरा‌ दूसरी ओर घुमा लिया । संयम ने अपना एक घुटना बेड पर टिकाया और अपने दोनों हाथ शिविका के दोनों और रखकर उसके ऊपर झुकने लगा । शिविका की धड़कने रुक रुक कर चलनेेनेे लगीी । उसने अपनी आंखें बंद कर ली । और अपनेे लहंगे को मुट्ठी में भर लिया ।

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