Purani haveli ka rahasya in Hindi Thriller by Dheeraj Kumar Nishad books and stories PDF | पुरानी हवेली का रहस्य

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पुरानी हवेली का रहस्य

सूनसान गहरी रात की सिसकियों के बीच, एक अंधेरे जंगल में एक पुरानी हवेली खड़ी थी। इस हवेली की कहानी सुनकर लोगों के रूह कांप जाती थी। हवेली के अंदर की सच्चाई के बारे में बहुत कुछ कहा जाता था, लेकिन किसी को भी इसका रहस्य नहीं पता था। रात के समय, जब चाँदनी आकाश को अपनी रोशनी से झिलमिलाती थी, उस समय हवेली से सिर्फ एक ही बात सुनाई देती थी - भयंकर रोना।क्या यह सभी बातें केवल एक भ्रम हैं, या कुछ अत्यंत अद्भुत और डरावने सत्य का पर्दा फाश करेंगे? यह सच्चाई सिर्फ हवेली के अंदर छिपी है, जो जानने के लिए बहुत कुछ करना पड़ेगा।

जंगल की गहराईयों में, हवेली के पास एक छोटा सा गाँव था। लोग कहते थे कि वहाँ के लोग रात को हवेली से डर डर कर गुजरते थे, और उन्हें वहाँ के अत्यंत भयानक घटनाओं के बारे में डर होता था। गाँव के लोग न केवल हवेली से बच्चों को धमका कर डराते थे, बल्कि यह भी कहते थे कि रात को हवेली के पास न जाना, क्योंकि वहाँ आत्माओं की गहरी आवाज़ सुनाई देती थी। वहाँ के लोगों के इन कथाओं के बारे में सुनकर, एक नौजवान युवक, अर्जुन, ने निश्चय किया कि वह इस रहस्यमय हवेली का सच जानकर ही रहेगा। रात के अंधेरे में, उसने अपना सामान संग लिया और हवेली की ओर चला। हवेली के पास पहुँचकर, उसने अपने दिल को संभाला और दरवाजे पर धीरे से दस्तक दी। दरवाजे के के पीछे से आवाज आई, "कौन है?""मैं अर्जुन हूँ। मुझे यहाँ के रहस्य को जानने का शौक है," उसने धीरे से उत्तर दिया। दरवाजा खोला गया और अर्जुन को अंदर बुलाया गया। हवेली के अंदर की आवाजें और यह वातावरण उसे भयभीत कर रहा था, लेकिन वह अपनी हिम्मत नहीं हारा।

अर्जुन ने हवेली के अंदर धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए और हवेली के हर कोने को गौर से देखने लगा। दीवारों पर लटकी हुई चित्रों के साये, जालीदार खिड़कियों से आई रात की ठंडक, और आवाजों का एक मिश्रण उसे डरावना महसूस हो रहा था।धीरे-धीरे, वह एक पुराने कमरे में पहुँचा, जिसके दरवाजे का ताला बंद था। उसने धीरे से दरवाजे को खोला और कमरे में प्रवेश किया। अंधेरे में, वह एक चमकीली चित्रकला के सामने खड़ा हुआ, जिसमें एक सुंदर स्त्री का चित्र था। अर्जुन की नजरें चित्र से हटीं और उसने कमरे के कोने की ओर देखा। वहाँ एक पुरानी बुक रखी हुई थी, जिसके पेजेस थोड़े फटे हुए थे। उसने धीरे से बुक को खोला और पहले पेज पर देखा। पेज पर लिखा था:"जब रात का अंधेरा छाने लगता है, और आवाजों की गहराई में डूब जाता है ये दिल, तो बस ये समझो कि हवेली में हो रही है खोज एक नए अनजाने सच की।"अर्जुन के हृदय में एक अजीब सी चिंगारी उठी। क्या यह बुक उसे इस हवेली के रहस्य का उत्तर दे सकती है?


अर्जुन ने किताब के अगले पन्ने को पलटा। पन्नों पर लिखावट इतनी पुरानी थी कि मुश्किल से पढ़ी जा सकती थी, लेकिन उसने अपने हृदय की धड़कन को स्थिर करते हुए ध्यानपूर्वक पढ़ना शुरू किया। किताब में हवेली के इतिहास के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें लिखी हुई थीं।


"इस हवेली का निर्माण 17वीं सदी में राजा विक्रम सिंह द्वारा किया गया था। कहा जाता है कि राजा ने यहाँ एक दुर्लभ रत्न छिपाया था, जिसे 'कालद्रव्य' कहा जाता था। इस रत्न में अत्यंत शक्तिशाली और रहस्यमयी शक्तियाँ थीं। लेकिन इस रत्न की खोज ने हवेली को अभिशप्त कर दिया।"अर्जुन का उत्साह और बढ़ गया। उसने आगे पढ़ा:"रत्न की खोज करने वालों में से कोई भी जीवित नहीं बचा। हवेली में आत्माओं की आवाजें सुनाई देने लगीं और लोगों ने यहाँ आना बंद कर दिया।


लेकिन कहा जाता है कि जो कोई भी इस रत्न को खोज निकालेगा, उसे अनंत शक्तियाँ प्राप्त होंगी।"यह पढ़कर अर्जुन की आँखों में चमक आ गई। क्या यह रत्न अभी भी यहाँ है? उसने बुक को और पलटा, लेकिन अगले पन्ने पर कोई लिखावट नहीं थी। यह बुक जैसे कि आधी ही अधूरी थी। अब उसे इस रहस्य को सुलझाने का जुनून सवार हो गया।वह कमरे से बाहर निकलकर हवेली के अन्य हिस्सों की ओर बढ़ा।


हर कोने में उसे कुछ न कुछ अजीब लगता। पुराने फर्नीचर, धूल से भरी वस्त्र और हवा में तैरती हुई फुसफुसाहटें उसे बेचैन कर रही थीं। लेकिन उसका मनोबल मजबूत था।जैसे ही वह हवेली के पिछ्ले हिस्से पर पहुँचा, उसे वहाँ एक पुरानी सीढ़ी दिखी, जो हवेली के तहखाने की ओर जाती थी। उसने धीरे से सीढ़ियों पर कदम रखा और नीचे उतरने लगा।


हर कदम के साथ अंधेरा और गहरा होता जा रहा था। अचानक, एक हल्की सी रोशनी दिखी। उसने देखा कि तहखाने के अंदर एक और कमरा था, जिसकी दीवारों पर कुछ अजीबोगरीब चित्र बने हुए थे।अर्जुन ने तहखाने के कमरे में कदम रखा और देखा कि वहाँ एक पुराना संदूक रखा हुआ था। उसने धीरे-धीरे संदूक का ढक्कन खोला और उसकी आँखें चौंधिया गईं।


संदूक के अंदर एक चमकता हुआ रत्न था, जिसकी रोशनी पूरे कमरे को आलोकित कर रही थी। यही था वह 'कालद्रव्य' रत्न!लेकिन जैसे ही उसने रत्न को छुआ, अचानक हवेली की दीवारों से एक तेज आवाज आई और अर्जुन को लगा कि पूरा कमरा हिल रहा है। उसने रत्न को उठाया और जैसे ही वह बाहर निकलने की कोशिश करने लगा, दरवाजे अपने आप बंद होने लगे।क्या अर्जुन इस रत्न को सुरक्षित बाहर ले जा पाएगा? क्या वह हवेली के अभिशाप से बच सकेगा?


अर्जुन ने जैसे ही रत्न को उठाया, हवेली की दीवारों से तेज आवाजें गूंजने लगीं और हवा में एक अजीब सी ठंडक फैल गई। उसने महसूस किया कि कुछ अदृश्य ताकतें उसे रोकने की कोशिश कर रही थीं। दरवाजे अपने आप बंद होने लगे और हवा में भारीपन महसूस होने लगा।


अर्जुन ने अपने दिल की धड़कन को स्थिर रखने की कोशिश की और तेजी से भागने लगा। उसने तहखाने से बाहर निकलने का प्रयास किया, लेकिन हर कोने से आती हुई आत्माओं की आवाजें उसे रोकने की कोशिश कर रही थीं। अचानक, उसने महसूस किया कि हवेली की आत्माएं उसे घेर रही हैं।


एक आत्मा, जो एक बूढ़े आदमी की थी, उसके सामने आकर खड़ी हो गई। उसकी आँखों में गहरी उदासी और क्रोध था। आत्मा ने कहा, "तुमने कालद्रव्य को छूकर अभिशाप को जागृत कर दिया है। अब यह हवेली तुम्हें कभी नहीं छोड़ेगी।"


अर्जुन ने साहस जुटाते हुए कहा, "मुझे इस रत्न का अभिशाप खत्म करना है। मुझे बताइए कि मैं इसे कैसे समाप्त कर सकता हूँ।"आत्मा ने कहा, "इस रत्न को नष्ट करना आसान नहीं है। इसे नष्ट करने के लिए तुम्हें इसे उसी स्थान पर ले जाना होगा जहाँ से यह आया है - प्राचीन मन्दिर के गर्भगृह में। वहाँ इसे देवी दुर्गा की मूर्ति के सामने रखना होगा। केवल तब ही इसका अभिशाप समाप्त होगा।


"अर्जुन ने आत्मा की बातों को समझा और तेज़ी से हवेली से बाहर निकलने का प्रयास किया। वह जैसे ही हवेली के मुख्य द्वार तक पहुँचा, उसने देखा कि दरवाजा बंद था। आत्माओं ने उसे रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया, लेकिन अर्जुन ने हार नहीं मानी। उसने दरवाजे को जोर से धक्का दिया और आखिरकार बाहर निकलने में सफल रहा।


वह तेजी से गाँव की ओर भागा। गाँव के लोग अभी भी जाग रहे थे और उन्होंने अर्जुन को हवेली से बाहर निकलते हुए देखा। अर्जुन ने गाँव के बुजुर्गों को सारी कहानी बताई और उनकी मदद मांगी। गाँव के बुजुर्गों ने उसे प्राचीन मन्दिर का रास्ता बताया और कुछ युवकों को उसके साथ भेजा।अर्जुन और गाँव के युवक मन्दिर की ओर चल पड़े। रास्ते में उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने साहस और संकल्प को कमजोर नहीं होने दिया।


अंततः वे मन्दिर पहुँचे और गर्भगृह में प्रवेश किया। अर्जुन ने कालद्रव्य को देवी दुर्गा की मूर्ति के सामने रखा और प्रार्थना करने लगा।जैसे ही रत्न देवी की मूर्ति के सामने रखा गया, एक तेज प्रकाश फैल गया और पूरा मन्दिर आलोकित हो गया। हवेली का अभिशाप समाप्त हो गया और आत्माओं को मोक्ष मिल गया। अर्जुन ने राहत की सांस ली और गाँव लौट आया।गाँव के लोग अर्जुन की वीरता और साहस की प्रशंसा करने लगे। हवेली का रहस्य अब सुलझ चुका था और वहाँ के लोग अब बिना किसी डर के रह सकते थे।






अर्जुन की बहादुरी और साहस की चर्चा पूरे गाँव में फैल चुकी थी। हवेली का अभिशाप समाप्त होने के बाद, गाँव के लोग अब सुरक्षित महसूस करने लगे थे। हवेली में अब कोई भयावह आवाजें नहीं आती थीं, और आत्माओं को मोक्ष मिल चुका था।लेकिन अर्जुन की कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। हवेली के रहस्य को सुलझाने के बाद भी उसके मन में कुछ सवाल थे।


उसने सोचा कि राजा विक्रम सिंह ने आखिर क्यों इतना शक्तिशाली रत्न छिपाया था और इसका क्या महत्व था।अर्जुन ने गाँव के बुजुर्गों से इस बारे में बात की। बुजुर्गों ने बताया कि राजा विक्रम सिंह एक विद्वान और जादूगर थे। उन्होंने इस रत्न को अपनी शक्तियों को बढ़ाने के लिए उपयोग किया था।


लेकिन एक दिन, राजा ने महसूस किया कि इस रत्न की शक्तियाँ बहुत खतरनाक हैं और इसे सुरक्षित रखना आवश्यक है। इसलिए उन्होंने इसे हवेली में छिपा दिया और इसके बारे में किसी को भी नहीं बताया।अर्जुन ने महसूस किया कि यह रत्न केवल शक्तियाँ देने के लिए नहीं था, बल्कि यह एक परीक्षा भी थी। यह उन लोगों की परीक्षा लेता था जो इसे खोजने की कोशिश करते थे।


अर्जुन ने इस अनुभव से सीखा कि सच्ची शक्ति बाहरी वस्तुओं में नहीं होती, बल्कि हमारे अंदर होती है।गाँव के लोग अब अर्जुन को एक नायक के रूप में देखते थे। उन्होंने उसे सम्मानित किया और उसकी बहादुरी की कहानियाँ आने वाली पीढ़ियों को सुनाने का वचन दिया।कुछ महीनों बाद, अर्जुन ने हवेली को एक संग्रहालय में बदलने का फैसला किया।


उसने वहाँ की प्राचीन वस्तुओं और चित्रों को संरक्षित किया और हवेली को एक पर्यटन स्थल बना दिया। गाँव के लोग अब गर्व महसूस करते थे कि उनकी हवेली का रहस्य सुलझ चुका है और अब यह जगह एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में जानी जाती है।अर्जुन ने अपनी यात्रा से न केवल गाँव को सुरक्षित किया, बल्कि एक नई शुरुआत की। उसकी कहानी प्रेरणादायक बनी और उसने यह साबित किया कि साहस, संकल्प और ईमानदारी से हर चुनौती का सामना किया जा सकता है।





तो दोस्तों कैसी लगी आपको ये कहानी. अगर आपको ये कहानी अच्छी लगी है तो लाइक कर देना। इस कहानी को पढने के लिए एक बार फिर आपका धन्यवाद.