Nakal ya akal-21 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 21

The Author
Featured Books
  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

  • All We Imagine As Light - Film Review

                           फिल्म रिव्यु  All We Imagine As Light...

  • दर्द दिलों के - 12

    तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के...

Categories
Share

नक़ल या अक्ल - 21

21

गोदाम

 

 

अगली सुबह किशोर खेतों में बैठे सोच रहा है कि किस तरह दो लाख रुपए का इंतज़ाम किया जाए, मगर उसकी बुद्धि साथ नहीं दे रही है। नन्हें अपने घर में किताबों से घिरा बैठा है,  उसकी छोटी  बहन  काजल उसके पास आकर पूछती है,

 

भाई !! अब तो पेपर हो गया,  फिर क्यों  पढ़ने में लगे हो। उसने मुस्कुराते हुए ज़वाब  दिया।

 

किताबों का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए।

 

क्यों ?

 

क्योंकि यह भी तुम्हें अकेला नहीं छोड़ती है।

 

वो कैसे ?

 

हम जब भी इन्हें पढ़ने बैठते है,  यह कभी पढ़ने देने से मना नहीं करती, समझी । उसने एक आसान  भाषा में  अपनी छोटी बहन की जिज्ञासा शांत कर दी।

 

बिरजू अपने गोदान में बैठा हुआ है,  वैसे यहाँ देखने के लिए कुछ  नहीं है,  मगर उसके बाप  को उसे घर से निकालकर यह  तस्सली करनी है कि उसका बेटा भी कुछ कर रहा  है। उसने अब अपनी जेब से एक पुड़िया निकाली  और उसे चाटने लग गया। फिर उसके स्वाद  का आनंद लेते हुए उसने आँखें बंद कर ली। थोड़ी देर बाद उसके कुछ दोस्त उसके पास आ गए और उससे पूछने लगे,  “तेरे पास और भी है? “ उसने हाँ में  सिर  हिला दिया ।

 

भाई एक हमें भी दे दें।

 

दे तो दूँगा,  मगर यहाँ कुछ मत करना। बापू को पता चल गया तो आफत आ जाएगी। तभी मुंशी जी भी वही आ गए और बिरजू के दोस्तों को घूरते हुए बोले,  “हुज़ूर ने यह बही  खाते का हिसाब आपको करने के लिए दिया।“ उसने उसे दो फाइल पकड़ा  दीं। उसने भी फाइल पकड़ ली,  मगर फाइल पकड़ते  समय उसके हाथ  काँप रहें हैं। उसने जल्दी से फाइल पकड़ ली और अपने दोस्तों को वहाँ से जाने का ईशारा किया तो वे बोले,

 

हमारा सामान दे दोंगे तो हम चले जायेंगे।

 

मुंशी जी, आपका काम हो गया हो तो आप यहाँ से तशरीफ़ ले जाएँ। वे उसको और उसके दोस्तों को घूरते हुए वहाँ  से चले  गए।

 

उसने जल्दी से तीन पूड़ियाँ अपने तीन  दोस्तों को पकड़ाई और उन्हें वहाँ से रवाना कर दिया। अब बिरजू को भी कुछ करने का होश नहीं रहा और वह वही ज़मीन पर लम्बा  लेट गया।

 

राजवीर घर में आराम से बैठा टी.वी. देख रहा है। उसके बापू गिरधारी चौधरी बरामदे में  बैठकर  हुक्का पी  रहें हैं। तभी उसकी  बड़ी भाभी  उनके  पास  आई  और बोली,  “बिरजू  भैया के लिए मैंने अपनी  रिश्तेदारी में  बात चलाई है।“

 

अच्छा !! कौन है वो ?

 

मेरे दूर के चाचा की लड़की  है, शीतल नाम है उसका। बारहवीं तक पढ़ी हुई है।

 

ठीक है,  मैं बिरजू से बात करता हूँ।

 

शाम को रिमझिम और सोनाली गॉंव की सैर कर रहें हैं। इसी दौरान उसने सोनाली को अपनी माँ और उनकी सहेली निम्मी के बारे में बताया तो वह हैरान होते हुए उससे पूछने लगी,

 

पर रिमझिम तू उन्हें ढूंढेगी कैसे ?

 

पता नहीं,  मगर कुछ तो करना पड़ेगा।

 

और अगर पता चल भी गया तो तू क्या ही कर लेगी। इतने सालों पुरानी बात है।

 

जानती हूँ,  मगर मैं जानना चाहती हूँ कि मेरी माँ के साथ क्या अन्याय हुआ था।

 

सोच लें,  यह न हो कि अपने साथ कोई अन्याय कर बैठे।

 

“जो भी है,  मुझे धोलपुरा जाना ही पड़ेगा।“ “तू चलेगी?”  सोना ने रिमझिम को कुछ सेकण्ड्स तक ताका और फिर उससे बोली,  “पहले तो उनका घर कहाँ है,  वो पता कर,  फिर चलूँगी तेरे साथ क्योंकि इतने बड़े गॉंव में उन्हें कैसे ढूंढेंगे।“ यह सुनकर रिमझिम ने ख़ुशी से अपनी सहेली सोनाली को गले लगा लिया।

 

अब किशोर सोच रहा है कि अगर किसी से कर्जा ले भी लूँ तो बापू को पता चल जायेगा और मेरे पास भी इतने रुपए नहीं कि मैं इस मुसीबत से पीछा छुटा सको। यही सब सोचते सोचते उसके दिमाग के घोड़े  एक तरकीब पर आकर  रुक गए। ‘हाँ,  यह काम हो सकता है। मगर किसी को कानों कान खबर नहीं होनी चाहिए। एक बार यह शादी  हो जाए, फिर मैं खुद ही सबको  बता  दूँगा ।‘

 

 

निर्मला भी ससुराल न जाने का कोई उपाय सोच रही है क्योंकि  उसे पता है कि  कुछ दिन बाद उसके बापू उसे वहाँ जाने के लिए मजबूर  करेंगे। अगर ऐसा हुआ तो वह उस घर में नौकरानी बनकर रह  जाएगी। काश !! मेरे बापू ने शहर का लालच  न किया होता  तो आज मेरी यह हालत नहीं होती।‘ यह सब सोचते हुए उसकी आँख में  आँसू  आ  गए।

 

शाम को निहाल अपनी मनपसंद जगह नदी के किनारे लगे पेड़ों के नीचे बैठा  हुआ है। सोमेश और किशन भी वहीं आ गए और थोड़ी देर बाद नंदन भी आ गया। उसने निहाल से पूछा,

 

क्या कहता है,  निहाल  उस छोले कुल्चे वाले के पास होकर आओं ।

 

मेरा प्लास्टर उतर जाने दे, फिर मैं  भी चलूँगा।

 

मगर मुझे एक बात समझ नहीं आई  कि आख़िर  वो लड़की  कौन होगी ?

 

होगी  कोई?  अब सोनाली भी रिमझिम के साथ आ गई और वहीं पर बैठ गई। निहाल ने उससे पूछा, “क्या  तुम दोनों  अपनी किसी सहेली  को जानती हूँ जिसकी दोस्ती हमारे कॉलेज के लड़कों  के साथ है।

 

ऐसी तो कितनी ही लड़कियाँ होगी। सोनाली ने सोचते हुए कहा।

 

फिर भी ऐसा कोई जिसे हम दोनों जानते हो ।

 

उसने कुछ देर सोचा और कहा,  “हाँ अंकुर की दोस्ती रमा के साथ है।

 

अंकुर!!! कहीं इस कमीने ने उस दिन बस में चुपके से एडमिट कार्ड मेरी पुस्तक से तो नहीं निकाल लिया था। नंदन बोला तो निहाल भी बोल पड़ा,  “अंकुर तू तो गया।“

 

मुंशी ने घर जाकर जमींदार को बिरजू और उसके दोस्तों के बारे में बताया तो उनकी त्योरियाँ चढ़ गई। उसने अब बिरजू के काँपते हाथों के बारे में भी बताया तो वह गुस्से में  बोला,  “ आज मैं इस बिरजू की खाल खींच लूंगा। उन्होंने अपनी छड़ी उठाई और गोदाम की तरफ चल पड़ा। “सरकार! ज़्यादा  गुस्सा ठीक नहीं है । हो सकता है,  बिरजू बीमार हो।“ उसने सफाई दी। “मुझे कई महीनों से लग रहा था कि  कुछ गड़बड़ है, इसका कबाड़ा इसकी संगति ने किया है। वह अब तेज़ क़दमों से गोदान की ओर जाते जा रहें हैं।

 

वहीं दूसरी ओर,  नशे में  धुत्त बिरजू गोदाम के फर्श पर लेटा हुआ है, उसे किसी बात का होश नहीं है। वह सोच रहा है कि कब मौत  आएगी और कब उसके जीवन का अंत होगा पर साथ ही उसे यह भी पता है कि अगर वो नहीं मरता तो उसकी इस हालत के बारे में किसी को पता भी नहीं चलना चाहिए क्योंकि ऐसा हुआ तो वह घर में कैद हो जायेगा और उसके नशे से उसे दूर कर दिया जायेगा। वह अब भी इस बात से अनजान है कि उसके बापू गिरधारी चौधरी गोदाम की तरफ बढ़ते जा रहें हैं।