Guddu's Race in Hindi Children Stories by MB (Official) books and stories PDF | गुड्डू की दौड़

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गुड्डू की दौड़

एक घना जंगल था, जहाँ तरह-तरह के जानवर रहते थे। उसी जंगल में एक प्यारा सा हाथी परिवार भी रहता था। इस परिवार का नाम था अम्बा परिवार। इस परिवार में माँ हाथी का नाम था अंबा, पिता हाथी का नाम था अर्जुन और उनका नन्हा हाथी बच्चा था, जिसका नाम था गुड्डू। 

गुड्डू बहुत चंचल और प्यारा था। उसकी आँखों में हमेशा चमक और हँसी रहती थी। लेकिन गुड्डू को एक बात का बहुत दुःख था। उसका शरीर बहुत भारी था और वह जल्दी थक जाता था। उसे लगता था कि वह कभी तेज नहीं दौड़ पाएगा और न ही जंगल के अन्य जानवरों की तरह खेल पाएगा।

एक दिन, जंगल में एक बड़ी दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। सभी जानवर बहुत उत्साहित थे और दौड़ की तैयारी कर रहे थे। गुड्डू भी इस दौड़ में भाग लेना चाहता था, लेकिन उसे अपनी भारी शरीर के कारण संदेह हो रहा था। उसने अपने माता-पिता से अपनी चिंता बताई।

अंबा और अर्जुन ने गुड्डू को समझाया, "गुड्डू, हर किसी के पास कुछ खास गुण होते हैं। तुम्हारा शरीर भले ही भारी हो, लेकिन तुममें बहुत ताकत है। हमें खुद पर विश्वास रखना चाहिए और मेहनत करनी चाहिए। तुम भी दौड़ में भाग लो, हम तुम्हारे साथ हैं।"

गुड्डू ने अपने माता-पिता की बातों को सुना और उसे हिम्मत मिली। उसने तय किया कि वह भी दौड़ में भाग लेगा। उसने अपनी माँ और पिताजी के साथ मिलकर रोज सुबह दौड़ने की प्रैक्टिस शुरू की। अंबा और अर्जुन ने गुड्डू को दौड़ के टिप्स दिए और उसे मेहनत करने के लिए प्रेरित किया।

जंगल के अन्य जानवर भी गुड्डू को देख रहे थे। उनमें से एक खरगोश, जिसका नाम था बंटी, ने गुड्डू को ताना मारा, "गुड्डू, तुम इतने भारी हो, कैसे दौड़ पाओगे? तुम तो पहले ही थक जाओगे।" गुड्डू ने उसकी बातों का बुरा नहीं माना और अपनी प्रैक्टिस जारी रखी।

कुछ हफ्तों बाद, दौड़ का दिन आ गया। सभी जानवर अपने-अपने स्थान पर खड़े थे। गुड्डू भी तैयार था, लेकिन उसके दिल में थोड़ी घबराहट थी। उसके माता-पिता ने उसे हिम्मत दी और कहा, "गुड्डू, बस अपने ऊपर विश्वास रखो और पूरी मेहनत से दौड़ो।"

दौड़ शुरू हुई और सभी जानवर तेजी से दौड़ने लगे। गुड्डू ने भी अपने कदम बढ़ाए। शुरू में वह थोड़ी धीमी गति से दौड़ रहा था, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसके माता-पिता और जंगल के अन्य जानवर उसे हौसला दे रहे थे।

गुड्डू ने धीरे-धीरे अपनी गति बढ़ाई। उसने देखा कि दौड़ के रास्ते में कई मोड़ और बाधाएं थीं। लेकिन उसने अपनी ताकत और मेहनत से सभी बाधाओं को पार किया। उसकी मेहनत रंग लाई और वह धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा।

दौड़ का अंतिम चरण आ गया था। बंटी खरगोश सबसे आगे था और सोच रहा था कि वह जीत जाएगा। लेकिन तभी गुड्डू ने अपनी पूरी ताकत लगाई और तेज़ी से दौड़ा। उसने सभी को पीछे छोड़ दिया और सबसे पहले फिनिश लाइन पार की।

गुड्डू ने दौड़ जीत ली! सभी जानवर आश्चर्यचकित हो गए और तालियाँ बजाने लगे। उसके माता-पिता की आँखों में गर्व और खुशी थी। बंटी खरगोश भी आकर गुड्डू से माफी माँगने लगा और उसकी तारीफ की।

गुड्डू ने अपनी जीत से यह साबित कर दिया कि मेहनत और आत्मविश्वास से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उसने जंगल के सभी जानवरों को सिखाया कि हमें अपने कमजोरियों से डरना नहीं चाहिए, बल्कि अपनी ताकत पर विश्वास रखना चाहिए।

उस दिन के बाद, गुड्डू जंगल में सभी का हीरो बन गया। उसने अपने माता-पिता की बातों को याद रखा और हमेशा मेहनत और आत्मविश्वास के साथ जीवन में आगे बढ़ा। जंगल के सभी जानवरों ने उससे प्रेरणा ली और अपने-अपने जीवन में मेहनत और आत्मविश्वास का महत्व समझा।

गुड्डू की कहानी जंगल भर में फैल गई और वह सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया। उसने सिखाया कि अगर हम सच्चे दिल से मेहनत करें और खुद पर विश्वास रखें, तो कोई भी लक्ष्य हमारे लिए असंभव नहीं है।

समाप्त।