Pishach - 1 in Hindi Horror Stories by HARSH PAL books and stories PDF | पिशाच - 1

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पिशाच - 1



मैंने कमरे का दरवाजा खोला और अंदर जाने लगा अंदर बहुत अंधेरा था कमरे का सारा सामान बिखरा हुआ था कमरे की चीज अव्यवस्थित ढंग से इधर-उधर बिखरी पड़ी थी सीलन भरी दीवारें चारों तरफ फैले मकड़ी के जाले सब कुछ बहुत डरावना लग रहा था कमरे में एक तरह का सन्नाटा छाया हुआ था अंधेरे कमरे में सन्नाटा कमरे को और अधिक डरावना बना रहा था इस खौफनाक सन्नाटे में मुझे अपने पैरों की आवाज साफ सुनाई दे रही थी मैं उस अंधेरे कमरे में आगे बढ़ता जा रहा था एकाएक एक चमगादड़ों का झुंड मेरे पास से गुजर मैं घबरा गया मेरी सांसे लोहार की धोकनी की भांति चलने लगी और मेरे शरीर में कपकपि दौड गई मैं कुछ देर वहीं खड़ा रहा फिर कुछ साहस करके आगे बढ़ा मैंने वहां जो देखा उसकी मैंने कभी कल्पना नहीं की थी मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह सब मुझे देखना पड़ेगा मैंने देखा कि सोना कमरे के कोने में सहमी- सी डरी- सी बैठी है उसके काले घने बाल इधर-उधर बिखरे पड़े हैं कपड़ों की हालत ऐसी है मानो किसी ने नाखूनों से नोच नोच सारे कपड़े फाड़ डाले हो और बिचारी उन कपड़ो के चिथडे को लपेटे हुए है उसकी लाल लाल आंखें और आंखों के चारों ओर काले काले धब्बे इस बात को बयां कर रहे हैं की कई रातों से वह सोई नहीं है वह छत की तरफ मुंह करके उदास खोई हुई सी बैठी थी मैंने उसे आवाज लगाई:'- सोना ,सोना
वो आवाज सुनकर चौंक पड़ी मुझे देखकर पहले तो वह पीछे हटी जैसे अनजान हो फिर मेरे गले लगा कर जोर-जोर से रोने लगी और कहने लगी:- मुझे बचा लो, आदित्य मुझे बचा लो, वो....वो..वो मुझे नहीं छोड़ेगा मुझे मार देगा मुझे अपने साथ जाएगा

ने कहा:- कौन नहीं छोड़ेगा सोना, मुझे बताओ घबराओ नहीं तुम्हें कुछ नहींह
सोना ने घबराकर कहा:- वो आ गया है वो.. वो आ गया वो तुम्हारे पी पीछे है वो हमारी तरफ ही आ रहा है वो नहीं छोड़ेगा किसी को नहीं छोड़ेगा सबको मार देगा वो आ रहा है
मैंने पीछे देखा मुझे वहां कुछ दिखाई नहीं दिया मैंने सोना को संभालते हुए कहा:- पीछे कोई नहीं है
वह अभी भी बार-बार यही कह रही थी कि वो आ रहा है वो आ गया इतना कहते कहते सोना बेहोश हो गई मैं यह देखकर घबरा गया मैं वहां से उठकर चलने लगा चलते हुए मैं अपने पहले दोनों को सोचने लगा

2 साल पहले.....
लगभग मार्च के महीने में मेरी इंटरमीडिएट की परीक्षा पूरी हुई इसके बाद मैंने jee परीक्षा दी और काउंसलिंग में मुझे आईआईटी कानपुर मिला यही मेरी मुलाकात सोना से हुई मैं और सोना हम दोनो ने एक साथ सॉफ्टवेयर इंजीनियर की पढ़ाई शुरू की अब ज्यादातर समय मैं और सोना साथ-साथ बिताने लगे साथ-साथ पढ़ना, साथ-साथ खाना पीना, यहां तक की कॉलेज की छुट्टियों में साथ-साथ घूमना आदि अब मेरे और सोने के बीच प्यार होने लगा और हमारे प्यार की बातें सारे कॉलेज में फैल गई कॉलेज की छुट्टियों के दिन निकट आ गए सभी बच्चे अपने घर जाने की तैयारी करने लगे मैं भी अपनी छुट्टियां बिताने के लिए गांव जाने की तैयारी करने लगा मैं अपने कमरे में सामान पैक कर रहा था शाम रात 10:00 बजे कि मेरी ट्रेन थी मैं एक-एक चीज को संभाल- संभालकर रख रहा था तभी अचानक मेरे कमरे का दरवाजा बजने लगा जैसे कोई बाहर से दस्तक दे रहा हो ।
मैं :- कौन है ?
उधर से आवाज आई:- मैं सोना
मैं:- दरवाजा खुला है अंदर आ जाओ
वह मेरे पास आई और पलंग पर बैठ गई
मैं;- इस बार की छुट्टियों में मम्मी पापा के साथ कहां जाने का इरादा है?
सोना:- कहीं नहीं सोचती हूं इस बार घर पर ही रह जाऊं
मैं :'- क्यों घर में बैठे-बैठे बोर होना है क्या
सोना:- नहीं इस बार पापा ने लड़का देखने का फैसला किया है
मैं:- परंतु सोना तुमने उन्हें हमारे बारे में नहीं बताया सोना ने रोते हुए कहा:- वह तुमसे मेरी शादी नहीं करना चाहते
मैं :- क्यों?
सोना:- पता नहीं
मैं फिर कुछ ना बोल सका
सोना:- फिर छुट्टियों के बाद मिलोगे
मैं :' अब मिलने का क्या फायदा
इतना कहकर मैं गुस्से से वहां से चला गया सोना वहीं बैठी रही शाम को मैं गांव में आ गया शायद सोना भी अपने घर पहुंच गई होगी औरों की छुट्टियां ना जाने कैसी बीती हो परंतु मैं उन दिनों बेहद उदास रहा काम में मन नहीं लगता था छुट्टियां खत्म होने के बाद में फिर कॉलेज लौट आया वहां मुझे सब मिले परंतु सोना ने मिली मैंने सोचा शादी के चक्कर में कॉलेज आने में देर हो गई होगी कुछ दिन मुझे सोना दिखाई नहीं दी तब मैंने सोना की सहेली को जो उसके गांव से आई थी बुलाया मैं उससे कहा:- स्नेहा तुम्हारी दोस्त नजर नहीं आती कहां है
वह मेरे सवाल को सुनकर स्नेहा दुखी हो गई मैंने उससे पूछा:- तुम इतनी उदास क्यों हो
स्नेहा ने कहा:- अब मैं तुम्हें क्या बताऊं सोना जब से कॉलेज से गई बीमार रहने लगी खाना-पीना भूल गई अब वह किसी से बात भी नहीं करती अंधेरे कमरे में चुपचाप बैठी रहती है कभी-कभी इतनी बुरी तरह चिल्लाती है कि इंसानों की रूह कब जाए कभी-कभी अपने आप से बातें करने लगती है कभी-कभी रोने लगती है और कभी-कभी हंसने लगती है कभी कहती है वह मुझे मार देगा वह मुझे नहीं छोड़ेगा वह किसी को नहीं छोड़ेगा कभी आप ही आप हवा में उल्टी लटक जाती है
मैंने आश्चर्य से पूछा:- क्या यह सच है
स्नेहा:- हां
मैं:- स्नेहा क्या तुम उसके घर का पता बता सकती हो? स्नेहा उसने मुझे सोना के घर का पता दिया मैं शाम की ट्रेन से सोना के घर पहुंचा वहां मुझे सोना के मम्मी पापा मिले मुझे देखते ही सोना के पापा की आंख में आंसू आ गए मैंने उनसे कहा :- अंकल ! सोना अब कैसी है
अंकल:- बेटा अभी भी सोना की हालत पहले जैसी है मैं:- अंकल मुझे स्नेहा के द्वारा सोना के बारे में पता चला वैसे सोने को हुआ क्या था?
अंकल:- पता नहीं बेटा जब से कॉलेज से आई तभी से इसी हालत में है
मैं सोने को देख देख कर आता हूं मैं इतने बातों को सोच ही रहा था तभी मेरा पैर दरवाजे की दहलीज पर लगा और मैं अपने अतीत को छोड़ वास्तविक दुनिया में लौट आया
मैं सोना की हालत से बहुत दुखी था मैंने जाकर सोना के पिता से पूछा:- अंकल इसे खंडार जैसे कमरे में क्यों रखा है यहां आस-पास कोई घर भी नहीं दिखाई देता
अंकल :- बेटा सोना की हालत रात को बहुत खराब हो जाती है वह रात को अजीब तरह की आवाज में चिल्लाती है इसी कारण इस गांव से दूर रखा है
मैं:- अंकल मेरा विचार है कि सोना पर शायद कोई भूत प्रेत है
अंकल :- बेटा हो सकता है क्योंकि सोना उस रात बहुत देर में घर लौटी थी
मैं :- अंकल आप चिंता मत कीजिए मैं जल्द ही कोई तरकीब निकाल लूंगा सोना बहुत जल्द ठीक हो जाएगी
इतना कहकर मैं वहां से चला गया सोना के पापा ने मुझे अपने घर के ऊपर वाला कमरा रहने को दिया मैं अपने कमरे में बैठा था और सोच रहा था मैंने सोना के पापा को दिलासा दिया है कि वह जल्दी ठीक हो जाएगी परंतु मैं ऐसा क्या करूं कि सोना जल्दी ठीक हो जाए इसी बात को सोते-सोते में खिड़की के पास गया और गांव का नजारा देखने लगा चारों तरफ अंधेरा था तारे आकाश में निकले हुए थे ठंडी ठंडी हवा चल रही थी मैं यह सब देख ही रहा था अचानक मेरी नजर दूर एक शमशान में गई वहां एक हवन कुंड में आग लग रही थी पास ही तंत्र मंत्र का सामान रखा था एक तांत्रिक बार-बार हवन कुंड में आहुति देता था और कंकाल की खोपड़ी पर सिंदूर लगता था मैं उसे आश्चर्य से देख रहा था उसे देख मेरे मन में एक विचार आया मैंने सोचा:- यह तांत्रिक तो काली शक्तियों के ज्ञाता होते हैं मुझे इन्हीं से जाकर सोना के बारे में बात करनी चाहिए यह सोचकर मैं तांत्रिक के पास जाने लगा कुछ देर में मैं वहां पहुंच गया तांत्रिक मंत्र पढ़ रहा था :- ओम काली नमः जय चामुंडाय विच्चे जय चामुंडा विच ओम काली नमः
मै घुटनों के बाल तांत्रिक के सामने बैठ गया और तांत्रिक से बोला:' बाबा मैं एक समस्या लेकर आया हूं कृपया करके आप उसका समाधान करें
तांत्रिक:- कह बच्चा क्या समस्या है तेरी?
मैंने तांत्रिक को सारी बात बताई
तांत्रिक :- बेटा उसे बच्ची पर काले जादू का साया है काले जादू के सहारे किसी ने अपने घर के काले साय को उसे बच्ची पर डाल दिया जब सोना घर आ रही थी तब उसने चौराहे पर हुए टोटके पर अपना पैर रखा तब से ही वह पिशाच सोना के पीछे पड़ गया
मैं:- बाबा इसका कोई उपाय है
तांत्रिक बोला:- हां बेटा इसका एक उपाय है परंतु वह उपाय बहुत कठिन है उसमें एक सदस्य की जान जाएगी पिशाच बहुत ताकतवर है वह एक आदमी को लेकर ही जाएगा मैं केवल बच्ची को बचा सकता हूं घर के एक सदस्य को अपनी जान देनी होगी और वह जान किसी की होगी यह पिशाच ही जानता है तांत्रिक की इन बातों को सुनकर पहले तो मैं घबरा गया फिर राजी हो गया तांत्रिक ने मुझे एक ताबीज और थोड़ी राख दी और कहा:- बेटा यह ताबीज लड़की के हाथ में बांध देना जब तक यह ताबीज उसके हाथ में होगा पिशाच उसे कुछ नहीं कर सकता और इस राख को उसके कमरे में फैला देना मैंने वैसा ही किया मैंने ताबीज को सोना के हाथ में बांध दिया और राख को उसके कमरे में छिड़क दिया परंतु पिशाच बहुत ताकतवर था अगली सुबह सोने के घर के लिए बहुत शौक दायक हुई सोने के पिता की मृत्यु हो गई वह पिशाच उन्हें ले गया मैं इस बात से बहुत पछता रहा था कि मैं सोना को तो बचा पाया लेकिन उसके पिता को नहीं बचा पाया मैं इस बात से खुश भी था कि मैं सोने को बचा लिया मैं इस बात से खुद भी था कि मैंने सोने को बचा लिया मैं सोने को लेकर कॉलेज आ गया परंतु सोना अब पहले जैसी ना थी वह सुनसान बैठी रहती थी मैंने सोचा कि वह अपने पिता के दुख के कारण ऐसा करती है परंतु एक रात जब मैं पानी पीने के लिए उठा तो मैंने देखा सोने का शरीर हवा में लटका हुआ है
end का सीन मे पिशाच बोला है :- मै वापस आ गया अब तुम्हारी बारी

कहानी :- अब तुम्हारी बारी
WRITER :- HARSHPAL