Sathiya - 72 in Hindi Fiction Stories by डॉ. शैलजा श्रीवास्तव books and stories PDF | साथिया - 72

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साथिया - 72

मनु बहुत देर से दरवाजे के बाहर खड़ी अक्षत और नील की बातें सुन रही थी। और उसके दिमाग की अब सारी गलतफहमी दूर हो गई थी। उसे पूरी तरीके से क्लियर हो गया था कि नील और रिया के बीच में ऐसा कुछ भी नहीं है। नील सिर्फ उसे चाहता है। उन दोनों के बीच गलतफहमी रिया के कारण आई और इसी वजह से नील अपने दिल की बात नहीं कह पाया और इस बात के लिए मनु को नील पर बेहद गुस्सा आया था। और वह अक्षत के बाथरूम में जाते ही दनदानाती हुई कमरे में आ गई थी।

नील ने गुस्से से लाल आंखें लिए मनु को देखा तो उसे लगा कि जरूर यह इस बात के लिए नाराज होगी कि नील रिया के साथ उस कमरे में था।

नील एक झटके से उठ खड़ा हुआ और मनु की तरफ देखा।

"देखा मानसी तुम प्लीज सुनो पहले। तुम गलत समझ रही हो। मेरी कहीं से कोई गलती नहीं। मैं तो होश में भी नहीं था। मेरे और रिया के बीच ऐसा कुछ भी नहीं है और ना ही आज और ना ही इससे पहले कभी हम दोनों ने इस तरीके का कुछ भी किया है। हम दोनों एक साथ कभी अकेले रहे ही नहीं है।" नील बोलता जा रहा था और मानसी उसे गुस्से से घूर रही थी।

"और क्यों नहीं रहे हो तुम दोनों साथ? जब एक दूसरे को प्यार करते हो तो रहे होंगे ना? " मानसी ने कहा।

"नहीं मैं उसे प्यार नहीं करता..!! बिल्कुल भी प्यार नहीं करता। इनफैक्ट मैं नफरत करता हूं उससे। बहुत ही घटिया लड़की है वह।" नील ने कहा।

"और क्यों करते हो उससे नफरत? और क्यों नहीं करते हो प्यार? पूरी दुनिया तो जानती है कि तुम उससे प्यार करते हो।" मानसी ने नाराजगी से कहा।

अगले ही पल नील ने मानसी के कंधे पकड़ लिए और उसकी आंखों में देखा।

"पूरी दुनिया क्या जानती हैं क्या मानती है मुझे नहीं पता..!! पर मैं यह जानता हूं कि मैं उसे बिल्कुल भी प्यार नहीं करता। और क्यों नहीं प्यार करता उसे इसका भी एक कारण है।" नील ने कहा तो मानसी ने आंखें बड़ी कर उसकी आंखों में देखा।

" क्योंकि बहुत सालों से एक लड़की मेरे दिल में बहुत गहरे तक समाई हुई है। और जब पहले से ही एक एक इंसान दिल में बसा हो तो कोई दूसरे से प्यार कैसे कर सकता है? " नील ने कहा।

मनु अभी भी उसकी आंखों में देख रही थी।

"नफरत करता हूं मैं उससे, इसलिए नहीं प्यार कर सकता उसे क्योंकि तुम्हें प्यार करता हूं मैं मानसी..!! बहुत प्यार करता हूं। और अभी से नहीं बहुत सालों से करता हूं। शायद तबसे प्यार करता हूं जब अक्षत और सांझ का रिश्ता भी नहीं जुड़ा था। या तब से जब शालिनी और ईशान का रिश्ता भी नहीं जुड़ा था। तब से मैं सिर्फ और सिर्फ तुम्हें प्यार करता हूं।" नील ने भरी हुई लाल आंखों के साथ मानसी की आंखों में देखकर कहा तो मानसी के चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आई और आंखों में आंसू भर आए।

"फिर कभी कहां क्यों नहीं डफ़र?" मानसी ने धीमे से कहा।

"क्योंकि तुमने ही तो कहा था कि मैं दुनिया का आखिरी लड़का होऊँगा तब भी तुम मुझसे शादी नहीं करोगी, क्योंकि तुम मुझसे नाराज रहती थी। हर बात का उल्टा जवाब देती थी। हमेशा मेरा रास्ता छोड़ दूसरा रास्ता पकड़ कर चली जाती थी। तो मुझे लगता था कि शायद तुम मुझे नापसंद करती हो और मैं जबर्दस्ती खुद को तुम पर थोकना नहीं चाहता था।" नील ने धीमे से कहा।

" तुम न उल्लू थे उल्लू हो और हमेशा रहोगे..!! इडियट डफ़र.. बेवकूफ कहीं के..?? पढ़े लिखे भी हो कि स्कूल के पीछे बैठ खर्रे चेंप के वकील बन गए ..?" मनु गुस्से से बोली।

" दिल्ली के स्कूलों के पीछे खर्रे की सुविधा नही है। ये खास सुविधा तो अब सिर्फ यूपी बिहार के कुछ खास गाँवों और कुछ पहाड़ी और देहाती इलाकों के कुछ गाँवों तक सीमित रह गई है..!! और हमारी युनिवर्सिटी भी ये सुविधा नही देती।" नील ने ढीठता से हंसकर कहा।

" बेशर्म बेवकूफ इंसान..!! इतना कुछ बोल सकते पर वो नही जो दिल में है..!! सिर्फ एक बार कहा तो होता...!! एक बार अपने दिल की बात सीधे-सीधे कहीं तो होती। आगे फैसला मैं खुद कर लेती। पर तुमने तो कहना भी जरूरी नहीं समझा। अपने ही मन में सब कुछ डिसाइड कर लिया और खुद ही नेगेटिव सोच लिया।" मानसी ने कहा।

"आई एम सॉरी मानसी। मुझे कहना चाहिए था तुमसे। सारी गलती मेरी है। निशि हमेशा बोलती है कि मैं क्लियर बात नहीं बोल पाता यही मेरी गलती है। और इसलिए मैं फंस जाता हूं। खैर अब मैं फिर से फंस चुका हूं इसलिए तुमसे कोई वादा नहीं कर सकता। पता नहीं किस्मत आगे क्या दिखाएंगी। खैर जो हो सो हो पर एक सच है जो कोई नहीं बदल सकता। वह यही है कि मैं सिर्फ तुम्हें प्यार करता हूं, किसी रिया को नहीं और ना ही किसी और लड़की को। आगे मुझे माफ करना ना करना तुम्हारी इच्छा है। मुझे अपनाना या ना अपनाना तुम्हारी इच्छा है। मुझे सही समझो या गलत समझो यह भी तुम्हारे ऊपर है, क्योंकि अभी तक जो कुछ भी घटनाएं हुई है जो कुछ भी बातें हुई है वह सब मेरे खिलाफ है। मुझ पर विश्वास करो या ना करो यह भी तुम्हारी मर्जी है। और मैं विश्वास दिला भी नहीं सकता। मैं सिर्फ कह सकता हूं कि हां जैसा रिया ने तुमसे कहा है वह सब गलत है। जो कुछ भी तुमने देखा वह सब गलत है। और और मेरे और रिया के भी जैसा कुछ भी नहीं है। विश्वास करना या ना करना तुम्हारी मर्जी है। इससे ज्यादा मैं कुछ भी नहीं कह सकता।" नील ने कहा और उसके कंधे छोड़ पीछे को होने लगा तो मनु एकदम से उसकी सीने से लग गई।

"मैं भी तुम्हें प्यार करती हूं नील और वो भी न जाने कब से। शायद तभी से जब से तुम करते हो। पर तुम्हारे और रिया की नजदीकियों को देखते हुए मैं कभी कह नहीं पाई, क्योंकि मैं तुम्हारे और रिया के बीच नहीं आना चाहती थी। मैं तुम दोनों के बीच कोई मिसअंडरस्टैंडिंग नहीं क्रिएट करना चाहती थी इसलिए मैंने नही कहा कभी।" मनु बोली तो नील के हाथ भी उसकी पीठ पर आ गए।

"कोई क्या कहता है मुझे फर्क नहीं पड़ता..!! रिया क्या कहती है मुझे फर्क नहीं पड़ता..!! तुमने जो कहा है मेरे लिए सिर्फ वही सच है। और क्यों नहीं करूंगी मैं विश्वास?? मै पूरा विश्वास करती हूं तुम्हारा, क्योंकि अक्षत ने मुझे समझाया कि प्यार की पहली सीढ़ी होती है विश्वास। जब रिश्ते में विश्वास ही नहीं होगा तो प्यार कैसे होगा? और आज मैं तुम पर विश्वास करती हूं नील। इस बात का कि तुम्हारे और रिया के बीच में कुछ भी नहीं है विश्वास करती हूँ। मैं हर उस बात का विश्वास करती हूं जो तुमने अभी कहीं।"मनु बोली तो नील की आँखे खुशी से चमक उठी।

" हाँ मैं मानती हूं रिया ने हमेशा मुझसे झूठ कहा । मुझे गलत बोला और मैंने उसका विश्वास कर लिया। यही मेरी गलती हो गई और जबकि तुम्हारे और रिया के भी जैसा कुछ भी नहीं था। यह मेरी गलती थी कि जो मैंने तुम पर विश्वास नहीं किया। पर आज मैं तुम पर विश्वास करती हूं। पूरा विश्वास करती हूं। सच्चे दिल से विश्वास करती हूं। मेरे लिए तुम्हारी कहीं बातें ही सच है बाकी और किसी बात की कोई वैल्यू नहीं।" मानसी ने कहा तो नील के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।

"थैंक यू मानसी थैंक यू सो मच मुझे समझने के लिए..!! तुम आज भी अगर मुझे नहीं समझती तो शायद मैं फिर कभी दोबारा तुम्हारे सामने भी नहीं आ पाता, क्योंकि जो हरकत रिया ने की है उसके बाद में तुमसे नजरे भी नहीं मिला पाता शायद।" नील बोला।

"अरे ऐसे कैसे नजरे नहीं मिला पाते नजरें।अभी तो इसके साथ पूरी जिंदगी बितानी है तो नजरे भी मिलानी पड़ेगी। लड़ाई झगड़ा भी करने पड़ेंगे और प्यार मोहब्बत भी समझे।" बाथरूम के दरवाजे पर खड़े अक्षत ने कहा तो मानसी एकदम से नील से अलग हो गई और उसके चेहरे पर हल्की लालिमा आ गई।

अक्षत ने आकर उसके सिर पर हाथ रखा और हौले से थपका।

"अगर तुम दोनों पहले ही बता देते तो इतनी प्रॉब्लम नहीं होती..!! अब अब आगे पता नहीं कैसे सब सम्हेलेगा।" अक्षत ने कहा।

"प्लीज अक्षत कुछ करो ना..!! अब मुझे कोई भी प्रॉब्लम नहीं चाहिए अपने और नील की लाइफ में।" मनु ने कहा तो अक्षत मुस्करा उठा।

"डोंट वरी सब सही हो जाएगा..!! अभी तो जरा इन्हें लेकर इनके घर जा रहा हूं मैं। देखता हूं वहां कहीं ऐसा ना हो कि मिस्टर वर्मा ने इनके फेरे डलवाने की तैयारी लगा रखी हो। एक काम करो तुम भी तैयार हो जाओ तुम भी चलो। क्या पता तुम्हारी भी जरूरत पड़ जाए वहां पर।" अक्षत ने कहा।


" पर हम नील को बेगुनाह और रिया को गुनहगार साबित कैसे करेंगे?" मानसी ने कहा।।

"वह सब तो मुझ पर छोड़ दो चलो तैयार हो जाओ निकालते हैं।" अक्षत ने कहा और तीनों रेडि होकर नीचे आए। तब तक साधना और अरविंद भी बाहर हाल में आ चुके थे।

" इशू आ गया क्या मम्मी?" अक्षत ने डाइनिंग टेबल पर बैठते हुए कहा।

" हां सुबह चार बजे पहुंच गया था। अपने कमरे में सो रहा है रात रात की फ्लाइट थी तो अभी वह आराम ही करेगा।" साधना बोली।

"ठीक है मम्मी..!! मम्मी मैं नील और मानसी नील के घर जा रहे हैं। आप लोग भी रेडी रहियेगा
अगर कुछ काम पड़ा तो आपको फोन करूंगा। आ जाईयेगा इशू को लेकर।" अक्षत बोला।

" ऐसा क्या काम पड़ने वाला है जो तुम हम लोगों को बुलाने वाले हो..?" अरविंद ने कहा।

" क्या पता कुछ जरूरत पड़ जाए तो आ जाइयेगा। इतना विश्वास रखिए आपके बेटे पर की कुछ गलत के लिए नहीं बुलाऊंगा आपको। बाकी जब मैं कॉल करूं तो तुरंत आप लोग पहुंच जाना वर्मा हाउस।" अक्षत ने कहा और नील और मनु के साथ वर्मा हाउस निकल गया।

अभी थोड़ा ही चले थे कि तभी उसका फोन बज उठा।

गाड़ी नील चला रहा था तो अक्षत फोन पर बात करने लगा।

सुनकर उसके चेहरे पर हल्का तनाव आया साथ ही साथ मुस्कुराहट भी आ गई

" ठीक है चलिए जब बारात तैयार है तो दूल्हे को लेकर हम पहुंचते हैं..!! टेंशन मत लो और तुम बस पहुँचो वहां पर..!" अक्षत ने कहा और कॉल कट कर दिया।

नील ने गाड़ी साइड में लगा ली।

" प्लीज यार क्यों मरवाने ले जा रहा है? अगर ऐसा कुछ है तो मुझे नहीं जाना। मैं तो मनु को लेकर भाग जाता हूं यहां से फिर करती रहे वो रिया जिससे करनी है उसको शादी।" नील ने घबराते हुए कहा।

" फिर वही बात अब जब इतना सब हो गया है तो थोड़ा और हो जाने देते हैं। चलो चलते हैं अब जरा उस रिया को ढंग से सबक सिखा देते हैं।" अक्षत ने कहा तो नील ने वापस से गाड़ी आगे बढ़ा दी।

क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव