the search for peace in Hindi Anything by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | तलास सुकून की

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तलास सुकून की

1.
मैंने यूं ही तुम्हारा नाम
सुकून नहीं रख रखा है

राहत मिल जाती है मुझे
जो तुमसे बात हो जाती है

निगाह उठाकर देख लो
मेरी तरफ एक नजर तुम

पूरी कायनात मुझे अपने
कदमों तले नजर आती है

जाने जां इतनी दिलकश हो
की तुझसे नजर नहीं हटती

जी करता सामने बिठाकर
अपलक तुझे देखता मैं रहूं!
2.
यहां सब अकेले है...
किसी का अकेलापन चेहरे पे दिख जाता है...
कोई अपना अकेलापन अपनी खोखली हँसी में उड़ा देता है...
कोई तन्हा रातो में आँसुओ से अपना अकेलापन धोता है...
तो कोई किसी अपने के कंधे पर सर रखकर...
यह दुनिया पूरी तरह खोखली है...
हम उम्मीदों की टोकरी अपने सर पर लिए घूमते है...
और उम्मीद हर रोज किसी तारे की तरह टूट कर बिखर जाती है किसी सूनेपन में...
एक दिन यह टोकरी खाली हो जाएगी और उम्मीद...
बह जाएगी आँसुओ के संग...
फिर न उम्मीद बचेगी न आँसू...

3.
तुम बिन मैं कुछ भी नहीं,
बेजान सी इक मूरत जैसी थी।
साथतेरा पाकर मैं, मानो
फिर से जीवित हो उठी हूं
साथ तेरा पाकर मुझे,जमाने
की सारी खुशियाँ मिली,

प्रेम की वो राह दिखाई तूने,
जिससे मैं अंजान कभी थी
अगले जनम में मिले मुझे तू हमसफ़र,
बनकर
ईश्वर से हर पल हर घड़ी मेरी यही दुआ
है
तुझे पा के मै,
कुछ नहीं से सब कुछ हुई ।

4.
दर्द इतना था जिंदगी में की,
धड़कन साथ देने से घबरा गई...!
आंख बंद थी किसी की याद में,
और मौत धोखा खा गई...!

5.
हर रोज़ थे तुम याद पर
आज हुई कुछ तेज़ रफ़्तार
पर तुम कही नही - कही नही

कई पन्ने पलटे पर तुम कहि नही
बडी जादुई हैं तेरे इश्क़ की
मेरे ज़िन्दगी से जाना जो तू नही तो
तेरी निशानियां भी कही नही - कही नही

हर रोज़ थे तुम याद पर
आज हुई कुछ तेज़ रफ़्तार
पर तुम कही नही - कही नही...

6.
ख्वाहिश नहीं है तूम मेरी आदत बन गये हों
सिर्फ एहसास नहीं तुम इबादत बन गये हों
तेरी ये नजाकत अब मेरी इन्तेहा बन चुकीं है
तुझे चाहना ही अब मेरी बंदगी बन चुकी हैं...

7.
मेरी शायरी के हर अलफ़ाज़ में मैंने आपको सजाया,
मेरी यादों के हर किस्से में मैंने आपको ही पाया,
ख़ुशी हो या गम साथ, आपने हर पल निभाया
रोशन हुयी ज़िन्दगी जब से सनम आपको बनाया...

8.
दो रोटी भूख है इंसान की,
सुकूँ की राह सिर्फ प्रेम की।।

जिन्दगी सिर्फ दो सांसो की,
ख़्वाहिश क्यो फिर लाखो की।।

ना रिवायत साथ ले जाने की,
बाद मौत सब यही छोड़ने की।।

फिर क्यो है फितरत फ़रेब की,
छीन लेती जो राह रूहे - सुकूँ की।।

चाहत क्यो दौलत - शौहरत की,
छीन लेती जो भाव राह प्रेम की।।

9.
कुछ पढ़कर मुस्कराने का मतलब,
सिर्फ़, मेहबूब के ख़त ही नहीं होते,
कभी - कभी...
माँ की पुरानी डायरी पढ़कर भी
होठों पर मुस्कान और आँखों मे नमी,
आ ही जाती है...

10.
एक बच्चे ने अपनी माँ को रोते देखा तो पापा से
पुछा माँ क्यो रोती है...?
पापा ने जवाब दिया सारी औरते बिना बात के
रोती है..
बच्चा कुछ समझ ना पाया और वो बड़ा हो गया.
एक दिन उसने भगवान से पूछा कि औरते क्यो रोती है बिना बात के...?
भगवान ने जवाब दिया,
जब मै औरत को बना रहा था, तो मैने
फैसला किया कि उसे
कुछ खास
बनाना हैं,
मैने उसके कँधे मजबूत बनाये, ताकि वह
दुनियादारी का बोझ
उठा सके।
उसके बाहो को कोमल बनाया,
ताकि बच्चो को आराम
महसूस हो सके।
मैने उसे इतनी आत्मशक्ति दी, ताकि वह नये जीव
को धरती पर
ला सके ।
मैने उसे साहसी बनाया, ताकि मुशकिल वक्त मे वह
चट्टान
की तरह
खड़ी रहे और अपने परिजनो का ख्याल रख सके।
मैने उसे संवेदनशील और विवेकी बनाया,
ताकि वह सबकी मदद कर सके और माफ कर सके।
और मैने उसकी आखो मे आँसू दिये, ताकि वो अपने दुख को कम
कर सके ।!