Sunsaan Raat - 8 in Hindi Horror Stories by Sonali Rawat books and stories PDF | सुनसान रात - 8 (अंतिम भाग)

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सुनसान रात - 8 (अंतिम भाग)

हरीश बोलता ही जा रहा था-

कितनी मुश्किलों से तुम्हें ढूंढा है तुम्हारा किसी का फोन भी नहीं लग रहा था कब से पैदल चल रहा हूं एक व्यक्ति से लिफ्ट मांगी थी, फिर बाईपास के नजदीक आकर वहां कुछ लोगो से पूछा गाड़ी का नम्बर बताया कि इस नम्बर की गाड़ी किस तरफ गयी है उन्होंने बताया कि बाईपास पर गई है, मैंने जिससे लिफ्ट ली थी उससे बाईपास पर जाने से मना कर दिया बोला कि मुझे नहीं मरना वहां जाकर ये कहकर उसने बाईपास के पास छोड़ दिया।

मैं तब से यहां तुम्हें ढूंढता हुआ पैदल पैदल आ रहा हूं।

उसने पेट्रोल टैंक बन्द किया और कैन को डिग्गी में रखा – और बोला अब ऐसे देख क्या रहे हो चलो बैठो गाड़ी में घर नहीं चलना क्या ?

हम स्तब्ध से हरीश की ओर आश्चर्यचकित होकर देख रहे थे तभी पीछे से एक व्यक्ति आवाज लगाता हुआ हमारी और आया अरे देखो भाइयों मैं लकड़िया ले आया हमने पलट कर देखा तो हरीश लकड़ियां लेकर हमारी ओर आ रहा थाहम थर थर कांप रहे थेहमारे साथ दाँत किट किटा रहे थे, इस ठंड में भी हमारे शरीर से पसीना पानी की तरह बह रहा था । कुछ समझ नहींं आ रहा था, यह हो क्या रहा हैं इधर भी हरीश उधर भी हरीश कौन सही कौन गलत हम किस माया जाल में फंस गए हैं जैसे ही लकड़िया लिए हुए हरीश हमारे नजदीक आया तो उसकी नजर हमारे साथ खड़े हरीश पर पड़ी और दोनों की आंखें आपस में टकराई और तुरंत ही लकड़ी लिए हुए हरीश के हाथों से लकड़ियाँ जमीन पर गिर गई, और एक तेज़ हवा का झोंका आया और वो हरीश अब एक भयानक हंसी वाली चुड़ैल में तब्दील हो चुका था।

उसके बिखरे हुए बड़े बड़े बाल आंखों से टपकता हुआ खून चेहरे पर झुर्रियां और नुकीली ठुडी देखकर हमें समझने में जरा भी देर न लगी कि यह तो वही चुड़ैल हैं जिसका इस गाँव और हाईवे पर साया मंडराता रहता हैं अब हमें उससे बचकर निकलना था परंतु वो चुड़ैल बहुत ही शक्तिशाली थी उससे बच पाना बहुत मुश्किल था।

वह हमारी और बढ़ने लगी और हम उससे खुद को बचाने का प्रयास करने लगे उसने हम पर जानलेवा हमला किया जैसे तैसे हमने अपनी जान बचाई और हम तीनों अलग-अलग दिशा की ओर भागे फिर मुझे गुल्लू की बताई हुई वह बात याद आ गई कि अगर चुड़ैल के पेट को काटकर के बच्चे को बरगद के नीचे दफ़ना दिया जाए तो उसकी शक्ति का असर खत्म हो सकता हैं और वह हमेशा के लिए शांत हो जाएगी पर यह करना बहुत मुश्किल था, इसके लिए हमें कब्रिस्तान के अंदर जाना था, और उस स्त्री के पेट को काटकर वहां से बच्चे को निकाल कर दूर उस बरगद के नीचे दफनाना था यह कार्य बहुत कठिन था।

चुड़ैल हमें ढूंढ रही थी और हम उससे छिपते हुए कब्रिस्तान में प्रवेश कर गए वहां हमने उस महिला की लाश को देखा वह लगभग गल चुकी थी और उसमें कंकाल के अलावा कुछ नहींं बचा था हमने देखा उसके पेट वाले हिस्से पर छोटा सा कंकाल है वह निश्चित ही उसका मरा हुआ बच्चा होगा हमने उसे उठा लिया उसके बच्चे को उठाते ही वह चुड़ैल बहुत ही विकराल हो गई और भयानक तरीके से हम पर हमले करने लगी हम उसके हमले से बचने का लगातार प्रयास करते रहे और बचते बचाते जैसे तैसे डरते हुए हम बरगद के नीचे पहुंचे और बरगद के पास जाकर हमने तुरंत उसके बच्चे को दफनाने का प्रयास किया परंतु बरगद पर लटक रहे कटे हुए पैर हमारे काम में बाधा बन रहे थे, और वह हमें लगातार परेशान कर रहे थे, और हमें यह काम नहींं करने दे रहे थे।फिर मैंने हनुमान चालीसा का पाठ शुरू किया और हनुमान चालीसा के असर से कटे हुए पैर शांत हो गए गुल्लू ने फटाफट गड्ढा खोदा और हरीश ने उसे दफना दिया उसके दफन होते ही एक भयानक चीख हमें सुनाई दी और देखा हवा में चारों तरफ चुड़ैलें मंडराने लगी, वह सब कब्रिस्तान के बाहर थी, क्योंकि जो चुड़ैलें थी वह उस औरत के द्वारा आपस में जुड़ी हुई थी अब हमने बच्चे को दफना दिया था तो उस औरत की आत्मा को मुक्ति मिल चुकी थी और इस कारण से सभी चुड़ैल औरत के शरीर से बाहर निकलकर चारों तरफ आसमान में फैल चुकी थी,

अब बचना हमारे लिए और मुश्किल लगने लगा था , हम सब को काफी चोटे आ चुकी थी , हम लहुलुहान हो चुके थे।

अब तो सिर्फ वहां से भागकर ही जान बचाई जा सकती थी परंतु भागकर भी कैसे क्या तरीका हो भागने का -हमने सोचा।

थोड़ी देर बाद मुझे कुछ सुझा - कि हम लहुलुहान तो पहले से ही हो चुके थे हम नहींं चाहते थे कि हमारा और ख़ून बहे।

और हम इन चुड़ैलों का भोजन बन जाए, यही सोचते हुए मैंने अपनी ऊँगली से बहते हुए खून से कार के पिछले शीशे पर अक्षरों की उन्हें आकृतियों को बना दिया जिनका अर्थ होता है नाले बा

हरीश ने गाड़ी स्टार्ट की और हम तीनों उसमें बैठकर वहां से भाग निकले, चुड़ैलें हमारे पीछे आई परंतु उन्होंने गाड़ी के पीछे नाले बा लिखा हुआ देखा, और वही रुक गई।

वो वहीं रुक गई और हम वहाँ से सही सलामत वापस अपने घर पहुंच गए।