Anish and Anik in Hindi Short Stories by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | अनीश और अनिक

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अनीश और अनिक

अनीश और अनिक

एक मजदूर के दो पुत्र थे । अनीश और अनिक । एक दिन मजदूर अपनी पत्नी के साथ दूसरे गाँव में किसी काम से गया । जाते समय मजदूर ने अपने दोनों बच्चों पर घर की देखभाल की जिम्मेदारी छोड़ दी, ये कहकर कि आज रविवार है । तुम दोनों को स्कूल तो जाना नहीं है । आज घर पर ही रहना । हम शाम को वापस आ जाएँगे । मजदूर के जाने के बाद दोनों भाई आपस में लड़ने लगे । अनीश ने कहा - "तुम घर पर रुको ! मैं बाहर खेल कर आता हूँ ।"
अनिक ने जवाब देते हुए कहा - "मैं तुमसे बड़ा हूँ, मैं बाहर जा रहा हूँ खेलने । तुम घर पर रहकर घर की देखभाल करो ।" इतना कहकर अनिक घर से बाहर चला गया ।
अनीश दुःखी हो गया । उसने अनिक का बहुत इन्तजार किया, पर शाम हो गयी और अनिक नहीं आया । अनीश रोने लगा । इतने में अनीश के माता - पिता घर वापस आ गये । अनीश को रोता देख उसे गले से लगा लिया । अनीश को मिठाई और बहुत से खिलौने दिये ।
खेल कर अनिक जब घर वापस आया तो उसे बहुत डाँट पड़ी ।
अनिक को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने अपने माता - पिता और छोटे भाई से क्षमा माँगते हुए बोला - "मुझे क्षमा कर दीजिए। अब आगे से मैं कभी ऐसी गलती करूँगा ।"
अनिक के पश्चाताप को देख कर मजदूर ने अपने दोनों बच्चों को गले से लगा कर प्यार किया ।

संस्कार सन्देश :- हमें अपने माता - पिता की आज्ञा का सदैव पालन करना चाहिए ।

अनीश और अनिक

एक मजदूर के दो पुत्र थे । अनीश और अनिक । एक दिन मजदूर अपनी पत्नी के साथ दूसरे गाँव में किसी काम से गया । जाते समय मजदूर ने अपने दोनों बच्चों पर घर की देखभाल की जिम्मेदारी छोड़ दी, ये कहकर कि आज रविवार है । तुम दोनों को स्कूल तो जाना नहीं है । आज घर पर ही रहना । हम शाम को वापस आ जाएँगे । मजदूर के जाने के बाद दोनों भाई आपस में लड़ने लगे । अनीश ने कहा - "तुम घर पर रुको ! मैं बाहर खेल कर आता हूँ ।"
अनिक ने जवाब देते हुए कहा - "मैं तुमसे बड़ा हूँ, मैं बाहर जा रहा हूँ खेलने । तुम घर पर रहकर घर की देखभाल करो ।" इतना कहकर अनिक घर से बाहर चला गया ।
अनीश दुःखी हो गया । उसने अनिक का बहुत इन्तजार किया, पर शाम हो गयी और अनिक नहीं आया । अनीश रोने लगा । इतने में अनीश के माता - पिता घर वापस आ गये । अनीश को रोता देख उसे गले से लगा लिया । अनीश को मिठाई और बहुत से खिलौने दिये ।
खेल कर अनिक जब घर वापस आया तो उसे बहुत डाँट पड़ी ।
अनिक को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने अपने माता - पिता और छोटे भाई से क्षमा माँगते हुए बोला - "मुझे क्षमा कर दीजिए। अब आगे से मैं कभी ऐसी गलती करूँगा ।"
अनिक के पश्चाताप को देख कर मजदूर ने अपने दोनों बच्चों को गले से लगा कर प्यार किया ।

संस्कार सन्देश :- हमें अपने माता - पिता की आज्ञा का सदैव पालन करना चाहिए ।