Living with Dyeing - 1 in Hindi Love Stories by Makvana Bhavek books and stories PDF | लिविंग विथ डाइंग - 1

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लिविंग विथ डाइंग - 1

मेरी क्लासमेट ऋत्वि मेहता का अंतिम संस्कार एक बारिश वाले दिन हुआ। अंतिम संस्कार में बहुत से लोग आये होगे। उनकी संख्या और उनके आसु उसके जिवन की अहमियत दशा रहे होगे। अंतिम संस्कार से लेकर शोक सम्मेलन तक सिर्फ मैं हि था वो वहा पर नही था।

ऋत्विक अपने रूम में बैठा यह सब सोच रहा होता है और फिर अपना फोन देखते हुए कहता है कि "ये वो आखरी मैसेज था जो मैं ने उसे भेजा था। बस एक छोटा सा मैसेज जिस का जवाब मुझे अब कभी नही मिलगा। वो मैसेज देखते हुए ऋत्विक अपनी यादो में खो जता है। 

ऋत्विक लाइब्रेरि में रिटर्न आइ किताबें वापस रख रहा होता है तभी बाहर से भागते हुए एक लड़की उसके पास आती है और उससे मांफी मांगते हुए कहती है "सॉरी... सॉरी वो क्लास कि वजह से लेट हो गई!"

ऋत्विक उसे टोकते हुए कहता है "हम लाइब्रेरि में है तो धीमे बात करो।"

इस पर वो लड़की सीर हिलाते हुए "हा..." कहती है और उसके साथ रिटर्नस् किताबो को बूक्स सेल्फ में रखने में उसकी मदद करने लगती है।

ऋत्विक उसे घूर ते हुए पूछता है "तुम ये क्या कर रही हो?"

वो लड़की किताब रखते हुए हि कहती है "कया... किताब रख रही हूं।"

यह सून ऋत्विक उसने रखी किताबो कि और इसारा करते हुए कहता है "तुमने जो हिस्ट्री कि बूक रखी है उसकी जगह वहा नहीं यहा है।"

वह लड़की अपने पास रखी किताब देखते हुए कहती है "इस से क्या फर्क पडता है? ये बूक यहा रखो या वहा?"

यह सून ऋत्विक उसे बिना कुछ कहे सारी किताबे अपने साथ ले जाने लगता है। और किताबे वापस अपनी सही जगह रखने लगता है।

ऋत्विक को वहा से जाता देख वो लड़की भी उसके पीछे चलती हुई कहती है "मुझे भी यह सीखाओ फिर मैं भी यह काम अच्छे से करूगी।"

यह सुन ऋत्विक उसे एक मोटी सी किताब देते हुए कहता है "तुम्हे इस केटेगरी कोड्स कि जरुरत है।"

वो लड़की उस किताब को देखते हुए कहती है "यह बहुत सारे हैं।"

इस बार ऋत्विक उसे कुछ नही कहता और वापस अपने काम पर लग जाता है।

ऋत्विक को यू चुप देख वो लड़की बात बदलते हुए कहती है "तुम्हे पता है मैं ने कल टीवी पर क्या देखा?"

ऋत्विक उसे फिर टोकते हुए कहता है "धीरे बोलो"

वो लड़की ऋत्विक कि बात नजरअंदाज करते हुए कहती है "मैं ने देखा अगरआपके लिवर खराब हो तो आपको लिवर खाना चाहिए और अगर आपका दिल खराब होतो दिल खाना चाहिए इस से बोडी का वो खराब पार्ट ठिक हो जाता है"और फिर थोड़ी मायूस होते हुए कहती है "पर मुझे यकीन है कि मुझे कोई नही देगा।"

ऋत्विक उसे हैरानी से देखते हुए कहता है "अब तो मुझे लगने लगा है कि कही तुम आदमखोर तो नही हो।"

इस बार भी वो लड़की उसकी बातो को नजरअंदाज करते हुए कहती है "मतलब कि सिर्फ तुम्ही रो जिस से मैं यह पूछ सकती हू कि....." इतना कह वो अपनी बात आधी ही छोड देती है।

उसे यू चुप होता देख ऋत्विक पूछता है "क्या पूछना है?"

वो लड़की कहती है "अब चलो भी तुम्हें पता है!"

यह सून ऋत्विक घबराते हुए कहता है "बिलकुल नही मैं..."

ऋत्विक अपनी बात पूरी कर पाता उसके पहले ही वो उसे जोर से एक कोने कि और धक्का दे देती है और फिर मुस्कुराते हुए उसके पास जाते हुए कहती है "मैं तुम्हारे पैंक्रियास खाना चाहती हूँ।"

यह बात है एप्रिल कि जब देर से खिलने वाले बसंत के फूल पेड़ो पर शमक रहे थे और मैं अपने टाके निकालने के लिए स्कूल से छूटी लेकर होस्पिटल आया था।

ऋत्विक होस्पिटल में अकेला बैठा किताब पठ रहा होता है तभी एक अनाउंसमेंट होती है "नंबर इक्यावन केबिन नंबर तीन में आजा है।

अनाउंसमेंट सून ऋत्विक अपना नंबर चेक करता है और फिर अपनी किताब बंद कर केबिन नंंबर तीन कि और जाने ही वाला होता है कि वो देखता है कि एक बच्चे के भागने कि वजह से बेंच पर रखी एक बूक नीचे गिर जाती है। वो अपने आस-पास देखता है लेकिन किसीको भी उस बुक कि और ध्यान नही देता देख वो खुद उस बुक उठा लेता हैं।

ऋत्विक उस बुक को खोल देेखता है तो उसे पता चलता है कि ये बुक किसी की सिक्रेट डायरी है। ऋत्विक उस डायरी के दो-तीन पेज पलटकर देखता है तो उसकी नजर एसे दो शब्द पर टिक गई थी जिसे पढ़कर वो हैरान रह जाता है! वो शब्द थै पैंक्रियास और मोत!

ऋत्विक आगे कुछ पढ़ पाता उससे पहले ही किसी लड़की कि आवाज से उसका ध्यान उस तरफ चला जाता है। वो देखता है कि एक लडकी उसे ही देख रही थी।

वो लड़की उसके हाथ में पकडी डायरी कि और इसारा करते हुए कहती हे "वो मेरी डायरी है।"

यह सून ऋत्विक उसे बड़ी हैरानी से देखा है। ऋत्विक को अपनी और एसे देखता देख वो लड़की कहती है "अरे तुम तो हैरान हो गए लेकिन मेरे जितना नही! मुझे लगा कि में इसे ढूँढती रह जाउगी लेकिन मुझे इसके साथ तुम मिल गये!"

ऋत्विक उस लड़की के कुछ कहता उससे पहले ही फिर से अनाउंसमेंट होती है "नंबर इक्यावन केबिन नंबर तीन में आजा है।" यह सुन ऋत्विक उस लड़की को उसकी डायरी दे वहा से केबिन नंबर तीन की और जाने लगता है।

ऋत्विक को वहा से जाता देख वो लड़की उसे रोकते हुए कहती है "तुमने ये बूक पढी है ना! 

यह सुन ऋत्विक अपनी जगह पर ही रुक जाता है।

वो लड़की अपनी डायरी दिखाते हुए कहती है "मैं इसे लिविंग विथ डाइंग कहती हूं। मुझे जब से मेरी पैंक्रियास कि बिमारी के बारे में पता चला है तब से ये बूक लिख रही हूं।"

इतनी बड़ी बात जान कर भी ऋत्विका कोई रिएक्शन नही देता।

इतनी बड़ी बात जाने पर भी ऋत्विका कोई रिएक्शन नही देख वो लड़की कहती है "एक मिनट कही तुम इसे मजाक तो नहीं समझ रहे हो ना! मैं इतना गंदा मजाक नही करती।

यह सुनकर भी ऋत्विक कोइ रिएक्शन नही देता बस चुपचाप उसकी और देखता रहता है।

ऋत्विक को यू चुप देख वो लड़की थोडी मायूस होते हुए कहती है "मेरे पैंक्रियास काम करना बंद कर सूके है और मैं जल्द ही मर जाउगी।  

यह सुन ऋत्विक स्पाट लहजे में कहता हैं "एसा मत बोलो।"

यह सुन वो लडकी ऋत्विक को हैरानी से देखते हुए कहती है "क्या... बस इतना हि, तुम सुन भी रहे थै? तुम्हे शोकना चाहिए ना या फिर कोई अच्छा डायलोग जैसे कि सुंदर फूल हि पहले चडता है! बोलना चाहिए ना !

ऋत्विक अब भी चूप खड़ा सिर्फ उसे देखता रहता है।

ऋत्विक को अब भी चूप खड़ा देख वो लड़की पूछती है "क्या तुम्हे सच मैं कुछ और नही कहना ?"

ऋत्विक वैसे ही स्पाट लहजे में कहता है "बिलकुल नहीं "

"सच में" इतना कह वो लड़की अपना पेट पकड जोर-जोर से हँसने लग जाती हैव वो अपनी हँसी पर काबू करने कि कोशिश करते हुए कहती है "सॉरी... सॉरी..."

उसे से हँसता देख ऋत्विक कहता है "तो ठीक है, तो मैं अब चलता हूं" और फिर वो बिना उस लड़की के जवाब का इंतजार किए वहा से चला जाता है।

ऋत्विक होस्पिटल से निकल वापस स्कूल किऔर जा रहा होता है तभी वहा रास्ते में उसे वही लड़की फिर दिखती है जो शायद उसीका इंतजार कर रही थी।

ऋत्विक को आता देख वह हाथ हिलाते हुए जोर से कहती है "अरे... क्या किसमत है।"

वो लड़की अपनी बात पूरी कर पाती उसने पहले ऋत्विक अपना रास्ता बदलते हुए कहता हैं "तुम मेरा पिछा करना बंद करोगी।"

ऋत्विन को रास्ता बदलते देख वो लड़की भी ऋत्विक के पिछ भागने लगती है। थोड़ी देर मैं वो ऋत्विक के पास पहोच जाती है और फिर उसके साथ चलते हुए उससे पूछती है "क्या हमने कभी बात कि हैं?" और फिर खुद हि उसका जवाब देते हुए कहती है "नही... क्युकी तुम हमेशा किताबो में हि खोये रहते हो।"

ऋत्विक उससे कुछ नहीं कहता बस चूपचाप चलता रहता है। वो लड़की फिर उससे पूछती है "अच्छा तुम होस्पिटल क्यो गये थे?, क्या तुम्हे जुकाम था लेकिन अभी ठंड तो नही हैं।"

ऋत्विक उसकी बातो से परेसान होते हुए कहता है "तो तुम मुझे इस तरह लेट करवाने वाली हो तो भूल जाओ।" इतना कह ऋत्विक अपनी चाल तेज कर लेता है।

यह देख वो लड़की कहती है "ओके... ओके... समझ गइ, अरे रुक जाओ मेरी बात तो सून लो।" 

ऋत्विक उसकी किसी बात पर ध्यान नही देता और अपनी चाल और तेज कर लेता है।

वह लडकी भी ऋत्विक के साथ चलने कि कोशिश करते हुए कहती है "मैं ने अभी तक अपनी बिमारी के बारे में किसी को नही बताया, इस लिए यह हमारा एक छोटा सा सीक्रेट होगा! समझी!"

यह सुन ऋत्विक अपनी चाल धीमी करते हुए कहता है "चिंता मत करो मैं नही बताउगा, वैसे भी सुनने वाला ककोई नही है।"

यह सुन वो लड़की थोडी मायूस होते हुए पूछती है "तो क्या तुम्हारे दोस्त नहीं है?"

इस पर ऋत्विक बस अपना सिर ना में हिला देता है और कुछ नही कहता।

वो लड़की मुस्कुराते हुए कहती है "अगर तुम चाहो तो मैं अपनी बची हुई जिंदगी तुम्हारे साथ बीता सकती हूं!"

कुछ देर सोचने के बाद ऋत्विक कहता है "तुम बस चली जाओ! तुम्हे अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीनी चाहिए। "

इस पर वह लड़की हँसते हुए करती ही "बिलकुल जिउगी" इतना कह वो वहा से जाने लगती है। थोड़ी दूर जा के वो फिर ऋत्विक कि और हाथ हिलाते हुए जोर से कहती है "मेरा नाम ऋत्विका हैं याद रखना " इतना कह वो हँसते हुए वहा से चली जाती है।

मुझे लगा था कि अब हम कहा एक-दूसरे से मिलने वाले है! मैंने ते यही सोचा था लेकिन अगले ही हफ्ते उसने मेरे साथ लाइब्रेरी असिस्टैंट की जगह ले लि!

To be continue.................