The Author Rakesh Rakesh Follow Current Read सच्चा हमदर्द By Rakesh Rakesh Hindi Motivational Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books Tehran ufo incident September 18, 1976 – Tehran, IranMajor Parviz Jafari had jus... Disturbed - 36 Disturbed (An investigative, romantic and psychological thri... The Language of Silence - Part 14 Arjun Couldn't Sleep All NightHe kept watching the same... THE PROMISE Rishabh Khurana was a thirty-year-old man who had only one c... 7Day of Spring - Part 2 2nd Day — Lost in Chalk Dust and MemorySecond day of spring.... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Share सच्चा हमदर्द 1.5k 4.4k "अम्मी इस बार में आपको एक महीने पहले याद दिला रही हूं कि 22 जनवरी आने वाली है और आपको याद है ना 22 जनवरी को मेरा जन्मदिन होता है और इस बार आपको मेरा जन्मदिन पड़ोस के दूसरे बच्चों जैसे धूमधाम से मनाना है, हर बार की तरह बहाना नहीं बना देना कि मेरा जन्मदिन मनाने के लिए घर में पैसे नहीं है।" नौ बरस की अल्फिया अपनी अम्मी से झूठी नाराजगी दिखाते हुए यह बात कहती है, कहीं ना कहीं अल्फिया को भी यह एहसास था कि मेरी गरीब विधवा अम्मी कैसे लाल बत्ती पर गुलाब के फुल बेचकर मुझे दो वक्त का पेट भर खाना खिलाकर पढ़ा लिखा रही है क्योंकि अम्मी यह चाहती है कि एक दिन मेरी बेटी इस दुनिया में इज्जत सम्मान से अपनी जिंदगी जिए मेरी तरह दर-दर की ठोकरे ना खाए।सोने से पहले अपनी इकलौती बेटी की यह बात सुनकर अल्फिया की अम्मी सोचती है इस बार कुछ भी हो चाहे मुझे देर रात तक लाल बत्ती पर गुलाब के फूल बेचने पड़े लेकिन इस बार में अपनी बेटी अल्फिया का जन्मदिन धूमधाम से मनाने की उसकी इच्छा को जरूर पूरा करूंगी।और 20 जनवरी को अल्फिया खुशी-खुशी विद्यालय से घर आकर बिना कुछ खाए पिए अपने विद्यालय की वर्दी बदलकर घर के कपड़े पहनकर अपनी अम्मी के पास लाल बत्ती पर पहुंच जाती है जहां उसकी अम्मी लाल बत्ती पर गुलाब के फूल बेचकर अपना और अपनी बेटी अल्फिया का पेट भरती थी।वह वहां पहुंचकर खुशी-खुशी अपनी अम्मी को बताती है "अम्मी 22 जनवरी को मेरा जन्मदिन है और उसी दिन दिवाली के त्यौहार की वजह से हमारे विद्यालय की भी छुट्टी है।""बेटी में अनपढ़ जरूर हूं, लेकिन मुझे भी पता है की दिवाली अक्टूबर नवंबर में आती है, तूने अपने जन्मदिन की वजह से जानबूझकर विद्यालय से छुट्टी ली है।" अम्मी कहती है फिर अल्फिया की अम्मी अपने मन में यह सोच ही रही थी की चलो दो दिन तो बाकी है, अल्फिया के जन्मदिन में मैं इन दो दिनों में देर रात तक लाल बत्ती पर गुलाब की फुल बेचकर इतने पैसे इकट्ठा कर लूंगी की अल्फिया और मैं उस दिन स्वादिष्ट खाने के साथ मिठाई भी खा सकेंगे और मुझे पक्का यकीन है अल्फिया इतना होने पर भी बहुत खुश हो जाएगी।"तो उतने में ही ट्रैफिक हवलदार वहां आकर कहता है " आज जितने भी गुलाब के फूल बेचने हैं, बेच लो 21 22 जनवरी को यहां दिखाई भी नहीं देना।""साहब लाल बत्ती पर दो दिन गुलाब के फूल बेचने में क्या दिक्कत है।"अल्फिया की अम्मी पूछती है ?"श्री राम जन्मभूमि अयोध्या में भगवान श्री राम की मूर्ति की स्थापना होने वाली है, इसलिए दो दिन या दिखाई मत देना।" ट्रैफिक हवलदार रोब मार कर यह बात कह कर वहां से चला जाता है22 जनवरी को अल्फिया अपनी अम्मी से पहले अपने जन्मदिन की खुशी में सुबह-सुबह जल्दी सो कर उठ जाती है और अपनी अम्मी को नींद से जगा कर कहती है "अम्मी जल्दी-जल्दी नींद से जागो आज सुबह से ही मोहल्ले के मंदिर में रौनक हो रही है, जय श्री राम के जयकारे से पूरा मोहल्ला गूंज रहा है, इस बार मेरे जन्मदिन की बहुत धूमधाम से शुरुआत हुई है, आज आपकी तरफ से भी मेरे जन्मदिन में कोई कसर नहीं रहनी चाहिए।" अम्मी अपने मन में सोचती है, इस मासूम बच्ची को कैसे समझाऊं कि हम रोज कमाते हैं, रोज खाते हैं, इसके जन्मदिन पर तो हमें दोनों को आज लगता है भूखा ही सोना पड़ेगा, 20 जनवरी को जो पैसे कमाए थे वह 20 21 जनवरी को सब खत्म हो गए हैं। इतने में ही पड़ोस में रहने वाली राशि अल्फिया की मित्र अल्फिया से आकर कहती है "अल्फिया आज दोपहर को मेरे साथ चलना आज मंदिर के पास बहुत विशाल भंडारा होगा वहां खूब डटकर खाएंगे और खूब खेलेंगे। राशि की भंडारे वाली बात सुनकर अल्फिया की अम्मी बहुत खुश हो जाती है और अल्लाह का शुक्र अदा कर कर कहती है कि "कम से कम श्री राम भगवान के नाम पर दोपहर को तो हमें पेट भरकर खाना मिल ही जाएगा।"और दोनों अम्मी बेटी पेट भर के भंडारा की पूरी आलू की सब्जी हलवा खाने के बाद इतनी पूरी हलवा आलू की सब्जी घर के इकट्ठा कर लेती हैं की रात को खाने की दोनों अम्मी बेटी की चिंता खत्म हो जाती है।रात को पूरा मोहल्ला दीपकों की रोशनी से जगमगा उठता है और पड़ोस के लोगों से अल्फिया को अनार फुलझड़ी चरखारी बम पटाखे फोड़ने के लिए मिल जाते हैं। रात को हलवा पूरी खाते वक्त अल्फिया की अम्मी अल्फिया से कहती है "देखा मेरी बेटी तेरा जन्मदिन पूरे भारत ने कितने धूमधाम से मनाया है।" यह बात सुनकर अल्फिया के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है।फिर अल्फिया की अम्मी आसमान की तरफ देखकर परमात्मा से कहती है "परमात्मा आपने किसी भी रूप में आकर की लेकिन मेरी मासूम बेटी की इच्छा पूरी की सच में आप ही (परमात्मा ) सबसे बड़े हमदर्द हो।" Download Our App