Sathiya - 49 in Hindi Fiction Stories by डॉ. शैलजा श्रीवास्तव books and stories PDF | साथिया - 49

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साथिया - 49







सांझ ने देखा कि फोन अक्षत का है तो उसने खुश होकर फोन पिक किया।


" जी जज साहब कहिए ...!! बस आप ही को कॉल करने वाली थी पर मैंने सोचा कि आप फ्री हो जाएंगे तो खुद ही फोन करेंगे।" सांझ बोली।

"इतना मत सोचा करो सांझ जब भी लगे कि तुम्हारा बात करने का दिल है तो मुझे कॉल कर सकती हो। तुम्हारे लिए मैं हर समय फ्री हूं। और अगर कभी बिजी होऊंगा भी तो तुम्हें बता दूंगा ना कि अभी बिजी हूं।" अक्षत बोला।



" जी जज साहब...!! आगे से ध्यान रखूंगी। सांझ बोली।


"वैसे किस वजह से मेरी याद आई अचानक से? जो तुम मुझे फोन करने वाली थी " अक्षत ने कहा।

"कैसी बातें करती हो जज साहब..!! आपको तो कभी भूलती ही नहीं हुँ तो याद आने की तो कोई बात ही नहीं है। आपका ख्याल तो हर समय मेरे दिलों दिमाग पर रहता है।" सांझ ने कहा।


" अच्छा जी...!! बातें अच्छी-अच्छी करने लगी हो आजकल मेरे कांटेक्ट में आने के बाद से।" अक्षत बोला तो सांझ खिलखिला उठी।


"आपको मेरी हर बात मजाक लगती है ना? " सांझ ने कहा।


" नहीं बिल्कुल भी नहीं लगती...!! मुझे तुम्हारी हर बात बहुत सीरियस लगती है। और मैं कभी भी तुम्हारी किसी भी बात को मजाक में नहीं लेता। बस वह तो यूं ही कभी-कभी तुम्हें तंग करने के लिए बोल देता हूं।" अक्षत ने कहा।।


" जी जज साहब।" सांझ बोली।



"वैसे बताया नहीं तुमने की कैसे याद किया था मुझे अचानक से?" अक्षत ने कहा।।

"वह बात यह है कि मैं कल गांव जा रही हूं। नेहा दीदी आई हुई है। दस दिन हो गए हैं उन्हें आए हुए। चार-पांच दिन बाद फिर वह वापस चली जाएंगी तो सोच रही हूं चार पांच दिन उनके साथ रहकर आ जाती हूँ। उसके बाद शायद वह एमडी करने में बिजी हो जाएंगी तो फिर ना जाने कब मुलाकात होगी...!" सांझ बोली।


"अच्छा ठीक है चली जाओ...! पर बात करती रहना मुझसे।" अक्षत बोला।

"यही तो आपको बताना था। कोशिश करुंगी बात करने की पर जानते हैं आप वहां पर चाचा जी और चाची जी हैं। और उन सबके सामने शायद बात ना हो पाए। मैं नहीं चाहती कि वह लोग बे वजह ही मेरे बारे में कुछ गलत सोचें और हम लोगों की लाइफ में कोई भी परेशानी हो। इसलिए ज्यादातर मैं वहां से आपसे बात नहीं कर पाऊंगी और फिर नेटवर्क की भी प्रॉब्लम होती है। पर मैं वादा करती हूं यहां आते ही आपको कॉल करूंगी।" सांझ बोली।


" नॉट फेयर सांझ...!; इतने दिनों तक तुमसे बात किए बिना कैसे रहूंगा मैं...?? दिल बेचैन हो जाता है मेरा अगर एक दिन भी तुमसे बात नहीं हो पाती है तो।" अक्षत ने कहा।

"ज्यादा दिन नहीं है सिर्फ चार-पांच दिन की तो बात है...!! जैसे ही चार पांच दिन बाद वापस आ जाऊंगी और आते ही आपको कॉल करूंगी। आप भी प्लीज समझने की कोशिश कीजिए ना...?? आप तो जानते हैं मेरे घर के हालात मैंने बताया तो है आपको। वैसे ही वो लोग मुझे पसंद नहीं करते। उस पर भी अगर उन्हें मेरे और आपके इस तरीके के रिश्ते के बारे में पता चल गया तो वह बेवजह का ही बखेड़ा खड़ा कर देंगे और मैं नहीं चाहती कि अभी किसी भी तरीके का हंगामा हो।

जब तक कि आप अपनी ट्रेनिंग से वापस नहीं आ जाते मैं किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती ।" सांझ ने कहा।


"अच्छा ठीक है नहीं करूंगा तुम्हे फोन पर काम से कम जब फ्री हो तो एक मैसेज तो कर ही सकती हो तुम। बाकी अगर नहीं करोगी तब भी चलेगा क्योंकि मैं भी नहीं चाहता कि तुम्हारे यहां पर कोई भी प्रॉब्लम हो। मैं बस इंतजार करूंगा तुम्हारे फोन का और तुम्हारे दिल्ली वापस आने का।" अक्षत बोला।।


"आप कब वापस आ रहे हैं?" सांझ बोली।


"बस जल्दी ही मेरी भी ट्रेनिंग पूरी होने वाली है और मैं भी जल्द से जल्द वहां आ जाऊंगा और उसके बाद हम दोनों हमेशा हमेशा के लिए एक हो जाएंगे...! फिर मुझे टेंशन नही रहेगी। तुम्को हर वक्त आँखों मे छिपा के और सिने से लगा के रखूँगा।" अक्षत ने कहा तो सांझ का चेहरा गुलाबी हो गया..!!


"मैं भी उसे दिन का बेसब्री से इंतजार कर रही हूं जब आप वापस आयेंगे और इसीलिए चाहती हूं कि कोई भी प्रॉब्लम ना हो।" सांझ ने कहा।

"ठीक है कोई प्रॉब्लम नहीं होगी...!! मैं बिल्कुल भी कॉल नहीं करूंगा और तुम भी मत करना। बस आकर मुझे बता देना कि तुम आ गई हो और हां अपना ख्याल रखना। तुमसे बात नहीं होती है तो दिल बेचैन सा रहता है मेरा। " अक्षत ने कहा।


"जी जज साहब...!!समझ सकती हूं मैं क्योंकि यही हालत मेरी भी रहती है...!! पर आप फिक्र मत कीजिए अपने घर ही तो जा रही हूं वहां पर जाने में ना कोई टेंशन है ना ही कोई रिस्क। जल्दी ही वापस आकर आपसे बात करूंगी।" सांझ ने कहा।

"ठीक है पर अभी तो कल जाना है ना तो आज रात को बात जरूर करना ध्यान से और हां कल सुबह निकलते निकलते भी एक बार कॉल कर लेना...!! मैं इंतजार करूंगा।" अक्षत बोला।



" जी जज साहब। कर लूंगी" सांझ ने कहा।

"ठीक है टेक केयर सांझ एंड आई लव यू।" अक्षत बोला।


" जी जज साहब। " सांझ ने कहा।

"जी जज साहब की जगह आई लव यू टू भी तो बोल सकती हो। थोड़ा सा अच्छी फीलिंग आती है।" अक्षत ने कहा तो सांझ मुस्कुराई ।


"अब हंसने से काम नहीं चलेगा...!! जल्दी से बोलो आई लव यू और उसके बाद फिर फोन रखो मुझे थोड़ा सा काम है।" अक्षत ने कहा।

"अच्छा आई लव यू ..!"" जज साहब।" सांझ ने कहा और कॉल कट कर दिया और अपना अपना सामान जमाने लगी।

"बस कुछ दिन और एक बार जब आप ट्रेनिंग से आ जाए जज साहब तो फिर कोई फिक्र नहीं होगी...!! और फिर मैं उन्हें यह भी बता दूंगी कि सौरभ ने क्या कहा था और उनसे कहूंगी कि मुझे लेकर कहीं दूर चले जाएं।

मुझे नहीं जाना उस दुनिया में वापस जहां इंसान को इंसान नहीं समझा जाता।

नियति दीदी को कैसे मार सकते हैं यह लोग? बहुत डर लगता है मुझे अब तो गांव जाने से भी। पर कोई बात नहीं है इस बार नेहा दीदी से मिलकर वापस आ जाऊंगी उसके बाद फिर कभी वापस नहीं जाऊंगी गाँव। जज साहब के साथ हमेशा हमेशा के लिए यही रह जाऊंगी । उनके परिवार के साथ उनके साथ...!! उनकी बाहों में सुरक्षित...! बस ये आखिरी बार है गाँव जाना।" सांझ खुद से बोली और पैकिंग मे लग गई।




क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव