Ramayan ki Katha Bhajan ke Madhyam se Mere Shabdo me - 2 in Hindi Mythological Stories by Dave Rup books and stories PDF | रामायण की कथा भजन के माध्यम से मेरे शब्दों में - 2

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रामायण की कथा भजन के माध्यम से मेरे शब्दों में - 2







मृदु स्वर कोमल भावना,
रोचक प्रस्तुति ढंग,
एक एक कर वर्णन करें,
लव कुश राम प्रसंग,
विश्वामित्र महामुनि राई,
तिनके संग चले दोउ भाई,
कैसे राम ताड़का मारी,
कैसे नाथ अहिल्या तारी।

मुनिवर विश्वामित्र तब,
संग ले लक्ष्मण राम,
सिया स्वयंवर देखने,
पहुंचे मिथिला धाम।।


इस पंक्ति में कहा गया है की मृदु स्वर यानी धीमे स्वर में कोमल भावना के साथ रोचक यानी प्रिय प्रस्तुति ढंग यानी प्रशंसा के ढंग में एक एक करके सभी कथा का वर्णन लव कुश ने किया।विश्वामित्र नामक महामुनि राई (मान वाचक शब्द) उनके साथ चले दोनों भाई यानी राम और लक्ष्मण विश्वामित्र के साथ जाते है। फिर कहते है की जब वो लोग जा रहे थे तो कैसे राम ने ताड़का नामक राक्षसी का वध किया और प्रभु श्री राम ने अहिल्या को श्राप से मुक्त किया।

इस के पश्चात कहा गया है कि,मुनिवर विश्वामित्र जब राम और लक्ष्मण को साथ लेकर सिया यानी सीताजी का स्वयंवर देखने पहुंचे जो मिथिला धाम में हो रहा था।


जनकपुर उत्सव है भारी,
जनकपुर उत्सव है भारी,
अपने वर का चयन करेगी सीता सुकुमारी,
जनकपुर उत्सव है भारी।।

यहां कहा गया है कि जनकपुर में बहुत ही बड़ा उत्सव है आज सीता सुकुमारी अपने वर को चुनेंगी। इसलिए जनकपुर में सीता स्वयंवर का बहुत बड़ा उत्सव है।


जनक राज का कठिन प्रण,
सुनो सुनो सब कोई,
जो तोड़े शिव धनुष को,
सो सीता पति होई।


यहां कहा गया है कि जनक राजा ने कठिन प्रण यानी प्रतिज्ञा की है फिर कहा है की सुनो सुनो सभी लोग जो इस शिव धनुष को तोड़ देगा वही सीता का पति होगा।


को तोरी शिव धनुष कठोर,
सबकी दृष्टि राम की ओर,
राम विनय गुण के अवतार,
गुरुवर की आज्ञा सिरधार,
सहज भाव से शिव धनु तोड़ा,
जनकसुता संग नाता जोड़ा।

उस के बाद कहा गया है कि कोन इस कठोर शिव धनुष को तोड़ेगा, तब सभी की दृष्टि राम की और थी।राम विनय और गुण के अवतार है गुरुवर की आज्ञा सिरधार यानी मान के सहज भाव से शिव धनुष को तोड़ दिया और जनक नंदिनी सीता के संग नाता जोड़ लिया।


रघुवर जैसा और ना कोई,
सीता की समता नही होई,
दोउ करें पराजित,
कांति कोटि रति काम की,
हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की,
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की,
ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की।।

तत्पश्चात कहा गया है की रघुवर जैसे और कोई नहीं है और सीताजी की किसी के साथ बराबरी नहीं की जा सकती और आगे कहा गया है दोनो करे पराजित कांति कोटि रति काम की यानी सुंदर शाश्वत जोड़ी है राम और सिया की। ये रामायण नामक पुण्य कथा है जो प्रभु श्री राम जी की है।


सब पर शब्द मोहिनी डारी,
मन्त्र मुग्ध भये सब नर नारी,
यूँ दिन रैन जात हैं बीते,
लव कुश नें सबके मन जीते।

यहां कहा गया है कि ऐसे सुंदर शब्द कहे की सभी नर नारी मंत्र मुग्ध हो गए फिर कहा गया है की ऐसे ही दिन और रात बीत जाती थी और लव कुश ने अपनी मधुर वाणी से सबके मन जीत लिए थे।

वन गमन, सीता हरण, हनुमत मिलन,
लंका दहन, रावण मरण, अयोध्या पुनरागमन।

तत्पश्चात कहा गया है की वन गए,सीता का हरण हुआ, हनुमान से मिलन,लंका दहन,रावण मरण,अयोध्या में पुनरागमन यानी वापस आए।

सविस्तार सब कथा सुनाई,
राजा राम भये रघुराई,
राम राज आयो सुखदाई,
सुख समृद्धि श्री घर घर आई।

इस में कहा गया है की विस्तार से सब कथा सुनाई और राम राजा बने और उन्हें रघुराई का पद मिला।राम राज्य में सुख आया और सुख के साथ साथ समृद्धि भी घर घर में आई।

काल चक्र नें घटना क्रम में,
ऐसा चक्र चलाया,
राम सिया के जीवन में फिर,
घोर अँधेरा छाया।

समय के चक्र ने घटना क्रम में ऐसा चक्र चलाया फिर कहा गया है कि राम सिया के जीवन में फिर घोर अँधेरा छाया।


🙏🙏🙏 "Rup"