ANIMAL - Film Review in Hindi Film Reviews by S Sinha books and stories PDF | ANIMAL - फिल्म समीक्षा

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ANIMAL - फिल्म समीक्षा

   


                                                        फिल्म समीक्षा -  ANIMAL 

आजकल बहुचर्चित हिंदी  फिल्म एनिमल ने बॉक्स ऑफिस पर  धमाल दिखाया है  हालांकि फिल्म की कहानी बिल्कुल निरर्थक है हाँ फिल्म का नाम ‘ एनिमल ‘ सही है क्योंकि  इसमें आप देख सकते हैं कि आदमी किस तरह जानवर बन सकता है  .  जहाँ तक फिल्म की कहानी की बात है यह एक पारिवारिक रोष , सामंती युद्ध और पिता पुत्र के रिश्ते पर आधारित  अत्यंत घिनौनी , अनावश्यक हिंसक और नैतिक दिवालियापन वाली  फिल्म है  .  इस फिल्म को  सेंसर बोर्ड से A सर्टिफिकेट मिला है.  

 बलबीर सिंह  ( अनिल कपूर ) एक विशाल स्टील कंपनी ‘ स्वस्तिक ‘ का मालिक है जिसका बिजनेस देश विदेश में फैला हुआ है इसलिए वह सदा बहुत व्यस्त रहता है  . बलबीर सिंह के पास अपनी  व्यस्तता के कारण बच्चों के लिए  समय नहीं है और उन पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाता है  . इसका प्रभाव खास कर विजय पर पड़ता है  .  कहानी का नायक रणविजय सिंह ( रणबीर कपूर )  है जिसकी दो बहनें हैं  . कॉलेज में उसकी बहन रीत को कुछ लड़के छेड़ते हैं  जिसका बदला विजय , जो खुद अभी स्कूल का छात्र था , कॉलेज में गन ले कर जाता है  और  उनकी पिटाई करता   है  . पर बलबीर बेटा  पर बहुत नाराज होता है  और वह उसे क्रिमिनल कहता है .  विजय  अपने पिता  के द्वारा बार बार अपमानित और नजरअंदाज किया जाता है  .  विजय  के आपराधिक कारनामों के चलते बलबीर उसे  घर से निकाल देता है  .   फिर भी वह अपने परिवार और खास कर पिता से इतना प्यार करता है कि उसके लिए किसी हद तक नीचे गिर कर घिनौने हिंसक कृत्य कर सकता है   . आगे चल कर वह  एक खतरनाक अपराधी बन जाता है   .  उसके पिता के खिलाफ षड्यंत्र में उसका बहनोई रीत का पति भी शामिल है जो  बलबीर को जान से मरवाने की साजिश रचता है पर बलबीर बच जाता है  . विजय अपने बहनोई को अपने हाथों गला घोंटकर मार डालता है  .अंत में  उसके परिवार के  दूर  के अन्य संबंधी जो उसके पिता के विरुद्ध षड्यंत्र में शामिल थे उन्हें भी विजय खूंखार तरीके से मार डालता है  . 

फिल्म में जरूरत से ज्यादा हिंसा दिखती  है जो अव्यावहारिक और असम्भव लगता है  . आरम्भ में फिल्म आकर्षक लगती  है पर बाद में इसमें भयानक हिंसा , महिला द्वेष और व्यभिचार  भी हैं जिनके चलते फिल्म  बोझल लगती  है   . निर्देशक रणविजय को एनिमल बनाने में इतना खो गए हैं कि उन्हें और कुछ  दिखता ही नहीं है  फिर भी निर्माताओं ने फिल्म से अच्छा मुनाफा कमाया है  . आजकल की  फिल्मों में मेलोडियस गाने विरले ही  मिलते  हैं इसलिए उनकी उम्मीद  बेकार है , हाँ एक गाना  ‘ सतरंगा ‘ लोगों को अच्छा लग सकता है  . 

‘ एनिमल ‘  अनावश्यक रूप से लम्बी फिल्म है   . फिल्मांकन अच्छा है , बीच बीच में मनोरंजन के कुछ  दृश्य और बेहतर  प्रस्तुतिकरण  भी हैं जिन्हें  अपाच्य हिंसा के बावजूद दर्शक फिल्म को पूरी तरह  नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं  . जहाँ तक अभिनय का सवाल है एनिमल रणविजय सिंह के किरदार को रणबीर कपूर ने बखूबी  निभाया है  . बलबीर सिंह के किरदार में अनिल कपूर भी अच्छे हैं  . अनिल और रणबीर की अभिनय कला  का सही उपयोग इस फिल्म में नहीं हुआ है  .इस फिल्म में  रश्मिका मंदाना व अन्य फीमेल एक्टर्स के लिए कुछ खास करने के लिए  है नहीं   . आजकल यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर भी उपलब्ध  है  . 

मूल्यांकन की दृष्टि से व्यक्तिगत रूप से यह फिल्म 10 में 3 अंक डिजर्व करती  है   . 

                                                       समाप्त