Mahavir Lachit Badfalun - 1 in Hindi Biography by Mohan Dhama books and stories PDF | महावीर लचित बड़फूकन - पार्ट - 1

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महावीर लचित बड़फूकन - पार्ट - 1

भारत एक ऐसी पावन एवं पुनीत भूमि है जो प्राचीन काल से महापुरूषों की जननी रही है। यहाँ पर अनेक साधु-संत, ऋषि मुनि, साधक, वीर सम्राट, समाज सुधारक व राष्ट्रभक्ति एवं देश प्रेम से ओतप्रोत महापुरुष अवतरित हुये जिन्होंने अपने जप-तप, संस्कारों, शौर्य व अदम्य साहस से प्रेरित आदर्श कृत्यों, विचारों द्वारा मानव समाज का मार्गदर्शन किया। ऐसे ही एक वीर पुरूष थे - लचित बड़फूकन।

लचित बड़फूकन के जन्म के पीछे एक विचित्र कथा है।
सर्दी की सुबह हो चुकी थी। सूर्य की किरणें धरती पर अपनी छटा बिखेरने वाली थीं। मोमई तामुली बरबरुआ दिनचर्यानुसार शाही बगीचों की देखरेख कर रहा था।

सहसा किसी नवजात शिशु के रोने की आवाज सुनकर वह आश्चर्य चकित होकर आवाज की दिशा की ओर बढ़ा। वहाँ पहुँचकर उसने देखा कि एक छोटा बच्चा जो केवल छह मास का ही होगा, एक पेड़ के नीचे गर्म कपड़ों में लिपटा हुआ पड़ा है। मोमई ने बच्चे को उठा लिया। वह स्तब्ध रह गया यह देखकर कि बच्चा खून से सना हुआ था परन्तु जीवित था। वह बच्चे को अपने घर ले आया। वह समझ गया कि इस आयु का शिशु किसी की अवैध संतान तो नहीं हो सकता। हो न हो, यह अवश्य किसी ऐसे पिता या संरक्षक का बच्चा है जो युद्ध में मारा गया है, क्योंकि वह शिशु अपने नहीं, अपितु किसी अन्य के रक्त से सना हुआ है।

मोमई तामुली की कोई संतान नहीं थी। इसलिये इस बच्चे को उसने ईश्वरीय वरदान समझकर स्वीकार कर लिया। उसने बच्चे को गोद लेने का निश्चय किया। बच्चे का नाम उसने 'लचित' रखा। वह रक्त से सना हुआ मिला इस कारण उसका नाम 'लचित' रखा गया। असमी भाषा में 'ल' का अर्थ होता है 'रक्त' और 'चित' का अर्थ है- 'सना हुआ'। मोमई तामुली ने लचित का लालन पालन बड़े प्यार से किया व उसकी शिक्षा-दीक्षा की व्यवस्था की। उसे मानविकी, शास्त्र और सैन्य कौशल की शिक्षा दी गई। बचपन से ही लचित कुशाग्र बुद्धि, साहसी व निर्भीक प्रकृति का था। उस छोटे बच्चे का कैसी परिस्थितियों में नामकरण हुआ परन्तु आगे चलकर यही बच्चा सैकड़ों बार शत्रुओं के रक्त से नहाया। वह असम के सेनापति लचित बड़फूकन के रूप में प्रसिद्ध हुआ। 'बड़फूकन' शब्द का अर्थ है 'सेनापति'।

भारत की पूर्वोत्तर सीमा पर असम प्राचीन काल से एक सजग प्रहरी के रूप में खड़ा है। परिणामतः यहाँ की प्रत्येक घटना उत्सुकता बनाए रखती है। असम क्षेत्र को सात राज्यों में बाँटा गया है– असम, अरुणाचल, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड एवं मणिपुर ।

भारत पर तब मुगलों का शासन था। उन्होंने इस प्रदेश को अपने नियंत्रण में रखने हेतु कई बार असफल प्रयास किया था। तेरहवीं सदी से यहाँ अहोम राजवंश का शासन था। 1826 की संधि के बाद यह प्रदेश ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकार में आया।

जिस प्रकार राजस्थान में महाराणा प्रताप, महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज एवं पंजाब में गुरु गोविन्दसिंह और महाराजा रणजीत सिंह का नाम श्रद्धा से लिया जाता है, उसी आदर और सम्मानपूर्वक असम में लचित बड़फूकन का नाम लिया जाता है। इसी वीर पुरुष लचित बड़फूकन की यह गौरव गाथा है।