Rajkumari Shivnya - 17 in Hindi Mythological Stories by Mansi books and stories PDF | राजकुमारी शिवन्या - भाग 17

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राजकुमारी शिवन्या - भाग 17

भाग १७

अब तक आपने देखा की राजा ने दोनो चोर को पकड़ कर कारावास में डलवा दिया , फिर सब लोग सो गए , अब आगे की कहनी देखते है।

राजा और रानी अपने कक्ष में बात कर रहे थे , रानी निलंबा ने कहा एक ही तो पुत्री है हमारी वो भी महादेव ने १० साल का इंतजार करवाके हमारी झोली में डाली थी अगर आज उसे कुछ हो जाता तो में तो जी ते जी मृत हो जाती , राजा विलम ने इस बात पर कहा , आप इतनी चिंता न करे वो अब बड़ी हो गई है, अपने पर आई मुसीबत से केसे लड़े वो जानती है अब आप आराम से बिना कुछ विचार करे सो जाइए , फिर राजा रानी सो गए।

इधर शिवन्या भी सो रही थी , अब रात्रि के करीबन ३ बज रहे थे। शिवन्या अपनी सोने की करवट बार बार बदल रही थी , अचानक से उसे अपने मस्तिष्क में कुछ धुंधला सा दिखा वो उसे पहचानने की कोशिश कर रही थी , एक अश्व भी उसे दिखाई देता है, वह कोन है उसे वह पहचान नहीं पा रही थी , अचानक से स्वप्न में दूर से किसी ने उसे सुनाई दिया ऊपर वाला किसीको को भी कही भी मिलवा सकता है ऐसा स्वप्न में एक लड़के ने कहा।

उसे अपने स्वप्न में यह शब्द कान में पड़ते ही अचानक से उसकी निंद्रा टूट गई , वह खड़ी हो गई , उसे विश्वास नहीं हो रहा था इस अजीब से स्वप्न पर वह पहचान गई ये तो वही लड़का था स्वप्न में जो तलवार बाजी का अभ्यास करते वक्त उसे मैदान में मिला था, उसने अपने आप को ही दो थप्पड़ मारे ओर अपने आप से कहा जिस व्यक्ति को में नफरत करती हु उसे ही स्वप्न में केसे देख सकती हु केसे?? वह अपना मुंह जल से धोने चली गई वापस आकर उसे फिर से सोने का मन नहीं कर रहा था इसलिए उसने अपनी खिड़की खोली और आसमान की ओर देखने लगी चांद को , सोच रही थी ये सब क्या था ऐसा स्वप्न क्यों आया , वो अपने मन को विचारो के भवर से काबू नहीं कर पा रही थी।

फिर उसने अपनी आंखे बन्द की ओर गहरी सांस ली और अपनी शय्या पर जा कर सो गई , फिर उसने सोचा कल जो लड़का देखने आ रहा है अगर उसने जरा सी भी होशियारी दिखाई तो वही रिश्ता तोड़ दूंगी😂 , ये सोच कर वो सो गई , सुबह के ६ बज रहे थे एक दासी शिवन्या के कक्ष में आती है ओर बोलती है राजकुमारी जी महारानी का आदेश है आपको उठने का कृपिया आप उठ जाइए , शिवन्या की आंख खुली उसने दासी के सामने प्यारी सी मुस्कान दी और बोली शुभप्रभात तुम्हे, माता को कहिए में उठ गई , दासी चली गई ओर उसने सोचा लगता है राजकुमारी की मनोदशा अच्छी है।

राजकुमारी जल्दी से स्नानगृह में स्नान करने चली गई ओर फिर तैयार हो गई , तब एक दासी कक्ष में आई उसने शिवन्या को देखा और कहा , राजकुमारी जी आप बहुत सुंदर लग रही है ये काजल , बिंदी माथे में गजरा गुलाबी वस्त्र चूड़ियां ओर ये खूबसूरत श्रृंगार आज आप पर कुछ ज्यादा ही अच्छा लग रहा है, देखना आज तो लड़के वाले आपको देख कर तुरंत रिश्ते के राजी हो जायेंगे , यह सुनकर राजकुमारी शिवन्या ने कहा मेने इस बात के लिए इतना श्रृंगार नही किया आज मेरा मन था इसलिए किया वैसे तुम्हारी तारीफ के लिए शुक्रिया , फिर राजकुमारी नीचे चली जाती है।

राजा और रानी नीचे ही बैठे थे उन्होंने राजकुमारी को देखा , राजा ने कहा आज तो मेरी पुत्री कुछ ज्यादा ही सुंदर लग रही है , रानी निलंबा ने राजकुमारी के कान पीछे काला टीका लगा दिया और कहा इससे तुम हमेशा बुरी नजर से बची रहोगी पुत्री , राजकुमारी कहती है बुरी नजर कोई लगा तो जाए मार डालूंगा उस इंसान को रानी कहती है अरे पुत्री क्यों हमेशा मारने मराने की बात करती रहती हो चलो नाश्ता कर लो फिर लड़के वाले आ जायेंगे ।

सब लोग नाश्ता करने बैठ गए सब लोग आराम से नाश्ता कर रहे थे तभी एक सैनिक आया और बोला महाराज बाहर कोई आया है कह रहे है राजकुमारी को देखने आए है , राजा विलम ने कहा क्या वे लोग इतनी शीघ्र आ गए रानी ने कहा दासी ये सब नाश्ता ले जाए जा ओर पुत्री आप कक्ष में चली जाए हम बुलाए तब बाहर आना।

कहानी को यही तक रखते है मित्रो , अगला भाग जल्द ही आयेगा।😊