Galatee - The Mistake - 1 in Hindi Detective stories by prashant sharma ashk books and stories PDF | गलती : द मिस्टेक  भाग 1

Featured Books
  • سائرہ

    وضاحت یہ کیسی دوستی ہے جس میں وضاحت دینی پڑے؟ اس کو سچ ثابت...

  • کہانیاں

    اوس میں نے زندگی کے درخت کو امید کی شبنم سے سجایا ہے۔ میں نے...

  • یادوں کے سنسان راستے

    ان کی گاڑی پچھلے ایک گھنٹے سے سنسان اور پُراسرار وادی میں بھ...

  • بےنی اور شکرو

    بےنی اور شکرو  بےنی، ایک ننھی سی بکری، اپنی ماں سے بچھڑ چکی...

  • خواہش

    محبت کی چادر جوان کلیاں محبت کی چادر میں لپٹی ہوئی نکلی ہیں۔...

Categories
Share

गलती : द मिस्टेक  भाग 1

कॉलेज कैंपस में विशाल, शेखर, साहिल और मानव खड़े होकर बातें कर रहे थे। उनके साथ उनकी गर्लफ्रेंड जिज्ञासा, मानसी, वंशिका और मेधा भी थीं। कॉलेज में कोई पांच दिन की लगातार छुट्टियां होने वाली थी, इसलिए सभी कहीं घूमने जाने का प्लान कर रहे थे। विशाल राज्य के एक मंत्री का बेटा है और विशाल शहर के एक बड़े बिजनेस मैन का। वहीं जिज्ञासा भी शहर के एक अन्य बड़े बिजनेस मैन की बेटी है। जबकि मानसी, वंशिका और मेधा के पिता का भी शहर में अच्छा खास रसूख है। मतलब साफ था कि इन आठों के पास रूपए-पैसे की कोई कमी नहीं थी। सभी रिच फैमिली से बिलॉग करते हैं और घर से उन्हें किसी भी काम को करने के लिए कोई रोक-टोक नहीं है। वहीं सभी अपने पिता के रूतबे और पैसों का रौब दिखाते रहते हैं। छुट्टियां मनाने के प्लान की शुरूआत विशाल ने ही की थी।

विशाल ने कहा- दोस्तों कॉलेज में पांच दिनों की छुट्टियां होने वाली है। मैं सोच रहा हूं कि इन छुट्टियां का कुछ फायदा उठाया जाए और कहीं बाहर घूमने चला जाए।

विशाल की बात का समर्थन करते हुए शेखर ने कहा- हां यार, बहुत दिनों से हमने यूं भी कोई ट्रिप प्लान नहीं की है। ये अच्छा मौका है, शहर के बाहर घूमने चलते हैं।

जिज्ञासा ने अपनी बात रखते हुए कहा- हां चलते हैं पर शहर से बहुत ज्यदा दूर नहीं जाएंगे।

विशाल ने सवाल किया- अरे क्यो ? मैं तो सोच रहा हूं कि शिमला चलते हैं।

जिज्ञासा ने फिर इंकार करते हुए कहा- नहीं मैं इतनी दूर नहीं जाना चाहती। शहर के आसपास की कोई जगह चलना हो तो मैं चलूंगी, मुझे इतनी दूर नहीं जाना है।

मानसी ने भी जिज्ञासा की बात पर अपनी सहमति जताई और कहा- हां यार दूर जाने में आधा वक्त तो सफर में ही कट जाता है और हम ठीक से एन्जॉय भी नहीं कर पाते हैं।

इस पर साहिल ने कहा- हां मानसी वैसे तुम कह तो सही रही हो, परंतु शहर के आसपास ऐसी कोई जगह भी तो नहीं है, जहां हम जा सके।

इस पर वंशिका ने कहा- जगह तो है, पर तुम लोगों को पसंद आएगी या नहीं मैं यह नहीं कह सकती।

विशाल ने अबकी बार सवाल किया- मुंबई के पास ऐसी कौन सी जगह है ?

वंशिका ने फिर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- यहां से कोई 50 से 60 किलोमीटर दूर एक हवेली है। हवेली के आसपास काफी नेचर भी है और वो काफी शांत जगह भी है। हम वहां जाकर एन्जॉय कर सकते हैं।

अबकी बार मेधा ने वंशिका से सवाल किया- वो जगह ऐसी है कि हम बोर नहीं होंगे ?

वंशिका ने फिर मेधा की बात का जवाब देते हुए कहा- उस हवेली में कई लोग आते हैं, कुछ दिन रूकते हैं और फिर चले जाते हैं। हां पर अपना सामान आपको लेकर जाना होगा। वैसे तो वहां एक चौकीदार भी रहता है, अगर उससे हम कुछ सामान मंगाना चाहे तो वो लाकर भी दे देता है। मेरे हिसाब से हमारी छुट्टियों के लिए फिलहाल उस हवेली से अच्छी जगह कोई नहीं हो सकती है।

वंशिका की बात सुनने के बाद सभी ने मिलकर उस हवेली पर ही छुट्टिया बिताने का तय कर लिया और शाम के समय ही सभी कुछ सामान लेकर उस हवेली के लिए रवाना हो गए। रात होने से पहले ही वे सभी उस हवेली पर पहुंच गए थे। हवेली के चौकीदार राजन ने पहले तो हवेली में जाने से मना किया, परंतु विशाल, शेखर और उसके सभी दोस्तों के पास रूपए की कोई कमी नहीं थी, इसलिए उन्होंने राजन को कुछ रूपए दिए और उन सभी को हवेली के कमरा देने के लिए राजी कर लिया था।

राजन ने सभी के लिए चार कमरे खोल दिए थे और चारों अपने-अपने कमरे में चले गए थे। विशाल ने राजन को कुछ रूपए देते हुए उसे खाना बनाने के लिए कह दिया था। राजन ने भी अपनी पत्नी सावित्री को खाना बनाने के लिए कहा और कुछ सामान लाने के लिए बाजार चला गया था। राजन सामान लेकर आया और उसने सामान विशाल को दे दिया। उसके बाद वे सभी एक बड़े से हॉल में आ गए और उन्होंने जमकर पार्टी की। इस दौरान सभी ने शराब भी पी। शराब पीने के बाद सभी के सावित्री ने डाइनिंग टेबल पर खाना लगा दिया था। वे सभी खाना खाने के लिए बैठ गए थे।

इसी दौरान हवेली के बाहर एक और कार आकर रूकी। कार को हवेली के बाहर आकर रूकता देख राजन दौड़कर बाहर गया। कार से दो बच्चों के साथ दो और लोग उतरे। उन्होंने राजन को अपनी ओर आते देखा।

आखिर कौन था कार से आने वाला बंदा ? इस बंदे के आने के बाद विशाल और उसके दोस्तों की छुट्टियों का क्या होगा ? क्या वे पूरे पांच दिन हवेली में बिता पाएंगे ? या कुछ ऐसा होगा जिसके कारण विशाल और उसके दोस्तों को हवेली छोड़कर जाना होगा? इन सवालों के जवाब मिलेंगे अगले भाग में। तब तक कहानी से जुड़े रहे, सब्सक्राइब करें और अपनी समीक्षा अवश्य दें।