Sathiya - 16 in Hindi Fiction Stories by डॉ. शैलजा श्रीवास्तव books and stories PDF | साथिया - 16

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साथिया - 16

"यह लड़की मेरे लिए प्रॉब्लम क्रिएट करके ही रहेगी। अक्षत ने कितनी बार कहा है कि इसके साथ दोस्ती तोड़ दूँ पर यह हमेशा इमोशनल ब्लैकमेल कर देती है और मैं दोस्ती नहीं तोड़ पाता।

पता नही मानसी मेरे बारे में क्या सोच रही होगी?" नील ने मन ही मन सोचा।

"पर मैं उसके बारे में क्यों सोच रहा हूं ? जो सोचें सोचती रहे।"नील खुद से ही बोला पर जाने क्यों उसे थोड़ा सा अजीब लग रहा था।


वह वहां से गार्डन की तरफ गया तो नजर वही बेंच पर एक तरफ बैठी मनु पर गई जो कि थोड़ी सी उदास लग रही थी।

नील के कदम ना चाहते भी उस तरफ बढ़ गए।


"सॉरी मानसी..!" रिया ने जो कुछ भी कहा उसके लिए।" नील ने मनु के पास खड़े होकर कहा।


" इट्स ओके सर ..! आपकी गर्लफ्रेंड है और उनका आप पर हक है। मैं ही बेवजह बीच में बोल गई।" मनु बोली और वहां से उठकर जाने लगी।


"नहीं ऐसा कुछ नहीं है वह मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है..! हम सिर्फ दोस्त हैं पता नहीं क्यों उसे ही कोई गलतफहमी हो रही है!" नील बोला।


"गलतफहमी ऐसे नहीं हो जाती है सर...! और फिर मुझे आप लोगों की लव लाइफ से कुछ लेना-देना नहीं है। आप अक्षत के दोस्त हो इस नाते कभी कभार आपसे बातचीत हो जाती है पर इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि मैं आप में इंटरेस्टेड हूं। तो आप प्लीज मेरे कारण अपनी गर्लफ्रेंड को नाराज मत कीजिए।" मनु बोली और वहां से तुरंत निकल गई।



पर ना जाने क्यों ना चाहते हुए भी उसकी आंखों में आंसू भर आए थे जिसे उसने जल्दी से जल्दी अपनी पलकों के अंदर ही जप्त कर लिया जो कि उसकी हमेशा की आदत थी। जब भी उसे लगता था या कोई ऐसी बात हो जो किसी से शेयर नहीं कर सकती तो उसे आंसुओं में भी नहीं बहने देती थी और अपने सीने में अंदर दफन कर लेती थी।

नील मनु को जाते हुए देख रहा था कि तभी अक्षत नील के पास आकर खड़ा हो गया।

"क्या हुआ? " अक्षत ने कहा।


"अरे यार वही रिया इसने आज फिर से मानसी के साथ बदतमीजी कर दी..!" नील बोला।

" तू उसके साथ रहेगा ऐसा ही होगा। मैंने पहले ही कहा था वो तेरे लिए ओवर पजेसिव है। तू उसके साथ कभी सुखी नहीं रह पाएगा।" अक्षत ने कहा।


"पर वह मेरी फ्रेंड है! " नील बोला।

" फ्रेंड होने में और इस तरीके से अधिकार जमाने में बहुत फर्क होता है। फ्रेंड तो मेरी भी है मनु पर कभी मुझ पर इस तरीके का रोब नहीं जमाती जिस तरीके से रिया करती हैं। रिया का बस चले तो तुझे तुझे सांसे भी वह गिन गिन कर दे। समझ रहा है ना तू? " अक्षत बोला।


" सब समझता हूँ मैं पर करूँ भी तो क्या करूं? बहुत इमोशनल ब्लैकमेल करती है और मैं कमजोर पड़ जाता हूं।" नील बोला।


"उसे प्यार करता है? "अक्षत ने कहा।

"नहीं मैं उसे प्यार नहीं करता ..! इंफेक्ट उस जैसी लड़की को मैं कभी प्यार कर ही नहीं सकता। वह बात-बात पर इमोशनल ब्लैकमेल करती है। जान से मरने की धमकी देती है इस कारण मैं कमजोर पड़ जाता हूं। स्कूल की दोस्त है और उसके पापा मेरे पापा के दोस्त है तो उसे हर्ट भी नहीं कर सकता।" नील ने कहा।


"फिर किसी और को प्यार करता है क्या? " अक्षत ने कहा तो एक पल को नील की आंखों के आगे मानसी का चेहरा घूम गया और उसने तुरंत ही सिर झटक दिया।

"नहीं अभी ऐसा कुछ भी नहीं है..! होगा तो तुझे बताऊंगा पर एक बात मेरी तरफ से क्लियर है कि रिया और मेरे बीच ऐसा कुछ भी नहीं है तो प्लीज और लोगों की तरह तू भी इस बात को लेकर मुझ पर शक मत किया कर।

"बेहतर होगा तुम रिया से जितनी जल्दी हो सके दूरी बना लो। क्योंकि यह लड़की किसी दिन तुम्हारी लाइफ में बहुत बड़ी प्रॉब्लम क्रिएट कर देगी।" अक्षत बोला और फिर अपनी बाइक लेकर घर वापस निकल गया।

वैसे भी उसे यूनिवर्सिटी में ज्यादा काम नहीं था और यूनिवर्सिटी में आजकल कोई पढ़ाई लिखाई भी नहीं हो रही थी सारे लोग एनुअल फंक्शन की तैयारियों में लगे हुए थे तो वही सीनियर अपने एग्जाम की तैयारियां करने में


देखते ही देखते हैं दस दिन का समय बीत गया और एनुअल फंक्शन का दिन आ गया। सारी तैयारियां जोर शोर से हो रही थी। आज सभी सीनियर सुपर सीनियर और सभी स्टूडेंट्स के साथ-साथ पूरा स्टाफ भी यूनिवर्सिटी आने वाला था। आज इतना बड़ा दिन था और बहुत ही सारे प्रोग्राम होने थे।


नील अपने घर से निकला और अक्षत के घर आ गया। वह अक्षत के साथ निकलने वाला था। अक्षत ने उसे बोल दिया था कि आज वह कार से जाएगा तो मनु को और नील को साथ लेकर जाएगा।

नील हॉल में पहुंचा तो वहां साधना बैठी हुई थी।


"आंटी अक्षत कहां है ? " नील ने पूछा।

"बेटा वह अपने कमरे में है जाओ जाकर वही पर मिल लो..!" साधना बोली।।


"और ईशान? " नील ने पूछा।


" ईशान तो सुबह से ही निकल गया था उसका कुछ परफॉर्मेंस है ना इसलिए। बाकी अक्षत अभी मनु को लेकर जाएगा। " साधना ने कहा तो नील सीढ़ियां चढ़कर अक्षत के कमरे की तरफ चल दिया।

अक्षत के कमरे में जाते समय कॉरिडोर में ईशान और मनु का कमरा भी आता था।

ईशान का कमरा बंद था पर मनु के कमरे का दरवाजा खुला हुआ था।

नील अपनी धुन में चला जा रहा था कि ना जाने कैसे नजर मनु के कमरे पर चली गई।

मनु आईने के सामने खड़ी होकर साड़ी बांधने की कोशिश कर रही थी।

नीले रंग की स्टोन वर्क शिफॉन की साड़ी मनु के गोरे बदन पर बेहद ही खूबसूरत लग रही थी। साड़ी बार-बार फिसल जाती और मनु फिर उसको संभालने लगती।

नील खोया हुआ सा वहीं खड़े होकर मनु और उसकी साड़ी को देखने लगा।

उसे मनु अच्छी लगती थी यह बात उसको समझ में आती थी पर इस तरीके का सम्मोहन आज पहली बार हुआ था। वह बिना पलक झपकाए मनु को देख रहा था।

मनु ने साड़ी सेट कर पिनअप किया और पलट कर जैसे ही देखा दरवाजे के बाहर खड़े नील पर नजर गई तो मनु एकदम से झेंप गई।

उसके इस तरीके से झेंपने और हड़बड़ाने से नील भी होश में आया।

"वह मैं अक्षत से मिलने जा रहा था। " नील बोला और जल्दी से आगे बढ़ गया।

मनु ने गहरी सांस ली और दरवाजा बंद कर लिया और दरवाजे से टिक कर खड़ी हो गई।

"हे भगवान यह सब मेरे साथ ही क्यों होता है ? मुझे दरवाजा बंद करने का ध्यान रखना चाहिए था और वह भी जनाब जब अक्षत से मिलने जा रहा था तो सीधे जाना चाहिए था ना यहां रुक कर मुझे देखने की क्या जरूरत थी? "मनु खुद से ही बोली.

"मै भी क्या करूं बाकी कपड़े तो अब बाथरूम में पहने जा सकते हैं पर साड़ी तो बाथरूम में नहीं पहनी जा सकती और बिना मिरर के भी नही।

ईशान और अक्षत कभी भी मेरे कमरे में झांकते हुए नहीं निकलते हैं। कभी आना भी हो तो नौक कर के आते हैं इसलिए मेरा भी ध्यान नहीं रहा। न जाने क्या सोच रहा होगा मेरे बारे में कि इस लड़की को बिल्कुल सेंस नहीं है दरवाजा खोलकर साड़ी पहन रही है।" मनु खुद से ही बोली।


"अगर इसकी गर्लफ्रेंड यहाँ होती तो अभी मुझे कच्चा चबा जाती। कहती कि मैं जानकर नील के सामने ऐसे आई ताकि वह मेरी तरफ अट्रैक्ट हो सके और उसे छोड़कर मेरे पास चला आये। थैंक गॉड कि वह छिपकली साथ में नहीं आई थी।" मनु खुद से ही बोली।



" पर वह रुक कर क्यों देख रहा था मुझे? " मनु ने खुद से ही सवाल किया और उसके चेहरे पर अजीब से भाव आए।


"नहीं नहीं मुझे उसके बारे में सोचना भी नहीं है..! और मुझे उससे कोई मतलब नहीं रखना वह सिर्फ अक्षत का दोस्त है इस नाते इस घर में आता है बाकी मेरा कोई लेना देना नहीं। वह रिया का बॉयफ्रेंड है। रिया उसके लिए इतनी पजेसिव है। और न हो तब भी मुझे उसके बारे में कभी सोचना ही नहीं है।

दुनिया के सारे लड़के मर जाएंगे ना तब भी मैं नील वर्मा के बारे में नहीं सोचूँगी। " मनु खुद से ही बोली और फिर आईने के आगे आकर रेडी होने लगी उसने बालों को खुला छोड़ा और चेहरे पर हल्का मेकअप करने के बाद पिंक शेड की लिपस्टिक लगा ली।




"कोई कुछ भी कहे मनु पर खूबसूरत तो तू है।" मनु खुद से ही बोली और फिर अपना हैंड बैग ले लिया ।

तभी उसके दरवाजे पर नोक हुआ।


"हां अक्षत आ रही हूं।" मनु ने कहा।

"जल्दी आओ हम लोग गाड़ी में बैठ कर वेट रहे हैं ।" अक्षत बोला और नीचे निकल गया।


उसके पीछे-पीछे नील भी जाने लगा। जाते-जाते नील फिर से पलटकर मनु के दरवाजे की तरफ देखा और फिर से सिर झटकटकर बाहर निकल गया।


दोनों कार में बैठे थे। अक्षत अपने फोन में कुछ देख रहा था और मनु का इंतजार कर रहा था तो वहीं नील विंडो के बाहर देख रहा था ।


"हुआ क्या था मुझे आखिर अब तक तो कभी किसी के लिए ऐसा फील नहीं हुआ? यहां तक कि रिया भी हर समय मेरे साथ रहती है उसके लिए भी ये एहसास नहीं है । मानसी को देखकर नजरें क्यों रुक गई थी। दिल कर रहा था कि बस उसे देखता रहूं कितनी प्यारी लग रही थी वह उस ड्रेस में।" नील बोला तभी दरवाजे से आती मनु पर नजर गई और एक बार फिर से नील की नजर उस पर ठहर गई ।


"कितना अंतर है इसमें और रिया में। यह इतनी खूबसूरत है समझदार है पढ़ी लिखी है फिर भी कभी किसी बात का कोई घमंड नहीं है। कभी नखरे नहीं करती कभी एटीट्यूड नहीं दिखाती । हर समय नॉर्मल तरीके से रहती है जबकि अक्षत ने बताया था कि अपने पापा की करोड़ों की संपत्ति की इकलौती वारिश है। फिर भी कभी किसी बात का घमंड नहीं किया। और एक रिया है ना जाने किस बात का इतना एटीट्यूड है और मुझ पर अधिकार तो इस तरीके से जमाती है जैसे मैं उसका खरीदा हुआ गुलाम हूं। कभी-कभी बड़ी बड़ी कोफ्त होती है मुझे रिया की वजह से। अब मुझे कैसे भी करके रिया से दूरी बनानी होगी उसका पागलपन जुनून बनता जा रहा है।

सही कह रहा था अक्षत इससे पहले कि वह मेरे गले की हड्डी बने उससे दूर होना होगा। और रिया को भी यह बात समझनी होगी कि दोस्ती तक ठीक है पर मेरी जिंदगी में इससे ज्यादा उसकी कभी कोई ना जगह थी ना कभी होगी।" नील अपने ख्यालों में बोलता जा रहा था तभी मनु ने आकर पीछे का दरवाजा खोला और कार में आकर बैठ गई।

" चलो..!" मनु बोली तो उसी के साथ अक्षत ने कार आगे बढ़ा दी और नील के विचारों को विराम लग गया।

क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव