understanding in Hindi Short Stories by नंदलाल मणि त्रिपाठी books and stories PDF | सूझ बूझ

Featured Books
  • एक रोटी ऐसी भी

    रोटी के लिए इंसान क्या क्या नहीँ करता है मेहनत मजदूरी शिक्षा...

  • Kurbaan Hua - Chapter 35

    संजना ने तुरंत दरवाजा बंद कर लिया और हर्षवर्धन की ओर देखने ल...

  • मेरी जान

    ### **मेरी जान**शाम के 6 बजे थे। दिल्ली की गलियों में ठंडी ह...

  • हमराज - 10

    फिर बादल भी अपने कमरे के अंदर ही रूककर उस शख्स की अगली हरकत...

  • महाभारत की कहानी - भाग 92

    महाभारत की कहानी - भाग-९२ शांति के प्रस्ताव लेकर कौरवसभा में...

Categories
Share

सूझ बूझ

सूझ बूझ-----

देवरिया जनपद के आस पास भटनी भाटपार आदि क्षेत्रो से बड़ी संख्या में पढ़ने वाले छात्र देवरिया आते है ।

अब तो शायद ही कोई छात्र बिना टिकट या मासिक सीजनल टिकट के चलता हो लेकिन सत्तर अस्सी के दौर में बिना टिकट रेल यात्रा करने का एक फैशन ही था लोग एक दूसरे को बताते थे बड़े गर्व से की कैसे बिना टिकट वह बम्बई और कलकत्ता तक लौट आया है।

सुबह लोकल पैसेंजर ट्रेन से देवरिया स्कूल कालेजों में पढ़ने वाले बच्चे आते थे और शाम तीन चार बजे पसेंजर से ही लौट जाते जिसमे अधिकतर बच्चे बिना टिकट ही चलते ।

रेलवे प्रसाशन कि नियमित चेकिंक के बाद भी स्कूली बच्चों पर कोई फर्क नही पड़ता रेल प्रशासन ने तब एक योजना के अंतर्गत टिकट चेकिंक का अभियान चला रखा था ।

रेल प्रशासन ने निर्णय लिया कि शनिवार को सघन टिकट चेकिंग अभियान चलाया जाए रविवार अवकाश रहता है अतः स्कूली बच्चों का प्रतिरोध बिल्कुल नही होगा ।

शनिवार को रेल प्रशासन ने सघन टिकट चेकिंग का अभियान चलाकर सैकड़ों बेटिकट पढ़ने वाले बच्चों को पकड़ लिया दूसरे दिन रविवार होने के कारण कोई समस्या नही हुई लेकिन सोमवार को जब पुनः सारे स्कूल कालेज खुले तब स्कूली हज़ारों बच्चे एकत्र होकर बिना टिकट पकड़े गए बच्चों कि रिहाई कि मांग करने लगे ।

भयंकर गर्मी पहले तो देवरिया जनपद के जनपद प्रशासन ने मामले को बहुत गम्भीरता से नही लिया लेकिन दिन के बारह बजते बजते हालात बिगड़ता देख जिला प्रशासन सक्रिय हुआ जिला अधिकारी खुर्शीद आलम ने पुलिस कप्तान उत्तम कुमार वंसल को कहा कि पुलिस बल के साथ बिगड़ते हालात को काबू करे।

उधर आक्रोशित स्कूली बच्चे छोटे से जनपद देवरिया शहर में तोड़ फोड़ करते उधम मचा रहे थे पुलिस कप्तान अपने पूरे दल बल के साथ उग्र बच्चों को काबू करने के सभी प्रायास करते रहे लेकिन बच्चे और उग्र होते गए ।

पुलिस कप्तान ने जिलाधिकारी को इत्तला दिया कि हालात वद से वदतर हो चुके है ।

जिलाधिकारी खुर्शीद आलम स्वंय मौके पर पहुंचे युवा पुलिस कप्तान लाठी चार्ज या फायरिंग के लिए जिलाधिकारी पर दबाव बनाते रहे वास्तव में हालात ही इतने बिगड़ चुके थे ।

कहते है कि प्रशासनिक अधिकारियों एव उच्च पुलिस अधिकारियों कि चयन प्रक्रिया में उनकी सूझ बूझ धैर्य सकारात्मक दृष्टिकोण को विशेष महत्त्व दिया जाता है उसका अविस्मरणीय उदाहरण देवरिया के तत्कालीन जिलाधिकारी खुर्शीद आलम ने प्रस्तुत किया ।

हालात बेकाबू होने एव पुलिस कप्तान के सुझाव पर जिला अधिकारी ने संयम एव धैर्य से कहा( कप्तान साहब ये बच्चे पढ़ने वाले है पता नही इनके माँ बाप के कितने अरमान होंगे इनको लेकर सम्भवः है इन बच्चों में एक दो या बहुतों के सगे सम्बंधित या रिश्ते नाते के लोग कही जिलाधिकारी या पुलिस कप्तान होंगे लाठी चार्ज या फायर में एक भी बच्चे को कुछ हो गया तो खुदा को क्या जबाब देंगे?
बच्चे है सुबह से घर से निकले है भयंकर गर्मी है एक बजे रहे है तीन चार बजे तक नारा लगाकर विरोध प्रदर्शन करके धक जाएंगे और इस बीच सिर्फ इतना ध्यान रखिये कप्तान साहब बच्चे कोई हानि संपति या व्यक्ति को ना पहुंचा पाए और चार बजे हल्की फुल्की लाठीचार्ज करें वह भी यह ध्यान देते हुए की किसी भी बच्चे को कोई भी चोट ना आये) ।

पुलिस कप्तान अपने पुलिस बल के साथ एव जिलाधिकारी स्वंय मौके पर मौजूद बच्चों कि हानिकारक उग्रता को नियंत्रित करते रहे चार बजते ही जिलाधिकारी के निर्देश के अनुसार पुलिस बल ने हवा में लाठियां भाजनी शुरू की दिनभर चीखते चिल्लाते भूखे बच्चे तीतर बितर हो गए और अपने अपने गन्तव्य को चल पड़े फिर जिला प्रशासन ने बेटिकट पकड़े गए बच्चों को रेल प्रशासन से आम माफी छोटी पेनाल्टी के साथ दिलवाई इस प्रकार प्रशासनिक सूझ बूझ से बहुत बड़ा अपशगुन होने से बच गया।।


नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।