Kavyajeet - 2 in Hindi Poems by Kavya Soni books and stories PDF | काव्यजीत - 2

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काव्यजीत - 2

एक रिश्ता पाकीजा सा
हां उससे बात करना अच्छा लगता है
इस मतलबी दुनियां में साथ उसका सच्चा लगता है
हां उससे है जरा ज्यादा सा लगाव
क्योंकि वो समझता है मेरे मन के भाव
हां उसके बिन अब हर बात लगती है अधूरी
मगर क्या इसे प्यार का नाम देना ही है जरूरी
एहसासों का उससे है नाता
लगाव सा है उससे मन को उसका साथ भी है भाता
हां मगर है ये रिश्ता
प्यार से जरा है कम
दोस्ती से थोड़ा ज्यादा
बेमतलब सा और बड़ा हो सादा
है पाकीज़ा ये बंधन पावन सा
जैसे बारिश की बूंदों और सावन सा
जज्बातों के इस रिश्ते को कोई नाम न दो
नाम का इसे कोई इल्जाम ना दो
रिश्ता ये जैसे सुकून की नींद ने
कोई मीठा ख्वाब हो बुना
तो रहने दो ना इसे अनकहा अनसुना
प्यार से कम दोस्ती से ज्यादा
बंधन ये है बड़ा ही पाकीज़ा और सादा बहते झरने सा तू निश्छल
पावन प्रेम , सरलता से भरा तेरा मन
मेरे ख्वाबों ख्वाहिशों का तू विशाल सा आकाश
कभी प्यार की तो कभी जलन में गुस्से की तू बरसात
तुझ बिता एक लम्हा शदियों से कम नहीं
तुम बिन प्रियतम हम नहीं
प्रीत हमारी जैसे राधा और श्याम
मुझमें तू रहता जैसे सीता के राम

रिश्ता तेरा मेरा है ऐसा
इस धरा का गगन के जैसा
खुशबू का मस्त पवन से जुड़ा वैसा
बादल बरखा बिन सावन कैसा

नदियां को सागर में मिल ही जाना है
खुशबू का जैसे फूलों में ठिकाना है
मेरे प्यार की पहचान तू है
मेरी खुशी मुस्कुराहटों को तू नाम है
ऐसे तू मेरा जैसे सीता का राम है

मेरे मन पर तेरा अधिकार है
मेरे चाहतों पर तेरा इख्तियार है
सीता राम सा राधे श्याम सा
मुझे भी तुमसे प्यार है
मैं पूर्ण हूं जब तू अल्पविराम है
ऐसे तू मेरा जैसे राधा का श्याम है
जैसे सीता का राम है


सूरजमुखी सी मैं
मैं सूरजमुखी सी तुमसे पल पल जुड़ती रही
जिस राह तू चला मैं उस डगर मुड़ती रही
अपने खिलने की खिलकर खिलखिलाने की
तुम्हें वजह बनाया
सब खत्म हो गया इन अल्फाजों को
तू प्यार की जगह लाया
मेरा प्रेम मेरा समर्पण शायद तुम्हे नज़र ना आया
एक जरा सी रंजिश में तुमने प्रेम बिसराया
रूठी थी तो प्यार से मनाते
प्यार गुस्सा हक भी जताते
मगर सब खत्म होने को तुमने जब चुना
बिखर गया मेरा हर ख्वाब मेरा हर अरमान
जो बड़ी शिद्दत से था मैंने बुना


वो मुझे खोने से डरता है
हो लाख शिकवे या हो जाए कभी नाराज़
मगर किसी और के सामने बदलते नहीं
उसके प्यार के अंदाज
शिकायत और नाराज़गी को कर परे करता
तारीफें मेरी करने से कभी कहां उसका जी भरता है
जलन के अहसास भी उसमे खूब भरे है
कोई मुझे देखे जी उसका बड़ा जले है
गलत नज़र किसी की मुझ पर सह न पाए
मेरी एक मुस्कान के लिए कुछ भी कर जाए
मेरी कमजोरी में बनता है मेरी ढाल
बिन कहे जान जाता है मेरे मन का हाल
मेरी परवाह वो करता है
क्योंकि मुझे खोने से वो बहुत डरता है


मेरी नादानियों को कर देता है पल में माफ
मुझे गलत न ठहराता वो कभी
सदा रखे मेरे लिए मन अपना साफ
बेअदबी से न करे कभी बात
मुश्किल घड़ी में थामे मेरा हाथ
सिर्फ मेरी खुबिया ही न उसे लुभाए
मेरी कमियों को भी बेझिकक अपनाए
मेरे बचपने को अपने सर आंखों पर रखा करता है
वो मुझे बेइंतहा प्यार जो करता है
मेरे दूर होने के ख्याल से भी मन उसका तड़पता है
खुशकिस्मत ही वो मुझे खोने से इतना डरता है

तुम हो जाओ ना यूं मेरे
मुझे तुम अपनी जान बना लो
सुकून दे वो मीठा सा अरमान बना लो
ना छूटे कभी वो आदत बना लो
ना रूठे वो चाहत बना लो
आंखों का ख्वाब लबों की बात बना लो
सीने से लगा कर तुम मुझे अपनी हसीन रात बना लो
साथ रहुं हर पल वो ख्याल बना लो
बयां करो तो अल्फाज़ बना लो
दिल को आवाज धड़कनों का साज बना लो
नजर आऊं किसी को खो जाऊं तुझमें इस कदर
मुझे अपना गहरा राज़ बना लो
तुम हो जाओ यूं मेरे
मुझे अपनी सुबह और शाम बना लो