Hotel Haunted - 32 in Hindi Horror Stories by Prem Rathod books and stories PDF | हॉंटेल होन्टेड - भाग - 32

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 32

तेज़ गिरती हुई बारिश मैं 'छप्प....छप्प.... छप्प...." जूतों की आवाज़ पानी में पड़ रही थी और हर्ष भिगता हुआ भाग रहा था, उसके चेहरे पे गुस्से की अलग ही लहर उठी हुई थी......तभी वो दौड़ता - दौड़ता रुक गया और सामने देखने लगा, सामने देखते ही उसके चेहरे पर छाया गुस्सा ओर बढ़ गया क्योंकि सामने अभिनव और उसके दोस्त बाइक स्टैंड पर खड़े आपस में बातें कर रहे थे।
"Bloody Bitch थोड़ी खूबसूरत है तो क्या समझती है अपने आप को.....उसकी इतनी हिम्मत की मुझसे ब्रेकअप करे, उसे क्या पता की उसके जैसी कितनी लड़कियां आज भी मुझपे मरती है,वैसे भी इन सब का क्या है बस पैसे फेंको और तमाशा देखो"अभिनव ने सिगरेट का लंबा कश खींचते हुए कहा।
"छोड़ ना यार उसकी वजह से तू क्यों अपना मूड खराब कर रहा है पर मुझे एक बात समझ नही आई तूने उस वक्त सबके सामने कोई जवाब क्यों नहीं दिया?"समीर ने अभिनव से कहा।
"अरे यार उस वक्त situation ही ऐसी थी उपर से इन सब का रोना जल्दी शुरू हो जाता है तो उसकी वजह से सब लोग उन्ही की favour मैं थे और अगर यह बात Dean तक पहुंच जाती तो बहुत problem होती, बाकी उस लल्लू की वजह से मेरी जो reputation खराब हुई है वो मैं कभी नहीं भूलूंगा।" अभिनव ने गुस्से मैं बारिश की और देखते हुए कहा जो और ज्यादा तेज़ हो गई थी।



अनमोल अभी उससे कुछ कहने ही वाला था की तभी अभिनव को पीछे से हर्ष ने उसकी शर्ट को पकड़ते हुए पार्किंग से बहार निकाला और पीठ के बल उससे ज़मीन पे पटक दिया" धप्पप्पप्......." एक तेज़ आवाज़ बारिश की आवाज़ के साथ जा मिली और अभिनव के चेहरे पे हल्की सी दर्द की लकीरें दिखने लगीं, उसका शरीर जमीन पर भरे पानी के गढ्ढे गिर गया और उसके गिरने की वजह से गढ्ढे का पानी भी हर तरफ फैल गया। एक पल के लिए उसकी आंखें बंद हो गई, उसे समझ ही नहीं आया की अचानक उसके साथ क्या हुआ? जैसे ही वो पानी मैं गिरा उसे पीछे से समीर और अनमोल की आवाज सुनई दी "अभी!!??......"

अभी की आंखें पानी गिरने की वजह से ठीक से खुली नही थी तभी उसे अपने पास एक आवाज सुनाई दी "बहुत शौक है ना तुझे लडने का" कहते हुए हर्ष उसके चेहरे के पास आया। अभिनव ने अपनी आंखों को मलते हुए खोला तभी उसकी आँखों के सामने हर्ष का भिगता हुआ चेहरा आ गया, जिसे देखते ही अभिनव के चेहरे पर भी वही गुस्सा भर गया जो इस वक्त सामने खड़े हर्ष के चेहरे पर था।



अपने सामने हर्ष को देख अभिनव भी खड़ा हो गया और उसकी आंखों में देखते हुए गुस्से में बोला...."एक भाई पीछे मेरी GF को छेड़ता है और दूसरा पीछे से मारता है,वैसे भी वो लल्लू तो अनाथ है इसलिए उससे क्या ही उम्मीद करू पर अब तो मुझे तुम पर भी शक हो रहा है कि कहीं तुझे भी किसी orphanage से उठाकर नही लाए है? क्योंकि तुम दोनो बुजदीलो को सामने से लड़ने की हिम्मत ही नही है"अभिनव ने अपनी बात कठोर चेहरा बनते हुए कहीं जिसे सुनते ही हर्ष अपने गुस्से पे काबू नहीं रखा पाया, उसने अपना हाथ उठाया और चिल्लाते हुए एक पंच अभिनव के चेहरे पे दे मारा। अभिनव उस पंच को झेलने के लिए तैयार नहीं था इसीलिए उसका बैलेंस बिगडा और वो पेट के बल जमीन पे जा गिरा "छप्पप्पाक्कक्कक" पानी में गिरते ही आवाज हुई और एक पल के लिए अभिनव की आंखों के आगे अंघेरा छा गया "हिम्मत देखनी है ना तुझे....आ दिखाता हूं "कहते हुए हर्ष ने अपनी लाट उठाई और अभिनव के पेट पे दे मारी, दर्द की लहर अभिनव के चेहरे पे इस कदर छाई की उसकी आंखें बंद हो गई।



हर्ष ने अपना पैर जमीन पर पड़े पानी को चिरते हुए पीछे किया और अभिनव को मारता उससे पहले दो हाथों ने उसे पीछे की तरफ धक्का दे दीया, हर्ष इस धक्के को अचानक मेहसूस कर अपने आप को संभल नहीं पाया और पीठ के बल पीछे जमीन पर जा गिरा। हर्ष को धक्का देकर अनमोल ने अभिनव को उठाया,और समीर भी उनके पास पहुंच गया इधर बारिश में एक नई लड़ाई का जन्म शुरू हो चुका था, दोनो ने अभिनव को सहारा देते हुए उठाया।इस वक्त तीनो हर्ष को घूर रहे थे जो इस वक्त पानी मैं पड़ा था।"आज इसकी सारी अकड़ निकल देते हैं" कहते हुए वो तीनो हर्ष की ओर आगे बढ़े पर अचानक हर्ष ने दौड़ते हुए छलांग लगाई और एक लात अभिनव के छाती पर मारी जिसकी वजह से वो फिर दूर जाकर गिर गया समीर अभी कुछ कर पाता उसके पहले ही हर्ष ने एक पंच उसके पेट में मार दिया पर तभी अनमोल ने पूरी ताकत के साथ हर्ष के पेट के साइड पर वार किया।यह वार इतनी जोर से किया था जिसकी वजह से हर्ष के मुंह से चीख निकल गई।पर जो गुस्सा इस वक्त हर्ष के अंदर था उसकी वजह से उसने अपना पूरा जोर लगाकर अनमोल के नाक के उपर पंच मारा।जिसकी वजह से उसके आंखों के सामने अंधेरा छा गया और वो वही गिर गया।


हर्ष अनमोल की तरफ बढ़ रहा था कि पीछे से समीर ने मौके का फायदा उठाते हुए हर्ष के घुटनों पर वार किया जिसकी वजह से हर्ष जमीन पर गिर गया तभी वहां अभिनव पहुंच गया और तीनो ने मिलकर बारिश की तेज़ बुंदों के साथ लातों की बारिश शुरू कर दी , "अब तू और तेरा वो साला अनाथ भाई दोनो कभी पंगा लेने की हिम्मत नहीं करेंगे"अभिनव पूरे गुस्से में चिल्लाता हुआ अपनी लातें मर रहा था।अविनाश भागते हुए आया और स्किट खाते हुए एक जगह एक रुका और जैसे ही उसके सामने हर्ष को पिटते हुए देखा उसकी आंखें खुली रह गई "ओह....shit" बोलते हुए वो उसकी तरफ भाग पड़ा।

"अवि.....रुक" उसके पीछे निधि भागती हुई आई और उससे रुकने के लिए आवाज लगायी लेकिन अविनाश ने उसकी नहीं सुनी अविनाश भागता हुआ सीधे अभिनव पे झपट पड़ा और उसकी गरदन को पड़कर पीछे धक्का दे दिया, अचानक हुए हमले से अभिनव का बैलेंस बिगड़ गया और वो पीछे की तरफ गिर गया, इससे हर्ष पे हो रहा हमला बंध हो गया, उसी मौके का फायदा उठाते हुए उसने अपना पैर उठाकर समीर के पेट में मारा जिसकी वजह से वो थोड़ा दूर जाकर बैठ गया अभी अनमोल कुछ करता उसके पहले ही हर्ष ने साइड मैं पड़ा पत्थर उठाया और अनमोल के पैर पर मार दिया,उन दोनो के उसके गिरते ही हर्ष खड़ा हो गया, उसके गले और मुंह से खून निकल आया था वही हाल अभिनव का भी था पर फिलहाल वो नीचे पानी में पड़ा था।


"श्रेयस रुको तुम पूरे भीग गए हो कहीं बीमार ना पड जाओ" आंशिका कहते हुए मेरे पीछे चल रही थी,पर मेरा ध्यान इस वक्त उसकी बातो पर नही था।मैं तेज़ी से चलते हुए कॉलेज ग्राउंड से गुजरते हुए भाई को ढूंढ रहा था, मेरे दिमाग मैं अभी भी भाई का वो गुस्से वाला चेहरा घूम रहा था मेरे दिल मैं एक अजीब सा डर उठ रहा था और दिमाग़ में एक ही बात घूम रही थी कि आखिर भाई क्यों इतना गुस्से मैं था? बारिश तेज़ होने की वजह से बहुत दूर तक दिख नही रहा था उपर से मेरा चश्मा भी टूट गया था।में पार्किंग के पास पहुंच गया था और दूर से मुझे कुछ लोग भी वहा नज़र आ रहे थे। बारिश की बूंदे मेरी आंखों में गिर रही थी जिसकी वजह से मैने अपना हाथ आंखो के उपर रखकर दूर तक देखने की कोशिश की और सामने का नजारा देख मेरी आंखें खुद ब खुद बड़ी होती चली गई। सामने हर्ष ज़मीन पे घुटनों के बल बैठकर अभिनव की गर्दन पकड़े उसे घुसे पे घुसे मारे जा रहा था, पीछे से अनमोल उसे अभिनव से अलग करने की कोशिश कर रहा था लेकिन बार - बार पीछे से अविनाश उसके रास्ते मैं आकर उसे हर्ष से अलग कर देता, अविनाश की हरकतें से आखिर में तंग आकर और उसके अविनाश को इतनी जोर से धक्का दिया की वो पीछे पत्थरो पर जा गिरा। पत्थरो पर गिरने की वजह से उसके शरीर मैं दर्द की लहर दौड़ गई गिरते ही उसके मुह से दर्द भरी चीख निकल गई।अपने भाई को इस तरह गिरते हुए देखकर निधि दौड़कर उसके पास पहुंच गई और उसे उठाने की कोशिश करने लगी।


यह सब देखकर मैं भागता हुआ वहां जा पहुंचा,मेने पहले अविनाश को खड़ा किया और फिर अनमोल के पास पहुंचकर उसे खिंचकर पीछे ले जाने लगा।"अविनाश भाई को हटा "मेरी बात सुनते ही अविनाश ने वही किय और हर्ष को अभिनव से अलग करने की कोशिश करने लगा।इस और अनमोल मेरी पकड़ से छूटने की कोशिश कर रहा था"अनमोल...प्लीज शांत हो जा....इस लड़ाई से कुछ नहीं होगा।" मेने अनमोल को पीछे घसीटते हुए कहा, अनमोल अपने आप को पूरी तरह छुड़ाने की कोशिश कर रहा था, "शांत हो जा.... प्लीज..." कहते हुए मेने उसे एक धक्का देकर छोड़ दिया,जैसे ही अनमोल मुझसे आजाद हुआ वो पीछे मुडा और मेरी तरफ गुस्से भरी नजरों से देखने लगा।मैं उसके चेहरे को देखते हुए दूर गया और अभी को सहारा देकर खड़ा किया, मैं अभी कुछ आगे कहता उसके पहले ही उसने एक पंच मेरे चेहरे पे दे मारा, पंच पड़ते ही मेरी गर्दन हल्की सी नीचे की तरफ झुक गई जिसे देखकर हर्ष ने चिल्लाते हुए कहा "Hey....you As*h*le दम है तो एक बार मुझ पर वार करके देख,अवि छोड़ मुझे आज मैं इसे दिखाता हूं।" मैंने अपनी नजरे उपर उठाकर अभी को देखते हुए कहा"मार ले जितना मारना है, पर खत्म करो ये सब प्लीज....." मेने अभिनव से इस बार request करते हुए कहा लेकिन वो शायद मेरी बात सुनने के मूड में नहीं था उसके फिर से अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाया पर इस बार पीछे खड़ी आंशिका ने अभी का हाथ पकड़ लिया और कहा "बस अब श्रेयस शांत है इसका मतलब यह नहीं है की तुम अपनी ताकत आजमाते रहो अब एक और बार तुमने हाथ उठाया तो इसका अंजाम अच्छा नही होगा।"



आंशिका की बात सुनकर अभिनव ने हंसते हुए कहा "bloody basterds...... मुझसे बचने के लिए लड़की का सहारा लेते है।"उसकी बात सुकर हर्ष ने भड़कते हुए कहा "अबे तुजसे क्या डरना, एक बार फिर सामने से दो दो हाथ करके दिखा फिर बताता हूं।" हर्ष अविनाश के हाथ से निकलने की कोशिश कर रहा था पर अविनाश ने उसको कसकर पकड़ा हुआ था।यह सुनकर अभी ने आंशिका की और देखते हुए कहा "अभी यह सब खत्म नहीं हुआ है।" इतना कहकर वो तीनो वहा से निकल गए।उसके बाद में सीधा दौड़ते हुए भाई के पास पहुंचा जो अविनाश के हाथ से छूटकर उसकी ओर गुस्से से देख रहा था। उसके बाद हर्ष श्रेयस की तरफ बड़ा और उसके चेहरे की देखकर उसे घुरने लगा। "भाई... आपको चोट लगी है, चलो घर चलते हैं।"मैंने उसके घाव की ओर देखते हुए कहा जिसमें से अभी भी ख़ून निकल रहा था। मेने उसका हाथ पकड़ा और उसे ले जाने लगा, पर उसने एक झटके से मुझसे अपना हाथ छुड़वा लिया "अरे हट्ट....." उसके ऐसे बेहवियर से में चौंका नहीं बल्की जानता था कि इस वक्त वो बहुत गुस्से में है इसलिए मेने उससे फिर से समझाते हुए कहा "भाई प्लीज.... ऐसे लड़ाई करने से क्या होगा एक छोटी सी गलतफहमी ही तो हुई थी, उसपर.... "मैं बस इतना ही कहा पाया के भाई ने मुझे हल्का सा पीछे धक्का दे दिया....."मुझे कोई मतलब नहीं की तेरे साथ क्या हुआ समझा" उसकी मेरी तरफ उग्ली दिखाते हुए अपनी तेजी से चल राही सांसों को काबू करते हुए कहा, "अच्छा है तू मेरा भाई नहीं है जरा देख अपनी हालत, तेरे जैसा बुजदिल जो लड़ने से डरता हो और जो मार खाकर पड़ा रहे वो मेरा भाई कभी नही हो सकता "उसने मुझसे इतना कहा और वहां से चला गया।


मैं और आंशिका उसे जाता देखते रहे फिर वो धीरे धीरे मेरी तरफ बढ़ते हुए आई और मेरी तरफ मेरे चेहरे पे लगे घाव को देखने लगी, मेरे दिल में इस वक्त ना जाने कितनी उथल पुथल चल रही थी जिसे में खुद नहीं सकता था।"श्रेयस तुम्हारे चेहरे पर गहरी चोट के निशान है मेरे साथ हॉस्पिटल चलो।" आंशिकाने मेरी आंखों मैं देखते हुए कहा।आंशिका मेरी आँखों में देख रही थी,शायद वो मेरी आंखो मैं छुपी उल्जनो को समझने की कोशिश कर रही थी, मैंने उसकी आंखों में देखा। बारिश की बुंदों के पीछे छुपी आँखों में ना जाने क्यों एक अजीब सी खामोशी थी जिस में समझ नहीं पा रहा था।मैं पीछे हटा और नजरें चुराते हुए कहा "आंशिका तुम पूरी भीग गई हो,इसलिए तुमको भी घर चले जाना चाहिए" मे बस इतना कहकर आंशिका के बगल से निकलते हुए जाने लगा ,आंशिका मुझे यूं जाता देख रही थी, पर मेरी हिम्मत नहीं हुई कि मैं कुछ भी और कह सकू।शायद ये वक्त नहीं था रुकने का या कुछ भी कहने का, ये वक्त था तो अपने दिलो में चल रही हलचलों को संभालने का, जिससे हम सही और गलत का फैसला कर पाए।मैं वहा से घर के लिए निकल गया और तेज़ गिर रही बारिश मैं आंशिका वही खड़ी रही।



To be continued.......