Our country is progress, it is the root of all progress. in English Anything by ABHAY SINGH books and stories PDF | निज कंट्री उन्नति अहे, सब उन्नति के मूल

Featured Books
  • ભાગવત રહસ્ય - 149

    ભાગવત રહસ્ય-૧૪૯   કર્મની નિંદા ભાગવતમાં નથી. પણ સકામ કર્મની...

  • નિતુ - પ્રકરણ 64

    નિતુ : ૬૪(નવીન)નિતુ મનોમન સહજ ખુશ હતી, કારણ કે તેનો એક ડર ઓછ...

  • સંઘર્ષ - પ્રકરણ 20

    સિંહાસન સિરીઝ સિદ્ધાર્થ છાયા Disclaimer: સિંહાસન સિરીઝની તમા...

  • પિતા

    માઁ આપણને જન્મ આપે છે,આપણુ જતન કરે છે,પરિવાર નું ધ્યાન રાખે...

  • રહસ્ય,રહસ્ય અને રહસ્ય

    આપણને હંમેશા રહસ્ય ગમતું હોય છે કારણકે તેમાં એવું તત્વ હોય છ...

Categories
Share

निज कंट्री उन्नति अहे, सब उन्नति के मूल

निज भाषा उन्नति अहे, सब उन्नति के मूल ..

भारतेंदु हरिश्चन्द्र ने लिखा था, डेढ़ सौ साल पहले। तब वो बन्द दुनिया थी। ये दुनिया आगे आने वाले वक्त में खुलने वाली थी, ग्लोबलाइज होने वाली थी।
●●
कलोनियलिज्म के दौर में, यूरोपियन्स ने बन्दूक के जोर पर अपना राजनैतिक प्रभुत्व जमाया। दुनिया के बड़े हिस्से में अंग्रेजी, फ्रेंच, पुर्तगीज, और डच फैली।

इस दौड़ में आखिरकार अंग्रेज सबसे आगे रहे।नतीजा, अंग्रेजी भी दुनिया मे आगे रही। अंग्रेजो ने दुनिया लूटी, धन लूटा।

लूट लिया दुनिया का ज्ञान, इतिहास।
●●
खोजा, जीता और खुलकर प्रशंसा कीजिये, कि संरक्षित भी किया। लंदन का विक्टोरिया और अल्बर्ट म्यूजियम, नेशनल म्यूजियम, नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम, और नेशनल आर्काइव में.. इजिप्ट से इंडिया तक, दुनिया का इतिहास बाइज्जत सुरक्षित रखा है।

वे दोस्ती दुश्मनी, गर्व शर्म से परे चले।

ब्रिटिश फौजी को नोचते टीपू का शेर, विक्टोरिया म्यूजियम में तमीज से संरक्षित है। रोसेटा स्टोन वहां संरक्षित है।

इसके मुकाबले कभी कलकत्ता या काहिरा के धूल फांकते म्यूजियम देखिये। अलमारियों में बेतरतीब ठुंसे अर्टिफेक्ट्स देखिये, आपको फर्क समझ आएगा।
●●
भारतीयों को मौर्यो का पता न था, इजिप्ट अपनी भाषा नही जानता था। अशोक स्तम्भ की ब्राह्मी लिपि, और रोजेटा स्टोन की हरियोग्राफिक पढ़ने वाले तो अंग्रेज थे।

उन्होंने इस ज्ञान को अंग्रेजी में समाहित किया। चाइनीज, रशियन, अफ्रीकन, अरबी हर भाषा के ज्ञान को ट्रांसलेट किया, किताबो में ढाला, बेचा, दुनिया तक पहुंचाया।

ऐसा होते होते आखिरकार अंग्रेजी, दुनिया का इन्फॉर्मेशन और नॉलेज हाइवे बन गयी। आज भी हाइवे वही है, यह सचाई है।
●●
जो हुआ, उसमे आपकी मेरी गलती नही। जो इतिहास है, वही है। जो वर्तमान है, वो वर्तमान और जो सच है वो सचाई है।

सूचना और ज्ञान के इसी हाइवे पर दौड़कर इंद्रा नूयी, सत्या नडेला और सुंदर पिचाई दुनिया की वृहत्तम कम्पनियो के सीईओ है।

आपका गर्व है।
●●
दुनिया बदल चुकी है। आर्थिक क्लोनियललिज्म का दौर है। रशिया के सुपरपावर होने के दौर में लोग रशियन सीखते थे। आज दुनिया जर्मन और चाइनीज सीख रही है।

इसलिए कि वो उभरती ताकतें हैं। वहाँ व्यापार है, समृद्धि है। दुनिया के लोग वहां जाना चाहते है, मिलना चाहते है, सम्बंध कायम करना चाहते है। तो दुनिया, जर्मन और चाइनीज अपनी मर्जी से सीख रही है।

उधर बड़ी जर्मन और चाइनीज कम्पनियो के एग्जीक्यूटिव भी "अंग्रेजी" बोलते है। क्योकि उन्हें बाहर जाना है, धंधा करना है। अपनी कम्पनी, और देश को, समृद्ध बनाना है।
●●
भाषा सिर्फ भाषा है। ध्वनि है, जिसकी हर गूंज के "हमने अपने मायने" बनाये हैं। एक ध्वनि दूसरी से बेहतर या इन्फिरियर नही हो सकती।

चिड़ियों की चरचराहट और गाय के रम्भाने में बेहतर सुसंस्कृत- वैज्ञानिक भाषा क्या है? गाय के रेवड़ में किसी से पूछिये, वो रम्भाने को बेहतर बताएगी। चिड़ियों के झुंड में किसी से पूछिए, वो चहचहाने को बेहतर बताएगी। ईरान में किसी से पूछिये, फ़ारसी को बेहतर बतायेगा।

ये ध्वनियां, लिपियाँ सिर्फ कम्युनिकेशन का माध्यम हैं। सम्प्रेषण वो बेहतर जिसे लोग समझे। यूएन के मंच पर हिंदी में भाषण देने से हिंदी गौरवान्वित कैसे हुई??

अरे, 99% लोगो को आपकी बात ही समझ न आई। दूर अफ्रीकन देश का व्यक्ति, उस मंच से स्वाहिली में गुटर गूं कर जाए, तो इससे आपके मन मे स्वाहिली के लिए सम्मान पैदा हो जाएगा क्या???

ये राजनैतिक तमाशे हैं।
कुंद और जड़मति लोगो को तुष्ट करने का।
●●
मूर्ख है वो, जो किसी परिवार, जाति, धर्म, भाषा या देश मे पैदा होने से ही गर्व फील करते है।

क्योकि जो अपनी मेधा और मेहनत से हासिल नही किया गया, वो आपके गर्व का कारण है, याने आपकी खुद की उपलब्धि जीरो है।

आप हठीले, कुंद, कबीलाई किस्म के जीव हैं।
●●
पुराने प्रतिमान, पुरानी बैलगाड़ियाँ छोड़िये।आज की दुनिया की बिछी बिसात को समझिये। देश को मजबूत, समृद्ध बनाइये।

पिचाई, नूयी और नडेला सीईओ नही, मालिक बन सकते है। कम्पनियाँ खड़ा कर सकते हैं, दुनिया को हिंदुस्तान के कदमों में ला सकते हैं।

ये लड़के, ये यूथ, इन्हें बजरंगी नही, बिरला बनने की राह दिखाइए। ये देश को फिर दुनिया मे फिर से नम्बर एक बना देंगे।
●●
फिर देखिए, अंग्रेज, फ्रेंच, रशियन, चाइनीज .. सारे हिंदी सीखकर दिल्ली के तख्त को सिजदा करने आएंगे।

"भारट माटा की जॉय" "विवेखा- मुण्डन की जय" बोलेंगे।
●●
भारतेंदु के दौर के दो सदी पुरानी सोच से आगे बढिये।हिन्द का सम्मान होगा, तो हिंदी का भी होगा।

इसका उल्टा सम्भव नही।
●●
तो भाषा भाषा मे ऊंच नीच न खोजिये। वर्तमान में आंखे खोलिए। समझिये और जानिये -

"निज कंट्री उन्नति अहे, सब उन्नति के मूल"

#RebornManish