The Author Swati Follow Current Read हर पल रंग बदलती है फिल्मी दुनिया - भाग 1 By Swati Hindi Biography Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books The Courage of A Drunkard It was a cold December night, and the town lay in quiet slum... Met A Stranger Accidently Turned Into My Life Partner - 19 After listening to the announcement made by their professor... Cornered- The Untold Story - 1 Chapter 01: The Campus Crisis The student, with frantic step... THE WAVES OF RAVI - PART 18 THE LAST JOURNEY The municipal clock struck four. It was fou... King of Devas - 4 Garuda suppressed his anger, then opened and closed his eyes... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by Swati in Hindi Biography Total Episodes : 2 Share हर पल रंग बदलती है फिल्मी दुनिया - भाग 1 (2) 2.1k 5.2k फिल्मी दुनिया की बेरुखी और हद दर्जे की खुदगर्जी को भी काफी गहराई से महसूस किया है मैने।चढ़ते सूरज को नमस्कार करना ही शहर की फितरत में हैं।गिरते हुए को धक्का मार कर जमीन पर लेटा देने में यहां सबको खुशी मिलती है ।फिल्मी दुनिया के कुछ दिग्गजों ने क्या खूब नाम दिया हैं बंबई शहर को । कोई कहता इसे ये माया नगरी है तो कोई कहता इसे की ये स्वपन की नगरी है ।सच भी थी है कि इस महानगर की पहचान व्यापारिक शहर की अपेक्षा फिल्मी नगरी के रूप में कही अधिक ज्यादा जाना जाता हैं । आज भी लाखो युवाओं के सपनो यह लहर जब तक उबाला मारता है ।लेकिन यहां बसी ग्लैमर ही इस शहर का पूरा सच भी है । रंगीनियों के साथ एक और चेहरा है जिसे संघर्ष ,भूख ,चापलूसी की और गुमनामी की स्याह लकीरे है ।लेकिन एक अजीब सा समोहन है इस शहर में जिससे वह हमेशा छलता रहा हैं । उन तमाम लोगों को जो झिलमिलाते सपनो की दुनिया लेकर यहां आते है ।गुजरे हुए वक्त की धुंधला रही यादों में ऐसे तमाम चेहरे सामने आते है जिन्हे इस माया नगरी ने फुटपाथ से उठा कर बुलंदियों पे बिठाया है । दूसरी तरफ ऐसे बदकिस्मत चेहरे भी कम नहीं जिन्हे यहां बेकफन दफन होने को मजबूर होना पड़ा । कुछ के लिए यह शहर ताउम्र संघर्ष का खेल बनकर रह गया । लेकिन यहीं वह चेहरे है जिनकी आंखों में झांकने की कोशिश करें तो सपनो की इस महानगरी का सच बहुत साफ दिखाई देने लगता है । 45 साल की एक ऐसी ही जवान शक्सियत का नाम है शक्ति । फिल्मी दुनिया के खूबसूरत व घटिया दोनो चेहरे को बहुत करीब से देखा है और जिया है इन्होंने ।वह बताती है की की मेरे भी जीवन में हीरोइन बन का रुचि उस दिन से जागी जिस दिन मैने फिल्मे देखना शुरू किया ।मैं हीरोइन बनने के लिए घर से भाग आई थी ,जवान और नादान उम्र के ढेर सारी यादों को समेटने की कोशिश में कुछ पल के लिए खामोश हो गई ,और उस दौर की लालस की यादें जीवंत हो उठी ।घर से भाग कर एक अंजानी जगह पे पेट पालने के लिय एक दुकान पे 100 रुपया रोज की नौकरी करती थी ।महीने के चार रविवार और त्योहारों की छुट्टी भारी पड़ती थी क्योंकि उन छुट्टियों के पैसे कट जाते थे । गुस्सा आता था की ये रविवार क्यों आ जाता है हर 6 दिन बाद ।और हर महीने त्यौहार क्यों आ जाते हैं। एक तो रहने के लिए अच्छा घर नहीं था सिर पे और महीने की पगार भी इतनी कम थी ।ऊपर से त्योहारों और रविवार की छुट्टी की अलग पैसे कट जाते है ,चूल्हे पर भी अपना खाना खुद ही बनाना पड़ता हैं।मुझे अफसोस हुआ करता था की मैं क्यों घर से भाग आई हीरोइन बनने के लिए इससे अच्छा जीवन तो हमारा गांव में ही था , कम से कम दो वक्त की रोटी तो सुकून से खाने को मिल जाता था ।आगे की कहानी भाग 2 में।swati › Next Chapter हर पल रंग बदलती है फिल्मी दुनिया - भाग 2 Download Our App