The Author बैरागी दिलीप दास Follow Current Read अंधकार के पर्दे से - 2 By बैरागी दिलीप दास Hindi Horror Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books बकासुराचे नख - भाग १ बकासुराचे नख भाग१मी माझ्या वस्तुसहांग्रालयात शांतपणे बसलो हो... निवडणूक निकालाच्या निमित्याने आज निवडणूक निकालाच्या दिवशी *आज तेवीस तारीख. कोण न... आर्या... ( भाग ५ ) श्वेता पहाटे सहा ला उठते . आर्या आणि अनुराग छान गाढ झोप... तुझी माझी रेशीमगाठ..... भाग 2 रुद्र अणि श्रेयाचच लग्न झालं होत.... लग्नाला आलेल्या सर्व पा... नियती - भाग 34 भाग 34बाबाराव....."हे आईचं मंगळसूत्र आहे... तिची फार पूर्वीप... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by बैरागी दिलीप दास in Hindi Horror Stories Total Episodes : 2 Share अंधकार के पर्दे से - 2 (2) 2k 4.4k रामनाथ और बंदरगाह ने एक रहस्यमय और भयानक यात्रा की शुरुआत की, जो उन्हें अंधकार के पर्दों के पीछे ले जाने वाली भूतों की दुनिया में ले जाएगी। यह यात्रा रामनाथ के जीवन की सबसे रोमांचक और डरावनी अनुभवों में से एक बन जाएगी।बीते वर्षों से रामनाथ की दिमागी सत्ता व्याप्त थी। वह एक रहस्यमय संसार का अनुसरण करने का इच्छुक था, जहां असलियत और काल्पनिकता का संगम होता था। उसके लिए एक अवसर आया, जब उसे एक पुराने महल के बारे में सुना। इस महल को "बंदरगाह" कहा जाता था, क्योंकि उसके आसपास जंगल में बहुत सारे बंदर रहते थे। इस महल के बारे में कई कहानियाँ और अफवाहें थीं, जिसे रामनाथ को सुनकर उसे यह लगा कि यह वही जगह है जिसे उसका दिल चाहता है।रामनाथ ने अपने दोस्तों के साथ इस यात्रा की तैयारी की। वे संगठन की योजना बनाने और उच्च सुरक्षा उपकरणों को लाने में व्यस्त रहे। यात्रा के दिन का इंतज़ार करते हुए, रामनाथ ने रात को बहुत कम नींद ली। उसका मन उत्साह और आकर्षण से भरा हुआ था, लेकिन एक अजीब सी बेचैनी भी उसे महसूस हो रही थी।अंतिम रात, जब अंधकार ने सब कुछ अपने साथ ले लिया, रामनाथ और उसके साथी बंदरगाह के बाहर आए। चाँदनी किरणों ने इन रहस्यमय परिसर को आलोकित किया और इसे एक अद्भुत संस्कृति का प्रतीक बनाया। रामनाथ ने सोचा कि वह खुद को सपनों की दुनिया में ले जा रहा है, जहां हर रोचक रहस्य उसकी प्रतीति करने के लिए बैठा हुआ है।जब रामनाथ और उसके साथी महल के अंदर पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि इस जगह का वातावरण अत्यंत रहस्यमय और अजीब है। दीवारों पर लिखे हुए चिन्ह और पुरानी तस्वीरें किसी की आत्मा को जगा रही थीं। जब वे आगे बढ़े, एक तेज़ हवा उनके वस्त्रों को छू गई। रामनाथ के मन में डर की भावना उभर आई, लेकिन वह निश्चित रूप से आगे बढ़ना चाहता था।जब वे आगे बढ़ते गए, एक अंधकारी कोने में एक विद्युतीय चमक दिखाई दी। रामनाथ और उसके साथी चौंक गए, क्योंकि यह चमक वही थी जिसने उनके साथी को एक छूने की तरह महसूस कराया था। चमक ने उन्हें अजीब सी शक्ति के पास खींच लिया।जब रामनाथ ने चमक के पीछे देखा, वह अंधकार में छिपी एक विमान की सूचना को देखा। यह अद्भुत और विचित्र था। विमान बेहद पुराना और अवर्णनीय था, जिसकी रूपरेखा उलझी हुई थी। रामनाथ ने महसूस किया कि उसके भीतर-भूत में कुछ गहरा और अद्भुत छिपा हुआ है, जिसे वह समझना चाहता था।विमान के पास जब वे पहुंचे, उन्होंने देखा कि इसके अंदर एक पुरानी पुस्तक रखी हुई थी। उन्होंने उसे उठाया और पढ़ने लगे। पुस्तक में वर्णित किए गए विज्ञान और भूतल प्रयोगों ने उनकी रूह को हिला दिया। यह एक नई जगह की खोज के लिए रामनाथ की आकांक्षा को और बढ़ा दिया।रामनाथ ने अपने साथियों को बताया कि वह इस यात्रा के लिए तैयार है, और उन्हें इस विमान की खोज करनी चाहिए। उन्होंने पुस्तक में वर्णित अनुभवों और ज्ञान का उपयोग करके योजना बनाई और अपने अगले कदम विमान की खोज की ओर बढ़ाय।बंदरगाह के अंदर रहस्यमयी यात्रा की शुरुआत हो चुकी थी। रामनाथ के हृदय में एक उत्साह और आवेग भरा हुआ था, जबकि उसकी आंखों में एक चमकीली आग जल रही थी। वह जानता था कि यह यात्रा उसे अज्ञात के साम्राज्य में ले जाने वाली है, जहां उसे नयी दुनियाओं का सामना करना होगा, और जहां डर के साथ उत्साह भी होगा। ‹ Previous Chapterअंधकार के पर्दे से - 1 Download Our App