a dream in Hindi Short Stories by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | एक सपना

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एक सपना

सपना- अच्छे दिनों का

दोस्तो कल रात को एक
सपना आया, देखा
कि मेरे मोबाइल में
संदेश आया है.......
कि भारत सरकार ने पचास
लाख रुपये मेरे "जन धन
योजना वाले बैंक खाते मैं
डिपाजिट कर दिए है.
मैं बड़ी ख़ुशी से उछलता
हुआ कमरे से बाहर आया
और
सबको बोला--देखो देखो
अच्छे दिन आ गए..
मेरे बैंक अकाउंट में पचास
लाख आ गए"
घर वाले बोले ज्यादा खुश
न हो हमारे सबके खाते में
भी पचास लाख आये है ये
देखो..
कसम से बड़ा दुःख हुआ
मुझे..
फिर सोचा चलो दोस्तों को
दिखाता हूँ..
दोस्त बोले ज्यादा ना
उछल हमारे खाते में भी पचास
लाख हैं..
सारी ख़ुशी फिर गायब..
फिर सोचा चलो दूकान पर
खूब सामान लेता हूँ..
भाई साहब ये रामू चाचा
की दूकान क्यों बंद है=
एक आदमी बोला--भाई
रामू चाचा ने तो दूकान बंद
कर दी उन्हें अब दूकान
की क्या जरूरत..??
उनके खाते में तो पचास
लाख आ गए हैं अब काम
नही करना पड़ेगा उन्हैं
फिर सोचा चलो शॉपिंग
माल में चलता हूँ..
वहां देखा तो सब दुकान
बंद थी उन लोगों को भी
पचास लाख मिल गए थे.....
सोचा कोई बात नही
होटल में खूब खाना खाता
हूँ, अपनी पसन्द का..
अंदर देखा सब लोग जा
चुके थे, सिक्यूरिटी गार्ड
भी नही था मतलब वो भी
अमीर बन गया था उसके
पास भी अब पचास लाख थे
बाजार गया तो सब रेहड़ी
वाले चाय वाले
जूस वाले, सब्जी वाले
सब काम छोड़कर बैंक में
जा चुके थे रूपये लेने..
क्योंकि अब किसी को
काम करने की कोई
जरूरत नही थी सबके
पास "पचास लाख" रूपये थे.
शहर से बाहर गया तो सब
फैक्ट्री, बंद सब मजदूरों
को पचास लाख मिल चुके थे.
सब नाच गा रहे थे..
अच्छे दिन आ गए...
अच्छे दिन आ गए...
शाम को खेतो की तरफ
गया तो खेत में कोई नही
था सब किसान खेती
छोड़ कर घर जा चुके थे..
अब उनको धुप बारिश में
काम करने की कोई
जरूरत नही थी,
वो भी अमीर बन चुके थे..
हास्पिटल गया, देखा वहां
डॉक्टर ताश खेल रहे थे.
पूछने पर बोले हमे कोई
इलाज़ नही करना अब पचास
लाख काफी हैं..
जीवन भर के लिए....
फिर पांच दिन बाद पता
चला अचानक लोग भूख
से मरने लगे है...
क्योंकि
खेत में सब्जी नही उग रही है..
सब राशन की दुकान बंद है..
होटल ढ़ाबे भी बंद पड़े है.
लोग बीमारी से मरने लगे
हैं..
क्योंकि
डॉक्टर भी नही हैं..
पशु भी भूख से मर रहे है..
खेत से चारा नही मिल रहा.
बच्चे भी भूख से रो रहे है.
क्योंकि पशु दूध नही दे रहे..
लोग सड़को पर भागे
फिर रहे है एक लाख
रूपये हाथ में लिए ये लो
भाई पचास हज़ार रूपये
सौ ग्राम दूध दे दो.
दो दिन से बच्चा भूख से
मर रहा है..
फिर दस दिन बाद लोग
मरने लगे..
कुछ जिन्दा लोग सड़कों
पर रुपयों का बेग लिए
घूम रहे है, भाई ये लो ये
लो पांच लाख रूपये हमे
बस पांच किलो गेहूं दे दो..
दस दिन से भूखे हैं..
सब बाजार बंद हो चुके है
अनाज नही है किसी के
पास.....
सब तरफ मुर्दा लोग दिख
रहे है
और मैं भी अपने "पचास
लाख" रूपये लिए भागा
जा रहा हूँ..
ले लो भाई ले लो ये "पचास
लाख"
बस रोटी का एक टुकड़ा
दे दो..
इतने में माँ की आवाज
आई.........
उठ जा कमीने कब से
चारपाई को लात मार रही
हूं..
मां बोली "मर गया मर"
गया की आवाज़ लगा रहा
है,, कोई बुरा सपना देखा
क्या....?
मैं बोला--नही माँ बुरा नही
"अच्छे दिनो" का सपना
देखा..
उनसे अच्छे तो ये "बुरे
दिन" हैं
गरीब सही मगर घर में
अनाज तो है,,
पानी है,,
बच्चे खेल रहे हैं,,
पशु खेत में चर रहे हैं,,
दुकानों पर भीड़ है,,
लोग आ जा रहे हैं,,
चल पड़ा मैं भी अपने
काम पर ये सोचते हुए..
काश•••• ये "पचास लाख"
कभी भी किसी के खाते
में न आये तो अच्छा है..
वरना फिर काम कौन
करेगा जब सबके पास
"पचास लाख" होंगे........