पण्डित रविशंकर शुक्ल
स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी और मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पण्डित रविशंकर शुक्ल को आज उनकी जयंती पर शत - शत नमन । आज़ादी के लगभग 9 साल बाद 1956 में मध्यप्रदेश का निर्माण हुआ । यह नया राज्य एक नवम्बर 1956 को अस्तित्व में आया और पण्डित रविशंकर शुक्ल प्रथम मुख्यमंत्री बने । सिर्फ 2 माह बाद 31 दिसम्बर 1956 को नई दिल्ली में उनका निधन हो गया । हालांकि देश की आज़ादी के बाद 15 अगस्त 1947 से 31 अक्टूबर 1956 तक यानी लगभग 9 साल तक वह तत्कालीन मध्य प्रांत एवं बरार (सेंट्रल प्रॉविन्स एंड बरार) के मुख्यमंत्री रह चुके थे ,जिसकी राजधानी नागपुर में हुआ करती थी।उनका जन्म 2 अगस्त 1887 को वर्तमान मध्यप्रदेश के सागर जिले में हुआ था , लेकिन छत्तीसगढ़ आजीवन उनकी कर्मभूमि बनी रही । उनकी स्कूली शिक्षा छत्तीसगढ़ (रायपुर ) में हुई और उच्च शिक्षा जबलपुर और नागपुर में । वह राजनांदगांव जिले के खैरगढ़ में प्रधान अध्यापक भी रहे। सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. पदुमलाल पुन्नालाल बख़्शी उनके विद्यार्थी रह चुके थे।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में पंडित रविशंकर शुक्ल ने अपने संक्षिप्त कार्यकाल में जनता की बेहतरी के लिए कई ऐसे कार्य किए ,जिन्हें आज भी याद किया जाता है । सार्वजनिक क्षेत्र के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी । भारत सरकार ने उनके सम्मान में वर्ष 1992 में डाकटिकट भी जारी किया था । उनकी स्मृतियों को चिरस्थायी बनाए रखने के लिए जहाँ छत्तीसगढ़ के द्वितीय विश्वविद्यालय का नामकरण उनके नाम पर किया गया है ,वहीं धमतरी जिले के गंगरेल में महानदी पर निर्मित विशाल बाँध का नाम रविशंकर सागर रखा गया है । कक्का जी के नाम से लोकप्रिय पण्डित रविशंकर शुक्ल ने रायपुर को केन्द्र बनाकर सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में स्वतन्त्रता संग्राम का विस्तार किया । उन्हें छत्तीसगढ़ के प्रथम दैनिक ' महाकोशल ' के संस्थापक और प्रधान सम्पादक के रूप में भी याद किया जाता है । उन्होंने हिन्दी में 'आयरलैण्ड का इतिहास' भी लिखा था ,जो तत्कालीन रायपुर जिला परिषद की पत्रिका 'उत्थान ' में धारावाहिक रूप से छपा था।