power of india in Hindi Adventure Stories by नंदलाल मणि त्रिपाठी books and stories PDF | भारत कि शक्ति

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भारत कि शक्ति



बीर भद्र सिंह पूर्वी उत्तर प्रदेश के अंतिम जनपद बलिया और देवरिया की सीमा पर लगे गांव मनियारी के निवासी थे वैसे तो इस क्षेत्र में सभी वर्ग समुदाय की अच्छी खासी आबादी है लेकिन कुर्मी बिरादरी के पास खेती अन्य वर्ग समुदाय की अपेक्षा अधिक है ।। यह कौम परिश्रमी और भरतीय धर्म दर्शन को ह्रदय आचरण से स्वीकार ही नही करते बल्कि उसका सादगी से पालन भी करते है इस वर्ग के पास खेती रकबा अधिक होने का कारण बटवारे की संस्कृति की कमी है जिसके कारण इस वर्ग में अब भी संयुक्त परिवार प्रणाली विद्यमान है जिसके कारण जमीन का परिवार बंटवारा न्यूनतम है दूसरा कारण है पूरा परिवार धरती माँ की सेवा कर अन्न सब्जी एव अन्य फसलों का उत्पादन करता है इस वर्ग की पारिवारिक अर्थ व्यवस्था कृषि पर ही आधारित रहती है इस वर्ग के नौजवान पहले नौकरी को बहुत महत्व नही देते थे आवश्यकता होने पर स्थानीय व्यवसास अवश्य करते और समाज मे सम्मान जनक स्थिति में रहते ।।बीरभद्र सिंह परिवार के मुखिया थे और उनके दो छोटे भाई अतिवीर सिंह और आदर्श सिंह थे परिवार सयुक्त था भाईयों में आपसी प्रेम और सामांजस्य था मनिहारी गांव के लोग बीरभद्र सिंह के पारिवारिक एकता का मिशाल देते बीर भद्र सिंह के दो बेटे बैभव सिंह भारत सिंह अतिवीर को सिर्फ दो बेटियां और आदर्श को सिर्फ एक बेटा अभिलाष सिंह था खेती के साथ तीनो भाईयों ने ईट भट्ठे का व्यवसास कर लिया था आय का पर्याय श्रोत था और आधुनिक सभी सुविधाएं मौजूद थी बीरभद्र सयुक्त परिवार में किसी को कोई शिकायत का मौका न मिले इसका पूरा ख्याल रखते कुल मिलाकर बीरभद्र सिंह का परिवार क्षेत्र के संपन्न प्रतिष्टित परिवारो में था नई पीढ़ी की सोच बदल रही थी और नौकरी के तरफ उनका रुझान बढ़ने लगा बैभव,भारत,अभिलाष में उम्र में दो दो वर्ष का अंतर था यही अंतर शिक्षा में भी था बैभव डॉक्टर बनना चाहता था तो भारत रक्षा सेवाओं में जाने का इच्छुक था परिवार द्वारा बच्चों को अपनी जीवन शैली और भविष्य चुनने की स्वतंत्रता थीं बैभव अभिलाष पढ़ने में के अलावा और किसी चीज में मन नही लगाते जबकि भारत पढ़ने में मन कम लगाता अधिक समय वह देश की सामाजिक राजनीतिक समस्याओं के जड़ और निदान के बहस में या एक आदर्श परिवर्तन के राष्ट्र समाज की परिकल्पना में मन ज्यादा लगता लेकिन पठन पाठन में कमजोर हो ऐसा नही था वह भी एक अच्छा विद्यार्थी था मगर साथ ही साथ सामाजिक समस्यओं और उनके निवारण के लिये जागरूक था।। जब कभी कोई यह कहता कि सरकारी तंत्र भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा है और आम जनता त्रस्त है उसका लहू खौल उठता उसने आस पास गांवों को मिलाकर ग्रामीण स्तर पर एक संगठन बना रखा था जिसका उद्देश्य स्थानीय स्तर पर युवाओं में उनकी जिम्मेदारी और भविष्य के प्रति जागरूकता पैदा करना था हर छुट्टी के दिन उसके संगठन का नौजवान एकत्र होता और शारीरिक विकास के लिये खेल कूद आदि के आपसी स्पर्धा आयोजित करता यह समूह अपने व्यक्तिगत जेब खर्चे से खेल कूद और अन्य आवश्यक संसाधन जुटाता भारत के नेतृत्व कौशल से लगभग सौ नौजवानों का एक समर्पित सशक्त समूह क्षेत्र में चर्चा का एव अनुकरणीय विषय था।। एक दिन भारत की नौजवान टीम अवकाश में गांवों में घूम घूम कर सफाई ,स्वस्थ, और शिक्षा के प्रति जागरूकता अभियान चला रहे थे और आस पास के गांवों में सक्रियता से जागरण का कार्य कर रहे थे तभी पास के गांव सराय मीर में एक गरीब बुजुर्ग सुखमन से मुलाकात हुई सुखमन दलित वर्ग से आते थे उनकी पुत्री थी कल्पना जो पढ़ने लिखने में होशियार और तेज तर्रार थी दलित कन्या का इस प्रकार से आगे बढ़ना जवार के कुछ लोंगो को रास नही आ रहा था जिसके कारण कुछ मानिंद परिवार के मनचलों ने कल्पना के साथ दुष्कर्म कर उसे एव उसके परिवार को इतने दहशत में डाल दिया था कि कल्पना का स्कूल जाना बंद हो गया था जब सुखमन के दरवाजे भारत की नौजवान टीम पहुंची तब सुखमन बहुत दुखी होकर बोले तुम नौजवान क्यो बेवजह का नाटक गांव गांव करते फिर रहे हो किस बात की स्वच्छता और स्वस्थ के लिये उधम मचाये हो जबकि मालूम है कि कोई फर्क नही पड़ने वाला देश ऐसे चलेगा अमीर और अमीर होगा गरीब और गरीब होगा और जो धन दौलत रुपये पैसे से ताकतवर होगा वह मनमानी करेगा जिसे कमजोर को बर्दाश्त करना होगा तुम भठ्ठी भर नौजवान चले हो समाज और देश बदलने गांधी बाबा ने भी आजादी के साथ राष्ट्र में बदलाव के लिये अपनी जिंदगी जान दे दी क्या उनके सोच सपने का देश बन पाया क्या तुम सोचते हो कि तुम लोग कुछ भी बदलाव करने में सक्षम हो पाओगे भारत की पूरी टीम सकते में आ गयी भारत ने पूछा सुखमन चाचा क्या बात है आप इतने दुखी और क्रोधित क्यो है सुखमन ने कहा नौजवानों अगर तुम जानना चाहते हो तो चलो मेरे साथ इतना कह कर सुखमन उठे उर उंनके पीछे पीछे भारत की पूरी टीम सुखमन ने अपनी बेटी कल्पना को बुलाया कहा बेटी ये नौजवान देश समाज मे बदलाव लाने के लिये कृत संकपित है इन्हें बताओ कि किस बदलाव के दौर से तुम गुजर रही हो कल्पना ने बिना किसी शर्म संकोच के आप बीती
सिलसिलेवार भारत की नौजवान टोली को बताया और यह भी बताया कि तुम लोग किस समाज राष्ट्र के लिये व्यर्थ समय गंवा रहे हो जहां न्याय ,शासन और सरकारी तंत्र सिर्फ और सिर्फ दौलतमंद ,दबंग ,ऊंची रासुख वालों के लिये है कल्पना के साथ दुष्कर्म की घटना को बीते एक सप्ताह हो गए थाने का थानेदार एफ आई आर तक नही लिखता जब भी जाते यहीं कहता कुछ ले दे कर मामले को रफा दफा कर दो वास्तव में भारत एव साथ के सभी नौजवानों का खून कल्पना और सुखमन की बात सुनकर खौल गया भारत बड़े संयत होकर बोला कल्पना बहन को न्याय दिलाने की हम भी एक कोशिश करते है यदि आप कहे सुखमन ने कहा मरता क्या न करता आप लोग भी कोशिश करके आजमा लो भारत बोला कल आप कल्पना और मेरी यह नौजवानों की बानारी सेना एक साथ थाने चलेगी समय ठीक आठ बजे सुबह सुखमन को कोई आपत्ति नही थी सुखमन ने कहा कल हम ठीक आठ बजे थाने के सामने खड़े मिलेंगे।।दूसरे दिन सुखमन कल्पना को लेकर ठीक आठ बजे सुबह मंथरा थाने पहुंचा भारत की नौजवान टीम का इन्ज़ातर करने लगा नौ बजा दस बजा ग्यारह फिर बारह किसी का कोई पता नही सुखमन कल्पना से बोले बिटिया देख लिया आज कल का नौजवान कितना फरेब थोखा और झांसा देता है चलो अब घर चलते है कल्पना और सुखमन थाने से लगभग दो किलोमीटर घर की तरफ बढ़े होंगे तभी नौजवानों का हुजूम आता दिखा जिनकी अच्छी खासी तादांत थी सुखमन और कल्पना को यह भी शंका थी कि शायद किसी अन्य मामले में नौजवानों का हुजूम जा रहा हो अतः आगे बढ़ने लगे थोड़ी ही देर में सुखमन की मुलाकात नौजवानों से हुई आगे भारत ने कहा चाचा चलिये थाने थोड़ा बिलम्ब अवश्य हो गया नौजवान है अपने अपने घर से निकलने से पहले सवाखन जो करते है लेकिन अब आप चलिये करीब आधे घण्टे बाद कल्पना सुखमन और सौ डेढ़ सौ नौजवानों की टीम थाने धमकी थानेदार नवतेरज सिंह को इतनी भीड़ के साथ कल्पना सुखमन को देखकर माथा ठनका सुखमन कल्पना भारत के नेतृत्व के नौजवान सीधे थानेदार नवतेज सिंह को घेर लिया पुलिस वाले तो मिनीट मिनट नियत चाल बदलते है नवतेज ने कहा आज मंथरा थाने के भाग्य खुलगये जो देश के भावी कर्णधार हल्के के नौजवान थाने पर आए बोलो नौजवानों क्या सेवा करे अपने थाने पर नौजवानों का नवतेज सिंह पुलिसया गिरगिटिया भाषा सुनते ही भारत बोला सिंह साहब आप कल्पना की प्राथमिकी दर्ज करें साथ ही साथ इसका मेडिकल परीक्षण करावे इसी लिये समूचे क्षेत्र का नवजवान आपके मन्दिर जैसे थाने और आप जैसे देवता का दर्शन करने आया है थानेदार नवतेज सिंह के पैर के नीचे से जमीन खिसक गई उसने कहा भाई इतने नौजवानों से बात करना संभव नही है आप मे से कुछ लोग चार पांच लोग एव सुखमन आये हम सही तथ्यों की जानकारी आप लोंगो को देते है नवतेज सिंह ने मामले को दबाने के लिये लंबी रकम नजराने में ले रखी थी
इसिलये वह मामले को रफा दफा करना चाहता था।। नौजवानों से पांच नौजवान और सुखमन को एक किनारे ले जाकर समझाने की मुद्रा में
थानेदार नवतेज ने एक साथ कई पैंतरे चलना शुरू किया बोला देखो भाई नौजवानों मुकदमे प्राथमिक से बहुत भला तो होने वाला नही वर्षों कोर्ट के चक्कर और आवश्यक नही की फैसला कल्पना के पक्ष में आये और न्यायलय में अनाप सनाप सवालो के बौंछार पैसे का खर्च समय की बर्बादी और फिर ऐसी स्थिति में कल्पना के भविष्य के लिये प्रश्न चिन्ह खड़ा होगा कौन इसे अपनाएगा फिर अतः बेहतर यही होगा कि कुछ पैसा सुखमन को मिल जाय जिससे कि कल्पना का बेहतर भविष्य हो जाय भारत के साथ के नौजवानो ने थानेदार नवतेज सिंह के प्रस्ताव पर चर्चा की सभी नौजवानों ने एक स्वर में कहा नही हम लोक एक न्यायिक प्रक्रिया के लिये आये है जिसके परिणाम के जिम्मेदार थानेदार नही होगा जिम्मेदारी कल्पना एव सुखमन की होगी इसलिये सिर्फ हम लोग प्राथमिक दर्ज कराने के लिये आये है वह तो नवतेज सिंह को करना ही होगा अब एकत्रित नौजवान बहुत कुछ सुनने के लिये तैयार नही था भारत ने बहुत कड़े और स्पष्ठ शब्दो मे कहा कि नवतेज सिंह जी यदि कल्पना जैसे हालात आपकी बेटी के साथ हो तो क्या आप कुछ ले दे कर मामले को रफा दफा कर लेंगे नौजवानों की एक ही बात ने नवतेज सिंह के समझ मे आ गया कि नौजवान आज आर पार के लिये दृढ़ है इनके ऊपर कोई लालच भय कार्य नही कर सकती अतः विवश होकर नवतेज ने प्राथमिकी दर्ज किया और कल्पना की मेडिकल कराई और अभियुक्तों को गृफ्तार कर जेल भेज दिया नौजवानों का हौसला चौथे आसमान पर था जवार में यह चर्चा जोरों पर भारत एव युवाओ की टीम।कमाल कर दिया नौजवान कुछ भी कर सकता है।। अब भारत की बनारी सेना जब भी आस पास के गांव के लोग ब्लाक तहसील कलक्ट्रेट में किसी कार्य के लिये जाते और कोई अधिकारी प्रताड़ित करता या घुस मांगता दूसरे दिन भारत की नौजवान टीम पहुँच जाती और उस अधकारी को लेने के देने पड़ जाते भारत की नौजवान बानारी सेना कुछ ही दिनों में सामाजिक राजनीतिक रूप से सशक्त जन प्रिय और आशा आस्था के केंद्र बन गए थे।। भारत के भाई बैभव और अभिलाष अपने अपने मकसदों में कामयाब हो बैभव डॉक्टर और अभिलाष तहसीलदार बन चुका था भारत को पिता बीरभद्र सिंह ताना देते हुये बोले की सारे भाई अच्छे ओहदों पर है मगर तुम नेता गिरी कर रहे हो जिसका भविष्य कुछ नही है यह बात भारत को पिता का ताना बहुत खराब और आहत कर गया वह संयुक्त रक्षा सेवा में आवेदन दिया और कड़ी मेहनत किया एक वर्ष में वह भारतीय वायु सेना में अधिकारी के चयन हुआ एक वर्ष के कठिन प्रशिक्षण के बाद भारत वायु सेना में फ्लाइट अफसर बन चुका था जाने से पूर्व उसने अपनी बानरी सेना को अपने भाँवो के प्रबाह से सिंचित करते कहा मित्रो मैं भारतीय वायु सेना में देश सेवा के लिये जा रहा हूँ तुम सभी भी कड़ी मेहनत से अपने माँ बाप के आशा और विश्वास को कायम रखते उंसे मजबूत करना हम लोंगो ने अपनी युवा सेना से राष्ट्र विकास और निर्माण का जो बीजारोपण किया है वह समाप्त नही होना चाहिये हम सभी ने मिलकर देश की बीमारी भ्रष्टाचार और अन्याय की बुनियादों पर हमला कर उसे समाप्त कर एक स्वस्थ स्वछ निष्पक्ष अनुशाषित आजाद राष्ट्र की शुरुआत अपने छोटे से गाँव से की है यह किसी भी सूरत में रुकनी नही चाहिये इसे एक जन क्रांति के रूप में जारी रखना होगा यदि आप कही नौकरी में जाते है जैसा कि मैं जा रहा हूँ तब भी हमारी क्रांति की शुआआत कमजोर नही पड़नी चाहिये अतः अपने ब्लाक तहसील जनपद का प्रत्येक नौजवान पांच वर्ष तक निश्चित तौर पर युवा क्रांति मोर्चा के युवा सक्रिय सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं देगा यह क्रम निरंतर चलना चाहिये और राष्ट्र का नागरिक होने के नाते मेरा कर्तव्य भी है और युवा होने के नाते राष्ट्र समाज की हमसे अपेक्षा भी है कि हम भविष्य के लिये एक सशक्त सुंदर सबल सक्षम सपन्न राष्ट्र के निर्माण में अपनी भूमिका निर्धारित करें सारे नौजवानों ने जलते हुये मोमबत्ती की लौ पर हाथ रख कर शपथ ली और तब भारत ने विदा लिया ।।भारत की नियुक्ति आगरा हुए आगरा से कानपुर फिर आगरा भारत ने जल्द ही अपनी कुशलता मेहनत कुशलता से अपने अधिकारियों का मन जीत कर एक विश्वसनीय अधिकारी में शुमार हुआ ।।पड़ोसी राष्ट्र ने धोखे से कारगिल द्रास बटालिक में ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया और छद्म युद्ध छेड़ दिया हिंदुस्तान ने भी दुश्मन का जबाब देने के लिये ठान लिया समस्या यह थी कि भारतीय सेनाएं नीचे और दुश्मन हज़ारों फिट ऊंचाई पर बैठा था एक कंकण का टुकड़ा भी भरतीय सेना पर बारूद से भारी था भारतीय वायु सेना ने कारकिल विजय के लिये ऑपरेशन विजय में एक अहम भूमिका निभाने के लिये कृतसंकल्पित था भारत सिंह को ऑपरेशन विजय का वायु सेना एक्शन चीफ बनाया गया भारत बड़ी सूझ बूझ और बहादुरी से ऑपरेशन विजय में वायु सेना की भूमिका को सशक्त सफल और धारदार बनाया नतीजा कारगिल में देश को विजय मिली दुश्मन को शर्मिंदगी के साथ मैदान छोड़ना पड़ा ।।भारत को बहादुरी के सर्वोच्च संम्मान से सम्मानित किया गया भारत की बहादुरी के किस्से देश के हर नागरिक की जुबानी थी भारत ने बीस वर्ष के सेवा के बाद वायुसेना से अवकाश ले लिया और गांव लौट आया उसकी उम्र स्वय की पचपन वर्ष थी पिता बीरभद्र सिंह का स्वर्गवास हो चुका था भाई भी उसीके उम्र के आस पास परिवार अब भी सयुक्त था भारत के बेटे अर्णव और आर्य भी अच्छी आर्थीक सामाजिक स्तिथि में थे बैभव और अभिलाष आज्ञाकारी भाई थे परिवार में प्यार था और समन्वय भारत गांव लौटकर अपनी युवा टीम के साथी जो अब उसके हम उम्र हो चुके थे एकत्र किया और देश मित्र वाहिनी का गठन किया और गरीबो के लिये छोटे छोटे रोजगार का सृजन,बीमार बुजुर्गों के लिये महिलाओं बच्चों के लिये समाज के कमजोर वर्ग के लिये नौजवानों की शिक्षा रोजगार के लिये एक केंद्र की स्थापना की महिलाओं को जोड़ने का कार्य किया कल्पना नेभारत पुनः युद्ध के मैदान के बाद देश के समाज मैदान में राष्ट्र सेवा में कूद पड़ा उसकी पूरी टीम नौजवानों के लिये रोजगार के अवसर एव मार्ग मुहैया कराती कल्पना ने महिलाओं की एक समिति बना कर उन्हें ग्राम उद्योग में प्रशिक्षित किया जैसे सिलाई बुनाई, पापड़ बनाना,मसाला बनाना और जिस महिला को जिसमे रुचि थी उसको वही मनपसंद कार्य दिया जाता धीरे धीरे कल्पना ने मात्र पांच वर्षों में ही भारत महिला गृह उद्योग को एक मजबूत औद्योगिक इकाई के रूप में स्थापित एव प्रमाणित किया नौजवानों के लिये रोजगार के मार्ग संसाधन उपलब्ध कराकर एक नए क्रांति की शुरूआत किया बहुत से नौजवान शिक्षक ,सेना,पुलिस आदि विभिन्न महकमे एव बिभिन्न पदों पर विभूषित थे बुजुगों के लिये जो जिस हुनर अनुभव से परिपूर्ण था उंसे नवजवानों को उसी विषय का प्रशिक्षक का दायित्व दिया गया भारत के नेतृत्व में गांव गांव एक नए उत्साह विकास की ऊर्जा आस्था का सांचार हुआ गांव से नगर ,नगर से शहर ,शहर से जनपद राज्य देश तक भारत के परिश्रम मेहनत की खुशबू हवाओ के झोंको के साथ फैलने लगी अंत मे भारत को भारत सरकार द्वारा समम्मानित करने के लिये रक्षा मंत्री और गृह मंत्री एक साथ मनिहारी पहुंचे भारत को भारत यानी भारत सरकार द्वारा समम्मानित होने का नज़ारा देखने के लिये लाखो की संख्या में लोग एकत्र हुये गृह मंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा देश सेवा के लिये किसी अवसर या समय की आवश्यकता नही होती सच्चा देश भक्त देश सेवा के लिये अवसर बनाता भी है और उसे उकर्ष पर ले जाता है भारत आज इसी मिथक की सच्चाई है छात्र जीवन मे इन्होंने भ्रष्टाचार अन्याय से भय मुक्त करने के लिये लड़ाई लड़ी और आज वह छोटी शुआआत देश में क्रांतिकारी परिवर्तन का आगाज़ अंदाज़ है और जब सीमा से लौटे तो आज भी देश के विकास में अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे वास्तव मे भारत भारत जैसों की भूमि है जहां भारत अपने कण कण से बने कण कण के लिये मर मिटने वाले भारत का वर्तमान और भविष्य है।।
रक्षा मंत्री ने कहा जब दुश्मन ने हमे ललकारा तब माँ भारती के सच्चे बीर सपूत भारत जैसे जाबांज ने दुश्मन की औकात बता कर मातृ भूमि का सर गर्व से ऊंचा किया भारत जैसे नौजवान भारत जैसे जवान भारत जैसा नाकरिक देश प्रेम का जीवंत जाग्रत वर्तमान है तो स्वर्णिम भविष्य के निर्माण की जाग्रत प्रेरणा देश प्रेम देश सेवा एक भाव है जज्बा है भक्ति है सज़दा है ,आराधना है,तपस्या है कर्तव्यबोध है और सत्य में जीवन का मौलिक मूल्य है भारत के बीर सपूत भारत ने प्रमाणित किया है उपस्थित जन सैलाभः की आंखों में अपने भारत की आस्था में प्यार में गुमान में अहंकार में सम्मान में खुशी के मुस्कान और भाव के छलकते आंसू थे।।

कहानीकार--नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश