The Author Rahul Narmade ¬ चमकार ¬ Follow Current Read अंधेरा कोना - 20 - काला एहसास By Rahul Narmade ¬ चमकार ¬ Hindi Horror Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books Maan He flared his nostrils in his deep, deep voice, with intense... A Dreaming Girl - 1 Chapter 1: The Storm Inside YunaYuna was not broken, but som... The Missing Chapter - 1 One of the most expensive wedding hall in India. glowed lik... Split Personality - 100 Split Personality A romantic, paranormal and psychological t... Love you Princess - Part 15 Rathore's pov:This 45 minutes has been worst time in my... 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फिर काली ही सही लेकिन मैने वो खाना शुरू किया उसका स्वाद भी अजीब था आधी खाने के बाद मैंने खाना फेंक दिया l फिर मैंने खुदको आईने मे देखा तो मैं डर गया, मेरी आंखे पूरी की पूरी काली पड गई थी, मैं कई मिनट तक अपने आपको आईने मे देखता रहा l अब मैं सोने के लिए बेड पर लेट गया, नींद नहीं आ रही थी, फिर भी लेट गया, अचानक मुजे अपनी छाती पर कुछ वजन महसूस हुआ l मैंने करवट ली तब भी मुजे अपनी शरीर पर वजन महसूस हुआ, मुजे नींद नहीं आ रही थी, अब मुजे विश्वास हो गया था कि कोई भूत प्रेत का साया है जो मेरे घर मे है l मैं खड़ा हुआ और घर से बाहर घूमने के लिए निकला, बाहर जाते ही मैंने आकाश देखा तो आकाश मे चांद भी काला पड़ गया था ग्रहण जैसा लग था था जब कि उस दिन पूनम थी l जब आगे गया तब वहां कुछ पेड़ दिखे, ध्यान से देखा तो वो पेड़ के पत्ते काले पड़ गए थे और वो पेड़ भी बे - जान हो गए थे, मैं आगे बढ़ रहा था, मेरी कोलोनि अब पीछे रह गई थी, वहां कुछ जमीन के टुकड़े थे जो बंजर से थे जिसपर फेसिंग लगाई गई थी, इससे आगे मैं जा रहा था, लेकिन अब मुजे शरीर में कुछ अच्छा महसूस हो रहा था, वहां आगे कुछ पेड़ थे जो नॉर्मल लग रहे थे अब मैंने देखा तो आकाश में चाँद बराबर दिख रहा था, फिर मैंने एक सेल्फी ली उसमे मेरी आँखे भी ठीक थी, और वहां आसपास की सारी चीजे भी ठीक थी और मुजे थोड़ी भूख भी लगी और नींद भी आ रही थी, लेकिन मुजे फिर से उसी सोसाइटी मे जाना था l मैं फिर से वापस जाने लगा, अब मुजे समज आया कि तकलीफ उस सोसाइटी मे ही है, मैं अब वापिस आ गया था, फिर से वही काली जगह थी जहा सब कुछ काला काला हो गया था l मैं घर मे गया और बेड पर लेट गया अब फिर से मुजे छाती पर वो वजन महसूस होने लगा, और वो वजन थोड़ी देर बाद बढ़ गया, मैं फिर से उठ खड़ा हुआ और अब मैंने फैसला कर लिया कि मैं इस घर छोड़कर भाग जाऊँगा और पूरी रात बाहर ही बिताऊंगा मैंने घर से पानी की बोतल ली जिसमें वो काला पानी था मैंने जान बूझकर वो पानी लिया ताकि मैं चेक कर सकू की वो पानी सोसाइटी से बाहर कैसा लगेगा l जब मैं सोसाइटी से बाहर चला गया तब बोतल खोलकर देखा तो वो घर से लिया हुआ काला पानी नॉर्मल दिख रहा था l मैंने देखा तो घड़ी मे 2.30 बजे थे उधर आगे एक पेड़ था जिसके नीचे चार सीमेंट की बनी हुई बेंच थी वहां जाके मैं बैठ गया और पूरी रात वही पर बैठा रहा l सुबह मैंने मकान मालिक मनोज को कॉल किया और सब कुछ सच बता दिया l मनोज (चौंक कर) : क्या मतलब तुम्हें भी वो एहसास हुआ?? मैं : मुजे भी का क्या मतलब है? आपने बताया क्यु नहीं की ये जगह भूतिया है मेरी आवाज में गुस्सा था, और मनोज शर्मिंदा हो रहा था, वो थोड़ी देर बाद मेरे घर पर आया और मुजे पैसे वापिस करने आया था, मैने सख्त होकर उनसे बात कि : मैं : जब आपको पता था कि यहा भूत प्रेत का साया है तो फिर मुजे भाड़े पर क्यु दिया? मुजे अगर कुछ हो जाता मैं अगर मर जाता तो मेरे घरवालो का क्या होता? मनोज : मुजे माफ कर दो कार्तिक मैं लालच मे आ गया था l मैं : वो सब तो ठीक है लेकिन यहा एसा क्या है जो सब कुछ काला पड़ जाता है, मुजे डिटेल मे बताइए l मनोज : दरअसल यहा आज से 17 साल पहले कौमी हुल्लड़ हुए थी जिसमें एक बहुत बड़ी गैंग ने पूरी सोसाइटी मे रहने वाले सभी लोगों को मार दिया था, पुलिस भी उन लोगों का पता नहीं लगा पाई थी, तब से ये सोसाइटी मे उन लोगों की प्रेतात्मा घूमती है, और यहा ये भी कहा जाता है कि कुछ लोगों को अपनी छाती पर वजन महसूस होता है, वो और कुछ नहीं ब्लकि वो प्रेतात्मा उसकी छाती पर बैठ जाती है और उसका वजन भी अनुभव करवाती है l वो आत्माए यहा किसको भी रहने नहीं देती है , दिन मे कुछ नहीं करते वो लोग लेकिन रात को चैन से रहने नहीं देंगे l मनोज अच्छा आदमी था उसने मुजे पैसे न देते हुए अपने दूसरे एरिया के एक फ्लैट भाड़े पर दे दिया और भाड़ा भी उतना ही रखा, भाड़ा लेते वक़्त उसने कहा कि, मनोज :मैं मेरी गलती सुधारना चाहता हू, तुम्हें जब भी ठीक लगे तब से मुजे ज्यादा किराया देना अभी मैं तुम से कम ही किराया लूँगा l मैं : जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया, मैं आपको 4 महीने बाद से पूरा किराया दे दिया करूंगा क्युकी अभी पैसों की कमी है इसलिए l लेकिन एक बात बताइए वो दूसरा घर जिसमें एक व्यक्ति रहता है वो रात को क्या करता होगा? मनोज : वो एक स्मगलर है और रात को ही वो अपना धंधा चलाता है l मनोज फिर वो फ्लेट से चला गया, वो फ्लैट अच्छा था, मैंने खाना बनाया और खाया भी, पड़ौसी भी अच्छे थे, लेकिन ये वक़्त था रात 11.00 बजे का, मैं बेड पर सो गया था फिर से मुजे अपनी छाती पर वजन महसूस हुआ, क्या वो सच था या मेरा भ्रम? ‹ Previous Chapterअंधेरा कोना - 19 - झुला Download Our App