Kahnai Sone ki Chain Ki in Hindi Short Stories by S Sinha books and stories PDF | कहानी सोने की चेन की

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कहानी सोने की चेन की

वर्षों बाद दिशा जब बड़ी हुई और वह चेन रिपेयर कराने के लिए ज्वेलर के यहाँ गयी तब उस से माँ की चेन की कहानी सुन कर दिशा  को बहुत  दुःख हुआ  . वह अपने अतीत के पन्ने पलटने लगी  . जब वह करीब पांच साल की थी माँ ने कहा था - “ नहीं बेटे ,चेन को  इतनी जोर से नहीं खींचते हैं  . यह टूट जाएगा . “  छवि ने अपनी बेटी से कहा छवि की इकलौती बेटी थी दिशा . वह अक्सर अपनी माँ की चेन से खेला करती . कभी छवि अपनी चेन कुछ देर के लिए बेटी के गले में डाल देती तब वह बहुत खुश हो जाती थी . 

दिशा बोली “ मम्मी मुझे यह चेन चाहिए . “  छवि ने चेन अपने गले से उतार के बेटी के गले में पहना दिया .  दिशा ख़ुशी से बार बार चेन छूती . दिशा को खास कर चेन का लॉकेट बहुत अच्छा लगता था . उस लॉकेट के बीच में एक छोटा सा हीरा लगा था जो  सदा चमकता रहता था . थोड़ी देर बाद छवि ने बेटी के गले से चेन उतारना चाहा तब बेटी ने कहा “ नहीं , मम्मी यह चेन मुझे हमेशा के लिए नहीं दे सकती हो ? “

“ बेटे अभी तुम बहुत छोटी हो और यह चेन तुम्हारे लिए बहुत बड़ा है . तुम्हारी शादी के समय यह चेन मैं तुम्हें दे दूँगी . “

दिशा को माँ ने बताया था कि वे लोग किसी दूसरे शहर से यहाँ आकर  बसे थे  , हमारे  परिवार की आर्थिक  हालत बहुत ख़राब थी  . पहले वे लोग   इस चेन को बेचना चाहते थे फिर किन्हीं कारणों से इसे नहीं बेचा गया  . दिशा  के जन्म के एक साल बाद उसके  पापा  घर छोड़ कर भाग गए थे  और उनके बाद से उनका आज तक  कुछ  पता नहीं चल पाया   . छवि ने दिशा को पालने में बहुत संघर्ष किया था  . झाड़ू पोंछा तक उसे करना पड़ा था   . एक भले मानुष ने उसे थोड़ी सी पूँजी दी थी जिस से छवि ने एक सिलाई मशीन ख़रीदा और छोटे मोटे  सिलाई से अपना बिजनेस शुरू किया   . देखते देखते दस साल में उसने  एक लेडी टेलर की दुकान खोल दी जिस से उसका गुज़ारा अच्छे से हो रहा था   . 

दिशा कॉलेज जाने लगी थी   . कॉलेज में उसे एक लड़के से प्यार हो गया   . छवि ने उसे समझाते हुए कहा “ मैंने प्यार कर के जीवन में धोखा खाया है   . मैं नहीं चाहती कि तुम्हारे साथ कुछ बुरा हो   . एक बार मुझे उस लड़के से मिलाओ   . “

दिशा अपने प्रेमी अमर को घर ले कर आयी   . छवि ने उसके बारे में जानना चाहा तो अमर ने कहा “ ऑन्टी , मैंने  खुद अपना बचपन एक अनाथालय में गुजारा है   . दुनिया में सभी बुरे नहीं हैं   . मुझे भी एक आदमी का सहारा मिला जिसकी बदौलत आज अपने पैरों पर खड़ा हूँ   . मैं वादा करता हूँ कि आपकी बेटी को खुश रखूंगा   . “

“ तुम्हें नयी गृहस्थी के लिए कुछ तो चाहिए   . अगर तुम्हारी कोई खास मांग हो तो बोलो हालांकि मेरी भी एक सीमा है जो तुम समझ रहे होगे   . “

“ ऑन्टी , मुझे कुछ नहीं चाहिए   . आप सिर्फ दिशा का हाथ मेरे हाथों में सौंप दीजिये   . उम्मीद है दिशा को भी जल्द ही कोई न कोई नौकरी मिल जाएगी   . हम अच्छी तरह जी सकेंगे , आप चिंता न करें   . “

दिशा की शादी में छवि ने उसे अपनी  सोने की चेन देनी चाही  तब अमर बोला “ अब तो आपको मम्मी पुकार सकता हूँ   . माफ़ कीजिये मैंने कहा था न कि मुझे शादी में कुछ नहीं चाहिए   . आप इस चेन को किसी और मौके पर दे सकती हैं , फ़िलहाल रहने दीजिये   . “


शादी के बाद दिशा अमर  के साथ रहने लगी   . करीब तीन साल बाद उसे भी एक बेटी हुई   . छवि भी यह खबर सुन कर बहुत खुश हुई   . उसने बेटी से कहा “ बहुत बहुत शुभकामनाएं और बेबी को मेरी तरफ से आशीर्वाद बेटी का क्या नाम रखा है ?  . “


“ शिखा नाम है उसका  . “


“बहुत प्यारा नाम है  . शिखा का जन्मोत्सव कब मना रहे हो तुम लोग   . मैं उसी मौके पर अपनी चेन नतिनी को गिफ्ट करूँगी   .  “


“  यह तो बहुत ही अच्छा रहेगा   . अगले संडे को हमने पार्टी रखी है   . मैं शनिवार को अमर को भेज दूँगी   . वह तुम्हें ले कर यहाँ आएगा  फिर कुछ दिन हम सभी साथ रहेंगे   . “

शिखा का जन्मोत्सव बहुत धूमधाम से मनाया गया . इस अवसर पर छवि ने अपनी चेन बेबी शिखा के गले में पहनाया . अमर , दिशा और छवि तीनों बहुत खुश थे .  रात में सोने के पहले दिशा ने चेन को उतार कर उसी गिफ्ट बॉक्स में संभाल कर रख दिया . 

अगली सुबह छवि को छोड़ सभी अपने अपने समय पर जगे . जब काफी देर होने पर भी  छवि नहीं उठी तब दिशा ने उसे जगाना चाहा . तब तक बहुत देर हो चुकी थी छवि चिरनिद्रा में चली गयी . कल तक जहाँ ख़ुशी का माहौल था आज गम पसरा था . खैर दिशा के द्वारा ही माँ की अंतिम क्रिया सम्पन्न हुई . 

देखते देखते एक साल गुजर गया . उस दिन शिखा का बर्थडे था . दिशा ने नानी का दिया चेन उसे पहना दिया . रात को सोने के समय जब उसने चेन उतारना चाहा चेन शिखा की मुढ्ढी में बंद थी . दिशा ने ज्यादा जोर लगाया तब चेन टूट गयी . दिशा बहुत उदास हुई तब अमर ने कहा “ कोई बहुत बड़ा डैमेज नहीं है . इसे मैं रिपेयर करवा दूंगा . “

अमर उस चेन को ले कर ज्वेलर के यहाँ गया तब उसने कहा “ इस में हीरा भी है . हीरे का काम इस शहर में कोई नहीं करता है . इसे बड़े शहर में दिखलायें और बेहतर है जिस से खरीदी गयी हो उसी के पास ले जाएँ . “


“ पर इसे बेबी को नानी ने गिफ्ट दिया था , अब वो इस दुनिया में नहीं रहीं . “

“ ज्वेलर ने चेन के लॉकेट को उलट पलट कर गौर से देखा और कहा “ इसके पीछे ज्वेलर के मार्क हैं , मैं उन्हें पहचानता हूँ . आपको वहीँ जाना पड़ेगा . “

ज्वेलर ने अमर को उस दुकान का नाम पता दिया . वह ज्वेलर पड़ोस के दूसरे राज्य में था . कुछ दिनों बाद अमर और दिशा उस ज्वेलर के यहाँ गए . काउंटर के सेल्स गर्ल ने चेन को गौर से देखा फिर मालिक को दे दिया . मालिक ने चश्मे से चेन को देखा फिर अमर और दिशा की ओर घूरने लगा और बोला “ यह चेन आपको कहाँ से मिली है ? “

“ क्यों ? यह चेन मेरी माँ ने मेरी बेटी को गिफ्ट किया है . बच्ची के हाथ से यह टूट गया है इसलिए आपके पास आयी हूँ . “

“ मैडम , आई एम सॉरी . यह चेन मेरी दुकान से करीब 30 साल पहले चोरी हुई थी तब मैं जवान था . “

“ नहीं , मुझे आपकी बात पर विश्वास नहीं  है . “


ज्वेलर ने कहा “ मेरी  दुकान का एक सेल्समैन था , शायद उसी ने चोरी की थी . जिस दिन यह चेन चोरी हुई  उसके अगले दिन से ही वह सेल्समैन लापता हो गया .  आपके घर पुलिस गयी थी पर तलाशी के बाद न चेन मिली न आपके पिता का कोई सुराग मिला . मुझे यह कहते हुए दुःख हो रहा है कि वह सेल्समैन तुम्हारे पापा थे  .  “

दिशा को उसकी माँ की बात याद आयी कि इस चेन को उसके पापा ने मिटटी में गाड़ दिया था और उसे निकालने से मना किया था . काफी दिनों बाद तक जब उनका कोई पता नहीं मिला तब उसने पापा की बताई  जगह से इसे निकाला और दूसरे शहर में आ गयी थी . 

दिशा की आँखों में आंसू भर आये . ज्वेलर ने कहा “ इस लॉकेट में एक सीक्रेट खाना है जिसमें ग्राहक के लिए एक मेसेज और इसका सीरियल नंबर लिखा होगा . “

ज्वेलर ने एक पुराना खाता मंगवाया , उसमे उसे लॉकेट का सीरियल नंबर मिला . उसने लॉकेट का सीक्रेट चैम्बर खोला और दिशा से कहा “ ये रहा इसका नंबर और मेरे खाते का नंबर देखिये . दोनों मिलते हैं न . “ फिर उसमें से  एक चिट निकाल  कर कहा “ देखिये , इस पर कस्टमर के लिए मेसेज है - यह चेन कभी गुम  नहीं हो सकता है  .  तुम लकी हो अब यह चेन कभी गुम नहीं हो सकता है  . “

दिशा यह  सुन कर और रोने लगी  . फिर रोते रोते बोली “ क्या ख़ाक लकी हूँ  . हमलोगों पर चोरी का दोष  लगा है  . “

उसे रोता देख ज्वेलर बोला “ चेन 30 साल पहले गायब हुई थी  फिर भी मिल गयी  . हमने तो अपने खाते से इसे कभी का राइट ऑफ कर दिया है  . अब तुम लकी इसलिए कि चेन अब तुम्हारा है  . “ 

“ नहीं इसे आप रख लें , मुझे अब यह नहीं चाहिए  . “

“  अब हम इसे नहीं रख सकते हैं , यह तुम्हें अपनी ख़ुशी से दे रहे हैं  .   “

“नहीं , नहीं “ दिशा ने फिर कहा 

“ अब मेरी सुनो बेटी  . इस चेन को रिपेयर कर मैं तुम्हें कागजात के साथ गिफ्ट कर दूंगा  . मेरी तरफ से तुम्हारी बेटी को गिफ्ट रहेगा  . हाँ हीरे का काम है , रिपेयर में कुछ समय लगेगा , तुम दो सप्ताह के बाद आ कर इसे ले जाना  . अब यहाँ से ख़ुशी ख़ुशी घर जाओ  .  “  इतना बोल कर ज्वेलर ने दिशा और शिखा दोनों के सर पर हाथ फेरा  . 

दिशा वापस घर जा रही थी उसे बचपन में माँ की कही बात याद आ रही थी कि उन दिनों परिवार गरीबी के संकट में था , वे चेन को बेचना चाहते थे  .  पूरे रास्ते वह सोचती रही कि पापा ने चेन को  चोरी किया और माँ ने मुझ से भी झूठ कहा  . ज्वेलर ने तो उस पर मेहरबानी कर चेन उसे वापस कर दिया पर उसके मन में हमेशा मलाल रहेगा  . 

 समाप्त 

  .