Bollywood ke Bhoole Bisre Sangeetkar aur unke gane - 2 in Hindi Magazine by S Sinha books and stories PDF | बॉलीवुड के भूले बिसरे संगीतकार और उनके गाने - 2

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बॉलीवुड के भूले बिसरे संगीतकार और उनके गाने - 2

Part - 2          

  बॉलीवुड के भूले बिसरे संगीतकार और उनके गाने  2  

 

                                                    3 . खेमचंद प्रकाश 

 

1940 के दशक तक हिंदी फिल्मों के गानों  में शास्त्रीय गायन की झलक स्पष्ट होती थी  .  खेमचंद ने अपने पिता गोवर्धन दास की अगुवाई में जयपुर के माधो सिंह द्वितीय  के दरबार में संगीत और नृत्य की शिक्षा ली  . इस दशक में  जहाँ एक तरफ लोगों ने कुंदन लाल सहगल को पर्दे पर गाते देखा वहीँ दूसरी ओर लता मंगेशकर के  पर्दे के पीछे के गानों ने पार्श्व गायन का सिलसिला आरम्भ कर धूम मचाया  .  1949 की फिल्म ‘महल ‘ में खेमचंद प्रकाश ने संगीत दिया था और इस फिल्म का लता द्वारा गाया गीत “ आएगा आने वाला  ..... “ ने लोकप्रियता का रिकॉर्ड कायम किया  .  यह गाना आज भी उतना ही लोकप्रिय है  .  सच तो यह है कि इस गाने से लता को आशातीत ब्रेक मिला और लता ने बॉलीवुड प्लेबैक सिंगर में अपना वर्चस्व कायम किया  .  कहा जाता है कि लता , किशोर कुमार और म्यूजिक डायरेक्टर नौशाद के कैरियर निर्माण में खेमचंद का बहुत बड़ा योगदान रहा है  .  

खेमचंद ने करीब 40 फिल्मों में संगीत दिया  .  खास कर आशा , महल और  ज़िद्दी में उन्हीं के निर्देशन में  लता मंगेशकर ने उस समय के सुपरहिट गाने गाये  .  1952 की फिल्म ‘तमाशा ‘ में उन्होंने  आखिरी बार संगीत दिया  .  खेमचंद प्रकाश का नाम लोग आज शायद भूल गए हों पर उनका सदाबहार  गीत  “ आएगा आने वाला  ..... “ लोग कभी नहीं  भूल सकते हैं  . 

खेमचंद के कुछ अन्य गाने -

मुश्किल है बड़ी मुश्किल  … फिल्म महल - 1949 

घबरा के हम सर को  ….  फिल्म महल - 1949 

मैं वो हसीं हूँ  …  फिल्म महल - 1949 

चंदा रे जा रे जा  … फिल्म ज़िद्दी - 1948 

ज़िंदगी का आसरा समझे तुझे बेवफा  .. फिल्म ज़िद्दी - 1948 

ठुकरा रहे हैं दुनिया हम  … फिल्म भंवरा - 1944 

उस मस्त नजर पे पड़ी जो नजर  … फिल्म परवाना - 1947 

हम अपना उन्हें बना न सके। ..  फिल्म परवाना - 1947 

अरमान भरे दिल की लगन  .. फिल्म जान पहचान - 1950 

तक़दीर बता मेरी क्या खता  … फिल्म बिजली - 1950 

मधुर प्यार का साथ ये कभी छूटे ना   .. फिल्म मुक़द्दर - 1950 

 

                                          4  . गुरुशरण सिंह  कोहली 

 

बॉलीवुड के टॉप संगीतकारों में ओ पी नैय्यर का नाम आता है जिनके गाने  एवरग्रीन होते थे और आज भी लोगों को उतने ही पसंद हैं  .  उनके संगीत निर्देशन में C . I . D , आर पार , नया दौर , कश्मीर की काली , एक मुसाफिर एक हसीना ,मेरे सनम आदि फिल्मों के गाने सुपर हिट्स थे और आज भी उतने प्रिय हैं  . नैय्यर की सफलता में जी एस कोहली का भी योगदान रहा है , कहना गलत नहीं होगा  . 

1952 से ही कोहली ओ पी नैय्यर के सहायक म्यूजिक डायरेक्टर रहे थे  . 1960 में कोहली ने स्वतंत्र रूप से म्यूजिक डायरेक्शन दिया था , फिल्म थी ‘भाई बहन ‘  हालांकि इसके बाद भी 1968 तक वे नैय्यर के सहायक बने रहे थे  . इस बीच कोहली ने शिकारी , नमस्तेजी , चारदारवेश , एडवेंचर ऑफ़ रॉबिनहुङ , फौलाद आदि फिल्मों में स्वयं म्यूजिक दिया था  . 

कोहली के डायरेक्शन में 1963 की फिल्म ‘ शिकारी ‘ के लगभग सभी गाने सुपर डुपर हिट हुए थे - तुमको पिया दिल दिया बड़े नाज़ से  … , चमन के फूल तुमको गुलाब .. , ये रंगीन महफ़िल  … और  बाजे घुँघरू  .  कोहली की फिल्म एडवेंचर ऑफ़ रॉबिनहुड का गाना ‘ माना मेरे हसीं सनम  …. , फिल्म ‘नमस्ते जी ‘ के गाने - बहारों थाम लो अब दिल  … , मेरे दो नैना मतवारे   … भी उतने ही पसंद किये गए  . 1968 में फिल्म ‘जंग और अमन ‘ में अंतिम बार कोहली ने म्यूजिक दिया  . 

 

कोहली के कुछ अन्य गाने - 

हाँ हमने प्यार किया   … फिल्म गुंडा - 1969  

नजर ने उठाया कुछ इस अदा से   ..  फिल्म गुंडा - 1969  

मर जायेंगे चाहने वाले तेरे  … फिल्म जंग और अमन - 1968 

पॉंव में झांझर झांझर में घुंघरू  … फिल्म फौलाद - 1963 

मांगी है दुआएं हमने सनम   ..  फिल्म शिकारी - 1963 

हटा दे जाम नजरों से नजर मिला  .. फिल्म दो मतवाले - 1966 

मत पूछ मेरा हाल  … फिल्म मिस्टर इंडिया - 1961 

बहारों अब थाम लो दिल मेरा   … फिल्म नमस्तेजी - 1965 

 

                                                 5 . दत्ताराम वाडकर

 

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में बहुत ही पुराने सदाबहार गाने आज तक मशहूर हैं और वे अविस्मरणीय हो गए हैं जबकि उन गानों की धुन बनाने वाले संगीतकारों को लोग भूल चुके हैं  . दत्ताराम वाडकर बॉलीवुड के भूले बिसरे म्यूजिक डायरेक्टर्स में एक हैं पर बॉलीवुड के लोकप्रिय हिंदी फ़िल्मी गानों में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है  . शुरू में  दत्ताराम ने फिल्म इंडस्ट्री में बतौर तबला और ढोलक वादक बन कर प्रवेश किया था  . फिर वे एक दिन शंकर के सम्पर्क में आये और तब  उन्होंने सालों तक लगातार मशहूर म्यूजिक डायरेक्टर जोड़ी शंकर - जयकिशन के सहायक के रूप में अनेक सुपर हिट गाने दिए  . उन्हें दत्ताराम के नाम से बेहतर जाना जाता है  . शंकर जयकिशन उनकी कला से काफी प्रभावित थे और उन्होंने दत्ताराम को स्वतंत्र संगीत देने के लिए प्रोत्साहित  किया था  . उन्होंने करीब 13 फिल्मों में स्वयं स्वतंत्र रूप से संगीत निर्देशन किया है  . 

अब दिल्ली दूर नहीं , क़ैदी नंबर 911 , परवरिश , श्रीमान सत्यवादी , ज़िंदगी और ख्वाब आदि कुछ प्रमुख फ़िल्में हैं  . 1958 की राज कपूर - माला सिन्हा की जोड़ी में बनी फिल्म ‘ परवरिश  ‘ का मुकेश द्वारा गाया - आंसू भरी हैं ये जीवन की राहें  … और  मन्ना डे और का लता गाया - मस्ती भरा है समां , आज भी उतना ही पसंदीदा है  . उसी तरह ‘ क़ैदी नम्बर 911 ‘के लता के गाये गीत  ‘ ‘मीठी मीठी बातों से बचना जरा   .. और  ‘तेरे तीर को प्यार से हमने दिल में रख लिया  .  .. ‘भी बेहतरीन गाने थे  .

1960 की फिल्म “श्रीमान सत्यवादी “ का मुकेश का गाया ‘हाल ए दिल हमारा जाना न .. ‘ बहुत ही पसंद किया गया  .  हालांकि दत्ताराम एक कुशल संगीतकार थे फिर भी स्वतंत्र रूप से  संगीतकार बनने में उन्हें उतनी सफलता नहीं मिली जितनी के वे हक़दार थे  . 

1971 की फिल्म ‘ एक दिन आधी रात ‘ में आखिरी बार हिंदी फिल्म में  दत्ताराम ने संगीत दिया था  . 

दत्ताराम के कुछ अन्य गाने - 

सुन ले बापू ये पैगाम   … फिल्म बालक 1969 

कहती है झुकी झुकी सी नजर -  जिंदगी और ख्वाब - 1961 

ना जाने कहाँ तुम थे ना जाने कहाँ हम  …  जिंदगी और ख्वाब - 1961 

चूं चूं करती आयी चिड़िया  .. फिल्म अब दिल्ली दूर नहीं  -1957 

ये चमन हमारा अपना है   .. फिल्म अब दिल्ली दूर नहीं  -1957 

ये नशीली हवा छा रहा है नशा  .. फिल्म नीली आँखें - 1962 

नजर का मिल के झुक जाना  ..  फिल्म नीली आँखें - 1962 

लुटी  ज़िंदगी और गम मुस्कुराये   .. फिल्म परवरिश - 1958 

दिल ढूंढता है सहारे   … फिल्म काला आदमी - 1960 

हम आपकी महफ़िल में भूले से चले आये   .. फिल्म जब से तुम्हें देखा है - 1963 

प्यार भरी ये घटाएं   .. फिल्म  कैदी नंबर 911 - 1959 

 

क्रमशः 

नोट - त्रुटि संभावित  . सुधार का स्वागत