Me and my feelings - 67 in Hindi Poems by Darshita Babubhai Shah books and stories PDF | में और मेरे अहसास - 67

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में और मेरे अहसास - 67

1.
प्यार की कहानी कोई समझ ना पाया l
हुश्न की जवानी कोई समझ ना पाया ll

अश्क आँखों के कभी न दिखाई दिये ll
दिल की जुबानी कोई समझ ना पाया ll

सखी उम्रभर शरारे दिल में सुलगते रहे l
अधूरी जिंदगानी कोई समझ ना पाया ll

बड़े चाव से भेजी थी इधरउधर से ढुढ़के l
आखरी निशानी कोई समझ ना पाया ll

गमों के घेरों में भी मुस्कुराना नहीं छोड़ा l
प्यार की रवानी कोई समझ ना पाया ll
३१-१०-२०२२


2.
आंखों के इशारे समझ सको तो समझ लो l
प्यार भरा दिल परख सको तो परख लो ll
१-११-२०२२


3.
मुस्कराकर दर्द को छिपाने लगे हैं l
बचे कूचे निशान भी मिटाने लगे हैं ll

खुली फिजाओ में लंबी साँस लिये l
घने बादल ग़म के हटाने लगे हैं ll

आज बेफिक्री और आवारापन के l
अंदाज ज़माने को सताने लगे हैं ll

भीड़ भरे बाजार में हाथ थामकर l
सखी दिन में तारे दिखाने लगे हैं ll

साथ साथ चले थे हमराह बनके l
वो सुहाने दिन याद आने लगे हैं ll
२-११-२०२२
4.
खिली फिझाओ में दिल बहलाने आए हैं l
इन बहारो में खुशी के गीत गुनगुनाए है ll

सालों के इंतजार के बाद मिले हुए l
हम खयाल के साथ कदम मिलाए है ll

जिगर में हौसलों से सँवर सँवर कर l
गुलिस्तां में प्यार के फूल खिलाए है ll
३-११-२०२२
5.
चल रहे हैं कदम मंज़िल की ओर l
जाना पी के नगर मंज़िल की ओर ll

रूह पर कई छाले झेले है ताउम्र l
ले जा रही सँवर मंज़िल की ओर ll

कदमों में जान आई जब देखा l
राह हुईं निखर मंज़िल की ओर ll

आगे ही आगे बढ़ता जा यूँही l
अच्छी है ख़बर मंज़िल की ओर ll

कामयाबी क़दम चूम लेगी चल l
सखी कर सफ़र मंज़िल की ओर ll
४-११-२०२२
6.

आज मुहब्बत हो जाये तो अच्छा है l
दिल चैन ओ सुकून पाये तो अच्छा है ll

मगरूरे हुस्न रुख से नकाब हटाकर l
नज़र से नज़र मिलाये तो अच्छा है ll

दर्द जिगर में कुछ इस तरह बढ़ रहा l
प्यार के दीपक जलाये तो अच्छा है ll

इश्क़ में अब और इंतजार नहीं सहेंगे l
वादें ओ कसमें निभाये तो अच्छा है ll

सारी दुनिया के डर से जो बनाई है वो l
दिलों की दूरियाँ मिटाये तो अच्छा है ll
५-११-२०२२


7.
होठों पर रहे हसी कुछ एसे जियो l
दिल में रहे खुशी कुछ एसे जियो ll

हमराह के साथ कदम से कदम मिले l
जान में जान बसी कुछ एसे जियो ll

हर पल हर लम्हे से जीवन छलके l
यादों से सरे नमी कुछ एसे जियो ll

हर साँस गैरों पर कुर्बान करो l
खिल उठे जमी कुछ एसे जियो ll

लोगों के दिलों के गुलिस्तां में रहो l
जग रोए सखी कुछ एसे जियो ll
६-११-२०२२


8.
बाद मुद्दतों के रात मिलन की आई है l
साथ अपने खुशियो की बारिश लाई है ll

हाथ थामकर यूँही बेठे रहे रातभर l
आज रूह ने सुकून की साँस पाई है ll

ख्वाईशो ने मुस्कुराकर अंगड़ाई ली l
फिजाओं में एक रूमानियत छाई है ll

दो सितारों का ज़मीं पे मिलन देखकर l
चाँदनी ने प्यारी सुरीली ग़ज़ल गाई है ll

बार बार आज़माइश देकर भी सँवर गएँ l
देख क़ायनात मे हर क्लीं मुस्कराई है ll
८-११-२०२२


9.
प्यार की नगरी सूनी है l
फ़िर भी वो राह चूनी है ll

तन्हाई मैं बैठकर सखी l
कुछ यादें समोनी हैं ll

गौहर साँसों के टूटने से l
पहेले  रूह को छूनी है ll
९-११-२०२२


10.
आंखों की खिड़की खोल दी है l
सखी दिल की बात बोल दी है ll

दिल फेंक हसीना की हँसी देख l
दिल्लगी में ज़िन्दगी मोल दी है ll

आज महबूबा के इत्तर ने नशीली l
फ़िज़ाओं मे खुशबु घोल दी है ll

बड़ी चाहत से भेजा है प्यारा तोहफ़ा l
दिल ने अनमोल निशानी रोल दी है ll

दुआ ओ का असर देखने के लिए l
नज़रे मिलाकर नियत तोल दी है ll
१०-११-२०२२


11.
खुद को क्या समझते हैं लोग?
टेड़ी राह पर चलते हैं लोग ll

मुहब्बत के नाम पर धोखा देकर l
दिल का खजाना लूटते है लोग ll

बड़ी बड़ी ख्वाइशों को पालते हैं l
धनदौलत पे मरते रहते हैं लोग ll

फ़ितरत से है मतलबी इन्सान l
कायदे से राह बदलते हैं लोग ll

दिलों के रिसते नहीं रहे आजकल l
दिखावे को हाल पूछते हैं लोग ll
११-११-२०२२


12.
कर ली है आज बेबाक़ी से दोस्ती l
ताउम्र निभाएंगे बेख़ौफ़गी से दोस्ती ll

सुनो ईमान से नाता जोड़ रखा है l
सिर्फ खुदा की है बंदगी से दोस्ती ll

नशीली आँखों से पिलाने वाले बैठे हैं l
सखी क्यूँ करे हम तिश्नगी से दोस्ती ll

ख़्वाहिशों की शमा जलाएँ रखी है l
चाहते हैं अब मुक़म्मली से दोस्ती ll

जीवन भर घूमते रहे सहरा ओ में l
खानाबदोश की सादगी से दोस्ती ll
१२-११-२०२२
बेबाक़ी -स्पष्टवादिता
बेख़ौफ़गी - निडरता
खानाबदोश - जिसका कोई ठौर ठिकाना ना हो
सहरा - रेगिस्तान
तिश्नगी -प्यास
मुक़म्मली -पूर्णता


13.


ना गैरों से ना अपनों से अब कोई शिकायत नहीं l
एक बार किया भरोसा अब कोई हिमाकत नहीं ll

इन्सान की फ़ितरत हो गई है मतलब निकालना l
सखी आँखों देखी कहो अब कोई रिवायत नहीं ll

आज स्वप्न सी थी मुलाक़ात लम्हे दो लम्हों की l
बहोत हो चुकी मेहरबानी अब कोई इनायत नहीं ll

चमन में गुलों के साथ काटें भी होते हैं याद रहे l
हौसलों से छुना फ़ूलों को अब कोई नजाकत नहीं ll

महफिल में बैठना तो पहेले सलीका सीख लेना l
नहीं चलने वाली नादानियाँ अब कोई शरारत नहीं ll
१३-११-२०२२

14.
खत्म हो गई बात दिल अब तो चल l
पूरी हो गई रात दिल अब तो चल ll

एक लम्हे की दूरी नहीं चाहते हैं पर l
खत्म हुई मुलाकात दिल अब तो चल ll

महफिलोंमें दोस्तोंके साथ चहक रहे थे l
देखली रूबरू जात दिल अब तो चल ll

कब से आश लगाए बैठे थे दीदार की l
फिरसे हुआ प्रभात दिल अब तो चल ll

छुपाछुपी का चल रहा था आलम लो l
खेल हुआ समाप्त दिल अब तो चल ll
१४-११-२०२२


15.
जग की भूल भुलैया में खो मत जाना l
दिखावे की दुनिया में खो मत जाना ll

सुना है बहुत बड़ा उफान आता है वहां l
महासागर की नैया में खो मत जाना ll

महफ़िल सजी रंगीन हसीन हसीना की l
दिलकश ताता-थैया में खो मत जाना ll

जानते हैं पीने पिलाने के शोखीन हो l
जाम पीकर निंदिया में खो मत जाना ll

सजाई है माथे पर नशीली सुर्ख बिंदी l
उस चमकीली बिंदिया में खो मत जाना ll
१५-११-२०२२