Daffodils - 2 in Hindi Poems by Pranava Bharti books and stories PDF | डेफोड़िल्स ! - 2

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डेफोड़िल्स ! - 2

6 - था कभी

वो कभी एक घर हुआ करता था

जिसमें से खनकती रहती थीं आवाज़ें

कुछ ऐसे–जैसे

चिल्लर खनकती है, बच्चों की गुल्लक में

जैसे हवा की सनसनाहट

खड़े करने लगती है रौंगटे

स्फुरित होने लगता है मन

चहचहाहट से भर उठता है

पक्षियों का बसेरा

भीग जाते सारे एहसास

कहीं न कहीं झूम जाता मन

तेरे साथ होने की

तेरे पास होने की कोशिश

मुझे जिलाए रखती है सदा

रहने को तेरे साथ

मैं,एक मीन हूँ

जो तेरे समुंदर में रहती है सदा -

मेरी मुहब्बत प्रकृति !!

 

7 - मत बहक

आशाओं का बागीचा

कामनाओं की बंदनवार

सदा से रही पुकार

ओ मुसाफ़िर ! तू बहक मत

बस चहक -

भर ले अपनी आँखों में

वो मुहब्बत की तस्वीर

जिसने धो डाली है

तेरे मन की कालिख

तेरी धड़कनों में भर दिए हैं

न जाने कितने अफ़साने

तेरी आँखों में भर दी है चमक

ओ मुसाफिर ! तू न होना गमगीन

सदा बजाना

मुहब्बत की बीन

जो बाँटी है प्रकृति माँ ने

हम सबमें !!

 

8 - बूँदें, सखी मेरी

उस दिन भरी बरखा में

बाउंड्री वॉल की

तारों पर चिपकी बूँदों ने

पुकारा मुझे

पुचकारा मुझे

हम हैं तुम्हारे साथ

आँखों में भर जाएँ आँसू

आ जाना हमारे पास

बना देना हमारा हिस्सा उन्हें

कहीं रो न देना

कहीं खो न देना

वो समुंदरी एहसास

करना हमारा विश्वास

हम तेरे साथ गाना चाहते हैं गीत

भर ले अपने दिल के

आँगन में संगीत,

सुन कि

पुकार रही कोयल !!

 

9 - बंधन !

चिड़ियों के जोड़े की अचानक

दी आवाज़ सुनाई

बाहर निकले हम

देखें तो, क्या है भाई ?

मनीप्लांट की बेल थी

न जाने कब पहुँच गई थी ऊपर तक

झाँक रही थीं उनमें से आवाज़ें

शायद गुनगुना रही थीं

शाम थी,सात बजे थे

थोड़ी देर सुनते रहे

उनके संगीत को गुनते रहे

उस सौंधी सी संध्या में

लगा,कुछ देर बाद

ख़त्म हो गई बात !

लेकिन,नहीं था ऐसा

उस दिन हुई थी

बात शुरू

बरसों तक वे आवाज़ें

जमी रहीं वहीं

एक अलौकिक बंधन !

सात बजते ही

रोमांस की चुनमुनी सी

आवाज़ों से दिल के तार

होने लगते, झंकृत -

एक दिन अचानक

आवाज़ें बंद हो गईं

एक चिड़िया अकेली ढूँढती रही

पत्तों में सरसराहट होती रही

कसमसाती रही वह

शायद, कोई विरह-गीत

गाती रही -

फ़िर बंद हो गई आवाज़

मन के भीतर और

बाहर फैल गया सूनापन !!

 

10 - नाम तुम्हारा

तुमसे कहूँ क्या

फ़िर भी छिपाऊँ कैसे

मैंने लिखा तुम्हारा नाम

समुंदर की लहरों पर

हवाओं के गुब्बारों पर

पलकों के किनारों पर

धड़कन के इशारों पर

झूमती मस्त बहारों पर

क्या तुमने पढ़ा

या यूँ ही चल दिए

एक नए सफ़र पर

किसी दूसरे देश की दिशा की ओर !!

 

 

11 - पेड़,सपनों के

मैंने लगाए अपने आँगन में

पेड़,सपनों के

चम्पा,चमेली,रातरानी,गुलमुहर

और भी न जाने क्या-क्या

और हाँ,बसा लिया मैंने

एक नन्हा सा फूलों का शहर

अपने दिल के आँगन में

रसवन्ती डारों ने

पहने झुमके

गज़ल गाई तरुणाई ने

गीत के बोल मुखर हुए

साँसों ने गीत लिख डाले

बजने लगा संगीत

प्रकृति ने मेरे

सिंह-द्वार पर दी थी

दस्तख़त !!

 

12 - धूप ! तू सखी मेरी

ये टुकड़ों में बंटी धूप

और मेरा जीवन

कहीं संग-संग ही तो नहीं

जन्मे थे

छिपते-छिपाते

इस मौसम से अठखेलियाँ की थीं हमने

बना दिए थे कुछ नीड़

आ बसे थे उनमें कुछ पंछी

एक–दूसरे से करते प्यार–मनुहार

देखा है मैंने

पुकारा भी है

सौ-सौ बार

आवाज़ें खो गईं दिशाओं में

धूप ! तू कहाँ छिपी

तेरे बिन अधूरा है जीवन

उजियारा,तुझसे धरती का कण-कण

अचानक, पसर गए गीत के बोल

अरे ! मितरा।कुछ तो बोल !!

 

 

13 - शिकायत ??

बस,शिकायत ही करते रहोगे

न दोगे ख़ुद को इलज़ाम

नहीं स्वीकारोगे सच्चाई

तुमने ही तो ये हालत है बनाई

जंगलों के स्थान पर

कंकरीट की दीवारों

पर उग आए हैं

कुकुरमुत्ते -

जो बड़े भा रहे हैं तुम्हें

जाने क्या आए कल

किसके हिस्से ?

बहाते रहो नफ़रत हवाओं में

तोड़ डालो सारे बाँध

करते रहो गुस्ताखी

और साथ ही बर्बादी

शिकायतों का पोटला

करते रहो भारी

आखिर यही जात है तुम्हारी !!

मान जाओ, सीख जाओ प्यार

हिंडोलों में झूम जाओ

ये मेरे देश की है

सौंधी बयार !!

14 - चकमक!

मैंने देखा है तुम्हारी आँखों में

चमकती चिंगारियों को

जिनसे कभी तुमने जलाए थे

चकमक पत्थर

जिनकी घसीट से

जला देते थे आग

अपने खाने के लिए

कच्चे को पक्का करके

खाया था भरपेट

देखी है मैंने

तुम्हारी आँखों में

वही आग की चिंगारी

इसे ज़िंदगी के गीत गाने दो

साथी ! इसे ज़िंदा रहने दो!!

 

 

15 - झौंके से तुम

इक हवा के झौंके से तुम

पल भर में आ खड़े हुए

पलकों की चिक से

रोशनी की लकीर से

झाँकते हुए

कुछ सपने बुने

तुमने अपने आँचल में

गिरह लगा ली थी

शायद कोई सौगंध भी ली थी

लेकिन जब सूख गया

सामने वाला अमलतास

मैं समझा गया

तुमने उसे

जल-विहीन छोड़ा था !!

 

 

16 - कुछ नाम !!

मेरी आत्मा के भीगे हुए कागज़ पर

बेरंगी सियाही से

उतर आए हैं कुछ नाम

जो धीरे-धीरे सिमटते जा रहे हैं

मुट्ठी भर रेत में

रेत–जो बही जाती है

एक किनारे से दूसरे किनारे तक

रेत –जिस पर बनाते हैं घरौंदे, बच्चे

रेत–जिस पर बैठ प्रेम विस्तार पाता है

रेत - जो मुँह में भर आने पर

उगलनी पड़ती है -

किन्तु

रेत-जो हिस्सा है समुंदर तुम्हारा

एक विशेष स्थान रखती है

जीवन में होती है हिस्सा प्रकृति का !!

 

 

17 - मत छीनो

परकटे पंछी के लिए

बसेरा तलाशना कितना अहम है

पर

कितना कठिन भी

कितना मुश्किल,कितना कठोर भी

भय से त्रस्त

उड़ने की चेष्टा में

न उड़ पाने का कष्ट

जान जाने के भय से

घिसटते हुए बसेरे की तलाश

वहाँ सब कुछ ही तो है उदास

हर आहट पर भयाक्रांत दृष्टि

उसके जीने की कोशिश को

कर देती है नाकारा

मत काटो,इनके बसेरे

मत करो नष्ट

संघर्ष वैसे ही कम नहीं

मत करो,इन्हें त्रस्त

जीने दो,रहने दो

साँसों में इनके भी

आस का एहसास

बसा रहने दो !!

 

18 - ताकती राह !

उस सूनी डगर पर

खड़ी मैं

तक रही हूँ राह

एक साथी की

जो मेरे साथ था

जीवन का आभास था

धड़कनों में बसा

एक विश्वास था

जिसमें गंभीरता थी

गहराई थी

जोड़-तोड़ करने की

सुविधा देने वाला मन

मुझे बार-बार

ला खड़ा कर देता

ऐसी छांह में जिसकी

पत्तियाँ भुरभुराकर गिरने लगी थीं

शायद -काम-डाउन शुरू हो गया था !!

 

19 - देख !

इस पार की खामोशी

उस पार की उदासी

सब्ज़ पत्तों पर घिरी

ये साँझ भी कुहासी

लेकर चली है मुझको

अपने साथ में

दीया जो जल रहा था

अब बुझा है हाथ में -

मैंने जो पूछा घबराकर

क्यों है अंधेरा इतना ?

रोशनी ने घूरा मुझे

मैं पथरा गई कितना

ये है अंधेरा हर कदम

ये है लुटेरा हर कदम

ये मंज़िलें

ये महफिलें

ये मस्तियाँ, ये काफ़िले

ये सब हमारे अपने

ये सब तुम्हारे सपने

खो जाएँगे, जागो ज़रा

यह रूठ कर कहती धरा

आ प्यार कर,मनुहार कर

जो हो गया अब भूल जा

है रास्ता आँखें उठा

वो देख, तुझको पुकारता-!!

 

 

20 - इंकलाब !

मेरे शब्दों से उठ रहा है शोर

हर दिन होती भोर

तू सोता ही रहेगा ?

सब कुछ खोता ही रहेगा?

बहुत देर हो जाएगी

न रोशनी मुहब्बत की

हाथ आएगी

जागता रह

पीता रह उस शोर को

मन के गलियारों में

दुबके जा रहे हैं जो

पुकारते हैं आस के पंछी

उड़ते तेरे मन में

क्या कमी है इस जीवन में ?

मन से इंकलाब कर

इन चाँद–तारों से बात कर

सच कहती हूँ

कुछ प्रयास कर !!